Achchhaiyan - 37 - Last Part in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां - ३७ - अंतिम भाग

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अच्छाईयां - ३७ - अंतिम भाग

भाग – ३७

अंतिम भाग

‘फिर क्या हुआ गुड्डी का...?’ सूरजने पूछा |

‘वो बारबार भागने की कोशिश कर रही थी, उसके बाप तेजधार को डराना चाहते थे मगर उस रात कुछ नशा ज्यादा हो गया था तो गुड्डी मेरी आँखों में बस गई...और उस रात गुड्डी के साथ रंगीन रात हो गई | उसके बाप की अक्कल ठीकाने लागे के लिए वो करना जरुरी था फिर उसको एक गंदी नाली फेंक दिया... **** तेजधार फिर कभी हमारे पास भीख माँगने नहीं आया..!’ अनवर की बात अभी ख़तम ही नहीं हुई थी और पीछे की ओर से एकसाथ दो गोली आई और अनवर की खोपड़ी को फाड के चली गई | कोई कुछ समझे उससे पहले तो वो तड़पते हुए मर चुका था |

तेजधार की बन्दुक से नीकली गोली और आँखों से निकलता गुस्सा दोनों ही तेज हो गया था | उसके बाद तेजधारने अपनी गन मुस्ताक की ओर की और उसको घुटनों के बल बैठने को कहा | आज तेजधार को अपनी गुड्डी की मौत की सही वजह भी सालो बाद पता चली थी, वो काफी गुस्से में था | मरे हुए अनवर को वो लाते मारने लगा और चिल्लाया, ‘मेरी मासूम सी बेटीने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था की तुमने ये सजा दी |’ तभी गुलाबो और सरगम भी सूरज के करीब आये और सूरज को छुड़ा लिया |

मुस्ताक वहां से भागने की कोशिश कर रहा था तभी तेजधारने एक गोली चलाई मगर अँधेरे में कहीं खो गया | तेजधार अभी भी गुस्से में अनवर को लागे मार रहा था | सूरजने उनको संभाला और शांत किया |

तेजधार होशमें आते ही उसने इन्स्पेक्टर पूरणसिंग को फोन लगाया और कहा, ‘मेरे इलाके में अनवर और उसके कुछ आदमी सूरज को उठा के लाये थे | आमने सामने गोली चली तो उसके कुछ आदमी और अनवर पर मुझे मजबूरन गोली चलानी पडी | उन सभी की लाशें खँडहर के पीछे है |’ तेजधारने तुरंत ही सबकुछ संभालते हुए पुलिस को इन्फॉर्म किया |

गुलाबो कुछ सोच रही थी और उसने भी तुरंत फोन लगाया, ‘ हेल्लो बोस, सुलेमान और मुस्ताक दोनोंने सूरज से सारा हिस्सा लेने के लिए अनवर के साथ धोखा किया और पुलिस को भी खबर कर दी | अनवर मर चुका है | उन दोनों को छोड़ना नहीं, वे अब हमारे साथ गद्द्दारी कर रहे है | सूरज के पास से कुछ हीरे मिल गए है, वो मेरे पास है, और जो बाकी के हीरे का भी पता चल गया है |’

सामने से कुछदेर बाद आवाज आई और फिर गुलाबोने फोन रख दिया | तेजधारने गुलाबो की चालाकी को सलाम किया |

सरगमने श्रीधर की उस चिठ्ठी को तेजधार और सूरज दोनों को पढ़ने को कहा | गुलाबो को भी रास्ते में ही ये सच्चाई सरगमने बता दी थी | उस चिठ्ठीमें श्रीधरने अपनी सारी सच्चाई और उस हीरे के बारे में भी लिखा था |

सूरजने उस चिठ्ठी को पढ़ा जिसमे श्रीधरने जो भी गुन्हा किया था उसके लिए माफी भी माँगी थी | उसने उस हीरे का जिक्र करते हुए लिखा था की कुछ हीरे उसकी माला में जोड़ दिए थे और बाकी के हीरे जहा संगीत प्रतियोगिता थी वही के एक बेंक के लोकर में रख दिए थे | उस बैंक का नाम, नंबर और उसका पासवर्ड भी उसमे लिखा था | उसने आखीर में कहा था की, दादाजी को भी ये सच्चाई बताना और ये हीरे कोलेज के लिए ले लेना | मेरी पुरी जिन्दगी उन लोगोने तबाह की है तो मेरा भी हक़ बनाता है उनको तबाह करना |’

‘दादाजी को ये मत बताना वरना वो श्रीधर को नफ़रत करने लगेंगे |’ सूरजने चिठ्ठी बंध करते हुए कहा | सरगमने तभी कहा, ‘ ये बात दादाजी को पता चल गई है, उन्होंने श्रीधर और तुमको भी माफ कर दिया है |’

उस वक्त तेजधार के फोन की रिंग बजी | वो इन्स्पेक्टर पूरणसिंग का फोन था | उन्होंने कहा की, ‘शहरमें किसीने सुलेमान और मुस्ताक का खून कर दिया है |’ गुलाबो को पता चल गया की डी के अब इस शहर में आ गया है |

‘सूरज तुम्हे कल ही मेरे साथ उस संगीत प्रतियोगिता में आना पड़ेगा, सब तैयारी हो चुकी है |’ सरगम सूरज के पास आई और कहा |

इन्स्पेक्टर तेजधारने भी कहा, ‘सूरज तूम जाओ, इन्क्वायरी होगी तो मैं जवाब दे दूंगा | मगर जीत के ही आना |’

सरगमने अपनी जेब में रखे हीरे सूरज को दिखाए | सूरजने वो हीरे इन्स्पेक्टर तेजधार को दिए और कहा, ‘मैंने तुम्हे वादा किया था की तुम्हे किंमत मिल जायेगी, ये मेरा वादा पूरा हुआ |’

तेजधारने वो लौटाते हुए कहा, ‘आज गुड्डी की आत्मा को शांती मिली होगी की उसके पापाने उसकी जिन्दगी उजाड़ने वाले दरिन्दे को मार दिया है | मुझे और कुछ नहीं चाहिए | तुमने जो अच्छाइयां हमें शीखाई है वो ही हमारे लिए सबसे किंमती है |’

फिर सूरजने वो हीरे गुलाबो को दिए और कहा ये डी के को दे देना ताकी उनको लगे की गुलाबो सच कह रही है |

तभी गुलाबो की फोन की रिंग बजी, ‘ जी बोस...!’ ‘मैं अभी ही तुमसे वो हीरे लेकर मिलने आ रही हूँ...!’ और फिर कुछ बात सुनकर उसने फोन रख दिया |

‘वो शहर में आ गया है, हसीनाखाने में पंद्रह मिनिट के बाद मिलेगा | सूरज शायद अब हम फिर कब मिलेंगे वो पता नहीं, मैं तुमसे जो लेने आई थी वो चीज मुझे मिल गई है और मुझे तुमसे उसके सिवा ओर क्या चाहिए ?’ गुलाबोने सूरज को अलविदा कहते हुए अपने आंसु छीपाके नीकल गई |

रात को तेजधार मीला तो पता चला की डी के और उसके सभी आदमी और ड्रग्स का पूरा नेटवर्क पकड़ा गया है | सूरज की सच्चाई भी अब सबके सामने आ चुकी थी |

झिलमिल का मंगेतर मनजित भी सबके साथ आ गया था | दूसरे दिन सूरज, सरगम, छोटू, सुगम और उसकी टीम संगीत प्रतियोगीता में गई | सूरज की अच्छाई की थीमने पुरे विश्वमें तहलका मचा दिया और टॉप पर सरगम विद्यालयने फिर से अपना नाम बना लिया |

जीत का जश्न मनाते हुए सूरज को सरगम ने रोका और कहा की आज से पांच साल पहले मैंने वादा किया था की जब तुम संगीत प्रतियोगिता जीत के लाओगे तो मैं तुमसे मेरे प्यार का एकरार करूंगी, ‘आज मैं तुमसे कहती हूँ की मैं तुमसे प्यार करती हूँ, क्या तूम भी मुझसे प्यार करते हो ?’

सूरजने कहा, ‘मुझे तो उस दिन से ही पता था की तुम मुझे कितना प्यार करते हो मगर हालात ने हमें मिलाते मिलाते सालो लगा दिए...!!’

समाप्त.