Room number - 203 in Hindi Horror Stories by Devendra Prasad books and stories PDF | कमरा नम्बर-203

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कमरा नम्बर-203

आपको एक सच्ची घटना के बारे मैं बताने जा रहा हूँ जो की मेरे दोस्त कैशल किशोर के साथ घटी थी, जब वो अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने नैनीताल गया हुआ था। ये बात साल 2012 की है और महीना था नवंबर का। नवंबर में रात बहुत ही जल्दी हो जाया करती है क्योकि सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है। कौशल अपने दोस्तों के साथ नैनसी गेस्ट हाऊस में रुका था। उसे कमरा नंबर 203 मिला था। लेकिन उसे बिलकुल भी नहीं पता था की जो कमरा उसे मिला है उस कमरे में अप्राकृतिक गतिविधियां होती रहती हैं।


वह एक भूतिया कमरा है क्योकि इसमें जो भी व्यक्ति वहां एक रात भी गुजारता है उसकी अगली सुबह या तो मौत हो जाती है या उसका दिमागी सन्तुलन सही नहीं रहता।
उस गेस्ट हाउस के लोगो ने भी उन्हें कुछ नहीं बताया था, वो जानते थे की अगर हम अपने कस्टमर को ये बात बता देंगे तो यहां पर कोई भी नहीं रुकेगा और उनके गेस्ट हाउस का नाम खराब हो जाएगा जिसकी वजह से गेस्ट हाउस बंद होने की नौबत आ सकती है। कौशल और उसके दोस्त रात का खाना खा कर कमरे में सो गए।


सब के सब गहरी नींद में सोए हुए थे की तभी कमरे के बाहर कौशल को किसी के चलने की आहत सुनाई दी। उसे लगा की शायद कोई गेस्ट हाऊस का कोई स्टॉफ किसी रूम को सर्विस देने के लिए जा रहा होगा।

उसने घड़ी मैं समय देखा तो रात के पौने 1 बजे थे। कैशल ने सोचा भला कोई इतनी रात को कोई खाने का आर्डर देता है क्या?
उसने दरवाज़ा खोल के देखा तो गलियारे मैं कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। लेकिन फिर भी किसी के चलने की आहट साफ़ कौशल को सुनाई दे रही थी। उसने अपने साथ वाले बिस्तर में सोए हुये दोस्त अमित को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो सब शराब पीकर धुत्त सोए हुए थे। कोई भी नहीं उठ रहा था। कौशल ने अब होटल में उस आवाज़ को ढूंढ़ना शुरू कर दिया , वो उस इंसान की आहट को सुनते हुए उसके पीछे चल रहा था लेकिन उसे कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। तभी अचनाक कौशल को किसी के चिल्लाने की आवाज़ सुनी दी।

वो तुरंत ही उस आवाज़ की और भागा तो उसने देखा की गलियारे के किनारे कोई इंसान खड़ा हुआ है और उसका मुँह दिवार की तरफ है। वो उस इंसान की ओर भागा की तभी पीछे से किसी ने कौशल को हाथ लगाया। कौशल जैसे ही पीछे मुड़ा तो उसने देखा कि उसके पीछे कोई भी नहीं था। फिर उसने जैसे ही उसने फिर उस इंसान की और देखना चाहा तो वो इंसान भी वहां से गायब हो चला था।

उसका एकदम से सर घूम गया और वहीं बेहोश हो गया। रात्रि में लगभग 2 बजे के करीब उसे होश आता है। वो देखता है कि गलियारे के कोने में कोई उसकी तरफ मुंह कर के बैठा हुआ है और उस शख्स के बहुत लंबे लंबे बाल हैं जिस से उसने अपने चेहरे को ढक रखा है। वो अपनी हाथों से फैला कर कौशल को अपनी तरफ बुला रहा है। कौशल ने सोचा शायद कोई मरीज होगा जो बाहर किसी काम से आया होगा और वो गिर गया होगा जो अब उठने में असमर्थ था। मदद के भाव ले कर वो उस शख्स के पास पहुँचा। जैसे ही कौशल ने उस व्यक्ति के बाजू को पकड़ कर उठाना चाहा वो चौक गया उस इंसान का शरीर बिल्कुल ही ठंडा पड़ा हुआ था। जैसे ही उसके बारे में कुछ और महसूस करता अचनाक उस शख्स ने उसके कान के पास धीरे से कहा-



"तुम सब के सब मारे जाओगे, कोई भी यहाँ से बचकर नहीं जाने वाला।"
यह कहने के बाद वो जोर से अजीब अजीब तरह की आवाजें निकालने लगा। कैशल ने उसको एक झटके में ही उसको खुद से अलग कर दिया। वो व्यक्ति अब अपने जगह पर खड़ा था और ठहाके लगा कर हंस रहा था और कह रहा था-


"तुम सब मारे जाओगे, दम है तो यहां से बाहर निकल के दिखाओ।"
यह कहते हुए उस शख्स ने अपने चेहरे के सामने से लंबे लंबे बालों को हटाया। उसे देखते ही कौशल चौक गया। वह व्यक्ति एक भूत की तरह लग रहा था। उस व्यक्ति के पलक थे ही नहीं और उसके चेहरे पर कोई भी मांस नही था। उसके चेहरे से हड्डियां बाहर निकली हुई थी और उसके मुंह से खून की बूंदे टपक रहीं थी। बड़ा ही खतरनाक लग रहा था वो। कौशल चीख मारता हुआ कमरा नम्बर 203 की तरफ भाग जाता है।

वो कमरा नम्बर 203 में जाकर दरवाजे को बंद कर के फटाफट कुंडी लगा देता है। वो देखता है कि उसके बाकी के दोंनो दोस्त आराम से लेटे हुए हैं। उन सभी को बहुत जगाने की कोशिश करता है लेकिन कोई भी टस से मस नहीं होता। ज्यादा पी लेने की वजह से उसके दोस्तों का खुद पर नियंत्रण नहीं था। कौशल थक कर सुबह होने के इंतजार करते हुए बाकी दोस्तों के साथ बिस्तर में घूंस जाता है। काफी देर तक वह अपने आप को बिस्तर पर लेटे-लेटे सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश करता रहता है। लगभग आधे घंटे तक उसके इर्द-गिर्द जब कोई हलचल नहीं होती तो वो भी थक कर सो जाता है। अचनाक उसकी नींद खुलती है तो वो देख कर चौक जाता है।


वो देखता है कि उसके बगल में सोया हुआ दोस्त तो है ही नहीं, बगल वाले बिस्तर से भी दोनों दोस्त गायब थे। तभी उसकी नजर अचनाक ऊपर पंखे की तरफ पड़ती है जिसे देखकर वो चीख पड़ता है। वो देखता है कि उसका एक दोस्त अमित पंखे से लटका पड़ा है और उज़की आंखें टकटकी लगा कर उसे ही देख रही हैं और उसकी जीभ बाहर की तरफ निकली हुई है। वह यह देख कर एकदम दहशत में आ जाता है। बाकी के दो दोस्त तो उसे दिख ही नहीं रहे थे। तभी उसकी नजर खिड़की की तरफ पड़ती है। वहां एक काले रंग का साया खड़ा था और वहां से खड़े खड़े उस काले साये का हाथ अचनाक से कैशल की ओर बढ़ रहा था। कौशल ने अपनी आंखें आधी खोल रखी थी, और उसका ध्यान उस काले साये की तरफ था। थोड़ी देर में उसका हाथ बढ़ते बढ़ते कौशल की तरफ आ गया और उसकी दाईं टांग को जकड़ लिया।

अब कौशल बहुत ही ज्यादा डर गया था। उसका पूरा शरीर डर के मारे कांप रहा था और नैनीताल की ऐसी ठंड में भी उसका सारा शरीर पसीने से तर बतर हो गया था। अचनाक उसमे पता नहीं कहाँ से इतनी हिम्मत आई और उसने अपनी बाईं टांग से एक जोरदार प्रहार उस हाथ पर किया जिसने उसकी दाहिनी टांग को जकड़ रखा था।


लेकिन उसका यह प्रयास विफल रहता है। उस काल साए ने उसकी टांग अब और मजबूती से जकड़ लिया था। उस काले साए ने कौशल के शरीर को बिस्तर से घसीटते हुए बिस्तर के नीचे गिरा दिया था। कौशल ने बहुत कोशिश की लेकिन खुद को मुक्त कराने में नाकामयाबी ही हासिल हो रही थी। तभी कैशल की नजर वही पास में रखे मेज पर जाती है और उसकी आंखों में चमक आ जाती है। रात को दोस्तों के साथ पीते वक़्त उसने चकने की कमी होने की वजह से सेब काटी थी और भूल से उसने चाकू वहीं मेज पर ही छोड़ दी थी। जैसे ही वो मेज के करीब पहुँचा उसने लपक कर उस चाकू को अपने गिरफ्त में किया और अगले ही क्षण उस चाकू को कसकर पकड़ते हुए एक जोरदार हमला उस हाथ पर कर देता है ,जिसने उसकी दाईं टांग को पकड़ रखा था।


"खच्चकsssss"की आवाज के साथ खून के छींटे कौशल के मुंह पर पड़ती है और वो उस बंधन से मुक्त हो जाता है। उसने बिना पल गवाएं दरवाजे की तरफ दौड़ लगा दी और फटाफट कुंडी खोलते हुए उस गेस्ट हाउस के रिसेप्शन की तरफ भागता है। रिसेप्शन पर कोई नहीं था, न ही उसे उस गेस्ट हाउस में कोई भी व्यक्ति दिखाई देता है। वो भाग कर उस गेस्ट हाउस से बाहर आ जाता है। भागते भागते वो वहां से थोड़ी दूर एक पुलिस चौकी में पहुँच जाता है।

कौशल की ऐसी हालत देख कर कांस्टेबल विनोद चमोली उसको संभालते हुए बैठाते हैं और उसको पानी पिलाते हैं। पानी पीने के बाद वो अपने सारी घटनाओ को सिलसिलेवार तरीके से सुनाता है। उसकी सारी बातों को सुनने के बाद वहां का कांस्टेबल चमोली बोलता है-"देखिए जब मैं यहां 3 साल पहले नया नया आया था तब मुझे भी इन चीज़ों में विश्वास नहीं था। लेकिन मैंने पिछले कुछ सालों से बहुत सी ऐसी अजीब सी घटनाएं देखी हैं जिसके कारण मैं अब इन काल्पनिक बातों को मानने को विवश हूँ।

उस नैनसी गेस्ट हाउस में कोई भी कर्मचारी 9:30 बजे के बाद नहीं रुकता। वहां कमरा नंबर 203 शापित है जिसकी वजह से वहां पूरी रात अप्राकृतिक घटनाएँ होती रहती है। वो तो शुक्र मनाइए की आप ज़िंदा चले आए। नहीं तो इतने सालो से मैंने किसी को वहां से जिंदा निकलते नही देखा है।"

कांस्टेबल चमोली की बातों को सुनने के बाद कौशल को खुद पर पछतावा भी हो रहा था क्योकि अगले महीने ही कौशल की शादी थी और नैनीताल में लास्ट बैचलर पार्टी करने की योजना उसी की थी। उसे उस घटना का बहुत ही खेद था। नैनीताल वो इसलिए भी आया था क्योंकि उसकी बीवी का नैनीताल में हनीमून मनाने का ख्वाब था। अब उसके मन मे नैनीताल के नाम से खौफ घर कर गयी थी और उसने शादी के बाद मनाली में हनीमून मनाने के फैसला किया। लेकिन उसको अपनी शादी में उन दोस्तों की कमी खली और उनकी यादों को आज भी बहुत मिस करता है और उस दिन के पछतावे के साथ आज भी खुद को ही दोषी करार देता है।





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