भगवान श्री कृष्णा ने गीता में कहा था कि, "दोस्ती इस दुनिया सबसे बड़ी ताकतवर चीज है, जिससे सच्ची मित्रता प्राप्त हो उससे दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती!"
खामोशियां छूट गयी, बेचैनियां मुड गयी,
कहीं दूर से खुशियों की लहरें आ रही है,
लगता है हमें हमारे दोस्त मिलने आ रहे है।
मैं भी आज कुछ ऐसे दोस्तों की बात करने जा रहा हूँ जो मेरी ज़िंदगी का क़ीमती हिस्सा है।
ये उस वक्त की बात है, जब हम तीनों कॉलेज के दूसरे वर्ष में थे। हमारी दोस्ती कमाल की थी क्योंकि हम तीनों अलग-अलग catagory से आते थे, एक SC था तो एक General से और मैं बचा OBC वाला।
पर हम तीनों का humour बिलकुल एक जैसा था। हम लोग कभी भी ये catogory और caste को लेकर सीरियस नहीं हुए क्योंकि हमारा एक ही नियम था, "तुम इंसान हो, हम भी इंसान है बस!"
जितने शरीफ हमारे विचार थे उससे कहीं ज्यादा साफ़ हमारा दिल था। लेकिन दोस्त जैसे दीखते है वैसे होते नही है और दोस्त कमीने ही अच्छे लगते है। रस्ते पे चलने वाले हर इंसान का मज़ाक बना देंते थे और लेक्चर के शुरू होते ही खाना खाने लग जाते थे। और कॉलेज में बहुत मज़े किये है हमने बोहोत शरारतें नादानी और ना जाने क्या क्या करते थे।
हमारी जिंदगी ऐसे ही चलती रहती अगर ये दिन हमारी ज़िंदगी में ना आया होता तो, मेरा एक्सीडेंट हुआ और पैर पे फ्रेक्चर हो गया। मुझे अस्पताल में एडमिट किया गया।
जैसे ही मेरे दोस्तों को मेरे बारे में पता चल वो सब कुछ छोड़कर मुझे देखने मेरे पास अस्पताल आ गए। और उसी के अगले दिन मेरा ऑपरेशन था।
माँ और पापा दुखी थे पर मैंने पहली बार उन दोनों के चेहरे पर उदसी देखी। वो खामोशियां सब कुछ बयान कर रही थी, मानो की दो खिलते हुए फूल अचानक से मुर्ज़ा गये हो।
अगले दिल ऑपरेशन हो गया वो दोनों मेरे पास आये और अच्छी और मीठी बातें करने लगे ताकि मिझे दर्द ना हो। उन दोनों के चेहरे साफ़ बयां कर रहे थे की वो लोग मुझे वापिस मुस्कुराता हुआ देखना चाहते थे।
माँ मेरे पास आयी और बोली की ये लोग कल पूरी रात यहीं पर थे अपने घर नहीं गए और तेरे लिए भगवान से प्राथना करते रहे। में उस वक्त रो पड़ा क्योंकि मेने कभी जिंदगी में सोचा नहीं था कि मुझे इतने अच्छे दोस्त मिलेंगे और मुझे ये भी नहीं मालूम की में उनके दोस्ती के लायके हुभी या नहीं।
अगले ही दिन उनको मेडम का कॉल आता है और वो बताती है कि exam की तारिख आ चुकी है तो आप लोग अपना work कॉलेज में submit कर दीजिए।
ये बात उन लोगों ने मुझे नहीं बतायी। उन दोनों ने पहले खुद का और बाद में मेरा वर्क पूरा किया फिर मेडम को खुद दे कर आये।
अच्छे वक्त में हर कोई तुम्हारा दोस्त बनना चाहता है लेकिन बुरे वक्त में भी जो तुम्हारा साथ ना छोड़े ना वोही सच्चा दोस्त कहलाता है।
उसके बाद exam आयी और उन लोगों ने मुझे बताया कि तेरा सब वर्क पूरा हो गया है, और मुझे exam की तैयारी करने ले कर गए।
एक दफा फिर वापस से सब कुछ ठीक होने लगा था, दिल वपास मुस्कुराने लगा था। लोग भगवान से दुआ में माँ-बाप, भाई-बहन और पति-पत्नी या फिर कोई लड़का-लड़की मांगता है लेकिन मेरी सिर्फ एक ही दुआ है कि हर एक जनम में मुझे उन दोनों ही दोस्त के रूप में मिले।
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