नैना अपनी माँ अरुणा जी की लाड़ली बेटी थी। उसकी माँ ने अकेले ही उसको पाला था। नैना के पिता की मृत्यु नैना के बचपन में ही हो गई थी।
इधर पार्थ तीन भाइयों में सबसे छोटा था। क्योंकि वो छोटा था इसलिए ज़िद करके अपनी माँ कल्याणी जी और पिता सत्येंद्र जी के साथ रहता था। उसके दोनों बड़े भाई पुश्तेनी मकान में रहते थे। पार्थ की नॉकरी दूसरे शहर में थी इसलिए उसने ज़िद पकड़ ली कि माँ-पापा उसके साथ ही रहेंगे।
पार्थ और नैना की नई-नई शादी हुई थी। शादी के बाद नैना जब पहली बार अपने ससुराल पहुंची तो सभी ने बाहें फैला कर खुशी से उसका स्वागत किया और नैना ने भी मुस्कुराते हुए सबका अभिवादन किया।
नैना अपने ससुराल में खुद को खुशी-खुशी ढाल रही थी। उसने नए-नए पकवान बनाना भी सीख लिये थे और धीरे-धीरे सारे रीति रिवाज अपना लिए थे। मगर शादी के एक सप्ताह बाद नैना को पार्थ का रवैया बदला-बदला लग रहा था। वो हर वक़्त फ़ोन पर व्यस्त रहता था, कभी भी किसी भी वक़्त बिन बताए घर से निकल जाता, बहुत देर बाद वापस आता। कई बार दूसरे दिन सुबह आता। कभी ऑफिस से भी ज़ल्दी आ जाता। नैना के पूछने पर हमेशा कोई कारण बता के बात घुमा देता।
एक दिन नैना कुछ खास व्यंजन बना कर रसोईघर से बाहर निकली ही थी की देखा हॉल में उसके पति पार्थ और सास कल्याणी जी चिंतित हो कुछ बात कर रहे थे। मगर नैना के आते ही दोनों चुप हो गए। नैना को यह बर्ताव अजीब लगा मगर उसने कुछ नहीं कहा। उसने सोचा कि पार्थ से चिंता का कारण पूछ लेगी मगर फिर उसे लगा कि शायद वो ज़्यादा सोच रही है। फिर कुछ दिन उसे सब कुछ ठीक लगा मगर धीरे-धीरे उसे वापस लगने लगा कि कुछ तो है जो उससे छुपाया जा रहा है। उसे कभी कभी बहुत बेचैनी होती मगर वो कुछ पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, की कहीं वो ग़लत तो नहीं सोच रही। फिर उसने इस और ध्यान देना छोड़ दिया।
एक दिन पार्थ ऑफिस से जल्दी आ गया तो नैना ने कारण पूछा मगर पार्थ ने यह कह कर टाल दिया कि तबियत ठीक नहीं लग रही थी। नैना ने यकीन कर लिया और चाय बनाने चली गई।
जब वापस आई तो पार्थ को अपने ससुर सत्येंद्र जी से बात करते सुना। पार्थ उनसे कह रहा था कि आप चिंता मत करो नैना को बिल्कुल भी खबर नहीं लगेगी। मैं सब संभाल लूंगा.. इतना सुनते ही धड़धड़ाते हुए नैना कमरे में आ गई और पार्थ से कहा..क्या संभाल लोगे..…??
किस से बात कर रहे थे..?? पापा आप बताओ क्या हुआ है?? मगर सत्येंद्र जी बिना कुछ कहे चले गए और पार्थ ने भी कोई जवाब नहीं दिया और जाने लगा तो नैना ने कहा मुझसे क्या छुपा रहे हो..?? बोलो पार्थ..??
पार्थ ने मुस्कुराकर कहा कुछ भी नहीं नैना, शायद तुम्हें कोई ग़लतफ़हमी हो रही है।
नैना को अब बहुत गुस्सा आ रहा था मगर फिर भी वो कुछ सोच कर चुप थी, उसे अपनी माँ की याद आने लगी उसने सोचा काफी दिन हो गए मम्मी से बात हुए, आज कर लेती हूँ। शायद मन हल्का हो जाए..
उसन फ़ोन किया मगर किसी ने नहीं उठाया। थोड़ी-थोड़ी देर में काफी कॉल किये मगर कोई जवाब नहीं मिला।
अब नैना को फिक्र होने लगी थी, और बहुत गुस्सा भी आने लगा कि आखिर क्यों माँ फ़ोन नहीं उठा रही।
धीरे-धीरे उसकी फिक्र और गुस्सा आंखों से आंसू बन कर बहने लगा। वो अपनी सास कल्याणी जी के कमरे में जाकर रोने लगी। सास-ससुर दोनों ही चिंतित होकर उसे देख रहे थे। कारण पूछने पर नैना ने सारी बातें जो अब तक उसे अजीब लग रही थी, पार्थ का बदला हुआ व्यवहार और माँ का फ़ोन ना उठाना सब कुछ एक सांस में बता दिया। कल्याणी जी और सत्येंद्र जी समझ गए कि अब सब सच बताना पड़ेगा.. मगर जैसे ही वो बताने को हुए डोरबेल की आवाज़ आई। नैना अपने आँसू पोंछ कर दरवाजा खोलेने गई और दरवाजा खुलते ही सामने अपनी माँ और पार्थ को खड़ा देखा।
नैना माँ को देख कर उनसे लिपट कर वही बाहर खड़े रोने लगी। तब तक नैना के सास-ससुर भी आ गए। पार्थ ने नैना से माँ को अंदर ले जाने के लिए कहा। नैना माँ को हॉल में लाई ही थी कि तभी उसकी नज़र माँ के हाथ पर पड़ी हाथ में सूजन थी। नैना ने माँ को आराम से बैठाया और सवालिया नज़रों से माँ की और देखने लगी। माँ बहुत कमजोर लग रही थी.. नैना ने माँ से कारण पूछा तो पार्थ ने कहा कि लगातार इंजेक्शन लगने और ड्रिप चढ़ने की वज़ह से सूजन है। नैना कुछ और पूछती उससे पहले ही उसकी सास कल्याणी जी ने बताया कि नैना और पार्थ की शादी के एक सप्ताह बाद ही नैना की माँ को एक रात अटैक आया था। पार्थ ने पड़ोसियों को विदाई के वक़्त अपना नम्बर दिया था और कहा था अरुणा जी का हालचाल बताते रहा करें। तो किसी पड़ोसी ने ही कॉल कर पार्थ को जानकारी दी। तब से करुणा जी हॉस्पिटल में एडमिट थी। करुणा जी नहीं चाहती थी कि तुम परेशान हो। अभी-अभी तुम्हारी नई गृहस्थी शुरू हुई है, बहुत खुश थी तुम। इसलिए करुणा जी के लिए हम सब तुमसे यही सब छूपा रहे थे। पार्थ भी इसलिए व्यस्त रहता था। हॉस्पिटल में रात में कभी-कभी करुणा जी से ज़िद करके रुक जाया करता था..
मगर बेटा हम सब को माफ़ कर दो हमने तुमसे इतनी बड़ी बात छुपाई कल्याणी जी ने नैना से कहा..
नहीं माँ ऐसा कह नैना उनके गले लग कर रोने लगी.. वो कितनी खुशकिस्मत है उसे आज इसका एहसास हो रहा था। इतना प्यार इतनी परवाह उसे रुलाए जा रही थी। उसने पार्थ से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी। पार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा.. एक शर्त पर माफ करूंगा कुछ मीठा खिलाओ माँ आई हैं.. और सुन लो मेरी माँ अब हमारे साथ ही रहेंगी.. नैना खुशी से चोंक गयी और अपनी माँ करुणा जी के गले लगकर उसने कहा.. आप सही कहती थी माँ.. "पार्थ आपका बेटा है"
(प्रिय पाठकों नमस्कार??..
एक प्रयास है सकारात्मक सोच और भरपूर स्नेह को समाज में फैलाने का। आशा है आप सभी सहयोग करेंगे। आप सभी को हमारी कहानी कैसी लगी समीक्षा द्वारा ज़रूर बताए।
आप सभी का आभार??)