Gumshuda ki talash - 31 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | गुमशुदा की तलाश - 31

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गुमशुदा की तलाश - 31



गुमशुदा की तलाश
(31)



आंचल अपनी कहानी बताते हुए चुप हो गई। उसकी आँखों में आंसू थे। गला रुंधा हुआ था। रंजन ने उसे पानी लाकर दिया। पानी पीने के बाद वह कुछ सामान्य हुई।
"कार्तिक मुझसे प्यार नहीं करता था। दरअसल वह तो प्रोफेसर दीपक वोहरा के हाथों की कठपुतली था। वह उनके इशारे पर मुझे फंसा रहा था। उसने मेरे और उसके अंतरंग पलों के दो वीडियो बनाए थे। वह उसने प्रोफेसर दीपक वोहरा को दे दिए थे।"
आंचल ने अपनी कहानी आगे बढ़ाई।

प्रोफेसर दीपक वोहरा ने एक दिन उसे मिलने बुलाया। उसे वह वीडियो दिखा कर बोला कि वह उससे जो करने को कहेगा वह उसे करना पड़ेगा।
प्रोफेसर दीपक वोहरा ने आंचल को बिपिन के साथ दोस्ती बढ़ाने को कहा। उस दोस्ती की आड़ में बिपिन से अपने मन का काम करवाना चाहता था। आंचल उसकी बात मानने को मजबूर थी। वह बिपिन के साथ दोस्ती करने का रास्ता ढूंढ़ने लगी।
आंचल को एक अच्छा अवसर तब मिला जब बिपिन उससे अरुण के बारे में जानने के लिए कैंटीन में मिला। उसने बिपिन से कहा कि यह तो बहुत अच्छी बात है कि वह इतना अच्छा काम कर रहा है। उसे खुशी होगी कि वह उसके दोस्त अरुण की मदद करे।
वह अरुण के बारे में जानने के बहाने एक बार और उससे कैंपस में मिली। इस मुलाकात में उसने बिपिन से कहा कि वह जो कर रहा है उससे वह बहुत प्रभावित है। वह भी उसके मकसद में उसकी मदद करना चाहती है। बिपिन ने उससे कहा कि वह मदद करना चाहती है यह तो अच्छी बात है। पर वह अपने अध्ययन के सिलसिले में इधर उधर जाता है। उसे हर जगह साथ नहीं ले जा सकता है। आंचल ने कहा कि वह किसी और तरह से उसकी मदद कर सकती है। बिपिन ने कहा कि ऐसा है तो उसे कोई ऐतराज नहीं है।
अवसाद के बारे में अध्ययन के लिए बिपिन रोज़ शाम को हॉस्टल से निकल कर एक फ्लैट पर जाता था। फ्लैट में बिपिन आराम से अपना काम कर सकता था। वह नहीं चाहता था कि उसके इस काम की भनक हॉस्टल में किसी को भी हो। इसलिए उसने प्रोफेसर दीपक वोहरा से बात की थी। यह फ्लैट प्रोफेसर दीपक के ही किसी रिश्तेदार का था।
आंचल ने कुछ समय के लिए अपनी सहेलियों के साथ घूमना फिरना बंद कर दिया। वह बिपिन से उस फ्लैट में मिलती थी। वह जो भी जानकारी जुटाता उसे सही तरह से संजोने में उसकी मदद करती थी। बिपिन और उनकी इस दोस्ती के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं था।
बिपिन धीरे धीरे आंचल से नज़दीकी महसूस करने लगा था। अब तक उसके जीवन में ऐसा कोई नहीं आया था जो उसे सही तरह से समझ सके। आंचल ना सिर्फ उसे समझती थी बल्कि उसके मकसद की इज्ज़त करती थी। वह उसकी सफलता पर पूरा यकीन करती थी। बिपिन अपने जीवन में पहली बार किसी से इतनी गहराई से जुड़ा था।
आंचल भी उसे यह एहसास दिलाने में कोई कसर नहीं रखती थी कि वह उसे और उसके मकसद को कितना पसंद करती है। एक दूसरे के साथ रहते हुए दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी। दोनों एक दूसरे को घरेलू नाम से पुकारने लगे।
बिपिन के पिता जब उसके साथ थे तब प्यार से उसे बापी कह कर पुकारते थे। उसने आंचल से कहा कि वह उसे इसी नाम से पुकारा करे। आंचल ने भी उससे कहा कि वह भी उसे रिनी कहा करे। उसके बाद बिपिन उसे ना सिर्फ रिनी कहता था बल्कि अपनी नोटबुक में भी उसका ज़िक्र रिनी के नाम से ही करता था।
फ्लैट के अतिरिक्त चरक हॉस्टल के पास वाला ड्रैगेन हब चाईनीज़ रेस्टोरेंट उन दोनों के मिलने की जगह थी। बिपिन चाईनीज़ खाने का शौकीन था। आंचल को चाईनीज़ इतना पसंद तो नहीं था पर बिपिन के लिए वहाँ चली जाती थी।
जब बिपिन सेरोटोनिन हार्मोन के स्रोत ढूंढ़ रहा था तब प्रोफेसर दीपक वोहरा ने आंचल से कहा कि वह बिपिन को बताए कि राजस्थान के एक गांव में चिंता हरण फूल मिलता है। जिसमें सेरोटोनिन मिल सकता है। यदि वह चाहे तो वह उसे वहाँ ले जाएगी।
आंचल उसे नंदपुर गांव ले गई। जहाँ से बिपिन बहुत सारे चिंता हरण फूल परीक्षण के लिए ले आया।

आंचल फिर रुकी। उसने थोड़ा और पानी पिया। फिर बोली।
"नंदपुर से लौटने के बाद प्रोफेसर दीपक वोहरा ने मुझसे कहा कि अब मैं बिपिन से मिलना कम कर दूँ। मैंने बिपिन से मिलना कम कर दिया।"
रंजन ने पूँछा।
"तुम अचानक बिपिन से दूर हो गई। बिपिन ने कुछ कहा नहीं।"
"मेरे पास एक बहाना था। मेरे एग्ज़ाम नज़दीक थे। मैंने उससे कहा कि कुछ दिन मैं उससे नहीं मिलूँगी। यदि मेरा रिज़ल्ट खराब हो गया तो घरवाले बहुत नाराज़ होंगे।"
रंजन को एक बात बहुत देर से खटक रही थी। उसने आंचल से उसके बारे में पूँछा।
"एक बात समझ नहीं आ रही है। प्रोफेसर दीपक ने तुम्हें बिपिन के पीछे क्यों लगाया ? तुम्हारा प्रयोग उसने केवल चिंता हरण फूल के बारे में सूचना देने के लिए ही किया। यह काम तो वह किसी और तरीके से भी कर सकता था।"
"प्रोफेसर दीपक बिपिन को अपने अनुसार चलाना चाहता था। लेकिन वह नहीं चाहता था कि यह बात बिपिन को पता चले। वह कार्तिक से यह काम नहीं करवा सकता था। वह बिपिन का रूममेट था पर उन दोनों की आपस में बनती नहीं थी। इसके अतिरिक्त मुझे बिपिन के पीछे लगाने का एक और कारण था।"
"वह क्या ?"
"प्रोफेसर का मानना था कि बिपिन एक अंतर्मुखी व्यक्ति है। एक लड़की होने के नाते यदि मैं उसका विश्वास जीत लूँ तो उसके मन की बात जान सकती हूँ।"
"और तुम इस काम में सफल रही।"
"हाँ बिपिन मुझ पर विश्वास करता था। मुझे अपनी सारी बातें बताता था।"
"उसने कभी अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताया ?"
"हाँ....अपनी माँ के साथ उसके रिश्ते में जो तल्खी थी उसके बारे में बताया था।"
"मतलब वह तुम पर पूरा यकीन करता था।"

"हाँ....."
रंजन ने प्रश्न भरी दृष्टि आंचल पर डाली।
"वह तुम पर भरोसा करता था। पर उसके लिए तुम्हारी भावनाएं सिर्फ दिखावा ही थीं।"
रंजन के इस प्रश्न का आंचल ने कोई जवाब नहीं दिया। उसे देख कर लग रहा था कि इस सवाल का जवाब वह देना नहीं चाहती है। रंजन ने उसकी मनःस्थिति को समझते हुए दूसरा प्रश्न किया।
"तो फिर तुम दोबारा बिपिन से नहीं मिली।"
"मिली थी....प्रोफेसर दीपक वोहरा ने मुझे दोबारा उससे मिलने को कहा।"

आंचल आगे की कहानी सुनाने लगी।

रॉकी के कहने पर प्रोफेसर दीपक वोहरा ने बिपिन के लिए कॉलेज से बाहर एक प्रयोगशाला की व्यवस्था कर दी। यहाँ वह रात के दस बजे के बाद से सुबह तक अपना परीक्षण कर सकता था।
बिपिन ने उस प्रयोगशाला में उन फूलों से सेरोटोनिन निकाल कर उसका परीक्षण पहले खरगोशों पर किया। उसने उन खरगोशों को चुना जो कुछ बीमार व सुस्त थे। जब उन खरगोशों को सही मात्रा में सेरोटोनिन दिया गया तो वह पहले से अधिक ऊर्जावान व चुस्त नज़र आए। पहले वह अपने पिजरों में शांत पड़े रहते थे। पर सेरोटोनिन की खुराक मिलने के बाद स्फूर्तिवान व चुस्त हो गए। वह पिंजरों में उछलकूद करने लगे। जो उन्हें खाने को दिया जाता वह मज़े से खा लेते थे।
उसके बाद बिपिन ने सेरोटोनिन की खुराक बढ़ा दी। उसका नतीजा यह हुआ कि जो खरगोश उछलकूद कर रहे थे वह नशे की हालत में रहने लगे।
जब खुराक उससे भी अधिक कर दी गई तो खरगोश बीमार पड़ गए।
बिपिन ने अपनी इस सफलता के बारे में प्रोफेसर दीपक वोहरा को बताया। प्रोफेसर दीपक ने उसे समझाया कि अभी वह अपनी इस सफलता का ज़िक्र किसी से ना करे।
बिपिन ने अपनी सफलता के बारे में आंचल को बताया। क्योंकी वह उस पर पूरा यकीन करता था।
वह चाहता था कि अपनी रीसर्च से उसने जो कुछ हासिल किया है उसे आगे बढ़ाए। उसे एक ऐसा व्यक्ति मिले जो अवसाद की दवा के निर्माण व उसे बाज़ार में लाने में उसकी सहायता करे।
उसने अपनी यह इच्छा आंचल को बताई।