Aek Ladki ki kahaani in Hindi Short Stories by Savu Baleviya books and stories PDF | ऐक लड़की की कहानी

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ऐक लड़की की कहानी

मे ऐक छोटे से गांव में रहती हूं . मेरे गांव का नाम विरपुर है मुझे बसपन से कुछ बड़ा बनने का सपना है मेरे गांव के लिए कुछ करना है पर सपना तो सपना होता है .मे ५ कछातक गांव में ही अभ्यास किया उसके बाद घर वालों ने घर से दूर होस्टल में भेज दिया मैंने ६ से लेकर १२ कक्षा तक होस्टल में रह कर ही पठाई की ओर इतने सालों में मैंने होस्टल में बहुत कुछ सीखने को मिला भीर मैंने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश किया. और अभी में ३ साल मैं अई हु मैं बहुत दुख सह कीया ओर पढ़ाए कर रही हु पता ही नहीं चलता की मे क्या करूं मुझे घरवालों कि लिए नोकरी करनी और मुझे मेरे सपने भी पुरे करने है . सपने पुरे करने के लिए में घर से दूर होस्टल में आई मुझे बहुत अलग अलग लोगों मीले किसी ने ये नहीं करना ये करना कुछ तो बुरा भी बोल पर जिंदगी ने बहुत कुछ सीखाया उन्हीं लोगों की वजह से तो मैं यहां तक पहुंच पाई जब मैं पहली बार होस्टल में रहने के लिए गए तब मैं बहुत छोटी थी . अपना काम भी कर पाती थी पर वक़्त ने सब धीरे धीरे कर के सीख दीया क्युकी सब खुद को ही करना पड़ता था. मैं ज्यादा मम्मी के पास घर रह ही नहीं पाए और भीर तो दोस्तों भी मिल गई उसके बाद तो घर आने का मन ही नहीं होता था मेरी होस्टल वाली जिंदगी वह
बहुत अच्छी थी क्योंकि तब मैं बहुत छोटी थी .अब तो बड़ी हो गई तो अब सारी जीनमेदारि आ जाती है . अपनी भी जिंदगी बनना है
जब मैं होस्टल वाली जिंदगी में से बाहर आ गई तो पता चला कि जिंदगी किसको कहते हैं. मेरे जिंदगी के कुछ असे किस्से भी है मे कभी भी भुला नहीं सकती

जिंदगी ऐसे जीओ की मरने के बाद भी लोग याद करे

ओर अभी तो कुछ पता ही नहीं चलता कि क्या करे काम हि काम किसी को किसी के लिए समय ही नहीं मिलता सब अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं .
दोस्तों को भी मलने बुला ते है तो वो भी व्यस्त हि रहते है
थोडे सालों के बाद तो घर वाले सादी भी कर वा देंगे तो उसके बाद तो बहुत पता नहीं केसी होंगी जिन्दगी वो तो पर अभी तो मुझे मेरे सपने भी पुरे करने है. नोकरी भी करनी है

गांव के लिए भी कुछ करना है अभी तो मैं कुछ नहीं कर सकती क्योंकि अभी मेरे पास इतना कुछ नहीं है .इस लिए और गांव में तो ज्यादा लड़कियों को पठाते भी नहीं है कि क्या करना है पठाई करके घर हि तो सम्भाल ना हे कुछ लोग यह समझते हैं गांव में आधे लोग समझदार होते हैं और लड़कियों को पठाना साहिये तो वो पठाते है पर अभी के समय मैं तो सब समझ ते है.
इस लिए तो मुझे कुछ कहना है गांव क लिए किसानों को मदद कर नी है क्योंकि मैं भी एक किसान की बेटी हु
@surbhi2296