Chintu - 7 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | चिंटू - 7

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चिंटू - 7

राजदीप सुमति को एक रेस्टोरेंट के पास ले आता है। सुमति यह देख उसे कहती है- ये तो बहुत महंगा रेस्टोरेंट है। हम यहां नहीं खाएंगे।
राजदीप- महंगा नहीं है यह।
सुमति- जूठ मत बोलिए। बाहर से ही दिख रहा है यह महंगा ही है।
राजदीप- कोई बात नहीं, इतना तो मै कमा ही लेता हुं कि इस रेस्तरां में तुम्हे खिला सकूं।
सुमति- पर मुझे यहां खाना नहीं खाना।
राजदीप- तो तुम्हे कहा खाना है?
सुमति- हम पानीपुरी खाएं?
राजदीप- पानीपुरी?
सुमति- मेरी सबसे ज्यादा पसंदीदा यही है।
राजदीप- आपकी पसंद सर आंखो पर। अब यह भी बता दे कहा खानी है।
सुमति- आप चलेंगे उस जगह?
राजदीप- हां क्यों नहीं! आप जहां कहे वहा चलेंगे।
सुमति राजदीप को वहा ले जाती है जहां वह बचपन में अपने मां बाप के साथ रहती थी। जहां मैदान के बाहरी रोड पर पानीपुरी खाती थी, पिया और चिंटू के साथ।

जब दोनों पानीपुरी के थैले पर पहुंचे तब सुमति खुश होकर जट से थैले पर पहुंच जाती है। राजदीप उसके पीछे पीछे चल देता है। सुमति ने पानीपुरी वाले काका को याद दिलाया, जब हम छोटे थे तब यहां बहुत आते थे। काका भी उन्हें पहचान गए और बोले- ये लड़का तुम्हारे साथ हमेशा आता था वह है?
सुमति- नहीं काका, ये मेरे साथ काम करते है। आज इतने सालो बाद इन्हें आपकी पानीपुरी का टेस्ट करवाने लाई हुं। बढ़िया सी दो प्लेट बना दीजिए।
राजदीप सुमति के चेहरे पर खुशी देख वह भी खुश हो जाता है।
दोनों को काका ने पानीपुरी खिलाना शुरू किया। राजदीप को सच में इसका टेस्ट बहुत अच्छा लगा। वह सुमति से कहता है- यार इतनी अच्छी पानीपुरी मैंने आज तक नहीं खाई। सच में बहुत ही अच्छी है। और काका आप अपने थैले को कितना क्लीन रखते है।
काका- यह एरिया बैकवर्ड है पर यहां के बच्चो और बड़ों को स्वच्छता पसंद है। तुम कहीं पर भी नजर कर लो, गंदकी कहीं नजर नहीं आएगी।
राजदीप ने इधर उधर नजर दौड़ाई। सच में यहां सब मोदी जी के स्वच्छता अभियान का पालन कर रहे है। राजदीप को तो पानीपुरी इतनी अच्छी लगी कि पेट भरने तक खाई। सुमति उसे टोकती रही के स्वाद अच्छा है पर पेट तो तुम्हारा है, ज्यादा खाने से बिगड़ न जाए। कल फिर आकर खा लेना।
राजदीप- कल क्या अब तो मै हमेशा यही खाने आऊंगा वो भी तुम्हारे साथ।
सुमति आज बहुत दिनों बाद खुश थी। अपने पुराने घर के पास आकर। अमीर हो या गरीब उसे चैन तब ही मिलता है जब वह अपने घर पर जाए।

रात के साढ़े आठ बज चुके थे। सुमति के अबतक घर न आने से चिंटू को परेशानी हो रही थी। वह शारदा से कहता है- सुमति को फोन करो। अबतक क्यों नहीं आई।
शारदा- उसने मुझे बोला था आने में देर होगी। इसमें क्या फोन करना? इतनी चिंता है तो तू खुद फोन लगा ले।
चिंटू यह कर नहीं सकता था। ऐसा नहीं था कि उसे सुमति की चिंता थी, वह यह जानना चाहता था कि दोनों में रिश्ता क्या है?

राजदीप सुमति को घर तक छोड़ने आता है। जब दोनों आए तब पिया नीचे अपनी सहेली को मिलकर आ ही रही थी। दोनों को आता देख वह वहीं रुक गई। सुमति ने बाइक से उतरकर पिया को राजदीप का परिचय दिया। और यह भी बताया कि आज वे दोनों पुरानी बस्ती के पास गए थे, जहां हम हमेशा पानीपुरी खाते थे। तो पिया बोल पड़ी- अकेले अकेले खाकर आ गए। तुझे मेरी याद नहीं आई?
राजदीप- अगली बार तुम भी साथ चलना। जब भी जाना हो मुझे फोन कर देना, मै तुम्हे ले जाऊंगा वहा।
राजदीप के जाने के बाद पिया सुमति से कहती है- ये बंदा तो बहुत ही अच्छा है। क्या खयाल है तेरा? और लगता भी किसी अच्छे घर का है।
सुमति- हां, सच कह रही है तु। वह अच्छे घर का है, पर जरा भी घमंड नहीं है उसे। उसने बताया था, उसके पिताजी पुलिस अफसर है और मां हाउस वाइफ है।
पिया- कैसा रहा उसके साथ टाइम स्पेंड करना?
सुमति- तू ज्यादा मत सोच हम्। तु सोच रही है ऐसा कुछ नहीं है समझी! वह सिर्फ अच्छे दोस्त है इसके आगे कुछ नहीं समझी।
पिया- अगर वो अच्छा इंसान है तो रिश्ता रखने में बुराई क्या है?
सुमति- सब जानती है फिर भी??
पिया- आखिर कब तक भाई का इंतज़ार करेगी? तु जानती है उसे। वह कभी तुम्हारा प्यार नहीं समझ पाएगा। बेहतर रहेगा तु उसे भूल जाए।

दोनों बाते करते हुए घर पहुंचती है। चिंटू और शारदा रूम मै बैठे हुए थे। सुमति चिंटू को अनदेखा करके शारदा के पास जा बैठती है। शारदा उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहती है- आ गई बेटा, कैसा रहा बाहर का खाना? कौनसी होटल में गए थे?
सुमति- मौसी, हम होटल में नहीं गए थे।
शारदा- तो, खाना नहीं खाया तूने ??
सुमति- अरे खाया ना मौसी, टेंशन क्यों कर रही है? हम अपनी बस्ती के बाहर जो पानीपुरी का थैला लेकर काका खड़े रहते थे न, वहा गए थे पानीपुरी खाने। मजा आ गया बाय गॉड। राजदीप तो ऐसे खाता था जैसे सदियों से भूखा हो।
चिंटू यह सुनकर अपने पुराने दिन याद करने लगा कैसे वह सुमति के साथ जाता था हर जगह?। और आज एक दूसरे के सामने तक नहीं देख रहे। खैर मुझे क्या, उसकी लाइफ है।
इतना सोचने के बाद भी कहीं कौने में वह जानने को उत्सुक था कि राजदीप कौन है?
सब यहां वहां की बात करके फिर सोने चले जाते है। सब तो सो गए पर चिंटू बेचैन बनाकर जग रहा था। क्या वह सुमति के जीवन में आने वाले दूसरे इंसान से जलन महसूस कर रहा था? पता नहीं अभी तो आगे क्या होगा?

* * * *
अगले दिन जब कॉलेज में रिया ने देखा कि आज चिंटू का मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा तो वह उससे पूछ बैठी- क्या हुआ चिंटू? कल से देख रही हुं तुम उखड़े उखड़े से लग रहे हो। अगर कल की बात का तुम्हे बुरा लगा हो तो उसके लिए सोरी। वो क्या है कि मै कभी ऐसी जगह पर गई नहीं हुं। और कल पहली बार ऐसी जगह पर आईं तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था वहा पर। तुम चाहो तो हम आज कॉफी शॉप पर चले?
चिंटू- कोई बात नहीं रिया। तु अलग माहौल में पली बढ़ी है, तो स्वाभाविक है तुम्हे वह जगह अच्छी ना लगी हो। मै ही बेवकूफ था, जो तुम्हे ऐसी जगह ले गया। पर क्या करू मै तो उसी माहौल का आदी हुं। तो..
रिया- कोई बात नहीं चिंटू, कल की बात छोड़ो और सुनो। आज हम शाम को एक दोस्त की पार्टी में जाने वाले है। तुम्हे मेरे साथ आना है। और मैंने तुम्हे एकबार जो कपड़े गिफ्ट करें थे वहीं पहनकर आना। उसमे तुम बहुत अच्छे लगोगे।
चिंटू- तुम जाओ रिया, मुझे रहने दो।
रिया- अरे वहा तुम्हे हमारे कुछ फ्रेंड्स मिलेंगे। दरअसल वह हमारे फैमिली फ्रेंड की बर्थ डे पार्टी है और सबको कपल मै जाना है। plz तुम मना मत करो। मैंने पापा से बात कर ली है तुम्हे साथ ले जाने कि। plz आओगे न?
चिंटू- ठीक है बाबा, तुमसे मै कभी जीत पाया हुं क्या?

* * * *
क्लास में पहुंचते ही राजदीप सुमति को कहता है- सुमति आज हमे एक पार्टी में जाना है। तुम यहां से छूटकर सीधे घर जाकर रेडी रहना मै तुम्हे पिकअप करने आ जाऊंगा।
सुमति- अरे अरे, एक मिनट रुको। कौनसी पार्टी, कैसी पार्टी? मै कोई तुम्हारे साथ कहीं जाने वाली नहीं।?
राजदीप- plz ऐसा मत कहो। वहा कपल के साथ जाना है। डीएसपी सर के बेटे की बर्थडे पार्टी है। पापा को भी इन्विटेशन मिला है। पापा काम में बिजी है तो उन्होंने मुझे कहा है पार्टी में जाने के लिए।
सुमति- तो मै क्या करू? मै कोई पार्टी बार्टी में नहीं जाने वाली, मुझे माफ़ करो।
उतने में स्टूडेंट्स आने शुरू हो गए तो राजदीप क्लास लेने चला गया और सुमति अपने काम में लग गई।
दोपहर लंच के टाइम फिर से राजदीप ने कोशिश की सुमति को मनाने की पर वह नहीं मानी। राजदीप मुह लटकाकर वहा से चला गया। सुमति कभी कोई पार्टी में नहीं गई थी तो उसे समझ में नहीं आ रहा था वहा जाकर करेगी क्या? वह इन बड़े लोगो के जमेले से दूर रहना ही पसंद करती है। वैसे राजदीप उसी पार्टी की बात कार रहा था जहां रिया और चिंटू जाने वाले है।

शाम को जब सुमति घर पहुंची ही थी के राजदीप का फोन आ गया। राजदीप सुमति को कहता है वह फोन पिया को दे। सुमति पिया को फोन देकर फ्रेश होने चली जाती है।
पिया राजदीप से बात करती है - हा बोलिए भैया, आज मेरा क्या काम पड़ गया?
राजदीप- यार सुमति को मनाओ ना, आज मै उसे एक पार्टी में ले जाना चाहता हुं और वह मना कर रही है।
पिया- पार्टी में? वह कभी पार्टी में नहीं गई अबतक तो शायद घबरा रही हो। पर वो तुम्हारे साथ क्यों जाए?
राजदीप- अरे यार! मै उसे बाहर की दुनियां दिखाना चाहता हुं तो उसमे गलत क्या है? मुझे पता है वह अबतक घर से ऑफिस और ऑफिस से घर ही जाती है। आज मै उसे बाहर की एक और दुनिया दिखाना चाहता हुं। वैसे भी पार्टी में कपल को साथ में जाना है तो मै उसे ले जाना चाहता हुं। तुम आंटी से बात करके देखो ना।
पिया- ठीक है मै कोशिश करती हुं।

पिया शारदा से बात करती है जो भी कुछ राजदीप ने कहा। शारदा- पर अकेले कैसे भेजू उसे?
पिया- मां, राजदीप बहुत ही अच्छा लड़का है। आप उसपे भरोसा कर सकती है। एक पुलिसवाले का बेटा है वह, सुमति की रक्षा कर सकता है वह।
फिर शारदा सुमति को मनाती है जाने के लिए और कहती है- आखिर कब तक हमारे साथ साथ तुम ऐसे जीती रहोगी? तुझे एक अच्छे माहौल में जाने का मौका मिल रहा है बेटा, चली जा।
सुमति- पर मौसी, मै वहा किसी को नहीं जानती।
शारदा- अगर ऐसी जगहों पर जाएगी नहीं तो कौन पहचानेगा? जाएगी बाहर तो ही कोई तुझे पहचानेगा बेटा। राजदीप अच्छा लड़का नहीं है क्या?
सुमति- नहीं ऐसी बात नहीं है मौसी, वह बहुत अच्छा लड़का है। तभी तो मुझ जैसी लड़की को अपने साथ ले जाना चाहता है।
पिया- मुझ जैसी मतलब? तु कोई हुर परी से कम नहीं है, जानती है न? तु अगर थोड़ी भी अच्छे से तैयार होकर बाहर निकलेगी न तो कोई भी नहीं कहेगा की तु गरीब घर से है। वैसे तु दस लाख की मालकिन है भई, गरीब तो नहीं कहा जा सकता। ?
सुमति- चल ज्यादा चने के झाड़ पर मत चढ़ा अब। गिरने में देर नहीं लगेगी।
पिया- अच्छा चल अब आधे घंटे में राजदीप आ ही रहा है, तैयार हो जा।
सुमति- क्या..? किसने उसे कहां उसे लेने आने के लिए?
शारदा- मैंने, चल जा अब बाते किए बगैर तैयार हो जा। वह आता ही होगा। और हां उसे घर पर बुलाना, मुझे उससे कुछ बात करनी है।

राजदीप सुमति को लेने घर आया। उसने देखा घर छोटा है पर बहुत सलीके से सब चीजें रखी हुई है। शारदा उसके लिए किचन से पानी ले आती है। फिर शारदा ने कहा- बेटा, आज सुमति पहली बार इस तरह बाहर निकल रही है। जरा खयाल रखना उसका और संभलकर ले जाना। वो क्या है कि बिन मां बाप की बेटी हैं कहीं कुछ हुआ तो...।
राजदीप- आंटी आप बेफिक्र रहिए, मै साथ ही रहूंगा उसके। मेरे दूसरे फ्रेंड्स भी होगे वहा पर तो वह अकेला महसूस नहीं करेगी। और मै अपनी मर्यादा भी जनता हुं आंटी। मेरे घर भी मेरी छोटी बहन है।

शारदा- ठीक है बेटा, मै सुमति को बुलाती हुं।
जब सुमति ब्लैक कलर की ड्रेस पहन के सामने आई तो राजदीप का मुंह खुला का खुला रह गया। खूबसूरत तो वह थी ही पर इस ड्रेस में वह कहीं की राजकुमारी लग रही थी। पिया ने राजदीप के बाजू में आकर उसका मुंह बंद करके जोर जोर से हंसने लगी। यह देख सुमति भी हस पड़ती है। शारदा सुमति को काला टीका लगती है, कहीं किसी की नज़र न पड़ जाए।
राजदीप और सुमति के जाने के तुरंत बाद ही चिंटू आता है। वह शारदा से कहता है- मां आज मेरा खाना मत बनाना, मुझे एक पार्टी में जाना है।
पिया- क्या बात है आज तो सब कोई पार्टी मै जा रहा है!
चिंटू- और कौन गया है पार्टी मै।
शारदा- सुमति और कौन?
चिंटू- सुमति? किसके साथ।
पिया- राजदीप के साथ। बहुत मुश्किल से मानी है पार्टी में जाने के लिए।
चिंटू- मां, आपने भेजा कैसे किसी अजनबी के साथ।
शारदा- वह बहुत अच्छा लड़का है। मुझसे मिलकर ही गया है। वैसे उसने फोन करके परमीशन मांगी थी मुझसे। मैंने ही तैयार किया सुमति को साथ जाने के लिए। पता है राजदीप के पापा पुलिस अफसर है!
चिंटू मुंह बिगड़ता हुआ अन्दर कमरे में चला जाता है तैयार होने। जब वह बाहर आया तो पिया ने कटाक्ष में पुछा- कोई आने वाला है लेने या हर बार की तरह तुम्हे ही सामने से जाना है?
चिंटू कोई जवाब दिए बगैर ही वहा से चला जाता है। रह रह के उसे महसूस होता है, कभी रिया मुझे यहां लेने नहीं आती। मै ही हरबार उसके घर जाता हुं। कहीं रिया मेरा इस्तमाल तो नहीं कर रही? आज मिलकर सब क्लियर कर ही दूंगा।

जब चिंटू रिया के घर पहुंचा तो रिया उसका इंतजार करती हुई बाहर ही खड़ी थी। उसने गुस्से से चिंटू से कहा- कितना लेट कर दिया तुमने आने में। बहुत देर हो गई है चलो बैठो अब जल्दी से कार में।
चिंटू- इतनी ही देर हो रही थी तो लेने आ जाती। मुझे यहां तक बुलाने की क्या जरूरत थी?
रिया चिंटू का गुस्सा सह नहीं पाती पर वह कुछ बोलती नहीं है।
बस वह चिंटू को सॉरी बोलती है और कार ड्राइव करने लगती है। चिंटू को पता नहीं था आज सुमति और उसके बीच की दूरियां और बढ़ने वाली है।

क्रमशः
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