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कथानक रूपरेखा व संयोजन
नीलम कुलश्रेष्ठ
एपीसोड - 8
नीरा के पी ए का दामिनी के लिए फ़ोन था, ``मैडम ! कमिश्नर मैडम ने कहा है कि हमारा पुलिस विभाग कुछ महिलाओं की कॉउंसिलिंग करना चाह रहा है। आप कल महिला पुलिस सैल में आ सकतीं हैं ?``
``सॉरी, मेरे घर मेहमान आ रहे हैं। मैं कुछ दिन बाहर नहीं निकल सकती। प्लीज़ !मेरी नीरा जी से बात करवा दीजिये। ``
थोड़ी देर मोबाइल में संगीत बजता रहा। उधर से आवाज़ आई, `` हैलो । ``
``नीरा जी !नमस्ते। ``
``नमस्ते दामिनी जी ! कैसी हैं आप ?``
``मैं ठीक हूँ और आप ?``
``जी, सब ठीक है। मैं आपको खुद फ़ोन करना चाह रही थी लेकिन वर्क लोड के कारण पूछ नहीं पाई कि मीशा कैसी है ?उस केम्प के बाद उसमें कुछ सुधार हुआ ?``
``अफ़सोस, सुधार नहीं हुआ । वह कॉलेज की हंसती मुस्कराती लड़कियों को देखकर और उदास रहने लगी है। कहीं बाहर घूमने जाओ या कोई रिलेटिव आ जाँयें तब ही कुछ ठीक दिखाई देती है लेकिन अकेले में बहुत डिप्रेस्ड लगने लगती है। सॉरी, मैं कॉउंसिलिंग के लिए नहीं आ पाउंगी क्योंकि मीशा की मम्मी व मेरी बहिनें आ रहीं हैं। ``
``ओ. के., नेवरमाइंड. -----ओ --सॉरी मैं भूल गई। उस दिन आपने बताया तो था। चलिए बाद में मिलेंगे। ``
दामिनी कावेरी के साथ कैब से अयन को उतरते देखकर हैरान हो गई। एक वर्ष बाद उसे देख पा रही थी, प्रोफ़ेशनल लाइन में आकर उसमें एक अलग किस्म का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। । उसकी थोड़ी पर आजकल के स्टायल की बढ़ी दाढ़ी देखकर वह मुस्करा उठी। वह भी दौड़कर नानी के गले लग गया, ``नमस्ते नानी !``
``वॉट्स अ सरप्राइज़ डीयर !``
`` सेमिस्टर्स के बाद ब्रेक मिला तो मैं भाग कर पहले जयपुर आया। आप सबसे मिलने का कितना बढ़िया चांस था। ``
सावेरी ने आदतन चुटकी ली , ``अयन साहब ! एक नज़र इधर भी, मौसी भी है। ``
``हाय स्टाइलिश हीरोइन मौसी ! ``कहते हुये अयन मौसी लिपट गया, `` क्या बात हैआपके सेंट की, कौन से कंट्री से मौसाजी लाये हैं ?``
``तुम छोकरों को हर अच्छी चीज़ विदेशी लगती है। ``
कावेरी ने माँ के गले लगते हुए पूछा, ``मीशा कहाँ है ?``
``वह सो रही है। ``
अयन व बिन्दो ने सामान अंदर रक्खा। तुरंत ही अयन उतावला हो उठा, ``दीदी कौन से कमरे में हैं ?``
दामिनी ने आँख के इशारे से उस कमरे का दरवाज़ा दिखाया। अयन उस कमरे में जाकर मीशा को गुदगुदाने लगा, ``दीदी !---दीदी !``
उसकी आवाज़ सुनकर वह उछल कर उठ बैठी, ``थिंक ऑफ़ डेविल, डेविल इज़ हीयर। पता नहीं क्यों मैं सपने में तेरे साथ जयपुर की सी- स्कीम के आइसक्रीम पार्लर में खड़ी आइसक्रीम खा रही थी। तू अचानक कैसे आ गया ? ``
``लेकिन आपने मुझे डेविल क्यों कहा ?``अयन ने बनावटी गुस्सा दिखाया।
``सच तो कहना ही पड़ेगा। ``कहते हुए मीशा उसके गले लग गई। भाई की बाहों में पता नहीं उसने किसी सुरक्षा महसूस की कि उसके आंसू निकल पड़े। ``
``फ़्रेश होकर बाहर चलिए। ``
``मैं जल्दी उठकर फ़्रेश हो जातीं हूँ, फिर सो जातीं हूँ। ``मीशा भाई से ये नहीं कह पाई कि उसे ठीक से नींद कहाँ आ पाती है? वह भाई के सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी इसलिए चुपचाप बाहर आ गई।
बाहर आकर ठंडे दिल से माँ से मिली लेकिन कावेरी की आँखें छलछला आईं। इतना आसान कहाँ होता है अपनी संतान को दूर भेज देना ? मीशा सोफ़े के कोने में गुमसुम सी बैठ गई। अयन और सावेरी की चख चख ख़त्म नहीं हो रही थी। दामिनी व कावेरी अपनी बातों में लगीं हुईं थीं। थीं। दामिनी ने पूछा, ``कुछ प्रिया व अनुरंजिता का अता पता है ?``
``अनुरंजिता का तो पता नहीं है लेकिन प्रिया के टच में मैं रहतीं हूँ, आपको फ़ोन पर बताया था न। ``
`` एक मैं हूँ जो किसी से नहीं मिल पा रही। ज़िन्दगी अजीब है कहाँ तो पहली क्लास से लेकर कॉलेज तक साथ रहे शरारतें कीं, बचपन में एक दूसरे की चोटी खींची, पढ़ाई की, साथ में डांस किया --फिर सब एक दूसरे के ज़िंदगी से गायब। ``
दो तीन बार बिन्दो नाश्ते के लिए पूछ गई थी। कोई उठने का नाम नहीं ले रहा था। चौथी बार बिन्दो ने एलान किया, ``अगर अब कोई नाश्ते के लिए नहीं उठा तो हम ये नाश्ता अनाथालय भिजवा देंगे। दस बज रहे हैं। महाराजिन को खाने की तैयारी भी तो करनी है। ``
बिन्दो के एलान को टालने की किसी में हिम्मत थी भला ?
दामिनी हंस पड़ी, ``बिन्दो महारानी !अभी तो बातूनी यामिनी आने वाली है। फिर क्या करोगी ?``
बिन्दो ने अपनी ठसक दिखाई, ``यामिनी, कामिनी या कोई और मायावनी बुला लो दस बजे तक कोई मेज़ पर नहीं पहुँचा तो समझ लो नाश्ता काइंसेल । ``
अयन ने चुटकी ली, ``डिक्टेटर काकी ! यहाँ का लंच टाइम क्या है ?``
``वैसे एक बजे है लेकिन तुम छुट्टी पर आये हो तो किरिपा करके दो बजे तक खिसका देतें हैं। ``
उसकी अकड़ व बात से सब हंस पड़े।
दामिनी ने शाम को चाय पीकर घोषणा की, ``मेरे बेटे अयन के सिलेक्शन की ख़ुशी में, उसके ऑनर में हम सब डिनर पतंग रेटोरेन्ट में करेंगे। ``
अयन ने पूछा, ``यू मीन अहमदबाद का फ़ेमस रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट ?``
``यस माई डीयर !``
सावेरी बोली, `` दो दिन और इंतज़ार कर लेते हैं यामिनी मौसी को तो आने दीजिये। ``
अयन ने पूछा, ``हू इज़ यामिनी मौसी ?``
कावेरी बोली, `` तुम्हारी बिट्टो नानी का असली नाम यामिनी है। ``
``लेकिन वे तो अक्सर अपनी बेटी के साथ सिंगापुर रहतीं हैं। ``
`` रहती तो वे इंडिया में ही हैं लेकिन बीच बीच मे सिंगापुर अनुभा के पास चली जातीं हैं।
``वॉट अबाउट छुट्टो नानी ?``अयन ने पूछा।
`` हाँ, वे भी यामिनी के आने के दूसरे दिन आयेंगी। ``
सभी को लग रहा था कि दिल के जिस घाव के विषय में सोचना नहीं चाहते थे, वही कराहने लगा है।
सभी सावधानी रख रहे थे कि मीशा से संतुलित व्यवहार करें। कोई उस पर न तरस खाये लेकिन वह किसी की बात का कुछ भी मतलब निकाल कर अपने कमरे में बंद हो जाती । कावेरी की आँखें डबडबा आतीं, ``पता नहीं ये लड़की नॉर्मल होगी भी या नहीं ?``
दामिनी उसे दिलासा देती, ``तुम्हें उसमें आया फ़र्क नज़र नहीं दिखाई दे रहा ? ``
``कुछ चेंज तो हुई है, थोड़ा मुस्करा भी रही है। ``
शाम को बिन्दो मौसी बड़बड़ाती रह गई कि रात के खाने में उसने छोले भटूरे का प्रोग्राम बनाया है लेकिन अयन ने एलान कर दिया आज वह डॉमिनोज पिज़ा खायेगा। दामिनी ने कहा, ``चलो बाहर जाकर खा आते हैं। ``
``नानी बाहर कौन जायेगा ?जो मज़ा नानी के घर में गप्पें लगाकर खाने में है, वह बाहर कहाँ ?``
``नहीं बेटू रिलेक्स होने के लिए चल कहीं रिज़ॉर्ट में चलकर रुकें। `` दामिनी ने अयन को चिढ़ाया।
अयन बुरी तरह झेंप गया, `` तब तो मैं छोटा था। नानी के घर के मज़े के बारे में मुझे कहाँ समझ थी ? ``
रात के नौ बजे सब ड्राइंगरूम में आड़े तिरछे बैठे अपनी प्लेट में पिज़ा लिए खा रहे थे। अयन व मीशा तो कालीन पर अखबार बिछाकर उस पर अपनी प्लेट रखकर एक एक बाइट का मज़ा ले रहे थे। तभी अयन ने पूछा `` और हीरोइन मौसी ! सुना है आप ऑनलाइन स्पेशियलिस्ट हो गईं हैं। कुछ ऑनलाइन बिज़नेस कर रहीं हैं। ``
मीशा किसी बातचीत में हिस्सा नहीं ले रही थी, एकदम से बोली, ``मौसी !आप मुझे भी बताने वालीं थीं न ऑनलाइन बिज़नेस के बारे में। ``
``अरे बहुत मज़े का बिज़नेस है। मैं रेडीमेड गारमेंट व कॉस्मेटिक्स ज्वेलरीज़ का बिज़नेस करतीं हूँ। इनको बनाने वाले होल सेलर्स से उनके बनाये कपड़ों व ज्वेलरीज़ के फ़ोटोज़ मंगवा कर वॉट्स एप या फ़ेसबुक पेज पर डाल देतीं हूँ। उनके साइज़ भी लिख देतीं हूँ। लेडीज़ ऑनलाइन ऑर्डर करतीं हैं। वे बिज़नेस मैन सीधे ही उन्हें कोरियर कर देतें हैं। ``
``आपको पैसे कैसे मिलते हैं ?``
``ऑनलाइन पे टी एम से। ``
``अगर उन्हें ड्रैस पसंद नआए तो ?``
``तो कोरियर चार्ज काटकर उन्हें पैसे वापिस। ``
``वाह मौसी !``मीशा की आँखें चमकने लगीं।
दामिनी अपने पिज़ा के टुकड़े पर रेड चिली फ़्लेक्स डालकर बताने लगी, ``तेरी मौसी के ब्लॉग को इंटरनेशनल अवॉर्ड मिला है । ``
सावेरी हंस पड़ी, पिज़ा चबाते हुए अपनी गडमड आवाज़ में बोली, ``अब इतनी ऊंची भी मत फेंकिए मॉम ! मैं ब्लॉग राइटिंग में ऐसी भी कोई तीस मार खाँ नहीं हूँ। ``
``मैं कभी झूठ बोलती हूँ क्या ?ये देख। ``उन्होंने टिश्यु पेपर से हाथ पोंछे और मोबाइल पर एक लिंक खोलकर सामने रख दिया।
``ओ मॉम !इट `स माई ब्लॉग ?---``खुशी से सावेरी बच्चों की तरह खड़ी होकर नाचने लगी। फिर से दामिनी की आँखें सावेरी की आधी खुली टाँगों पर अटक गईं। अयन से रहा नहीं गया। वह भी उसके साथ ताल मिलाने लगा।
``पहले क्यों नहीं बताया ?``
``जब तू सबको पिज़ा देने में लगी थी, तब मेरी नज़र इस मेसेज पर पड़ी थी । ``
``थ्री चीयर्स फ़ॉर सावेरी। ``ताली बजाती इस नई आवाज़ से सभी चौंक उठे।
`` हाय --मेरे दुर्लभ हैरी मौसाजी ! `` कहती हुई सावेरी उछलती कूदती भागती हुई दरवाज़े पर आकर चुपचाप खड़े यामिनी और उसके पति की तरफ़ भागकर मौसाजी के गले लग गई, ``वॉट्स अ सरप्राइज़ !सारी फ़ेमिली में आप व मॉम मेरे ब्लॉग्स के फ़ॉलोअर्स हैं। ``
दामिनी भी हंसती हुई यामिनी के गले मिली, ``तुम लोग तो कल आने वाले थे। अभी कैसे आ गये? ``
`` एज़ यू नो जेट एयरवेज़ की फ़्लाइट केंसिल होती जा रहीं हैं। एक महीने पहले बुक करवाई हमारी फ़्लाइट भी केंसिल हो गई। हम लोगों को आज इंडिगो में दो सीट मिल गईं तो पहले चले आये। ``
`` वेरी गुड । `` दामिनी ने कहते हुए यामिनी के ब्लैक कलर के क्रेप के पलाज़ों तरफ़ इशारा किया, ``ओ --हो मैडम ! सिंगापुर में रहकर पलाज़ो पहनना सीख गई हैं। ``
``दीदी !बनिए मत क्या इण्डिया में रहकर आप नहीं पहनतीं ?``
``क्यों नहीं पहनती ?याद है बिट्टो! हम लोग बड़ी उम्र की सिंधी लेडीज़ का कितना मज़ाक उड़ाते थे कि कैसे पायजामा पहनकर घूमतीं हैं। वही सिंधी पायजामा पलाज़ो बनकर आ गया है। ``
अयन बीच में कूद पड़ा, ``जब भी मैं बरमूडा पहनता हूँ तो मम्मी मज़ाक उड़ातीं हैं -घुटन्ना पहने हो और उसे बरमूडा कह रहे हो। ``
उसकी बात पर सब ज़ोर से हंस पड़े। अब तक बिट्टो ट्रे में चाय ले आई थी क्योंकि उसे पता था कि दामिनी के बहनोई सा हैरी कहीं से भी आयें उन्हें एकदम चाय चाहिए।
यामिनी ने चाय लेने से पहले मीशा व अयन को गले लगाकर प्यार किया, ``मेरी तो आँखें तरस गईं थीं इन बच्चों को देखने के लिए। `` ।
इसके दूसरे दिन बिन्दो के डर से दस बजे सब नाश्ते की टेबल पर आ गए थे। हैरी खुद नाश्ता कर रहे थे लेकिन बीवी की प्लेट पर अधिक ध्यान था।
सावेरी ने चुहल की, ``आई फील जेलस टु यू मौसी। यू हैव गॉट सच अ लवली एन्ड दुर्लभ हज़बैंड। ``
``ये तो है। ``यामिनी की आवज़ में कुछ अकड़ आ गई। फिर वह बोली, ``तेरे हज़बैंड क्या कम हैं ?``
``कम तो वे नहीं हैं लेकिन उन्हें मेरे पास बैठने की फ़ुर्सत भी तो नहीं है। उनके ऑफ़िस का इतना काम रहता है। ``
कावेरी भी बोली, ``मौसी !ये बात तो सच है कि आप कितनी लकी हैं। अनुभा जैसी ज़हीन डॉक्टर बेटी। उनके डीसेंट हज़बेंड। ``
दामिनी भी बोल उठी, `` अनुभा की ग्रहस्थी व दामाद अंकुर की फ़ेस बुक पर स्टाइलिश कपड़ों में फोटोज़ देखकर देखकर आँखें तृप्त हो जातीं हैं। इसे कहतें हैं शादी का सुख। ``
यामिनी पता नहीं क्यों कह बैठी, ``जो फ़ेसबुक पर दिखाई देता है क्या सच होता है ?``
शोर शराबे में किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
शाम होते ही दामिनी ने धीमी आवाज़ में कहा, ``आज तो अयन के सिलेक्शन को पतंग रेस्टोरेंट में सेलेब्रेट करना है। ``
अयन की आवाज़ भारी थी, ``नानी !छोड़िये। मैं नेक्स्ट टाइम आऊंगा तब चलेंगे। छुट्टो नानी भी आ रहीं हैं। ``
सबके मन पर फिर ग़म के बदल छा गए।
रात में खाने के बाद सबका मूड कुछ हल्का था। यामिनी कालीन पर पैर फैलाये दीवार से टिकी अलसाई बैठी थी कि तभी हैरी ने पीठ के पीछे एक कुशन लगा दिया, ``ऐसे कैसे बैठी हो ?पीठ दर्द कर जाएगी। ``
सब ताली बजाकर चीयर अप करने लगे, ``दुर्लभ पति ----दुर्लभ पति। ``
मीशा सबका मुंह देख रही थी, झुंझला पड़ी, ``कोई मुझे बताएगा कि ये दुर्लभ पति क्या होता है ?``
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नीलम कुलश्रेष्ठ
ई-मेल ----kneeli@rediffmail.com
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