दोस्तों,
ईंधन पंप पर सारे दिन खड़े रहकर काम करना आसान नहीं होता और अगर वह काम एक लड़की कर रही हो तो यह उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि महिलाओं को इस स्तर का काम करते हुए कम ही देखा गया है। मुख्यतः वहां, जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या लगभग नगण्य हो, लेकिन यह पापी पेट है जो मजबूरी में पढ़े लिखों को रिक्शा चलवा देता है, घर का नौकर बनवा देता है, और भी बहुत कुछ करवा देता है।
बात, ईंधन पंप पर काम करने वाली साहसी लड़की "गौरिका" की है, जिसकी उम्र महज अठ्ठारह वर्ष है।
पढ़ने में होशियार गौरिका के पिताजी का लंबी बीमारी के चलते देहांत हो गया था जिस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी। गौरिका की माताजी भी बीमारी से जूझ रही थी और इसके अलावा परिवार में गौरिका का एक भाई भी है जो मात्र आठ साल का ही है।
गौरिका जैसे - तैसे अपने परिवार का व अपने भाई की पढ़ाई - लिखाई का खर्च भी उठा रही थी, साथ ही ईंधन पंप से घर लौटकर, एक - दो घंटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर जीविका चला रही थी।
परिवार की आपूर्ति, मां की सेवा व छोटे भाई की पढ़ाई का ध्यान रखने के अलावा गौरिका को कुछ सूझता ही नहीं था।
रोज - रोज के काम - काज से थकान तो अधिक होती थी और आमदनी कम, जिसका असर दिन - प्रतिदिन गौरिका की सेहत व स्वभाव पर साफ नजर आने लगा था। वह गुमसुम रहने लगी थी व कम बात करना ही पसंद करती थी। मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जवानी की उम्र में गौरिका के सारे सपने, अपने घर के उत्तरदायित्वों के बोझ तले दबे जा रहे थे।
ईंधन पंप काफी भीड़ - भाड़ वाले क्षेत्र में स्थित था और कावड़ मेले के चलते गाड़ियों की आवाजाही की वजह से वहां काफी शोर गुल हो रहा था। एक दिन, एक युवक अपनी चमचमाती कार से ईंधन पंप पर ईंधन भरवाने आया और इत्तफाकन उसने अपनी कार उसी ईंधन भरने वाली मशीन के सामने रोकी जहां गौरिका गाड़ियों में ईंधन भर रही थी।
लड़की को ईंधन भरते देख युवक अचंभित व बड़ा प्रभावित हुआ। पंक्ति थोड़ी लम्बी थी और युवक अपनी कार धीरे -धीरे आगे बढ़ा रहा था, साथ ही वह गौरिका की कार्य कर्मठता, दिलेरी और सार्वजनिक व्यवहार (पब्लिक डीलिंग) को देख रहा था। युवक का नंबर आया और उसने गौरिका को दो हजार रूपए का डीजल गाड़ी में भरने को कहा।
गौरिका ने उस सजीले नौजवान की ओर देखा, और देखती ही रह गई।
युवक ने फिर कहा - "मैडम। दो हजार रूपए का डीजल कार में भर दीजिए, यह लीजिए पैसे"।
गौरिका, युवक की तरफ देखकर मानो मंत्र मुग्ध हो गई थी और युवक भी गौरिका के मासूम चेहरे को निहार रहा था, इतने में पास खड़े सहकर्मी ने गौरिका को चेताया और कहा - "गौरिका कार में ईंधन भरो"।
गौरिका संभली और उसने ईंधन भरने वाली मशीन का पाइप उठाकर युवक की गाड़ी में ईंधन भरने के लिए लगाया और युवक से मीटर में शून्य जांचने को कहा। युवक ने ईंधन भरने वाली मशीन के मीटर की और देखा और गौरिका को ईंधन भरने के लिए इंगित किया।
कार में ईंधन भरवाकर युवक वहां से चल दिया। जाते - जाते गौरिका और उस युवक ने एक - दूसरे को मुस्कुरा कर देखा।
ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो की दोनों के बीच पहली नजर में ही प्यार हो गया है।
युवक अपनी कार में डीजल भरवाकर ईंधन पंप से लगभग एक किलोमीटर की दूरी तक पहुंचा ही था कि अचानक उसकी कार ने झटका देना शुरू कर दिया और कार का इंजन एकदम से गर्म होने लगा। यह देख युवक ने तुरंत अपनी कार का इग्निशन बंद कर दिया।
युवक को ऑफिस पहुंचना था और अचानक कार खराब होने के कारण वह चिंतित होने लगा। लेकिन, तभी युवक ने समय नष्ट ना करते हुए अपनी पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और गूगल पर निकटवर्ती कार सर्विस सेंटर खोजने लगा। गूगल ने दिखाया कि तीन किलोमीटर की दूरी पर ही एक कार सर्विस सेंटर है। विवरण से संपर्क सूत्र का मोबाइल नंबर देख, युवक ने सर्विस सेंटर पर फोन किया और कहा - "मेरा नाम अमोघ है और मेरी कार खराब हो गई है"। अमोघ ने कार में आयी तकनीकी गड़बड़ी की संपूर्ण जानकारी उन्हें दी।
संपर्क सूत्र ने दो मैकेनिक एक कार के साथ घटना स्थल पर भेजे। कार स्टार्ट ना होने की स्थिति में, मैकेनिक ने अमोघ की कार को अपनी कार के पीछे रस्सी से बांधा और कार सर्विस सेंटर तक लेे आए।
कार में खराबी की पड़ताल करने के बाद चौंकाने वाला सच सामने आया जिसने अमोघ के होश उड़ा दिए। दरअसल, ईंधन पंप वाली लड़की गौरिका ने कार में डीजल के स्थान पर पेट्रोल भर दिया था।
अमोघ को काम पर जाने के लिए देरी हो रही थी। उसने सर्विस सेंटर मालिक से कार सही होने की अवधि पूछी तो पता चला कि कार ठीक होने में पांच से छः घंटे लग जाएंगे।
अब तो अमोघ का पारा सातवें आसमान पर था और इसी बीच सर्विस सेंटर मालिक ने अमोघ के जले पर यह कहते हुए नमक छिड़क दिया कि - "ईंधन पंप वाले अपनी ही धुन में रहते हैं देखते नहीं हैं कि कौनसी गाड़ी डीजल की है और कौनसी पेट्रोल की, बस ईंधन भरने से मतलब है चाहे किसी का कितना भी नुकसान क्यों ना हो जाए। अमोघ जी आपको ईंधन पंप जाकर इस क्षति की प्रतिपूर्ति तो करनी ही चाहिए"।
बस, सर्विस सेंटर मालिक के इतना कहने की देरी थी और अमोघ ने आव देखा ना ताव, वह सीधे ईंधन पंप की ओर प्रस्थान कर गया।
अमोघ वापिस ईंधन पंप पहुंचा और ईंधन पंप मालिक को गौरिका द्वारा गलत ईंधन भरने की संपूर्ण जानकारी दी और अपने नुकसान की भरपाई की मांग की।
सारी बात सुनकर ईंधन पंप मालिक ने गौरिका को अपने कक्ष(केबिन) में बुलाया(जहां अमोघ भी उपस्थित था)। ईंधन पंप मालिक ने गौरिका की अमोघ के सामने ही डांट - फटकार लगाई और बिना गौरिका का पक्ष सुने, गौरिका को उसकी गलती से हुई क्षति की प्रतिपूर्ति करने को कहा।
गौरिका एक स्वाभिमानी लड़की है और उसने ईंधन पंप मालिक को पहले अपना पक्ष सुनने को कहा और साथ ही गौरिका ने यह भी कहा कि - "मेरी बात सुनने के बाद आपका जो भी निर्णय होगा उसे मैं मान लूंगी"।
ईंधन पंप मालिक - "बोलो गौरिका। इस संदर्भ में तुम्हें क्या कहना है"।
गौरिका - "सर। जब अमोघ जी ईंधन पंप पर आए तो उन्होंने अपनी कार डीजल भरने वाली मशीन की बजाए, पेट्रोल भरने वाली मशीन की पंक्ति में लगाई और जब उन्होंने मुझे ईंधन भरने के लिए रुपए दिए तो साथ ही उन्होंने डीजल भरने को बोला होगा, जो कि पंप पर आ रही गाड़ियों में डी.जे. चलने से हो रहे शोर के कारण मैं सुन ना सकी अन्यथा मैं उन्हें बता देती कि इस मशीन से पेट्रोल भरा जाता है, डीजल भरने वाली मशीन दूसरी ओर है। अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि अमोघ जी को अपनी कार के डीजल भरे जाने वाले टैंक के ढक्कन पर डीजल इंगित करने वाला स्टिकर अवश्य चिपकवा लेना चाहिए, जिससे कि त्रुटि होने की संभावनाएं ओर कम हो सकें।
इसके अतिरिक्त, मैं आपसे और अमोघ जी से अपनी गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं और इसके लिए आप मुझे जो आर्थिक दंड देना चाहे, दे सकते हैं"। कहकर, गौरिका ने अपनी बात समाप्त कर दी।
बात, गंगा जल की भांति स्वच्छ और शुद्ध थी और पूरा घटनक्रम स्पष्ट रूप से समझ आ रहा था। अमोघ को जल्दबाजी में की हुई अपनी गलती का अनुभव हो चुका था और वह शर्म से पानी - पानी हो गया था।
इससे पहले कि ईंधन पंप मालिक गौरिका को कुछ कहते, अमोघ ने अपने अनुत्तरदायी व्यवहार के लिए तुरंत गौरिका से क्षमा मांगी और एक अच्छे व्यक्ति की भांति गौरिका को कहा - "क्षति तो आपके सम्मान की भी की है मैंने, आप मुझे मेरी इस गलती का जो उचित दंड देना चाहें वह दे सकती हैं"।
गौरिका ने कहा - "अपनी गलती का एहसास कर उसे स्वीकार करना, व्यक्ति के बड़प्पन को दर्शाता है जो मुझे आपमें दिखा। मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। और आपका तो नुकसान भी हुआ है ऐसे में मुझे आपसे पूरी सहानुभूति है। किसी के साथ भी गलत ना हो मेरी ईश्वर से ऐसी ही मनोकामना है"।
गौरिका की बात सुनकर अमोघ भावुक हो गया और बोला - "आपके विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है और आपकी समझदारी ने ईंधन पंप पर कार्यरत लोगों के प्रति मेरा दृष्टिकोण ही बदल दिया। इसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं"।
स्थिति सुलझती देख, ईंधन पंप मालिक ने गौरिका के सिर पर हाथ रखा और कहा - "माफी चाहता हूं बेटी। मैं भी एक पल को भटक गया था, समझदारी में तो आप हमसे भी आगे हो"। कहकर, ईंधन पंप मालिक अपने काम - काज में व्यस्त हो गए।
इसके बाद, अमोघ ने जाते - जाते गौरिका की आंखों में आंखें डालकर प्यार भरी नजरों से कहा - "मुझे लगता है कि यह सब होना भी एक नियति थी जिस कारण मुझे आप जैसी सुलझी हुई और समझदार लड़की से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। क्या हम आगे भी मिल सकते हैं?"। कहते हुए अमोघ ने गौरिका के समक्ष मित्रता का प्रस्ताव रक्खा।
गौरिका भी अमोघ के व्यवहार और व्यक्तित्व से अति प्रभावित थी और अब उसे भी अपने जीवन में एक सच्चे साथी की कमी खल रही थी, तो उसने अमोघ को मुस्कुराते हुए उत्तर दिया - "जी अवश्य, हम मिलते रहेंगे"।
इस तरह गौरिका और अमोघ की मित्रता का शुभारंभ हुआ। गौरिका ने अपनी गृह - स्थिति के बारे में अमोघ को संपूर्ण जानकारी दी और अमोघ ने सारी स्थिति को जाना और समझा। दोनों के मध्य एक असीमित प्रेम की नींव पड़ चुकी थी जिसके चलते दोनों ने एक - दूजे से अपने - अपने प्रेम को व्यक्त किया और कुछ समय बाद दोनों एक - दूसरे के साथ एक अटूट परिणय सूत्र में बंध गए।