chintu - 10 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | चिंटू - 10

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चिंटू - 10

सुमति जब सौम्या बनकर खुश थी वहां चिंटू की परेशानियां बढ़ रही थी। सुमति के जाने के बाद उसे पता चला उसने क्या खोया है। सुमति ने अपना नंबर भी बदल दिया था तो वह चाहकर भी उससे बात नहीं कर पा रहा था। पिया को पता चल गया था किस वजह से सुमति यहां से गई है तो वह चिंटू के मांगने पर भी सुमति का मोबाइल नंबर नहीं देती है। और होशियार भी देखो, चिंटू उसके मोबाइल से नंबर निकाल ले उसके लिए वह नंबर मुंहजबानी याद रखती है। मोबाइल में सेव भी नहीं करती। और चिंटू की हिम्मत नहीं होती वह सुमति को उसके घर पर मिल सके।

कॉलेज में अब तीसरा साल खत्म होने को था। रिया अब चिंटू पर ज्यादा ही फंदा कसे थी। मन्नू और राधा ने कब का उससे रिश्ता तोड़ दिया था। इन सब की वजह से उसके रिज़ल्ट पर भी असर पड़ रहा था। आज प्रिंसिपल मैडम ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया। चिंटू जनता था इस बार एग्जाम्स में कम मार्क्स कि वजह से ही मेम बुला रहे है। जब वह ऑफिस में पहुंचा तो मेम उसका ही इंतजार कर रहे थे। मेम ने चिंटू को देख बैठने का इशारा किया। चिंटू के बैठने के बाद मेम ने अपने बाकी काम पूरे किए फिर चिंटू से कहा- चिंटू मै देख रही हुं आज कल तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में नहीं है। तुम एक होनहार बच्चे हो और इस कॉलेज की शान भी। कोई तकलीफ़ है तो मुझे बताओ, मै उसे हल करने में तुम्हारी मदद करती हुं।
चिंटू- नहीं ऐसी कोई बात नही है मेम। वो इस बार तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो ज्यादा पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाया।
प्रिंसिपल मेम- तुम्हारा फोकस कहा रहता है मै देख रही हुं दो साल से। देखो मै तुम्हारे भले के लिए कह रही हुं, अभी प्यार व्यार के चक्कर से दूर रहो और अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ो। कहीं भूल तो नहीं गए तुम्हे क्या बनना है?
चिंटू- नहीं मेम, मुझे याद है मै क्या बनना चाहता हुं। आगे से मै खयाल रखूंगा मेरी पढ़ाई पर इन सब का कोई असर न पड़े।
प्रिंसिपल मेम- मुझे तुमसे यही उम्मीद है।

मेम से मिलकर जब वह बाहर आया तो उसे मन्नू ऑफिस के बाहर ही मिल गया। मन्नू ने तो उसकी तरफ नहीं देखा पर चिंटू उसे पीछे से आवाज लगा देता है- मन्नू...
मन्नू ने पीछे देखकर रुका, फिर चाहे कुछ हुआ ही नहीं हो ऐसे फिर से चल पड़ता है। चिंटू भी उसके पीछे चला जाता है। वह अब पीछे छूट गए रिश्तों को वापस पहले वाले मोड़ पर लाना चाहता था। वह समझ गया था उसने क्या खोया और क्या पाया है। जब फिर से चिंटू ने मन्नू को बुलाया तो मन्नू रुककर बोलता है- क्या हम एक दूसरे को जानते है?
उसका व्यंग सुनकर चिंटू की आंखो के किनारों पर पानी भर आया। वह मन्नू से कहता है- मुझसे बात नहीं करेगा यार?
मन्नू- तु मुझसे बात करना चाहता है? तुझसे बात करने के लिए हम तो छोटे लोग है भई। बड़े लोगो के साथ रहने वाले का हम छोटे लोगो से क्या काम?
चिंटू (मायूस होकर) - ऐसा मत बोल यार। मैंने तुम्हे बहुत कुछ कह दिया था, मुझे माफ़ कर दे plz।
मन्नू- मै कौन होता हूं माफ़ करनेवाला। छोटी सोच वाले लोगो से भी कोई माफी मांगता है भला? जाओ भई जाओ, अगर आपकी रिया मैडम ने देख लिया तो बवाल खड़ा कर देगी।
इतना बोलकर मन्नू वहा से चला जाता है।

चिंटू मायूस होकर क्लास मै चला जाता है। वहा रिया उसका इंतजार कर रही थी। चिंटू के आते थे ही वह पूछती है- क्या कहा प्रिंसिपल मैडम ने? कोई टेंशन वाली बात तो नहीं?
चिंटू- नहीं, टेंशन तो कोई नहीं। पर मेरा रिज़ल्ट का ग्राफ नीचे जा रहा है तो वहीं समझाने के लिए बुलाया था। कहा कि अब आखरी साल में ध्यान रखना।
रिया- ओह! हा यह बात तो सही है। तुम अब रोजाना मेरे घर आना, हम साथ में ही पढ़ाई करेंगे।
चिंटू- नहीं रिया, अब यह हमारा last year है। अब मुझे कुछ वक्त के लिए अकेला ही रहने दो। अब मै सिर्फ और सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान दूंगा। अब हम बाहर घूमने फिरने भी एग्जाम्स के बाद ही जाएंगे। तब तक मुझे कहीं जाने के लिए अब फोर्स मत करना plz।
रिया- पर अभी तो एग्जाम्स शुरू होने में दो महीने बाकी है। तबतक तो हम...।
चिंटू उसे बीच में ही रोक देता है- अब सिर्फ दो महीने ही रह गए है रिया। अब तुम मुझे डिस्टर्ब मत करना। कहीं जाना होगा तो मै तुम्हे सामने से ही कॉल कर दूंगा। आज के बाद कॉलेज के अलावा हम कहीं बाहर नहीं मिलेंगे, ठीक है।
रिया- पर...
चिंटू- पर वर कुछ नहीं, यह मेरे भविष्य का सवाल है। plz समझने की कोशिश करो।
रिया- अच्छा ठीक है। तुम्हारी पढ़ाई के बीच अब मै नहीं आऊंगी बस।
चिंटू- थैंक्स रिया, मै जानता था तुम मुझे जरूर समजोगी।
कॉलेज से छूटते वक्त रिया चिंटू को उसके घर ड्रॉप करने को कहती है पर चिंटू लाइब्रेरी जाने का बहाना कर उसे टाल देता है तो रिया चली जाती है। दरअसल वह मन्नू और राधा से बात करना चाहता था। रिया के जाते ही चिंटू राधा को कॉल करता है।

राधा मोबाइल स्क्रीन पर चिंटू का नाम देखकर पहले तो कॉल डिस्कनेक्ट करना चाहती थी फिर उसने सोचा कई समय बाद यह कॉल कर रहा है। कोई मुसीबत में ना हो। यह सोचकर वह कॉल रिसीव करके बात करती है- बोलो चिंटू, आज अचानक मेरी याद कैसे आ गई?
चिंटू- मै तुमसे और मन्नू से माफी मांगना चाहता हुं। plz आप दोनों मुझे माफ़ कर दे।
राधा- रिया को पता है तु मुझे कॉल कर रहा है?
चिंटू- नहीं, वह घर चली गई है और मै यहां बस स्टैंड पर तुम दोनों का इंतजार कर रहा हुं।
राधा- अगर रिया को पता चल गया तो वह तुमसे जगड़ा करेगी। फिर बोलना मत हमको की हमारी वजह से वह परेशान हुई।
चिंटू- plz अब शर्मिंदा मत कर तु। कैसे भी करके मन्नू को बस स्टैंड पर ले आना तु। मै उससे बात करना चाहता हुं। plz...
रिया- ठीक है, आते है हम।

राधा मन्नू के साथ बस स्टैंड पहुंचती है। मन्नू वहा चिंटू को देख राधा से कहता है- ये रिया का बंदर यहां क्या कर रहा है। छोड़कर चली गई क्या इसे?
राधा तो पहले हस पड़ती है फिर उसे बताती है- चिंटू ने मुझे फोन किया था। वह हम दोनों से मिलना चाहता है। ट्रेन पटरी पर आ गई लगती है ?।
दोनों चिंटू के पास पहुंचते है। उन दोनों को देखकर चिंटू खुश हो जाता है, आखिर आए तो सही। मन्नू जैसे ही पास आया चिंटू उसे गले लगा लेता है और माफी मांगने लगता है- माफ़ कर दे यार अपने दोस्त को। अब कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा।
मन्नू- सच्ची?
चिंटू- हा यार, सच्ची। अब तुजे शिकायत का मौका नहीं दूंगा।
तो राधा बोलती है- और मुजे शिकायत का मौका देगा?
चिंटू- नहीं बाबा, तुम दोनों को नहीं दूंगा। अब तक मुझसे हुई गलती की माफी मांगता हूं तुम दोनों से। plz मुझे माफ़ कर दो।
राधा और मन्नू साथ ही बोलते है- जा माफ़ किया, तु भी क्या याद रखेगा किन गरीबों से पाला पड़ा है।
तीनो गले मिलकर सारे गीले शिकवे मिटा देते है। और तीनो साथ में ही बस में घर जाते है।

* * * *
चिंटू के चेहरे पर आज सुकून देखकर शारदा उससे कहती है- क्या बात है? आज बहुत दिन बाद चहेरा पर मुस्कान दिख रही है?
चिंटू- हा मां, आज मुझे मेरे पुराने दोस्त वापस मिल गए।
शारदा- पुराने दोस्त?
चिंटू- हा, पुराने दोस्त। जिससे कुछ वक्त के लिए मै बिछड़ गया था। बस अब एक और...(बोलते बोलते वह रुक जाता है)
शारदा- एक और कौन?
चिंटू- कोई नहीं, मुझे भूख लगी है। जल्दी से कुछ बना दो ना।
और ये पिया कहा गई है? दिखाई नहीं दे रही।
शारदा- वो क्या कहते है...? ग्रुप इस्टडी...
चिंटू हंसते हुए कहता है- ग्रुप स्टडी?
शारदा- हा वहीं... वहीं करने गई है अपने सहेली के घर।
यह सुनकर उसे भी खयाल आता है क्यों न मै मन्नू और राधा ग्रुप स्टडी करे साथ में।
फिर वह मन्नू और राधा को कॉन्फ्रेंस कॉल करता है। और दोनों ग्रुप स्टडी के लिए तैयार भी हो जाते है। फिर एग्जाम्स आने तक एक एक सप्ताह सबके घर पर स्टडी करना तय हुआ।
इन सबके बीच अब चिंटू को सुमति की कमी बहुत खलती है। एक दो बार तो उसने पिया का फोन भी चेक किया था सुमति का नंबर लेने के लिए। पर पिया की चालाकी की वजह से उसे नंबर नहीं मिल पाया था।

* * * *
रिया जब घर पहुंची तो उसके पापा घर पर ही थे। वह कुछ देर इधर उधर की बातें करती है। फिर आज जो चिंटू ने कहा वह अपने पापा को कहती है। तो उसके पापा ने रिया को कहा- देख बेटा, वो जो कह रहा है वह सही ही है। तु उसका aim जानती है। पर अपनी पकड़ उसपे से कम मत करना, तु जानती है यह लड़का आगे बढ़ा तो हमे बहुत खुशी होगी। वैसे तो तुम्हारे लिए मै अच्छे घराने के लड़कों की लाइन लगा सकता हुं पर ये लड़का हमारे लिए जरूरी क्यों है यह तुम जानती हो। ठीक कह रहा हुं न?
रिया- हा पापा। पहले तो मैंने उसे एक शर्त समजकर ही रिश्ता रखा था। पर अब ये मेरा जुनून बन चुका है। उसे किसी भी कीमत पर पा कर ही रहूंगी।
रिया के पापा- गई तो तू बिल्कुल अपने पापा पर ही है।
और दोनों ठहाके लगाकर हसने लगते है।

* * * *
सुमति ने अपनी नई जॉब पर भी सबके दिल जीत लिए थे। वहा भी कुछ लड़के थे जो उससे बात करना चाहते थे। पर स्नेहा और राहुल कि वजह से वह बोल नहीं पाते थे। सबको अब पता था सौम्या स्नेहा मेम और राहुल सर की बेटी है। अगर किसी ने उससे ऐसे वैसे बात करने की कोशिश की तो नौकरी से हाथ धो बैठेंगे। और इस बेकारी के जमाने में नौकरी छूटना मतलब...।
ऑफिस से छूटते वक्त राहुल ने स्नेहा से कहा- आज मुझे कुछ काम है तो घर आने में थोड़ी देर हो जाएगी। तुम दोनों खाना खा लेना मै आकर खा लूंगा। और ये कार की चाबी लेते जाओ मै ऑटो से आ जाऊंगा।
स्नेहा सुमति को लेकर चली जाती है। राहुल अपने बॉस से बात करने चला जाता है। जब वह बॉस की केबिन से बाहर आया तो खुश दिख रहा था।

क्रमशः