गुमशुदा की तलाश
(10)
सरवर खान ने साइबर कैफे के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को ध्यान से देखा। फुटेज में काले रंग की कार दिखाई पड़ रही थी। लेकिन वह जिस स्थिति में खड़ी थी उसका नंबर नहीं दिखाई पड़ रहा था। फुटेज में बिपिन ने नीले रंग की जींस और चेक्ड शर्ट पहन रखी थी। कंधे पर एक बैग था। उसके साथ एक लंबी लड़की थी। उसने सफेद मिनी स्कर्ट पर काले रंग का टॉप पहना हुआ था। फुटेज में दोनों कार की पिछली सीट पर बैठते नज़र आते हैं। उनके बैठते ही कार सीधी दिशा में आगे बढ़ जाती है।
बिपिन कैमरे के सामने वाले दरवाज़े से कार में बैठा था। अतः उसकी शक्ल कैमरे में आ गई थी। लेकिन वह लड़की दूसरी तरफ के दरवाज़े से बैठी थी। बैठते हुए वह मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी। अतः उसका चेहरा समझ नहीं आ रहा था।
जिस तरफ से बिपिन बैठा था उसके दरवाज़े पर एक डेकल स्टीकर था। ज़ूम करके देखने से ऐसा लग रहा था कि बाज़ जैसे किसी पक्षी की आकृति है।
इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज और अधिक मददगार साबित नहीं हो रही थी। सरवर खान ने इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से कहा।
"यदि किसी तरह इस लड़की के बारे में पता चल जाए तो बात आगे बढ़े। पर इस फुटेज में तो उसकी शक्ल ही दिखाई नहीं पड़ रही है।"
इंस्पेक्टर सुखबीर ने सहमति जताते हुए कहा।
"हाँ ऐसा हो जाए तो फिर केस में कुछ गति आए। हम आसपास के लोगों से पूँछताछ करते हैं। शायद किसी ने उस गाड़ी और उस लड़की को देखा हो।"
"कोशिश करके देखिए। पर मुश्किल लगता है। देर रात का मामला है। गली सूनी दिख रही है। वह कोई रिहाइशी इलाका भी नहीं है।"
"सही कह रहे हैं सरवर जी। पर कोशिश कर लेते हैं।"
सरवर खान ने याद करते हुए कहा।
"इंस्पेक्टर सुखबीर आप लोगों ने बिपिन के कॉल डिटेल्स निकलवाए होंगे।"
"हाँ उसके गायब होने वाले दिन से एक महीने पहले तक के निकलवाए थे। एक नंबर को हमने मार्क किया था। उस पर बिपिन की अक्सर बात होती थी। हमने उस नंबर के बारे में पता किया। यह नंबर किसी शशीकला गुप्ता के नाम पर था। हमने उनसे बात की तो पता चला कि उन्होंने यह सिम नहीं लिया। उनके डाक्यूमेंट्स का गलत प्रयोग कर किसी और ने यह नंबर लिया था।"
"इंस्पेक्टर सुखबीर आपने पता किया कि यह सिम किस दुकान से लिया गया था।"
"जी हमने उस दुकानदार से बात भी की थी। उसका कहना था कि लगभग डेढ़ साल हो गए उसे याद नहीं कि कौन सिम ले गया था।"
"पर इंस्पेक्टर सुखबीर अपने नंबर को आधार से लिंक कराना आवश्यक है। तभी नंबर काम करता है। तो अगर शशीकला ने यह सिम नहीं खरीदा तो यह आधार से लिंक कैसे हुआ ?"
"हाँ सरवर जी यह तो ठीक है।"
"क्या आपने शशीकला से पूँछताछ की थी।"
"हाँ जब हमें पता चला था कि सिम उनके नाम है तब उन्होंने बताया कि इस नंबर का सिम उन्होंने नहीं लिया।"
"वैसे यह शशीकला करती क्या हैं ?"
"वह एक किंडरगार्टन चलाती हैं।"
सरवर खान कुछ पलों तक सारे तथ्यों को आपस में जोड़ने के बाद बोले।
"और अब वह नंबर काम नहीं कर रहा होगा।"
"हाँ सरवर जी। वह नंबर अब काम नहीं कर रहा है।"
"उस नंबर से आखिरी कॉल कब किया गया था ?"
"उस नंबर से आखिरी कॉल उस रात को बारह बजे के करीब किया गया था जब मेवाराम के अनुसार वह अंतिम बार हॉस्टल से निकला था।"
"इंस्पेक्टर सुखबीर आप लोगों ने बिपिन के फोन को ट्रैक करने का प्रयास किया।"
"जी पर वह स्विचऑफ था। आखिरी लोकेशन धनवंत्री इंस्टीट्यूट के पास ही बताई गई थी।"
"इसका मतलब कार में बैठते ही बिपिन ने फोन स्विचऑफ कर दिया था।"
सरवर खान ने इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह से कहा।
"आप उस दुकान के मालिक को कस्टडी में लेकर अच्छी तरह से पूँछताछ कीजिए। वह ज़रूर सिम कार्ड का फर्ज़ीवाड़ा कर रहा है।"
सरवर खान अपनी लॉज में लौट गए। इंस्पेक्टर सुखबीर उस सिम कार्ड विक्रेता के पास जाने की सोंच ही रहे थे तभी सब इंस्पेक्टर नीता सैनी पुलिस स्टेशन में आई। सब इंस्पेक्टर नीता एक केस पर काम कर रही थी। उसमें एक मोबाइल नंबर सामने आया था। सब इंस्पेक्टर नीता ने इंस्पेक्टर सुखबीर को बताया कि जो नंबर सामने आया है वह किसी कामता प्रसाद का है। जबकी कामता प्रसाद का कहना है कि यह नंबर उनका नहीं है।
"नीता तुमने पता किया कि यह सिम किसने बेचा है ?"
"जी सर....डिस्ट्रीब्यूटर का नाम श्रुति कम्यनिकेशंस है।"
डिस्ट्रीब्यूटर का नाम सुनते ही इंस्पेक्टर सुखबीर चौंक गए। यह वही डीलर था जिसने बिपिन के केस में शामिल सिम बेचा था। उन्होंने सब इंस्पेक्टर नीता से कहा।
"आओ ज़रा इन डिस्ट्रीब्यूटर महोदय से बात करते हैं।
इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह श्रुति कम्यनिकेशंस के मालिक रजत जैन के सामने बैठे थे। रजत जैन कुछ घबराया सा लग रहा था।
"मि. रजत ये दोनों सिम आपकी दुकान से बेचे गए हैं। दोनों ही सिम जिनके नाम पर हैं वह इस बात से इंकार करते हैं कि सिम उन्होंने खरीदा है।"
"सर तो इसके लिए मैं क्या करूँ। मैं तो सिम बेचते समय सारी प्रक्रिया का पालन करता हूँ। हो सकता है कि दोनों झूठ बोल रहे हों।"
"दोनों सिम कार्ड गलत तरह से प्रयोग हो रहे थे। दोनों आपकी दुकान से लिए गए थे। अब बताइए कि झूठ कौन बोल रहा है।"
"सर आप इस तरह से मुझ पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते हैं। मैं एक इज्ज़तदार शहरी हूँ।"
"तो ठीक है....हमारे साथ पुलिस स्टेशन चलिए।"
रजत जैन घबरा गया। उसकी घबराहट को देख कर सब इंस्पेक्टर नीता सैनी ने कहा।
"देखिए जैन साहब सीधे सीधे बता दीजिए। क्यों हमें सख्ती बरतने पर मजबूर कर रहे हैं।"
रजत जैन समझ गया कि वह पूरी तरह फंस चुका है। उसने सब कुछ कुबूल कर लिया। जो रजत जैन ने बताया उसके हिसाब से वह ग्राहक के डाक्यूमेंट्स का गलत प्रयोग कर दो सिम उसके नाम पर जारी करता था। सिम को एक्टीवेट कराने के लिए जब ग्राहक की उंगलियों के निशान लेते थे तब डबल टाइम बायोमैट्रिक्स का प्रयोग कर दो सिम एक्टिवेट करा लेते थे। ग्राहक को उसका सिम कार्ड देकर दूसरा ऊँची कीमत पर बेच देते थे।
सब इंस्पेक्टर नीता ने पूँछा।
"तो ये दोनों सिम कार्ड किन लोगों को बेचे थे।"
"मैम फर्ज़ी तरीके से एक्चिवेट हुए सिम कार्ड को मैं नंदू नाम के आदमी को बेच देता था। उसने ही इन्हें बेचा होगा।"
फर्ज़ीवाड़ा करने के जुर्म में रजत जैन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसकी सहायता से नंदू भी पकड़ा गया। पर उसका कहना था कि रजत से सिम लेकर वह और ऊँची कीमत पर इच्छुक ग्राहकों को बेच देता था। किसी का नाम नहीं पूँछता और ना ही चेहरा याद रखता है।
इंस्पेक्टर सुखबीर ने सारी जानकारी सरवर खान को दे दी। सरवर खान सोंचने लगे कि यह केस आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अभी तक कुछ भी ऐसा हाथ नहीं लगा जिससे केस को साल्व करने में कुछ मदद मिले। जो तथ्य सामने आते हैं वह केस को और उलझा देते हैं। सिम कार्ड के मामले में भी कोई मददगार तथ्य सामने नहीं आया। हाँ एक फर्ज़ीवाड़े का पर्दाफाश ज़रूर हो गया।
वह सोंचने लगे कि आखिर इस केस की पड़ताल में गलती हो कहाँ रही है। क्या जाँच की दिशा ही गलत है। जिसके कारण सच सामने नहीं आ पा रहा है।
सरवर खान ने एक बार पुनः नए सिरे से केस पर विचार करना शुरू किया।
आज से दस महीने पहले बिपिन दास जो पीएचडी का छात्र था वह कहीं गायब हो जाता है। इस बात की सूचना कि वह हॉस्टल से गायब है उसका रूममेट कार्तिक मेहता देता है। पुलिस केस दर्ज़ करती है। पर उन्हें कोई सफलता नहीं मिलती है।
रंजन ने जब इस केस की शुरुआत की तो जो बातें सामने आई उनके हिसाब से बिपिन अक्सर हॉस्टल से गायब रहता था। आंचल के कहे अनुसार उन जगहों के बारे में जानना चाहता था जहाँ नशा होता हो। इसलिए उसके नशे के आदी दोस्त से मिला था।
सरवर खान की पकड़ में वह बिंदु आ गया। रंजन ने उन्हें आंचल के उस दोस्त का नाम और नंबर बताया था।
सरवर खान उत्साहित थे कि उससे मिल कर अवश्य कई गांठें खुलेंगी।