Aapda Prabandhan in Hindi Motivational Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | आपदा प्रबंधन

Featured Books
  • हीर... - 28

    जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचान...

  • नाम मे क्या रखा है

    मैं, सविता वर्मा, अब तक अपनी जिंदगी के साठ सावन देख चुकी थी।...

  • साथिया - 95

    "आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और स...

  • You Are My Choice - 20

    श्रेया का घरजय किचन प्लेटफार्म पे बैठ के सेब खा रहा था। "श्र...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 10

    शाम की लालिमा ख़त्म हो कर अब अंधेरा छाने लगा था। परिंदे चहचह...

Categories
Share

आपदा प्रबंधन

आपदा प्रबंधन

गोकुलदास नाम का एक नवयुवक नये साल की पूर्व संध्या का आनंद उठाने के लिए दुबई गया था। वहाँ वह सायंकाल के समय विश्व प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा होटल के पास एक रेस्टारेंट में बैठकर वहाँ का मनोहारी दृश्य देख रहा था। वहाँ पर चारों ओर दर्शकों का सैलाब था। सभी रास्ते सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए ही खुले थे। शाम से ही मनोरंजक कार्यक्रमों का शुभारंभ हो गया था और रात्रि में साढें दस बजे तक नववर्ष के आगमन का जश्न पूरे शबाब पर पहुँच चुका था।

उसी समय अचानक ही सामने की ओर स्थित बहुमंजिला होटल एम्प्रेस में अचानक ही आग लग गई और देखते देखते ही वह दस मिनिट में विषम रूप से फैल गई और कई मंजिल उसकी चपेट में आ गई। इस दुर्घटना से चारों ओर अफरा तफरी मच गई तभी फायर बिग्रेड की गाडियाँ, पुलिस एवं अन्य उच्चाधिकारियों की गाड़ियों के सायरन की आवाजें जश्न के स्थान पर गूँजने लगी।

यह दृश्य देखकर गोकुलदास को अपने बचपन की याद आ गयी जब वह पाँच वर्ष का था और उसके मकान में आग लग गयी थी। यह देखकर मोहल्ले के सभी रहवासी अपनी अपनी क्षमता के अनुसार आग बुझाने का प्रयत्न कर रहे थे। यह देखकर वह भी अपनी पानी की बाटल में पानी भरकर बुझाने का प्रयास करने लगा। यह देखकर वहाँ पर खड़ा मूकदर्शक के रूप में खड़ा एक लडका उससे बोला कि इतने कम पानी में क्या आग बुझ जायेगी ? वह बोला जब सब लोग कुछ ना कुछ प्रयास कर रहे है तो मैं भी जो कुछ कर सकता हूँ वही कर रहा हूँ। जब इस बात की समीक्षा होगी तो मेरा नाम भी सहयोग करने वालों में होगा। मोहल्ले में यदि कभी कोई दुर्घटना हो तो सभी को एक जुट होकर उसका सामना करना चाहिए।

उसी समय तेजी से जोर की आवाज के साथ धमाका हुआ जो संभवतः गैस की टंकी के फटने के कारण हुआ था, उसकी आवाज से अपने बचपन की यादों में खोये हुए गोकुलदास का ध्यान भंग हुआ। उसने सोचा कि उसे भी ऐसे हालात में सहयोग करना चाहिए वह मदद के लिए आगे बढा परंतु पुलिस ने उसे रोक दिया। वह चुपचाप अग्निकांड का वीभत्स रूप देखता रहा और मन ही मन चिंतित होता रहा कि ना जाने इसमें कितनी जनहानि होगी।

वह यह देखकर आश्चर्यचकित था कि फायर बिग्रेड उस बिल्डिंग को बचाने का कोई प्रयास नही कर रही थी उनका पूरा ध्यान उस बिल्डिंग के समीप स्थित दूसरी बिल्डिंग में आग ना फैले इस पर था। कुछ समय पश्चात उसे रेडियों प्रसारण से जानकारी मिली कि एक हजार से भी ज्यादा होटल में ठहरे पर्यटकों को इस दुर्घटना के कुछ ही देर के भीतर पूर्ण रूप से सुरक्षित निकाल लिया गया। इस काम को संपन्न करने के लिए वहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर फायर बिग्रेड के सभी कर्मचारी गण बिल्डिंग की आग को बुझाने का प्रयास छोडकर केवल लोगों को बचाने में लगे हुए थे। इतनी भीषण आग के बाद भी विद्युत प्रवाह बंद नही किया गया था, वहाँ के प्रशासन का मत था कि बिल्डिंग में चाहे जो नुकसान हो जाए परंतु वहाँ पर ठहरे एक भी पर्यटक की जनहानि नही होना चाहिए। आर्थिक हानि की पूर्ति तो हो सकती है परंतु जिंदगी को वापिस नही लाया जा सकता।