Ganga in Hindi Comedy stories by Raje. books and stories PDF | गंगा

The Author
Featured Books
Categories
Share

गंगा



गंगा। जब कभी यह शब्द, हमारी या किसी की भी जुबान पर आता है। हमारे मनोमस्तिस्क मे एक ही भाव उत्पन्न होता है।
गंगा यानी-
पवीत्र, निर्मल, कोमल, दिव्यता से भरी। हमारा मन एकदम शांत हो जाता है और मानो गंगा के कलकल बहते नीरके साथ बहने लगता है।
एक अगम्य आनंद की प्राप्ती होती है। यह अनुभूती केवल उन लोगोको ही नही होती, जो गंगा का विचरण कर आए है पर उन्हे भी होती है। जिन्होने कभी गंगाके दर्शन अपने जीवनमे कभी किए ही नही हो। और इसके दो कारण है। एक यह कि, हमने बचपन से गंगाके बारेमे इतनी कहानीया सुनी है की, उसकी दिव्यता हमारे दिलो-दीमाग मे बस चुकी है।
दुसरा कारण यह है की, गंगा का अपने आपमे दीव्य होना।
मेरे बारे मे बताऊ तो, मैने भी अबतक गंगा का प्रवास नही किया। पर लगता है, मानो वह मुझमे बहती है। जबभी मै उसका खयाल करता हु या उसका जीक्र होता है। दील किसी पवीत्रता का अनुभव करता है।
आज गंगाके बारेमे कहे तो, लोगो की राय बदलती दीखाई दे रही है। कुछ लोगोका कहना है की, गंगा मैली हो रही है। या हो चुकी है ?
एक रीपोर्ट के अनुसार विश्वकी, वह नदीयॉ जो समुद्र को गंथा करती है। उनमे गंगाका दुसरा स्थान आता है। वैज्ञानीक द्रष्टि से देखा जाए, तो यह सही भी है। और इसका दोस मै किसी परभी डालना नही चाहुंगा। क्योकी वह व्यर्थ होगा। इससे किसीको भी कोई फर्क नही पडेगा। यदी आपको देखना है की वह कौन लोग है। जो इसके लीए जिम्मेवार है। तो किसी दुसरे पर निशाना या अपनी नजर उठाने से पहले, एकबार खुदको आयने मे जरुर देख लिजीएगा।
चलो खैर यह तो और बात हो गई। पर मेरे लिए, मेरी गंगा।-
कलभी पवीत्र थी।
गंगा आजभी पवीत्र है और
गंगा कल भी पवीत्र ही रहेगी।

मेरी एक बात ओर गोर किजीएगा। गंगा यहा पृथ्वी पर आयी थी, ताकी हमे पवीत्र कर सके। 'उसे अपनी दिव्यता पर यकीन था, की वह यह कर सकती है।'
हमारे कहने, ना हकने से कोई फर्क नही पडता की वह मैली हो गई है। "पर जीस दीन गंगा को यकीन हो गया की, वह मैली हो गई है। और हमारे दर्दको नही मीटा पाएगी।" वह स्वयं यहा से प्रस्थान कर जाएगी। और फिर रहेगी तो सिर्फ कहानीयो मै। तो कुछ, लोगो की यादो मे।
इसीलिए हमे गंगाको यह अहेसास दीलाना होगा की, नही गंगा तुम मैली नही हो।
वह तो बस हमारी नजरे मैली हो गई थी। जो सारा जहाँ गंदा लगने लगा था।
तो चलो, एक पहल करे। अपनी नजरो को साफ करने की ओर।
एक पहल गंगा को अहेसास दीलाने की ओर। की वह अभी दीव्यासे भरपुर है।
नजरे साफ करने से मतलब है- गंगा को साफ करे। और किसी को गंदा ना करने दे।

-रेरा