शीशा नीचा होते ही लड़की ने सर भीतर की ओर डाल दिया और कुछ पलों के लिए भीतर मुआयना सा करने लगी | संकेत सहमा सा ड्राईवर सीट पर चिपका हुआ था, बोलने की लाख कोशिशों के बाद भी शब्द लगता था जम से गए थे | लड़की ने भी कुछ बोलने की कोशिश की पर कोई शब्द फूट ही नहीं रहा था | रात इतनी घनी थी कि सूरतें देखने का एक मात्र जरिया कार की छत पर लगी लाइट ही थी | इससे पहले कि वो लाइट बुझ पाती संकेत ने बटन को दाई तरफ पुश कर दिया |
"क..क्या चाहिए ?" बड़ी मुश्किल से संकेत के मुंह से बस इतना ही निकला |
"मदद ............" बड़ी दबी और फुसफुसी आवाज़ में लड़की ने बोला |
ईश्वर को याद कर संकेत ने दरवाज़ा खोल दिया | लड़की कार के भीतर उकडूं बन बैठ गई | अबकि संकेत ने उसे आँख भर के देखा | कपडे ऐसे मालूम पड़ते थे जैसे हफ़्तों पहले से पहने घूम रही हो | गले से सीने तक फटा हुआ उसका कुर्ता उसके हालात बयान कर रहा था जिसे वो हाथ से पकडे हुई थी | होठ के पास गहरे नाखूनों के निशान थे | चेहरा भी ऐसा मुरझाया था जैसे कई दिनों से खाने को कुछ न मिला हो | बाएं हाथ में एक गहरा काले रंग का पर्स, जिसे उसने कड़ी मजबूती के साथ पकड़ रखा था | हाथों की उंगलियाँ उतरी हुई अंगूठियों के सुबूत दे रहीं थीं और आगे से काटे हुए बाल जिसमे सिंदूर की हलकी लेकिन बिखरी हुई छाया सी थी |
आखों के इशारों से लड़की ने चलने को कहा और सम्मोहन के वश सा बंधा संकेत स्टीयरिंग संभाले आगे की ओर चल पड़ा | इग्निशन ऑन होते ही कार के स्टीरिओ ने गाना बजाना शुरू कर दिया, " ये रात... घड़ियाल कोबरे सी रात ये रात .... न निगली ही जाए न उगली ही जाए ये काली ज़हरीली रात |" घबरा कर संकेत का हाथ खुद ब खुद स्टीरिओ के पावर बटन की ओर बढ़ गए |
बडे रुंधे गले से संकेत ने बोलने की कोशिश की, " क..कौन...हो...तुम....औ.....और....इ....इस.....वीराने....में....क्या....कर......र.....रही.....हो?"
लड़की ने संकेत की ओर गर्दन घुमाई और ज़ोर लगा के बोली , " पा................नी |"
संकेत ने ड्राइवर साइड पर डोर में खुसा वाटर सिपर निकाल के लड़की के आगे कर दिया | पहले तो दोनों हाथों से उसने सिपर को थामा पर फिर अचानक याद आने पर दायां हाथ अपने फटे कुर्ते पर रख लिया | संकेत उसके हर घूँट की आवाज़ साफ़ सुन पा रहा था | ऐसा लग रहा था जैसे कई दिन की प्यास की वजह से गला सूख सा गया था उसका और पानी का हर घूँट उसके सूखे गले से एक अजीब सी ध्वनि पैदा कर रहा था |
संकेत को अब यकीन हो चला था कि ये कोई चुड़ैल नहीं बल्कि किस्मत की मारी किसी मुसीबत से बच के भागी आम लड़की है | सोच की गहराइयों में डूबा हुआ संकेत ये तक भूल बैठा कि वो ड्राइव कर रहा है है सोच के असर से कुछ पल के लिए उसकी आँखें बंद सी हो गईं | गहरी सोच को लड़की की चीख ने तोडा और आँख खुली तो कुछ मीटर आगे ही एक नील गाय को अपनी ओर दौड़ते हुए पाया | स्टीयरिंग घूमी और भड़ाक की आवाज़ आई | दुनिया उलटी दिख रही थी और संकेत की आँखें धीरे धीरे बंद हो रहीं थीं | आखिरी ख्याल जो संकेत के मन में आया वो था कि,"शायद मैं भी चुड़ैल का शिकार बन गया | "
PTO