Vidaai in Hindi Motivational Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | विदाई

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विदाई

विदाई

रामसिंह शहर के एक जाने माने उद्योगपति थे। उनकी दो बेटियों हेमा और प्रभा का विवाह बडी धूमधाम से संपन्न हो गया था उनकी विदाई का समय आ गया था और सारा माहौल गंभीर होकर गमगीन सा हो गया था। रामसिंह ने अपनी पत्नी को जिसकी आँखों से अनवरत् आँसू बह रहे थे, उसे समझाया कि यह तो एक सांसारिक प्रक्रिया है कि बेटी को विदा होकर अपने घर जाना होता है। हमें इतने अच्छे रिश्ते मिले है कि हमें खुशी खुशी बेटीयों को विदा करना चाहिए।

रात हो गई थी और रामसिंह विश्राम के लिए अपने कमरे में चले गये थे परंतु उनकी आँखों से नींद आज गायब हो गई थी। वे आज से बीस वर्ष पूर्व की घटना को अपने मनस पटल से नही भुला पा रहे थे। वे उस समय संघर्ष करके अपने व्यवसाय को को बढाने का प्रयास कर रहे थे। उनके यहाँ एक मुनीम हरिराम जो कि बहुत ही ईमानदार एवं कार्य के प्रति समर्पित व्यक्ति था। उनके कार्यालय में व्यापार से संबंधित बीस लाख रूपये आये थे। जिसे मुनीम हरिराम ने गिनकर तिजोरी में रख दिये थे। उसी कार्यालय में दो व्यक्ति ऐसे भी थे जो हरिराम से बहुत ईष्र्या रखते थे क्योंकि हरिराम सेठ जी का बहुत करीबी और विश्वासपात्र था जिसकी वजह से वे लोग अपने कार्य में कोई गडबडी नही कर पाते थे। उन्होंने हरिराम को सेठ जी नजरों से गिराने के लिए एक षडयंत्र रचा।

वे मुनीम जी के पास पहुँचे और बोले कि जो रूपये आये हैं उनकी जानकारी में बीस लाख ना होकर पंद्रह लाख ही है। क्या आपने नोटों की गिनती ठीक से की है। यह सुनकर मुनीम जी सकते में आ गये और पुनः गिनती करने के लिए उन्होने तिजोरी खोली एवं गिनने पर बीस लाख रूपये पाये। उन्होंने तिजोरी को बंद करके उन लोगों से कहा कि रूपये पूरे है और संतुष्ट होकर अपने घर चले गये। कुछ समय बाद उन दोनो कर्मचारियों ने अपनी पूर्व योजना के अनुसार तिजोरी की डुप्लीकेट चाबी से तिजोरी खोलकर उसमें से पाँच लाख रूपये गायब कर दिये।

दूसरे दिन रामसिंह ने तिजोरी खोलकर जब गिनती की तो उसमें पाँच लाख रूपये कम पाये गये तभी उन दोनो कर्मचारियों ने सेठ जी के कान भरते हुए कहा कि कल आपके जाने के बाद हरिराम ने पुनः तिजोरी खोली थी और उसमें से रूपये गिन रहे थे। इस घटना की वीडियो रिकार्डिंग भी उन्होंने सेठ जी को दिखा दी और उन्हें इस प्रकार भ्रमित कर दिया कि वे सच में मान बैठे कि चोरी हरिराम ने की है। उन्होंने उसे अपने पास बुलाकर कहा कि तुम्हारी पुरानी सेवाओ को देखते हुए में इस मामले को पुलिस में नही दे रहा हूँ। केवल तुम्हें सेवा से मुक्त कर रहा हूँ। यह सुनकर हरिराम बहुत गिडगिडाया कि मैंने चोरी नही की है पंरतु सेठ जी का इस पर कोई प्रभाव नही पडा और वह दुखी मन से कार्यालय से चला गया।

कुछ दिनों पश्चात एक दिन सेठ जी को कार्यालय से निकलते समय काफी रात हो गई थी और वे अकेले ही कार चलाकर घर लौट रहे थे। एक सुनसान जगह पर कुछ लोगों ने उनकी गाडी रूकवाई और जैसे ही सेठ जी गाडी से बाहर निकले उन लोगों उन पर लूट के इरादे से हमला कर दिया। संयोगवश हरिराम भी उसी समय वहाँ से गुजर रहा था जैसे उसने यह दृश्य देखा वह बिना विचार किये सेठजी को बचाने के लिए उन लोगों से भिड गया और इस हाथापाई के दौरान सेठजी को बचाने के दौरान एक चाकू का वार उसके सीने पर लग गया और वह जमीन पर गिर पडा। यह देखते ही गुंडे वहाँ से तुरंत भाग लिये। सेठजी ने तुरंत उसे अस्पताल पहुँचाया रास्ते में उसने सेठ जी से इतना ही कहा कि वह चोर नही है और बेहोश हो गया। अस्पताल पहुँचने पर डाक्टरों ने कहा कि अत्याधिक रक्त स्त्राव के कारण इसकी मृत्यु हो चुकी है।

सेठ जी को विश्वास था कि मरता हुआ व्यक्ति झूठ नही बोलता है तो उन्होंने उस चोरी की घटना की जाँच पुनः की और उन दोनो कर्मचारियों की कडाई से पूछताछ की और उन्हें पुलिस में देने की धमकी दी तो उन लोगों ने सारी सच्चाई सेठजी को बता दी। सारा सच सुनने के बाद सेठजी को बहुत दुख हो रहा था। वे तुरंत दुखी मन से उसके घर पहुँचे और वहाँ जानकर हतप्रभ रह गये कि हरिराम की दो छोटी बच्चियाँ थी जो कि अब अनाथ हो चुकी थी और उनके लालन पालन की विकट समस्या थी। रामसिंह ने त्वरित निर्णय लेते हुए उन दोनो बच्चियों को अपने घर लाकर अपने बच्चो की तरह उनका पालन पोषण किया।

आज उन्ही दोनो बच्चियों की विदाई करके रामसिंह की आँखें भर आई थी। यह सब सोचते सोचते ना जाने कब रामसिंह की नींद लग गई और उन्होंने स्वप्न में देखा कि जैसे हरिराम की आत्मा कह रही हो कि आज मुझे शांति एवं मुक्ति मिल गइ है।