Khwab jo bata n sake in Hindi Short Stories by Satender_tiwari_brokenwordS books and stories PDF | ख़्वाब....जो बता न सके

Featured Books
Categories
Share

ख़्वाब....जो बता न सके

नैना की नौकरी विदेश में लग गयी थी। घर वाले खुश तो थे लेकिन वही बात है ना कि लड़की है कैसे रह पाएगी ? वही समाज के चार ताने और वो चार लोग, न जाने कौन ??

लेकिन फिर भी नैना के माता पिता ने उसे मना नही किया।और नैना को विदेश जाकर नौकरी करने के लिए सहयोग किया और प्रोत्साहित किया।।

नैना के साथ उसकी दो दोस्त और भी साथ मे थी। विदेश पहुँच कर नैना घर पे फ़ोन लगाती है।

नैना -" माँ बहुत प्यारी जगह है ये। अभी कुछ दिन के लिए कम्पनी के गेस्ट हाउस में रहना हैं । हफ्ते दस दिन में हम अपना घर ले लेंगे कोई किराए पे।

माँ -" बेटा अपना ख्याल रखना और किसी चीज़ की चिंता मत करना ।

दिन बीतते गए । नैना भी अपने काम मे व्यस्त हो गयी थी। घर भी अच्छा खासा मिल चुका था। लेकिन काम का preasure बहुत था ।

इस बात का जिक्र नैना ने अपने घर पे भी किया।
और आस पड़ोस का शुरू हो गया , कि कहा था लड़की है मत भेजो , कुछ कर नही पाएगी । लेकिन नैना के माता पिता ने सिखाया था कि कोई काम आसान नही होता उनको आसान बनाना पड़ता है।

और इसी हौसले के साथ नैना और उसके दोस्त मन लगाकर काम कर रहे थे। किसी की परवाह न करते हुए बस अपने काम से काम रख रहे थे।

चार साल में नैना ने खूब मेहनत की और आज वो कंपनी की प्रोडक्शन हेड बन चुकी थी । हर तरफ नैना के काम की तारीफ हो रही थी। लोगों के तानों का जवाब नैना ने अपनी तरक्की के साथ दिया।

चार साल बाद नैना जब घर वापिस आयी तो एयरपोर्ट पे नैना के पापा उसे लेने गये। घर आ कर नैना ज़ोर ज़ोर से माँ माँ चिल्लाने लगी।

इतने में 12 साल की नैना को माँ ने जोर से नींद से उठाया और परेशान माँ ने पूछा , " नैना क्या हुआ , कोई बुरा सपना देखा क्या??""

नैना मुस्कुराई और धीरे से कहा माँ जिस दिन ये सपना सच हो जाएगा उस दिन ज़रूरर बताऊंगी कि आज क्या देखा था ख्वाब में।।
_________________________________________
Satender_tiwari_brokenwords
?????????????

यह एक काल्पनिक रचना है। इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं।


------------एक छोटी सी कविता -----------------–

----------------
ख़्वाब
―----------

इन आँखों मे एक ख्वाब बसता है
सुबह कभी उठूँ ये विश्वास रहता है
एक तैयारी खुशियाँ मनाने की होती है
बदल गया है देश हर हिंदुस्तानी कह रहा है।।

जब निकलूँ बाहर घर से नज़ारा ऐसा हो
सड़के भी हों और किनारे पेड़ भी हों
जहां एक पंछी अपने घोंसले में रहता है
बदल गया है देश हर हिंदुस्तानी कह रहा है।।

नज़र उठा कर देखूं कोई गरीब न दिखे
जहाँ भी नज़र घुमाऊं हर चेहरा मुस्कुराता रहे
सम्मान हर किसी का उस ख्वाब में दिखता है
बदल गया है देश हर हिंदुस्तानी कह रहा है।।

न भ्रष्टाचार का साया हो न नफरत की दीवार रहे
हर गली में मोहब्बत हर किसी से बेशुमार रहे
काश आँख खुले और ये हक़ीक़त में दिखे
बदल गया है देश हर हिंदुस्तानी कहता मिले।।