Luck - 1 in Hindi Philosophy by Akshay jain books and stories PDF | किस्मत - 1

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किस्मत - 1

किस्मत नाम कि वस्तु से आप सभी परिचित ही होंगे। आज के समय में अनेक लोग अपनी किस्मत पर ही टिके हुए हैं।अनेक लोग अपनी किस्मत को आजमाते रहते हैं । परंतु किस्मत किसी को आजमा ले तो वह बर्बाद हो जाता है। क्योंकि किस्मत वैसे तो दो तरह की होती है। एक तो अच्छी और एक बुरी। इन दोनों तरह की किस्मत वाले व्यक्ति अपने जीवन को सम्हाल लेते हैं। क्योंकि अच्छी किस्मत वाला तो हमेशा खुश रहता ही है , और बुरी किस्मत वाला भी यही सोचकर सम्हल जाता है कि मेरे साथ तो हमेशा ही ऐसा होता है। इसमें कोई नई बात नहीं है।
लेकिन जो तीसरे टाइप की किस्मत है जो अच्छी और बुरी दोनों को मिलाकर बनती है। ऐसी किस्मत जिसकी होती है वह व्यक्ति की बर्बाद सा ही हो जाता है। क्योंकि वह जीवन में अच्छी किस्मत के बाद बुरी किस्मत को नहीं झेल पाता । और सोसाइड तक भी के सकता है।
ऐसी किस्मत होती तो अधिकतर लोगों के जीवन में है पर बर्बाद वही होते हैं जो इस किस्मत के खेल को नहीं समझ पाते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी में आपको सुना रहा हूं जिसका किस्मत से बड़ा अच्छा नाता है ।
यह कहानी ऐसे बच्चे की है जिसका जन्म से ही किस्मत से अच्छा संबंध है। इस बच्चे के जन्म के कुछ समय पूर्व ही इसकी मां कहीं जा रही थी तभी उनका accident हो गया । और वह बहुत ज्यादा चोटग्रस्त हो गई। पूरा शरीर खून से लथपथ था । ऐसी स्थिति में डॉक्टर ने सोचा कि दोनों का ( मां और बच्चे ) बचना मुश्किल है।लेकिन जब उनका ऑपरेशन हुआ तो मां की तो मृत्यु हो गई , और बच्चे को देखकर सभी को आश्चर्य हुआ क्योंकि बच्चे के शरीर पर एक भी खरोंच नहीं थी।
अब यहां आप क्या कहेंगे बच्चे की किस्मत अच्छी है या बुरी ? क्योंकि एक तरफ तो उसकी मां की मौत हो गई । और दूसरी तरफ उस बच्चे को इतने बड़े हादसे के बाद भी सुरक्षित बचना ।
उस बच्चे का पिता के अलावा अब और कोई नहीं था । पिता भी कुछ अमीर नहीं था उसके पास भी बस थोड़ी सी जमीन थी जिस पर खेती करके उसके परिवार का गुजारा चलता था। वह स्वाभाव से सरल थे । अब उन्हें ही अपने बच्चे की देखभाल करनी थी । तो अब उसने और ज्यादा मेहनत करना प्रारंभ करदी । जिससे उसके बच्चे को किसी भी चीज की कमी ना हो। वह उसे मां और पिता दोनों का प्यार देता था।
एक बार उस बच्चे के जीवन में फिर एक घटना घटी । जिसमे उसे फिर किस्मत ने बचा लिया। जब वह लगभग तीन या चार साल का था और स्कूल पढ़ने जाता था। एक दिन वह कक्षा में पढ़ रहा था कि अचानक उसे टॉयलेट लगी और वह वहां से चला गया । और जब वह वापिस आया तो उसने देखा कि उसकी कक्षा से बहुत ज्यादा धुआं निकल रहा है और जब वह पास गया तो उसने देखा कि उसके सारे दोस्त और टीचर शोर्ट सर्किट से लगने वाले आग में जलकर मर चुके थे। इस प्रकार फिर उसे किस्मत ने बचा लिया था। फिर उसका स्कूल बदला गया ।
अब वह बच्चा जिसे उसे पिता पिंटू नाम से बुलाते थे। कुछ और बड़ा हो गया और अब वह अपने पिता की तकलीफों को समझने लगा था अत: वह ज्यादा मन लगाकर पढ़ाई करने लगा। और अपने पिता कि काम में मदद करने लगा। रविवार के दिन जब स्कूल से छुट्टी होती तो वह अपने पिता की बहुत सेवा करता था। ऐसे ही चल रहा था और पिता - पुत्र दोनों खुशी - खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे।
अब पिंटू पंद्रह सोलह साल का हो गया था और उसने 10th में मन लगाकर पढ़ाई की और वह अच्छे नंबरों से पास हुआ उसका नाम मैरिट में आया था। इससे उसके पिता को बहुत खुशी हुई। क्योंकि पिंटू और उसके पिता एक दूसरे को बहुत चाहते थे। उस दिन दोनों बाहर घूमने गए। बाहर ही खाना खाया। वह दिन उनका बहुत ही आनंदमय बीता। अब पिंटू की आगे के पढ़ाई के लिए उस शहर में हॉस्टल में भेजा। जहां उसकी पढ़ाई अच्छे से हो सके। उसके लिए कुछ पैसे उसके पिता ने पहले से जमा कर रखे थे और कुछ पिंटू को स्कॉलरशिप के माध्यम से मिल गए थे। इस तरह पिंटू की पढ़ाई की व्यवस्था हो गई थी। पिंटू वहां भी बहुत मन लगाकर पढ़ाई करता था। और सभी टीचर उससे खुश रहते थे।
"लेकिन किस्मत भी बड़ी ............. चीज होती है। कभी भी पलट जाती है।" ऐसा ही कुछ अब पिंटू साथ हुआ। उसे अचानक एक कॉल आया और जैसे ही उसने बात की वह बिल्कुल शून्य हो गया।
To be continued..........
अक्षय जैन