भाग-6
कुछ देर बाद जेनी ने एक पर्ची पर मोबाइल नम्बर लिखकर दिया । आज राज कोई गलती नही करना चाहता था इसलिए कहा जेनी कहीं तुम भी तो धीर की तरह गलत नम्बर नही दे रही हो ।
जेनी -क्या अब इतना भी भरोसा नही रहा ?
राज-भरोसा तो खुद पर से भी ज्यादा है । अगर भरोसा न होता तो यह सोंचकर तुम्हे भूल जाता कि इतना समय बीतने के बाद शायद तुमने मुझे भुला दिया होगा । लेकिन मुझे यकीन था कि तुम अपना वादा नही तोड़ सकती हमारे बीच दूरियों का जिम्मेदार सिर्फ मैं था इसलिए तुम्हे ढूंढकर मिलने की जिम्मेदारी समझते हुए तुम्हारी तलाश की ।
जेनी-फिर ऐसा क्यों सोंच रहे हो कि मैं तुम्हे गलत नम्बर दूँगी ?
राज-क्योंकि तुमने इस वक़्त मोबाइल तो ले नही रखा ।
जेनी हँसने लगी । फिर अपनी हँसी को रोकते हुए...
जेनी-ओह ! तो तुम डर रहे हो । बात ऐसी है कि यहाँ मोबाइल अलाऊ नही है । इसलिए मोबाइल घर पर ही छोड़कर आना पड़ता है ।
राज-यहाँ से छुट्टी कब होती है ?
जेनी-छुट्टी तो रात में 9 बजे होती है ।
राज -तब फिर बात किस वक़्त होगी ?
जेनी-सुबह और रात में कभी भी ।
शॉप में जेनी और राज के बारे में किसी को शक हो , राज यह बिल्कुल भी नही चाहता था । इसलिए उसकी नज़र स्टाफ की तरफ भी थी । वह देख रहा था स्टाफ के कुछ लोग उनकी तरफ ध्यान दे रहे हैं । इसलिए राज ने वहाँ से जाना ही उचित समझा । दिखावे के लिए कुछ खरीदारी की और जेनी से इजाजत लेकर चला आया ।
अब राज और जेनी फोन के द्वारा एक दूसरे के करीब आ गए । राज को यह जानकर बहुत खुशी थी कि जेनी उसे आज भी प्यार करती है । उसने अपना वादा निभाया वरना आज के दौर में कौन किसका इंतज़ार करता है । जीवन बहुत तीब्र गति से दौड़ रहा है । लोग प्यार का इंतजार नही करते बल्कि बेहतर की तलाश में फिरते हैं । लेकिन शायद इसी को सच्चा प्यार कहते हैं । जो अरसे गुज़र जाने के बाद भी जिंदा रहता है ।
राज को जेनी तो मिल गई थी , उसकी आँखों में राज के लिए प्यार भी बाकी था । परन्तु राज के पास वक़्त की कमी थी , समाज के बन्धन थे और एक लंबी दूरी ।
क्या राज और जेनी का मिलन सम्भव था ?
क्या जेनी राज के साथ इस लम्बी दूरी के बावजूद जुड़ी रह पाएगी ? आखिर जेनी राज से कौन सी उम्मीद के सहारे जुड़ी रह पाएगी ? राज तो विवाहित है जबकि जेनी अभी भी जीवनसाथी की तलाश में है । क्या जेनी को बेहतर जीवनसाथी मिलते ही राज को भुला नही देगी । क्या राज को जेनी से रिस्ता खत्म कर लेना चाहिए ? या फिर इस प्रेम को प्रेम की पराकाष्ठा तक गुजर जाने देना चाहिए ?
ऐसे कुछ बड़े सवाल राज को अब भी परेशान किये हुए थे । जेनी का कॉन्टैक्ट नंबर मिलने के बाद भी राज उसे कॉल करने का समय नही निकाल पा रहा था । क्योंकि जेनी से बात करने का जो समय था वह या तो ऑफिस का वह समय जब काम अधिक होता है या फिर उस समय राज घर पर होता । दोनो स्थितियों में बात करना सम्भव नही था । इसलिए अब बातचीत बहुत कम ही हो पाती थी ।
एक दिन जेनी ने राज को उस वक़्त कॉल किया जब वह घर पर डिनर कर रहा था । जेनी का कॉल देखते ही राज ने कॉल रिसीव किया और बाहर निकला जिससे कि बातचीत के दौरान उसकी पत्नी को शक न हो ।अब राज की छोटी सी प्यारी बेटी , जो अभी नन्हे नन्हे कदमों से उसके पीछे लगी रहती है । वह भी पीछे पीछे आ गई । बेटी को संभालने के चक्कर में वह जेनी की बातों पर ध्यान नही दे पा रहा था ।
वह बार बार हेल्लो हेल्लो करते हुए कह रहा था कि तुम्हारी आवाज साफ नही आ रही है । इधर राज की बेटी फोन छीन रही थी । कभी वह बाहर सड़क पर दौड़ जा रही थी , तो कभी मोबाइल छिनती । सड़क पर उसे चोट लगने का डर भी राज और जेनी के बातों में बाधा डाल रहा था ।
आवाज कुछ क्लियर हुई तो राज ने सुना कि जेनी कह रही थी "आप तो कहते थे नंबर नही है नही तो रोज बात करते " । क्या दूर होते ही भूल गए ? राज ने कहा नही ऐसा कुछ भी नही है मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ । हाँ इतना जरूर है कि वक़्त की कमी है और तुम्हारे समय के हिसाब से मुझे समय नही मिल पाता है ।
जेनी ने पूछा अभी क्या कर रहे हो ? राज ने बताया कि वह अभी डिनर कर रहा था । उसकी बेटी उसे परेशान कर रही है ।
राज की बेटी बार-बार फोन छीन रही थी और घर के भीतर से राज की पत्नी बड़बड़ा रही थी कि खाना खाते समय भी फोन पे बात करते हैं । इतनी कौन से जरूरी बात है ? खाना खा लेते फिर बात करते । तुम्हारे चक्कर में बिटिया भी नही खा रही है । राज समझ गया कि उसकी पत्नी का शक्की दिमाग जरूर कुछ सोंच रहा होगा । उसका शक गहराए की उससे पहले राज ने फोन रखना ही उचित समझा । राज ने जेनी से अगले दिन बात करने का वादा किया । जेनी ने कहा ठीक है कल बात करते हैं । राज ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया । खाना खाया और अपनी बेटी को भी खिलाया ।
अगले दिन राज कार्य की व्यस्तता के चलते कॉल नही कर पाया । क्योंकि वह शांय 8 से 9 बजे तक फुर्सत नही पाया और दिन में जेनी के पास फोन न होने के कारण बात करना सम्भव नही था । देर रात जब उसे याद आया तो सोंचा अगले दिन जरूर बात करेगा । इस बार राज कोई गलती दोहराना नही चाहता था । इसलिए ठीक 8:30 pm पर उसने जेनी को कॉल लगाया परन्तु नम्बर स्विच ऑफ जा रहा था । राज ने कई दफा कोशिश की लेकिन हर बार यही आवाज आती की " the number you are trying to reach is either switched off or not reachable right now."
फिर राज ने कई रोज तक लगातार ट्राई किया परन्तु नंबर तो अब भी स्विच ऑफ ही था । राज और जेनी के बीच यह सम्पर्क भी स्विच ऑफ हो गया । अब राज को लगने लगा कि शायद वह और जेनी कभी मिल नही पाएंगे । एक दूसरे से किया गया वादा शायद ही पूरा हो सकेगा । फिर भी बस इतने डर से राज जेनी को भुला नही सकता था । राज प्रतिदिन हर पल जेनी और उसके साथ बीते लम्हों को याद करते हुए सोंचता कि जिंदगी भी बड़ी अजीब है । जब वक़्त था तब भी मजबूरियाँ थीं और आज वक़्त की कमी ही मजबूरी बन गई । एक समय था जेनी उससे मिलने को बेताब थी परन्तु राज अपनी तंगहाली से परेशान था और अब राज के पास पैसा है । आर्थिक तंगी खत्म हो चुकी है लेकिन राज आज भी वक़्त की कमीं से मजबूर है ।
शेष भाग-7 में