उसने बताया के विवाह से पूर्व वो एक निर्धन परिवार से थी उनकी निर्धनता और दुर्भाग्य ने उनको श्रणी बना दिया था वो भी नगर के सबसे बड़े धूर्त पाखंडी का
उस व्यक्ति ने इनकी सहायता के आड़ में इनके साथ बहुत बड़ा छल कपाट कर इनकी सम्पूर्ण सम्पत्ति चट कर ली
उसने सब कुछ लोटा देने का प्रस्ताव रखा बदले में सुंदरी के परिवार से उसका हाथ मांग लिया मगर सुंदरी के पिता ने अस्वीकार कर दिया
अगर मैं उसका वध भी कर देता तो ये भी समस्या का समाधान ना होता और उस बूढ़े के प्रियजन सुंदरी के परिवार का विनाश कर देते
वो एक बुद्धिमती थी इसलिए उसने मुझे शांत कर धीरज बंधाया और मुझे आश्वासन दे कर सब ठीक हो जाने का विश्वास दिलाया और अगली रात को उसी जगह मिलने का बोल कर चली गई
अगली रात वो सुंदरी तय समय पर आ गई उसने मुझे दबे पाव अपने पीछे आने का संकेत किया
मैं उसके पीछे चल जहाज़ के अंतर्भाग मे पहुंच गया वहा धातु का बना एक बड़ा सा संदूक था जिसम एक मोम का चादर से ढका पुतला था उस पुतले को मेरी सहायता द्वारा उस संदूक से बहार निकला
मेरी समझ मे कुछ ना आता जब. मैं और सुंदरी बड़ी सतर्कता से तय स्थान पर पहुंचे तो उसने पुतले पर से कपड़ा खींच लिया मैं अभी तक उस माया मूर्ति की विशेषता से अज्ञात था
जब चाँद की धीमी रौशनी मे मैंने उसको देखा तो सकपका गया और स्वयं मूर्ति समान स्तम्भ सा रह गया वो मोम का पुतला हूबहू सुंदरी की छवि था
उसकी बारीक़ कारीगरी इतनी निपुणता से आकृतित
की थी के कोई भी मनुष्य भ्रम वश उसको जीवित समझ ले
थोड़ी देर बाद मेरे मन मे फिर कोतुहल हुआ की रहस्य क्या हैं
मेने दुविधा पूर्ण नेत्रों से उसकी ओर देख कर प्रशन किया प्रियतमा क्या तुम अपने इस दास पर दया ना करोगी कृपा करके बताओ आखिर बात क्या हैं
उसने बताया के उसने एक योजना बना रखी हैं जिसकी रचना वो एक लम्बे समय से कर रही थी मेरा वहां होना केवल एक संयोग था किन्तु उसका मुझसे प्रेम सत्य था
उसकी योजना अनुसार आगे थोड़ी दुरी पर एक छोटी नौका उसकी प्रतीक्षा कर रही थी उसके दीखते ही वो बड़ी सावधानी से उस पर बैठ एक छोटे पतले नाले द्वारा हमसे पहले अगले पढ़ाओ पर पहुंच जायेगी और उचित समय आने पर मेरे साथ गुप्त रूप से विवहा करेंगी
उस पुतले की भूमिका ये थी के उसके द्वारा लोगो को मे विश्वास दिला दूँ की वो सुंदरी दुर्घटना वश समुन्द्र मे डूब कर मर गई
ये सारा स्वांग सफलता पूर्वक सिद्ध भी हो गया परन्तु बूढ़े को संदेह हो गया था
मगर उस धूर्त ने प्रकट ना किया बड़ी ही चतुराई से अपने भावो को दबा कर शोक का ढोंग कर मुझपर अपना भ्रम डालने लगा
उसने मुझे विश्वास दिला दिया के वो अपनी पत्नी की मृत्यु को स्वीकार कर चूका हैं जिसके कारण मैं मन ही मन गर्व से फुले ना समाता
अगले दिन हम एक विशाल राज्य के बंदरगाह पर पहुचे सभी जन शोक और मातम डूबे थे किन्तु मैं सुंदरी की प्रतीक्षा मैं उसकी राह ताकता
इसी प्रकार दो दिन बीत गये और उस सुंदरी का कुछ पता नहीं था अब मेरे मन मे विभिन्न प्रकार के विचारों का सैलाब उठा मुझे कभी चिंता होती तो कभी शंका
कभी ये सोच कर चिंता करता के कुछ अनिष्ठ तो नहीं हो गया या कोई दुर्घटना तो नहीं हुई
और कभी शंका पूर्ण दूरविचार उत्पन्न होते क्या उसने मुझे ठगा हैं कही मेरे साथ कपट तो नहीं हुआ बस इसी भांति मेरा मन अशांत और विचलित होता रहा एक समय ऐसा आया के मैंने निश्चय किया के अब और विलम्ब करना व्यर्थ है खुद उसकी खोज मे निकलना चाहिए
बस फिर क्या था बूढ़े से घूमने के बहाना कर चौथे दिन निकाल पड़ा उसकी खोज मे
मैं निकला तो बड़े जोश से था किन्तु समझ नहीं आता जाऊ कहाँ किस्से पुछु
मैं कई दुकानों पर घुमा अंत मे निराश हो कर वापिस जाने लगा की तभी एक तांगा मेरे सामने से निकला और जो मैंने उसमे देखा मेरा ह्रदय कांप उठा
. मेरे मन मे ईर्ष्या और द्वेष ने अपना गढ़ जमा लिया
मैंने देखा के वो सुंदरी एक धनी सुन्दर युवक के साथ बड़े ही रसपूर्ण परिहास कर कर के हंस रही थी
मुझे पक्का हो गया था इस स्त्री द्वारा मैं कपट प्रेम का शिकार हुआ हु
अब अपनी क्रोध अग्नि को शांत करने के लिए मैं दबे पाऊं उसका पीछा करने लगा
वो दोनो जन एक सुन्दर से मकान पर आ पहुचे मैं वही एक ओर छुप गया और देखता हुँ उस मकान मे से मूल्यवान वस्त्र से सुसज्जित एक अति लावण्यावती रमणी निकल कर आई दोनों स्त्रियों को देख कर ये बता पाना असंभव था के अधिक सुन्दर कौन हैं
उस मकान से निकली सुंदरी को जब मैंने ध्यान से देखा तो मैं उसको पहचान गया उस समय मेरे आश्चर्य की कोई सीमा ना थी कियोकि ये वोही सेविका थी जिसके द्वारा मेरे पास पहली दफा मूल्य वान वस्त्र भेजे थे किन्तु इस समय वो सेविका नहीं एक सुन्दर राजकुमारी प्रतीत हो रही थी
मैं जितना सोचता उतना ही उलझ जाता थोड़ी देर पश्चात् वो धनी युवक दोनों सुंदरियों को उस मकान मे छोड़ कर चला गया मेरे लिए ये उचित अवसर था के उस से जा कर अपने अपमान का प्रतिशोद लू अभी मैं इन विचारों मे ही मग्न था के एकाएक दो हष्ट पुष्ट व्यक्ति मुँह पर ढठा बंधे उस मकान मे बड़ी सरलता से प्रवेश कर गये कुछ ही क्षणों पश्चात् मकान के भीतर से एक भयंकर चीख निकली और देखते ही देखते वो दोनों व्यक्ति अति वेग गति से बहार भाग आये और अँधेरे मे जा कर आँखो से ओझल हो गये मेरा कलेजा मुँह को आ गया किसी अनिष्ट को सोच मेरे हाथ पाऊं कापने लगे परन्तु मैं फिर भी मकान मे घुस गया
इतना बोल अशोक ने रुक कर एक आह्ह भरी और बोला हाय..... क्या सोचा था और क्या होगया
हम अपने दुर्भाग्य से भाग तो सकते हैं किन्तु बच नहीं सकते
उसको टाल तो सकते हैं मगर बदल नहीं सकते
मकान के भीतर मेरी प्रियतमा का देह लहू से लतपत निढाल पड़ा था वो अपने अंतिम समय मे थी फिर भी मुझे देखते ही उसका मलिन मुख खिल उठा मानो उसे मेरी ही प्रतीक्षा थी उसके अंग अंग मे प्रेम छवि छलकने लगी
उसने मुझे संकेत कर अपने पास बिठा लिया उसके सिर को मैंने गोद मे रखा तो मेरा ह्रदय पसीज गया उसके आँखो से स्वच्छ निर्मल प्रेम की बुँदे टपकने लगी वो मुझे अपनी अंतिम स्वास तक प्रेमपूर्ण नेत्रों से निहारती रही
जब उसके प्राण निकल गये मुझे लगा मुझसे मेरी आत्मा छीनी जा रही हैं
तभी मुझे किसी के आने की आहट मिली तो खुद के प्राणो की रक्षा के भय से कायरो की भाँति वहां से भाग निकला
और जहाज़ पर जा पंहुचा वहां पहुँच पता चला जहाज़ थोड़ी देर मे निकलने वाला हैं मैं जहाज़ पर अपने कक्ष मे निढाल पड़ा फुट फुट कर रो रहा था के तभी मुझे बहार से भगदड़ की अवाज आई तो मैं भी कक्ष के बहार निकल आया जहाज़ पर सैकड़ो सशस्त्र सैनिक खड़े थे उनके साथ वो सुन्दर युवक भी था जिसका मुख क्रोध अग्नि मे लाल था उस युवक के बाईं ओर हाथ बांधे एक सेनापति सेनिको को आदेश दे रहा था
ये दृश्य देख मेरी सांस अटक गई कंठ मे प्राण आ फंसे मुझे लगा अवश्य ये लोग भ्रम वश मुझे दोषी मान मुझे पकड़ने आये हैं
मगर मेरा अनुमान गलत निकला जब मैंने बूढ़े को बेड़ियों मे जकड़े आते देखा ये देख मैं सकपका गया तभी मेरी दृष्टि अपनी ओर आती उस सेविका पर पड़ी जो मेरे निकट आते ही मुझसे गले लग मुझे सांत्वना देने लगी फिर वो युवक तमतमाया हुआ मेरे पास आया और मुझे तीखे स्वर मे बोला मुर्ख तू नहीं जनता तूने अपनी मूर्खता के कारण एक अनमोल नायब रत्न खो दिया हैं
जी मे तो आता हैं तुझे यही इसी क्षण तेरी मूर्खता के लिए मृत्यु दंड दे दू लेकिन मैं उस देवी को दिए वचन के कारण विवश हो जाता हुँ इतना बोल वो दाँत पिसता हुआ चला गया लेकिन मैं बेहद दीनहीन अवस्था मे वहां बूत सा खड़ा रह गया मुझे कुछ समझ ना आया मैं प्रश्न भरे नेत्रों से पास खड़ी स्त्री को देखने लगा तो उसने मुझे बोला
मैं समझ सकती हुँ के तुम कितने असमंजस मे हो आपकी ये दुविधा मैं दूर करती हुँ
जो व्यक्ति यहाँ से गए हैं वो मेरे पति और इस राज्य के राजकुमार हैं
हमारे विवहा के महीने भर बाद विरोधी राजा ने हम पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण मेरे स्वामी सेना समेत रणभूमि मे कूद पड़े किसी ने हमारे महल मे आ कर सुचना दी के हम युद्ध हार गये और राजकुमार को वीरगति प्राप्त हो गई शत्रु किसी भी क्षण यहाँ आ पहुंचने वाला हैं स्वयं के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मैं गुप्त मार्ग से भाग निकली और कैसे तैसे करके एक गाऊँ मे पहुंच गई किन्तु दुर्भाग्य ने यहाँ भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा मैं एक दलाल के चंगुल मे फंस गई
उसने मुझे गुलामो की मंडी मे भेज दिया
वहां कोई अनर्थ हो उससे पहले ईश्वर की कृपा से मुझ पर एक देवी की दृष्टी पड़ गई उस देवी द्वारा मुझ पर बड़ी दया हुई वो अभागी और कोई नहीं तुम्हारी प्रिय थी
जब उनको मैंने अपनी सम्पूर्ण कथा बताई तो उनके द्वारा पता चला के जो महल मे मुझे सुचना मिली थी वो एक झूठ था जो शत्रु द्वारा फैलाया गया था परन्तु वो इस पर भी विजय प्राप्त ना कर सके और राजकुमार यानि मेरे पतिदेव अभी भी जीवित हैं
फिर उन्होंने मुझे आश्वासन दिया के कुछ समय पश्चात् वो मुझे सकुशल घर पहुंचा देंगी साथ मे ये भी चेतावनी दी के किसी और को मेरे बारे सत्य ज्ञात ना होने पाए
बाकी जब तुमसे उनकी भेट हुई तो वो तुमसे तन मन से प्रेम करने लगी और तुम्हे अबतक जो कुछ कहाँ सब सत्य था परन्तु वो तुम्हारे पास पहुंच ना पाई कियोकि इस बूढ़े को आभास हो गया था और इसने तुम्हारे पीछे दो गुप्तचर छोड़ दिए और तुम्हे इसकी भनक तक ना थी फिर तुम अधीर हो कर मूर्खता और ईर्ष्या वश उस देवी को ढूढ़ने निकला और हम तक पहुंच भी गए
जो गुप्तचर तुम्हारे पीछे थे उन्हें बूढ़े द्वारा आज्ञा थी की उस देवी को देखते ही मार दे और उन्होंने राजकुमार के जाते ही हम पर प्राण घातक हमला कर दिया मेरी रक्षा के लिए उन्होंने अपनी बली चढ़ा दी और मुझे भगा दिया
इतना बोल वो स्त्री मुँह ढक कर रोने लगी राजकुमार ने बूढ़े को कैद कर उसकी संपत्ति गरीबो मे दे दी
जिस को मैं कुलछना कूलटा आघातीं समझ रहा था असल मे वो देवी निकली
मेने उस समय सन्यास ले लिया और तब से सबसे अलग ये जीवन बिता रहा हुँ