अमरनाथ धाम
संसारमे अनगिनत शब्दोका सर्जन हुआ है, उनमे ' धर्म ' शब्द श्रेष्ठत्तम हैं. ' धर्म ' यानी धारण करना. जो समाजको गरिमा दे, समाजको तूटरे हुऍ, तितरबितर होते हुऍ , अंधाधुंधव अराजकतामे गीरते हुऍ बचाता है वह धर्म हैं. इन्सान के अन्दरूनी सद्गुणोको विकसितकर प्रकाशोन्मुख करनेकी क्रिया ही धर्म हैं. हमारे धर्मके मूलाधारस्वरूप्न तीन प्रमुख देवता हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव). देवोमे शिरोमणि भगवंत शिव 'आदिदेव' माने जाते हैं. शिवका अर्थ हैं 'कल्याणकारी' भगवंत शिव सर्जन और विद्वंश के अधिष्ठाता है, जिन्हे देवताओके भी देव ' महादेव' कहा जाता हैं. भारत के प्राचिनतम ग्रंथ ॠगवेदमे भगवंत शिवकी गुणगाथाओको अंकित किया गया हैं. वेदकालिन किवदंतीयोंमे, तिर्थस्थानोंमें, संस्कार विधि-विधानमें और ज्योतिषविग्यानमें भी
भगवंत शिवके पावनकारी गुनगान नजर आते हैं. भगवंत शिवकी योगलीलाऍ व चमत्कार अनगिनत हैं. भगवंत शिवके अनेकानेक नाम व उपनाम है. 'अमरनाथ' भगवंत शिवका पवित्र नाम है.
प्राचिन कथा हैं कि भगवंत शिवने माता पार्वतीको ईस संसारके सर्जनकी अमरगाथा अमरानाथकी कंदरामें सूनाई थी. भगवंत अमरनाथका शिवलिंग बर्फानी होता है, जो संसारके अन्य सभी शिवलींगोसे हटकर हैं, अदभुत, अलौकिक व बेजोड है. भगवंत अमरनाथकी यात्रासे आत्मशक्ति और आत्मशुध्धि चिरंजीवस्त्रसे प्रगट होती हैं और दर्शनार्थी धन्य हो उठतें हैं. भगवंत अमरनाथकी पदयात्रासे दर्शनार्थी धन्य हो उठते हैं. भगवंत अमरनाथकी पदयात्रासे दर्शनार्थीको सेंकडोंसालके अखंड तपकी भांति महापूण्य प्राप्त होता है. मुश्कीलें झेलकर, पैदल चलकर, भगवंत अमरनाथके दर्शन करनेसे सारे व्रत-नियमका पूण्य प्राप्त होता है, और जन्मज्न्मांतरके पापोंसे मुक्ति मील जाती हैं तदोपरांत, भगवंत अमरनाथके दर्शनसे यात्रिककी सब मनोकामनायें परिपूर्ण हो जाती हैं. उसे विद्या, स्वास्थ्य और संतान प्राप्तिके साथ ही दिर्धायुष्य, शत्रुहानि व परमसुखकी प्राप्ति होती है.
जिस प्रकार वृक्षकी मूलको सिंचनेसे उसकी सभी शाखों व उपशाखाओंका सिंचन हो जाता हैं, उसी प्रकार भगवंत अमरनाथके दर्शनसे समस्त देवी-देवताओंके दर्शन स्वयंही हो जाते हैं. भगवंत अमरनाथके बर्फानी शिवलिंगके दर्शन जींदगीका बहुमूल्य अवसर हैं और परम भाग्यवानको ही ऐसा अवसर नसीब होता हैं. शिवलींगके दर्शनसेही दर्शनार्थीमें धर्मचैतन्य उत्पन्न होता है और उसे यग्यकार्य के समान पूण्य प्राप्त होता है. शिवलींग स्वत्ः 'ब्रह्म' का प्रतिक हैं. शिवलींगकी पूजा व वंदना आदि अनादिकालसे श्रेष्ठत्तम परंपरा रही हैं. लिंगके मूलमें 'ब्रह्मा', मध्यभागमें 'विष्णु' और उपर ऑमकाररूप 'महादेव' है अतः शिवलींगकी पूजासे माता पार्वती और भगवंत शिव; दोनोंकी ही पूजा हो जाती हैं. शिवलींगकी पूजा अनंत शक्ति, अनंत क्रांति व मोक्षका राजपथ हैं.शिवलींग के दर्शन व पूजासे दर्शन व पूजासे दर्शनार्थी शिवमय हो जाता हैं और पूर्नःजन्मसे मुक्ति पाता हैं. सोनेपे सुहागाकी तरह अमरनाथ धाम में भगवंत शिवकी भारतवर्षकी सर्वथा उंची व सबसे बडी १०१ फीट ऊंचाईकी, आसमानको छूती हुई, हूबहू और अलभ्य मूरतके दर्शनसे यात्रिक कॄतकॄत्य हो उठेगा. अमरनाथ धाममें बर्फानी शिवलींग और १०१ फीटकी ऊंचाईके भगवंत शिवके दर्शन, जातिपाति या धर्मभेदसे परें, निःशुल्क होंगे.
अमरनाथ धामके भव्य धर्मसंस्थानमें भगवंत अमरनाथके बर्फानी शिवलींगके पावनकारी दर्शन, पूजा और वंदना तो होगीही साथमें वृध्धाश्रम, अनाथालय, अन्नक्षेत्र, यात्रिक निवास, पंचकर्म,नेचरोथेरपी व केरेलिउअन पध्धतिवाली आयुर्वेदिक अस्पताल, वेदपाठशाला और संस्कॄति अनुसंधान केन्द्र ईत्यादिककाभी प्रावधान है. अमरनाथ धामके भव्य धर्म संस्थानका उदेश्य है, 'व्यक्तिनिर्माणसे विश्वकल्याणका पावनकारी अभियान'.ऐसे परमहितकारी भगवंत अमरनाथके निर्माण और विकासके निये पूण्यदान और सेवादान करनेवाला हरएक ईन्सान भगवंत अमरनाथका कृपाधिकारी होता है अतः पूर्नजन्मकी धटमाल से
मुक्ततो होता ही है, बल्की वह चंदन और सन्मानका अधिकारीभी बनता है.
सर्वमंगल्यमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके
शरन्ये त्र्यंबके गौरि नारियणि नमोस्तुते