Gumshuda ki talash - 34 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | गुमशुदा की तलाश - 34

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गुमशुदा की तलाश - 34

गुमशुदा की तलाश
(34)



आंचल ने रंजन को बताया कि बिपिन अपने सपने को लेकर बहुत उत्साहित था। वह उसके बारे में उससे अक्सर बात करता था।
प्रोफेसर दीपक वोहरा आंचल से बिपिन की सारी रिपोर्ट लेता था। आंचल ने उसे बताया कि बिपिन अपनी खोज को साकार रूप देने के लिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहा है जो उसकी मदद कर सके।
एक दिन प्रोफेसर दीपक वोहरा ने आंचल को बुला कर कहा कि बिपिन से कहो कि तुम एक ऐसे शख्स से मिली हो जो उसकी मदद कर सकता है। वह शख्स एक उद्योगपति है। वह औषधीय अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहता है। जिससे हर रोग के उपचार के लिए प्रभावशाली व कम लागत की दवाओं का निर्माण हो सके। इससे दुनिया भर के उन लोगों को लाभ मिलेगा जो महंगी दवाओं के कारण इलाज नहीं करा पाते हैं।
एक बार फिर आंचल की बात सुन कर रंजन के मन में सवाल उठा।
"तुमने बिपिन से जब यह बात बताई तो वह मान गया। उसने तुमसे पूँछा नहीं कि तुम ऐसे शख्स से कब और कैसे मिली ?"
"बिल्कुल पूँछा....लेकिन प्रोफेसर दीपक भी शातिर दिमाग है। उसने मुझे पहले ही सब समझा दिया था।"
बिपिन जानता था कि आंचल करोबारियों के घराने से है। उसके पूँछने पर आंचल ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए अपने घर गई थी। वहाँ उसकी मुलाकात अपने पिता के एक उद्योगपति दोस्त ह्रदयनाथ सिसोदिया से हुई। जब उसे पता चला कि वह औषधीय अनुसंधान को प्रेरित करने का काम करते हैं तो उसने उन्हें बिपिन की खोज के बारे में बताया। सुन कर वह बहुत खुश हुए। उन्होंने खुद ही मदद की पेशकश की। वह बिपिन से मिलना चाहते हैं। कुछ ही दिनों में वो मिलने की जगह और समय बता देंगे।
"ये सब प्रोफेसर दीपक वोहरा की एक चाल थी। तो उसने किसे ह्रदयनाथ बना कर बिपिन से मिलाया था। ये मुलाकात कब और कहाँ हुई ?"
"रंजन प्रोफेसर दीपक वोहरा मुझे मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा था। वह मुझे जो बताता था मैं वही बिपिन को बता देती थी। कुछ दिनों के बाद प्रोफेसर दीपक वोहरा ने मुझसे कहा कि मैं बिपिन को सूचित कर दूँ कि शाम को एक कार हॉस्टल गेट पर आएगी। वह उसे उस होटल में ले जाएगी जहाँ ह्रदयनाथ ठहरे हैं।"
"आंचल क्या तुमने कभी बिपिन के साथ रॉकी को देखा था ?"
"कौन रॉकी ?"
"उसके आगे के बालों का एक गुच्छा गोल्डन कलर से रंगा है। कान में बाली पहनता है। ईगल क्लब का मालिक है।"
"मैंने ऐसे किसी शख्स को बिपिन के साथ नहीं देखा।"
"तुम दीप्ती नौटियाल को जानती हो। लंबे कद की लड़की है। बिपिन जिस रात गायब हुआ वह उसके साथ देखी गई थी।"
"रंजन मुझे जो पता था सब बता दिया। बिपिन को कार वाली बात बताने के बाद प्रोफेसर दीपक वोहरा को लगा कि अब मेरा काम खत्म हो गया है। उसने मुझसे कहा कि अब मैं बिपिन से दूरी बना लूँ।"
"तो तुम उससे दूर हो गईं।"
"पूरी तरह से नहीं। मैं उससे उसी चाईनीज़ रेस्टोरेंट में दो बार मिली थी। पहली मुलाकात में उसने मुझसे कहा कि वह बहुत खुश है। उसका सपना पूरा हो जाएगा। पर जब कुछ दिनों के बाद मैं उससे फिर मिली तो वह परेशान था। उसका कहना था कि ह्रदयनाथ अच्छा व्यक्ति नहीं है। वह उसकी खोज का गलत प्रयोग करना चाहता है। पर वह उसके मंसूबे पूरे नहीं होने देगा।"
रंजन ने आंचल के चेहरे पर अपनी नज़रें जमा कर कहा।
"फिर भी तुमने उसे सच्चाई नहीं बताई।"
"हाँ.... क्योंकी मुझमें सच बताने की हिम्मत नहीं थी। प्रोफेसर दीपक वोहरा बहुत ही खतरनाक आदमी है। मुझे लगा कि वह भी कुछ और लोगों के इशारे पर काम कर रहा है। मैं उन्हें नहीं जानती थी। इसलिए मैं और अधिक डर गई थी।"
अपनी बात कह कर आंचल चुप हो गई। रंजन भी कुछ नहीं बोला। कुछ क्षणों तक कमरे में मौन छाया रहा।
"रंजन....प्रोफेसर दीपक वोहरा से मुझे बहुत डर लगता है। वह कुछ भी कर सकता है।"
"आंचल तुम्हारा ये डर ही तुम्हें कमज़ोर बना रहा है। एक बार हिम्मत करो। पुलिस को सब कुछ बता दो। फिर हमेशा के लिए सारा डर खत्म। बोलो....उसके खिलाफ बयान देने की हिम्मत करोगी।"
आंचल कुछ नहीं बोली। उसके भीतर एक द्वंद चल रहा था। डर और हिम्मत की रस्साकशी चल रही थी। रंजन उसे समझ रहा था।
"मैं जानता हूँ कि बिपिन के प्रति तुम्हारी भावनाएं दिखावा नहीं थीं। पर डर ने तुम्हें रोक रखा था। अब प्रायश्चित का अच्छा मौका है।"
सुबह के चार बजे थे। चिड़ियों की चहचहाहट भोर की सूचना दे रही थी। आंचल के अंदर का द्वंद समाप्त हो गया था। हिम्मत ने डर को पछाड़ दिया था। आंचल ने आत्मविश्वास से भर कर कहा।
"उस दुष्ट के खिलाफ बयान देने को तैयार हूँ।"
सुबह छह बजे रंजन आंचल को हॉस्टल छोड़ आया। उसने कहा कि वह अपनी क्लास कर ले। क्लास के बाद वह उसे पुलिस स्टेशन ले जाएगा।
ग्यारह बजे रंजन आंचल को लेकर पुलिस स्टेशन पहुँचा। आंचल ने इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह के सामने वह सब कुछ बताया जो उसने रंजन को बताया था। बीती रात प्रोफेसर दीपक वोहरा की बातचीत जो उसने रिकॉर्ड की थी सबूत के तौर पर पेश की।
प्रोफेसर दीपक वोहरा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ हो गई।
पुलिस ने प्रोफेसर दीपक वोहरा को कस्टडी में लेकर पूँछताछ शुरू कर दी। कड़ाई से पूँछने पर प्रोफेसर दीपक वोहरा ने सब सच सच बता दिया।
बिपिन ने चिंता हरण फूल से सेरोटोनिन प्रप्त कर उस मात्रा का पता लगा लिया था जिसके सेवन से व्यक्ति नशे की स्थिति में चला जाता है। जब प्रोफेसर दीपक वोहरा ने यह बात रॉकी को बताई तो उसने उसे आगे की योजना पर काम करने को कहा।
आगे की योजना के अनुसार उसने दीप्ती नौटियाल को एक सिम कार्ड लेने को कहा जो बिना कागज़ात के मिल जाए। दीप्ती ने उमाकांत का सिम कार्ड खरीद लिया। वह ह्रदयनाथ की सेक्रेटरी बन कर बिपिन को सफेद स्कोडा कार में एक होटल में ले गई। वहाँ रॉकी का आदमी उससे ह्रदयनाथ बन कर मिला।
पहले तो सब सही रहा पर बाद में बिपिन को शक हो गया कि ह्रदयनाथ लोगों की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने लाभ के लिए उसकी खोज का प्रयोग करना चाहता है। बिपिन ने उसकी चाल में फंसने से मना कर दिया।
यह बात रॉकी को बहुत बुरी लगी। पर उसने दिमाग से काम लिया। उसने दीप्ती के ज़रिए उसे जाल में फंसाने की चाल चली। दीप्ती ने बिपिन को उमाकांत के नंबर से फोन कर मिलने बुलाया। बिपिन जब उससे मिला तो दीप्ती ने कहा कि वह ह्रदयनाथ की चाल को समझ नहीं पाई। इसके लिए वह बहुत शर्मिंदा है। उसने ह्रदयनाथ की नौकरी छोड़ दी है। पर वह इस क्षेत्र के एक और व्यक्ति को जानती है। उसे पूरा यकीन है कि वह ह्रदयनाथ जैसा धोखेबाज़ नहीं होगा। वह उससे बात करेगी।
दीप्ती अक्सर बिपिन से फोन पर बात कर आश्वासन देती थी कि वह पूरी कोशिश कर रही है। जल्दी ही उसे सफलता मिलेगी।
एक दिन उसने बिपिन को बताया कि राकेश ग्रुप्स के मालिक उससे मिलना चाहते हैं। वह हॉस्टल के गेट पर उसे सफेद स्कोडा कार में लेने आएगी। बिपिन उसके साथ राकेश ग्रुप्स के मालिक से मिला।
रॉकी खुद ही राकेश तनवानी बन कर उससे मिला था। इस बार उसने बहुत सोंच समझ कर बिसात बिछाई थी। बिपिन को पूरा यकीन हो गया था कि राकेश तनवानी सचमुच उसकी खोज का सही प्रयोग करना चाहता है। दीप्ती कई बार उसे हॉस्टल से सफेद स्कोडा कार में रॉकी से मिलवाने ले गई।
रॉकी जानता था कि बिपिन सीधे तरीके से उसकी बात नहीं मानेगा। इसलिए उसने उसे किडनैप करने का एक प्लान बनाया।
उसने बिपिन से कहा कि लंदन में रहने वाला उसका एक दोस्त भी उसकी खोज में दिलचस्पी रखता है। वह उसकी दवा को बाज़ार में लाने में बहुत मददगार हो सकता है। वह बिपिन से मिलना चाहता है। समस्या यह है कि वह कुछ ही घंटों के लिए यहाँ आ रहा है। वह देर रात उसे मिलने का समय दे सकता है।
बिपिन ने कहा कि वह जब चाहे मिलने के लिए बुला ले। गायब होने वाली रात को दीप्ती ने यही कहने के लिए फोन किया था कि वह हॉस्टल के बाहर उसकी राह देख रही है। बिपिन ने अपनी रीसर्च के कागज़ और लैपटॉप एक बैग में डाल लिए। वह बाहर आ गया। दीप्ती उसे साईबर कैफे के सामने खड़ी लाल रंग की कार तक ले गई। कार में बैठते ही उसने अपना फोन ऑफ करने के साथ बिपिन से भी वैसा ही करने को कहा।
उसके बाद बिपिन का कोई पता नहीं चला।
प्रोफेसर दीपक वोहरा को अपने काम के लिए रॉकी की तरफ से अच्छी रकम मिली थी।
लेकिन प्रोफेसर दीपक वोहरा यह नहीं जानता था कि बिपिन कहाँ है ?