The Lost Love in Hindi Women Focused by r k lal books and stories PDF | खोया हुआ प्यार

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खोया हुआ प्यार

खोया हुआ प्यार

आर 0 के 0 लाल



आज सुहानी के पति विराट पांच बजे ही अपनी कंपनी काम पर चले गए। सात बजे उनका बेटा भी स्कूल चला गया। तभी दरवाजे कि घंटी बजने लगी। सुहानी ने दरवाजा खोला तो देखा कि उसकी नौकरानी पुष्पा एक बूढ़ी सी औरत के साथ खड़ी थी। उसने उन दोनों को अंदर बुलाया और भीतर से दरवाजा बोल्ट कर दिया।

पुष्पा बोली, " बीबी जी, ये सुग्गा दादी हैं। बहुत पहुंची हुई है। मैंने इनको बताया कि हमारी मालकिन बहुत परेशान हैं उनका पति उनको प्यार नहीं करता और वह कहती हैं कि मेरा प्यार खो गया है। बीबीजी, जैसा आपने कहा था मैंने इनसे बात कर लिया है। यह आपकी मदद करने को तैयार है। आप इनको अपनी समस्या बताइए। ये कुछ टोटका करवाएंगी और सब कुछ आपके मन मर्जी होने लगेगा। तब तक मैं चाय बना कर लाती हूं।"

सुहानी ने पुष्पा को फ्रिज से मिठाई, फल और मक्खन - ब्रेड भी लाने को कहा जो इन लोगों के लिए कल ही लाकर रख दिया था।

सुग्गा दादी ने जम कर नाश्ता किया और सुहानी को आशीर्वाद दिया फिर बोली, " अब जल्दी से बताओ क्या तकलीफ है। मुझसे किसी बेटी का दुख दर्द देखा नहीं जाता। साथ ही नसीहत भी दिया कि पति का प्‍यार एक ऐसा अहसास है जो जिंदगी को खूबसूरत बनाता है लेकिन अगर वही प्‍यार किसी से दूर हो जाए तो वह औरत तिल तिल कर मर ही जाती है। अगर किसी का पति उससे दूर हो रहा हो तो उसे तुरंत कुछ करना चाहिए नहीं तो बहुत पछताना पड़ता है। अक्सर लोगों को बहुत देर हो चुकी होती है।"

सुहानी बोली, " इसीलिए तो मैं आपके शरण में आयी हूं, आशा करती हूं कि आपके प्रयास से मेरी लव लाइफ की सारी मुश्किलें दूर होंगीं। फिर उसने बताया कि हमारी 10 वर्ष पहले शादी हुई थी। शादी के चार वर्षों बाद ही मेरा बेटा पैदा हो गया। मेरे पास एक अच्छा घर, एक बड़ी कार है। हमारे पति की नौकरी भी अच्छी है। इस प्रकार हमारे पास सब कुछ है। पहले तो हमारा वैवाहिक जीवन खुशहाल था परंतु अब हमारे पति की बेरुखी के कारण जीवन बेजान सा हो गया है।"

सुग्गा दादी ने जानना चाहा कि सब कुछ वैसा ही है जैसा शादी के समय था या जीवन में से कुछ चीजें गायब हो गई हैं?

सुहानी बोली, "पहले हममें बहुत प्यार था मगर मुझे ऐसा लगता है कि अब उन्हें न तो मेरी परवाह है, न ही मुझसे प्यार है। वे मेरी भावनाओं की कोई कदर नहीं करते। पहले तो हमेशा मुझसे ही चिपके रहते थे परन्तु अब वे मेरे साथ बिलकुल भी वक्‍त नहीं बिताते हैं। वह बताती हैं कि कैसे वो रात मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत रात बन गई थी जब मैंने हिल स्टेशन पर होटल में शादी से पहले पहली बार उनके साथ बिताई थी। फेसबुक पर एक ग्रुप के साथ मैसेज के आदान प्रदान करते करते हम दोनों मिले थे फिर फेसबुक पर ही रोज बातचीत होने लगी। वे मुझे फेबू डार्लिंग कहते तो मैं कहती लॉग- इन हो जाओ। धीरे-धीरे हम किसी रेस्तरां या पार्क में मिलने लगे, हमारे संबंध अंतरंग होने लगे और अंत में हमने शादी कर ली।"

उनका वो प्यार से गले लगा लेना और वक्त -बेवक्त एक प्यारी किस्स लेना- देना कितना रोमांचक था।

उनकी छुअन का अहसास से ही हमारी आधी थकान चली जाती थी। हम आपस में पिलो फाइट करते थे, उससे अनलिमिटिड ऐंजौयमैंट पाते थे, ठीक वैसे ही जैसे बचपन में बच्चे तकिए से लड़ाई करते हैं और आनंद ले कर खिलखिलाते हैं। इस फाइट में एक दूसरे को तकिए से मार कर अपना प्यार किसी के प्रति जताया जाता है। हम पति पत्नी अक्सर पिलो फाइट का मजा लेते थे, सोचते थे कि ये दिन शायद फिर वापस न आएंगे इसलिए जो पल खुशी व फन के मिलें उन्हें हाथ से न जाने दें। विदेशों की तरह हम लोग भी पिलो फाइट डे मनाते थे। उस दिन हम दोनों मास्टर बेड रूम की चारपाई पर ही एक दूसरे की पिलो से जम कर धुनाई करते थे लेकिन मजे ले ले कर और बहुत रोमांचित होते थे। आज सब सपना हो गया है। अब तो जीवन बस उबाऊ और रूटीन सा हो गया है।

आये दिन ये टूर पर जाते रहते हैं, कभी अपनी सेक्रेटरी के साथ तो कभी किसी महिला क्लाइंट के साथ। कहते हैं जाना पड़ता है कंपनी के काम से। तीन-तीन रात बाहर रहते हैं। पहले तो वहां से फोन करते रहते थे पर अब तो उनका अता- पता ही नहीं चलता। न जाने किस कलमुही के साथ गुलछर्रे उड़ाते होंगे। कुछ न कुछ दाल में तो काला जरूर ही है।

इतना ही नहीं कभी-कभी झगड़ते वक्‍त अब हम दोनों हाथापाई पर भी उतर आते हैं और एक-दूसरे को बेइज़्ज़त करने और तरह-तरह के इलज़ाम लगाने लगते हैं? ये तो हर छोटी-छोटी बात पर भड़क उठते हैं?" बताते हुए सुहानी के आंखों में आंसू छलक आए।

पुष्पा वहीं खड़ी सब सुन रही थी। बोली, " बीबी जी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए। सुग्गा दादी बड़े बड़े बिगड़े मसले सुलझाए हैं। मैं आपको अपनी ननद का किस्सा बताती हूं।"

पुष्पा ने सुहानी को इंप्रेस करने के लिए कहानी सुनायी,- " एक बार मेरी ननद काजल के पति का चक्कर किसी के साथ चल रहा था और वे घर में लड़ाई करके उसी औरत के साथ मुंबई भाग गए थे। मेरी ननद गिड़गिड़ाती रहती थी कि उससे संबंध विच्छेद कर लो मगर वह कब मानने वाला था। नंदोई उस औरत के चक्कर में फंस गया था। अक्सर रात रात भर उसी के यहां पड़ा रहता, जब घर आता तो लड़ाई और मारपीट करता। बेचारी ननद बहुत परेशान थी। एक दिन तो उसने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया भी किया था, मगर उस आदमी के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा। मेरी ननद फिर इन्हीं दादी के शरण में आ गई। इन्होंने रातों रात अपने टोटके से सब कुछ ठीक कर दिया। पता नहीं कौन सी पुड़िया दादी देती है जिसे वह चुपके से नंदोई के खाने में मिला दे दी थी जिससे उसका व्यवहार ही बदल गया वरना काजल पंडितों, ओझा और ज्योतिषों के चक्कर में ही पड़ी रह जाती।"

सुहानी ने कहा मुझे समझ में नहीं आता कि गलती किसकी है? मेरी या मेरे पति की। मैं तो सब कुछ पहले की तरह ही करती हूं। व्यवहार तो उनका बदला है। मुझे याद है कि वह मेरे न चाहने के बावजूद भी मेरे पति मुझे गोवा ले गए थे और वहां मुझे समुंद्र में अपने दोनों हाथों पर उठाकर तैरना सिखाते थे। कहते थे तुम तो फूल से भी हल्की हो। आज न जाने क्यों मैं उन्हें इतनी भारी लगने लगी हूं।"

सुग्गा दादी ने सुहानी से कहा, "परसों शुक्रवार के दिन मैं इसी समय आउंगी। तुम चार पान के पत्ते, लौंग, सिंदूर, सुपारी, जयफर, गुगुर, शहद और घी की व्यवस्था कर लेना। मगर इस बात का पता किसी को नहीं चलना चाहिए। टोटका करते समय घर में किसी का आना जाना नहीं होगा। आज के लिए मैं तुम्हे एक भश्म दे रही हूं। इसे रात को अपने पति के बिस्‍तर के नीचे दबा देना।"

दरवाजे पर फिर घंटी बजी और सुहानी की एक दोस्त अंजलि आ गई। उसने जब सुग्गा को देखा तभी समझ गई कि सुहानी उसके चंगुल में फंस गई है। वह तो धीरे धीरे उसे चूस लेगी पैसे भी ले जाएगी और छक कर खाएगी भी। अंजलि ने सोचा कि मुझे सुहानी की मदद करनी चाहिए। उसने पूंछा कि क्या चल रहा है? ये लोग यहां क्या कर रहे हैं? न चाहते हुए भी सुहानी को सब कुछ बताना पड़ा।

पुष्पा और सुग्गा के चले जाने पर अंजलि ने सुहानी को समझाया कि तुम तो पढ़ी लिखी हो। इन गवारों के चक्कर में कैसे पड़ गई हो। इससे कुछ भी नहीं होने वाला। तुम्हारी परेशानी तुम्हें कुछ सुलझानी होगी तुम दोनो को अपास में बात करके। आजकल रिलेशनशिप बनाए रखने के लिए कंसल्टेंट्स भी होते हैं। तुम दोनों उनके पास जा कर राय सलाह ले सकती हो। इसमें कोई शरम की बात नहीं है। वैसे अनेकों रिलेशनशिप की समस्याएं आपसी वार्ता से निपट सकती हैं और आपसी प्यार मजबूत हो सकता है।

अंजलि ने आगे कहा कि हो सकता है कि यह तुम्हारा वहम हो कि तुम्हारा पति तुम्हें प्यार नहीं करता और तुमसे दूर हो गया है। एक बार मन में यह शंका आ जाती है तो बड़ी मुश्किल से निकलती है। कई बार आपको रोमांस और केयर की जरूरत होती है और हम अपने पार्टनर से ये बात नहीं कह पातीं। तुम बेहिचक खुल कर बात करोगी, प्यार से समझाओगी तो अवश्य ही तुम्हारा पति तुम्हारी बातों को समझेगा।

"मगर यह प्रयास का पहल करेगा कौन? मेरा भी एक स्टेटस है। मैं किसी शर्त पर अपने को नीचा नहीं देख सकती। वह तो अपने ही बातों में ऐठे रहते हैं फिर मामला कैसे बन सकता है?" सुहानी ने पूछा।

अंजलि ने जवाब दिया,- " मुझे तो लगता है तुम लोगों के बीच समस्या की जड़ मात्र तुम लोगों का ईगो है। इसी को दूर रखो तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। दूसरी बात है कि तुम शायद अपने पति पर बेवजह शक करती हो। शक को दूर करने के लिए तुम्हें आपस में बात करनी चाहिए। उचित होगा कि

एक- दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारने का प्रयास करो। साथ वक्त बिताने के लिए कभी कभी किसी होटल में एकाध रात साथ बिताया जा सकता है। हर कोई अपने दांपत्य जीवन को सुखी अैर खुशहाल बनाए रखना चाहता है। तुम भी हर संभव कोशिश करती होगी मगर जब एक पार्टनर दूसरे की भावनाओं के बारे में ठीक से समझ नहीं पाता तो इससे रिश्ता में दरार आ जाता है। मैरिज काउंसलिंग इसमें कारगर हो सकता है जो एक तरह की साइकोथेरेपी है। इसके जरिए रिश्ते में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जाती है। मगर तुम्हारी समस्या तो अभी शुरुआती है, तुम्हारे मन में जो भी हो उसे अपने पति के सामने रखो और उसे वार्ता करो।"

सुहानी को अपनी दोस्त की सलाह पसंद तो आ गई मगर उसकी समझ में नहीं आता कि वह अपने खोए हुए प्यार को पाने के लिए किस तरह आत्मसमर्पण करें।

यही सब सोचते सोचते सुहानी को नींद आ जाती है। इसी बीच उसका पति घर वापस आता है और सुहानी को सोता हुआ देख चुपचाप अलग कमरे में चला जाता है। वह भी अपने खोए हुए प्यार को फिर से पाने के लिए कुछ नहीं करता।

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