Udhde zakhm - 3 in Hindi Love Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | उधड़े ज़ख़्म - 3

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उधड़े ज़ख़्म - 3

अब्बा ने आगे कहा ये सब फ़ैसले ख़ुदा के हैं, हमें और आपको ये चाहिए कि हम भी इसे मानें,और बच्चों की ख़ुशी में खुश रहै।

अब्बा के तफसील से बोतल में उतारने के बाद भला क्या सूरत बचती थी कि सुम्मी के वालिद अब्बा की बात न मानते,अल्लाह अल्लाह कर के बमुश्किल हम दोनों का रिश्ता तय हो गया।

ये खुशी की खबर सो खुशियों की खबर से बढ़ कर थी, कुछ दिनों बाद हमारी वालिदा मोहतरमा जाकर सुम्मी को अपना आयी,और उनकी वालिदा मोहतरमा ने भी हमें अपना लिया, क्योंकि हमसे बड़े हमारे दो बहन भाई और भी थे,जिस वजह से हमारे निकाह में वक़्त था,लेकिन हम बहुत खुश थे कि सुम्मी हमारे लिए रिज़र्व है।

मैंने सुम्मी से पूछा आप आज कितनी ख़ुश हो ?
उन्होंने कहा बहुत।
मैंने कहा फिर भी कितना.. कुछ बयां अल्फाज़ो से करें।

उन्होंने कहा कुछ खुशियां चाह कर भी तहरीर में नही लायी जा सकती,चाहे लाख जतन कर लिए जाए मगर ये जो लिखारी का क़लम है ना,ये इस ख़ुशी की मिक़दार तय नही कर सकता,कुछ खुशियां सिर्फ दिल के बस की होती हैं,अल्फाज़ो में उनका तज़किरा नही किया जा सकता।

मैंने कहा अरे वाह, लगता है बिना मिले ही मेरी संगत का असर तुम पर आ रहा है,मिल लिया तो शायद लाखों आपकी लेखनी के दीवाने हो जाएं।

सुम्मी-आप किसके दीवाने हैं ? हमारे या हमारी लेखनी के?


मैं- ये तो बड़ा डिप्लोमेटिक क्वेश्चन है सुम्मी,हमें दोनों ही चीज़े मेहबूब है,लेखनी से मिलते रहते है,आपसे मिलने की तमन्ना है, कहीं ऐसा न हो शादी वाली रात को हम तुमसे पूछें हनीमून पर कहाँ चलना है,और तुम कहो "दम्मू ततमिल तलेंगे"
सुम्मी -हाहाहा मतलब?
में- मतलब जम्मू कश्मीर,कहीं तुम तोतली निकली तो ?

सुम्मी- तो जनाब आप ख्यालो में मिल लिया कीजिये न,आपकी तो इमेजिनेशन भी बड़ी मज़बूत है।

मैं- मिलने को तो वहाँ भी मिलता हूं,ओर पता है जैसे रेगिस्तान का प्यासा पानी को देख कर कुछ देर अपनी किस्मत पर ख़ुश होता है उसी तरह तुम्हें तसव्वुर में देख कर में खुश होता हूं,ओर मेरा ये कुछ देर का वक़्फ़ा इतना बड़ा होता है कि तुम मेरी नज़रो से ओझल हो जाती हो।

सुम्मी- ठीक है जनाब,ऐसी चिकनी चुपड़ी बातों में हमे मत उलझाया कीजिये,इन्शा अल्लाह हम मंडे आपसे मिल लेंगे।

मैं- ये हुई न बात,आई लव यू स्वीटहार्ट।
सुम्मी- आई लव यू टू.


इतना कह कर हम दोनों ने रात भर के लिए एक दूसरे से विदा ली,मंडे मिलने के लिए वंडर लैंड का प्लान बनाया गया,क्योंकि अपने मुरादाबाद में मिलने के लिए दो ही जगह थी, एक वेव मॉल दूसरा कपल स्पॉट वंडर लैंड, मंडे के दिन नहा धोकर तैयार होकर डिओ लगाकर गालों पर फेयर एन्ड लवली लगा कर सुम्मी को पिकअप करने के लिए सिविल लाइन पहुँच गए,

तभी एक लेडी ढीला ढाला बुरखा पहने हुए हाथों में काले दस्ताने पैरो में मोज़े ओर जूते ओर आंखों पर चश्मा पहनें मुझसे बोलीं चलो, में बोला जी आप कौन ?वो बोली में सुम्मी यार, ओर किस से मिलने जा रहै हो आप?पहचानें भी नहीं।


मैंने कहा इस हुलये में आपकी सगी अम्मी न पहचानें आपको,मेरी तो बिसफ़ ही क्या है,

सुम्मी ने बाइक पर बैठते हुए कहा क्यों ? क्या खराबी है इस हुलये में ?

मैंने कहा खराबी कुछ नही है,पर कुछ छोड़ा भी तो नही आपने छिपाने से,आंखे ही दिखती होतीं तो हम पहचान लेते।

उन्होंने कहा पर्दा हमारी पहचान है,कोई ना महरम हमे देखे हमे गवारा नही,आपकी ज़िद ने हमे मजबूर कर दिया आपसे मिलने आने के लिए,वरना हम नही आते क्योंकि अभी आप भी ना महरम है,और हमारा निकाह आपसे नही हुआ है।

बात सुम्मी की इस्लामिक नज़रिये से सही थी,लेकिन ये ना महरम का लफ्ज़ दिल मे जाकर ख़ंजर की तरह लगा।

मैंने कहा मुझ से बढ़ कर किसने जाना है तुम्हे..

और तुम कहती हो के ना महरम हुँ में।

ठीक है फिर , कह कर मेने जेब से श्योमी कि ब्लूटूथ हैंडसेट निकाली,कान में लगाई और स्योहारा में अपने हाफिज़ जी दोस्त को कॉल लगा दी, उनसे कहा तुम्हारी भाभी को लेकर पहुँच रहे है आधे घण्टे में,जितने भी काम हो तुम्हारी जान को सब मुल्तवी कर दो,निकाह का रजिस्टर निकाल लो,और गवाह के लिए इबाद को बुला लो, फैसल हाफिज़ जी ने कहा अबे क्या कह रहे हो ? किसे ला रहे हो ? कोन है क्या लकड़ी है ये ?

मैंने कहा अबे लकड़ी नही लड़की है और भाभी है तुम्हारी, तुम तैयारी करो में बाइक पर हुं, वहाँ आकर सब बताता हूं।

सुम्मी ने कहा ये सब क्या है जुनैद ? मैंने कहा तुम्हारे मेरे बीच जो ये गेर लफ्ज़ है इसे खत्म कर रहा हूं।

सुम्मी- पर ये तो ग़लत होगा न,अम्मी अब्बू सब अनजान है, ऐसे अकेले निकाह करना सही नही।

मैंने फिर दिल में सोचा के यार ये ऐसे नही उतरेंगी बोतल में,इन्हें अब्बा के इस्लामिक तरीके से ही बोतल में उतारना पड़ेगा।
मैंने कहा तुम बालिग़ हो न,ओर समझदार भी हो, फिर हम दोनों का रिश्ता भी लगा हुआ है, एक ही हमसफ़र से दो बार निकाह हो सकता है,बस शर्त ये है कि निकाह टूटा न हो,ओर अम्मी अब्बू को हर्ट क्यों होगा,में आपकी कसम खाता हूं के इस निकाह के बारे में उन्हें नही बताऊंगा,आप भी मेरी कसम खा लो के आप भी नही बताओगी, ये निकाह हम दोनों की दिली तसल्ली के लिए हो रहा है ओर सबसे अहम बात आप हमसे प्यार करती हो तो निकाह में क्या दिक्कत है?

सुम्मी ने कहा अच्छा ऐसा है तो चलिये ठीक है।

आधे रास्ते तो वो खामोश बैठी रहीं,और में सोचता रहा के दोनों मुल्लाओ को किस तरह बोतल में उतारना है।


लेकिन मेरे इस सोच विचार पर सुम्मी ने विराम लगा दिया,और कहने लगीं हमें इस तरह चोरी छिपे आपसे निकाह नही करना,इस पर मैने कहा हम चोरी छिपे कब कर रहे है,गवाहों ओर क़ाज़ी के सामने कर रहे हैं।

उन्होंने कहा गवाह ओर क़ाज़ी हमारे अम्मी अब्बू तो नही है न,पहला हक़ उनका हमारे ऊपर है, हम ऐसे निकाह नही करेंगे,

इसपर मेने कहा ठीक है मोहतरमा बिना मर्ज़ी के आपकी निकाह तो हो नही सकता,लेकिन ज़िन्दगी में फिर कभी ग़ैर का टैग हमारे नाम के साथ मत लगाइएगा, उन्होंने कहा अच्छा बाबा नही लगाउंगी,घुमा लोजिये बाइक वापस वंडर लैंड की तरफ,

उनका हुक्म सुन कर मेने अपनी शाइन बाइक के गियर बदले ओर वंडर लैंड की तरफ़ चल दिये।