Gumshuda ki talash - 21 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | गुमशुदा की तलाश - 21

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गुमशुदा की तलाश - 21


गुमशुदा की तलाश
(21)



मदन अब सिर्फ हाई प्रोफाइल पार्टियों में ही नहीं बल्कि जहाँ संभव हो वहाँ ड्रग्स सप्लाई करता था। उसने ड्रग्स बेचने के लिए कई आदमी रखे हुए थे। मदन बड़े ड्रग्स करोबारियों से माल खरीदता था। फिर उस माल को अपने आदमियों के ज़रिए पान की दुकान, चाय की दुकान, स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघरों के बाहर बिकवाता था। वह बड़ी होशियारी से पर्दे में रह कर यह धंधा कर रहा था।
लोगों को दिखाने के लिए उसने अपनी शराब बनाने की फैक्ट्री लगा रखी थी। पर असली कमाई ड्रग्स के धंधे से हो रही थी।
दौलत आने पर उसने अपने रहन सहन में बगलाव कर लिए थे। बड़े बड़े लोगों से संपर्क बनाने के लिए वह आए दिन आलीशान पार्टियां देता रहता था। इन पार्टियों में राजनेता, उद्योगपति, फिल्मी हस्तियां, खिलाड़ी सभी शामिल होते थे।
मदन ग्लैमर की दुनिया से भी प्रभावित था। मुंबई जाकर उसने अपना एक फिल्मस प्रोडक्शन हाउस शुरू किया। इसके माध्यम से वह ड्रग्स की काली कमाई को सफेद करता था। पर उसका असल मकसद तो ड्रग्स के कारोबार में अपना एक छत्र राज्य कायम करना था।
उसने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। बड़े कारोबारी सरहद पार डीलर्स से माल लेते थे। सरहद पार के डीलर्स उत्पादकों से माल खरीदते थे। मदन ने सीधे उत्पादकों से माल लेना शुरू कर दिया। इस तरह से उसने एक बड़े बाज़ार पर कब्ज़ा कर लिया। कई ड्रग्स कारोबारियों के धंधे पर इसका असर पड़ा। मदन देखते ही देखते ड्रग्स के कारोबार पर छा गया।
इसने मदन के कई दुश्मन पैदा कर दिए थे। लेकिन उनमें सबसे शक्तिशाली था जॉर्ज डिसूज़ा। जिसे सब किंग ऑफ कोकीन कहते थे। जहाँ बाकी कई ड्रग्स कारोबारियों को बहुत नुकसान हुआ था। जॉर्ज इस नुकसान को आसानी से सह गया था। उसे इस बात की तिलमिलाहट थी कि मदन उससे कोकीन किंग का खिताब छीन रहा था।
जॉर्ज अपने इस खिताब को हर हाल में बचाना चाहता था। वह इस फिराक में था कि किसी तरह मदन को इस कारोबार से हटा दिया जाए। बजाए मदन से सीधे टक्कर लेने के उसने दूसरे रास्ते से उसे हटाने की योजना बनाई।
मदन की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी नए कलाकारों को लेकर कम बजट की फिल्में बनाती थी। इनमें से कुछ चल जाती थीं। तो उसे लाभ होता था। यदि फ्लाप भी हो जाती थीं तो उसे कोई खास नुकसान नहीं होता था।
कई लड़कियां आँखों में बड़ी हिरोइन बनने का सपना लेकर मुंबई आती थीं। औरतों का शौकीन मदन इन लड़कियों पर नज़र रखता था। जो लड़कियां उसे पसंद आती थीं उन्हें फिल्म में रोल देकर उसके एवज में जमकर शारीरिक शोषण करता था।
जैसमिन वालिया फिल्मों में नाम कमाने का सपना लेकर कनाडा से भारत आई थी। उन्नीस साल की जैसमिन बेहद खूबसूरत और आकर्षक युवती थी। लंबा कद, छरहरा बदन, रेशमी बाल, काली बड़ी आँखें सब इस बात का प्रमाण थे कि वह फिल्मी दुनिया का चमकता सितारा बन सकती है।
मदन की नज़र भी जैसमिन की खूबसूरती पर पड़ी। जैसमिन पहली बार कनाडा से भारत आई थी। उसे फिल्मी दुनिया की कार्यप्रणाली के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मदन ने इस बात का पूरा लाभ उठाया। जैसमिन को प्रभावित करने के लिए उसने उसे हिरोइन लेकर एक फिल्म बनाने की घोषणा की।
इस सफलता से जैसमिन बहुत खुश थी। साथ ही वह मदन के प्रति एहसानमंद भी थी। मदन ने एक बात पर ध्यान दिया था कि जैसमिन में और अन्य लड़कियों में जिन्हें उसने अपना शिकार बनाया था बहुत फर्क है। उसे उन लोगों की तरह अपना शिकार नहीं बनाया जा सकता है। मदन ने जैसमिन को फंसाने के लिए दूसरा तरीका प्रयोग करना शुरू किया।
मदन जैसमिन के साथ एक जेंटिलमैन की तरह पेश आता था। उसे समय समय पर तोहफे देना, अपने साथ पार्टियों में ले जाना, सदा इज्ज़त से पेश आना। मदन के इस व्यवहार से जैसमिन बहुत प्रभावित थी।
एक अंजान मुल्क में जहाँ जैसमिन का अपना कोई नहीं था इस तरह किसी से अपनापन मिलना उसे बहुत अच्छा लग रहा था। वह मदन की तरफ आकर्षित होने लगी थी।
मदन जैसा चाहता था। वैसा ही हो रहा था। पर अब मदन के दिल में बहुत कुछ बदल चुका था। पहले की तरह अब वह केवल जैसमिन का शरीर ही नहीं पाना चाहता था। बल्कि उसे संपूर्णता में पाना चाहता था।
अब तक लड़कियों का इस्तेमाल करने वाले मदन को पहली बार किसी लड़की से प्यार हुआ था। पैंतीस साल के मदन के पास सब कुछ था। कमी थी तो किसी ऐसे व्यक्ति की जिसे वह अपना कह सके।
उसने महसूस किया था कि जैसमिन सफलता तो पाना चाहती है। पर उसके लिए किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती है। उसके व्यवहार में उसने प्रेम और कोलकाता का अनुभव किया था। वह इसी प्रेम के लिए तरस रहा था। पहले वह जो कुछ भी महज जैसमिन को फंसाने के लिए कर रहा था। अब वह सब उसे अपने प्रेम का यकीन दिलाने के लिए कर रहा था।
जैसमिन भी अब मदन से प्यार करने लगी थी। लेकिन वह चाहती थी कि किसी रिश्ते में बंधने से पहले अपना फिल्मी कैरियर बना ले। इसलिए जब मदन ने उसे प्रपोज़ किया तो उसने मदन से अपने दिल की बात कह दी। उसकी खुशी के लिए मदन तैयार हो गया। उसने जिस फिल्म की घोषणा की थी उस पर काम शुरू करवा दिया। कुछ ही दिनों में शूटिंग शुरू हो गई।
फिल्म जब रिलीज़ हुई तो फ्लॉप हो गई। जैसमिन के लुक्स की तो तारीफ हुई। किंतु सबने उसकी अभिनय क्षमता को नकार दिया। जैसमिन की खातिर मदन ने एक और फिल्म बनाई। पर उसका भी वही हाल हुआ। इसके बाद जैसमिन ने खुद ही फिल्मों से दूरी बना ली।
अब मदन और जैसमिन का रिश्ता परवान चढ़ रहा था। दोनों एक साथ ही रह रहे थे। इसी बीच वह गर्भवती हो गई। उसने मदन पर शादी के लिए ज़ोर डालना आरंभ कर दिया। मदन को शादी से कोई ऐतराज़ नहीं था। उनकी शादी की तैयारियां होने लगीं।
जैसमिन को अभी तक मदन के असली धंधे का पता नहीं चल पाया था। लेकिन शादी से कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति ने फोन कर उसे सारी बात बता दी। जैसमिन को सच जान कर बहुत धक्का लगा। उसने मदन से पूँछा। उसने भी सब सच बता दिया। जैसमिन अब इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी। वह बिना कुछ बताए चुपचाप कनाडा चली गई।
मदन जानता था कि जैसमिन को सच बताने वाला और कोई नहीं जॉर्ज डिसूज़ा का ही कोई आदमी था। जॉर्ज पिछले कुछ समय से उसे नुकसान पहुँचा रहा था। उसने मदन के दो कंसाइनमेंट रास्ते में ही लूट लिए थे। अब उसके व्यक्तिगत जीवन में भी उसने उथल पुथल मचा दी थी। इस बात से मदन तिलमिला उठा।
उसने जॉर्ज को अपनी ताकत दिखाने की ठान ली।
जार्ज पंद्रह हज़ार स्कावयर फीट में फैले डिसूज़ा मैंशन में रहता था। यहाँ के चप्पे चप्पे पर सुरक्षा थी। बिना जॉर्ज की मंशा के वहाँ उसके परिवार वालों का आना भी कठिन था। पर मदन भी जो ठान लेता था वह करके रहता था।
मदन ने डिसूज़ा मैंशन में घुसने के रास्ते तलाशने शुरू किए। जॉर्ज को बड़ी बड़ी पार्टियां देने का शौकीन था। दुश्मनी शुरू होने के पहले उसकी कुछ पार्टियों में मदन भी गया था। लेकिन तब उसकी हैसियत जॉर्ज के सामने बहुत कम थी।
जॉर्ज की उन पार्टियों में मंहगी शराब पानी की तरह पिलाई जाती थी। मदन ने पता किया कि पार्टी वाली रात से पहले शराब की सप्लाई करने वाले ट्रक मैंशन में दाखिल होते हैं।
उसने ऐसे ही एक डिलीवरी ट्रक को कब्ज़े में ले लिया। ड्राइवर को पैसे खिला कर वह ट्रक में दूसरे हेल्परों के साथ बैठ गया। ट्रक को मैंषन में दाखिल होने की इजाज़त थी। मदन के साथ ट्रक मैंशन में दाखिल हो गया।
वह हेल्पर की तरह ही ट्रक से माल उतारने में मदद करने लगा। माल उतरते हुए वह मौका देख कर कुछ समय के लिए मैंशन के एक हिस्से में गायब हो गया। जब तक सारा माल उतार कर ट्रक वापस जाता वह दोबारा आकर ट्रक में बैठ गया। इस तरह जैसे वह मैंशन में दाखिल हुआ था वैसे ही बाहर भी निकल गया।