Achchhaiyan - 35 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां –३५

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अच्छाईयां –३५

भाग – ३५

सूरज के हाथमें श्रीधर की चिठ्ठी थी और वो उसे पढ़ रहा था,

‘वैसे तो मैं माफी के लायक भी नहीं फिर भी आप मुझे माफ़ कर देंगे ऐसी आशा रखता हूँ | ये चिठ्ठी मैं सूरज के लिए ही लिख रहा हूँ क्यूँकी मुझे पता है की सूरज को इसकी जरुरुत पड़ेगी | मैं कुछ बात आपसे बताना चाहता था मगर मैं आप से कभी बता नहीं पाया | जिन्दगी की करवटे कैसे बदलती है वो मैं अब समझ रहा हूँ | मैंने आप सबका दिल दुखाया है |

मैं क्या करता ? गुंजा और मैं एकदूसरे को प्यार करने लगे थे | हमने शादी करने का फेंसला लिया उससे पहले आप सब से ये बात कहना चाहता था | जब मुझे पता चला की गुंजा मुस्लिम है तो मुझे यकीन था की हमारे घरमे इस शादी की कभी इजाजत नहीं देंगे इसलिए हमने चुपके से शादी की थी | वो मेरे बच्चे की माँ बननेवाली थी और उसको उस हालत में मैं छोड़ भी नहीं शकता था | वो मुसलमान थी वो तो जब वो मुझे अपने घर ले गई तभी पता चला | गुलशन के अब्बा भी हमसे नाराज है और दादाजी को भी ये पसंद नहीं था ये भी मुझे आपकी नाराजगी से पता चल गया था |

मैं गुंजा को छोड़ भी नहीं शकता क्यूंकि हम प्यार की दुनिया में बहुत आगे निकल गए थे | हम दोनों खुश है मगर हमें आपकी बेहद जरुरत भी है | सूरज, जब ये चिठ्ठी तुम पढ़ रहे होंगे तब तक शायद मैं आपसे बहुत दूर चला गया होऊंगा | कुछ सच्चाई मुझे आज ही पता चली है | सुलेमानने मुझे मुस्लिम धर्म का स्वीकार करने को कहा है, मैं ये कर नहीं शकता मगर मेरे बच्चे और गुलशन के लिए ये करना पड़ेगा | मुझे पता है की दादाजी को ये बात पसंद नहीं आयेगी इसलिए इस चीठ्ठी के जरीए सबकी माफी मांग रहा हूँ |

आज रात को ही मुझे सरगम को मिलना जरुरी था क्यूँकी कुछदेर पहले ही हमें कुछ सच्चाई पता चली | गुलशन जिनको अपना अब्बा समझ रही है वो उनके अब्बू नहीं है | वो हिन्दू थी मगर सुलेमान उसको पैसो के लिए बचपन में कही दूर गाँव से उठा के लाया था | गुलशन को ये बात पता चली तो वे बेहद गुस्से में थी और उन्होंने सुलेमान से अपने सारे रिश्ते ख़त्म कर दिए और हमदोनों ये शहर और सबकुछ छोड़कर जा रहे है | सुलेमान भी गुस्से में था वो हमें मार देना चाहता था मगर मैं और गुलशन जान बचाकर वहां से निकल गए |

मैं अब शायद फिर कभी आपसे मिल पाऊं या नहीं वो पता नहीं मगर मेरे कुछ गुनाह का भी मैं इकरार करना चाहता हूँ....! मुझे मालूम है की ये जानकर सूरज तूम कभी मुझे माफ़ नहीं करोगे मगर मुझे माफ़ कर देना | तुमको मेरी वजह से कई सारी परेशानीयों का सामना करना पड़ा है...!’

इसके आगे का उस कागज़ के पीछे लिखा था इसलिए सूरजने जैसे ही कागज़ पलटा तभी झिलमिल सूरज के पास आई और बोली, ‘क्या सूरज सरगमने लवलेटर लिखा है की इतने ध्यान से पढ़ रहे हो ? मैं कब से सामने खडी हूँ मगर तुम्हारा कोई ध्यान ही नहीं है |

झिलमिल को देखकर सूरजने पढ़ना छोड़ दिया और सामने खडी झिलमिल पर ध्यान दिया और कहा, ‘ऐसी बात नहीं है झिलमिल...!’

‘तो मुझे पढ़ने दो...!’ झिलमिलने तुरंत कहा |

‘ये नहीं दे शकता |’ सूरजने तुरंत ही मना किया |

तुम ऐसे नहीं मानोंगे, इतना कहकर झिलमिलने वो चिठ्ठी सूरज के हाथ से एक झटके में ले ली और सूरज से दूर भागने लगी | सूरज को भी नहीं पता था की झिलमिल कभी ऐसा करेगी, वो भी उसके पीछे भागा मगर वो आगे दौड़ने लगी | सूरजने एक दो बार उसका हाथ पकड़ा मगर वो हर बार सूरज का हाथ छुडाकर भागने में कामियाब रही | सूरजने आखिर उसे अपने बाहों में दबोचा और वो चीठ्ठी लेने के लिए उसके दोनों हाथो को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया |

‘कितना अच्छा होता तुम मुझे ऐसे ही पकड़ के रखो....!’ झिलमिल ये कहकर सूरज की बांहों में चीपक गई उसको सूरज की बांहों में अच्छा लग रहा था, उसने अपनी आँखे बंध कर ली |

सूरज, झिलमिल की ये भागदौड़ और आखीर एक गहरा आलिंगन वहां दूर खड़े दादाजी और सरगम भी देख रहे थे | सरगम वहां से दूर जाना चाहती थी मगर दादाजी को भी पीछे खड़ा देखकर वो रुक गई | दादाजी सरगम की आँखों के आंसू और उसके दिल से बहते भाव को समझ गए थे | दादाजी भी उधर से निकलने लगे तभी पंद्रह बीस लोग जिनका मुंह ढका हुआ था वे आए और सूरज की ओर आगे बढे |

सूरज और झिलमिल दोनों अभी भी एकदूसरे की बांहों में थे | उसमे से चार लोगोने सूरज को पीछे से पकड़ा और मारने लगे | फिर एक बदमाशने सूरज के मुंह पर कुछ रखा तो सूरज कुछ ही पल में चकराने लगा और गीर गया, शायद वो बेहोश हो गया था | फिर उस बदमाशोने सूरज को उठाया और ले जाने लगे | झिलमिल तुरंत सूरज के पास गई और उसको छुडाने की कोशिश करने लगी तो एक बदमाशने उसको जोर से मारा तो उसका सर दीवार पे टकरा गया और गहरी चौट की वजह से वही पर बेहोश गीर पडी |

उन गुंडोंने सूरज के सर पे कपड़ा लगा दिया और बाँध के वहा से उठा के ले गए | सरगम और दादाजी उनके पास आए उसके पहले तो वो निकल गए | कोलेज में कोई कुछ सोचे उसके पहले वो नौ दो ग्यारह हो गए | ऐसा लग रहा था की वो सारे बदमाश इस काम से ही ताल्लुक रखते हो | कुछ ही पल में वो आये और सूरज को उठा के चले गए |

सरगम उसके पीछे भागी मगर वो तेज थे, कोलेज के सामने ही खडी कार में वे लोग सूरज को ले गए | उस कार के आगेवाली सीट पर ड्राइवर के पास कोई बैठा.... था सरगम को दूर से हल्का सा दिखाई दिया, शायद वो मुस्ताक था...! सरगम कुछ ओर सोचे उसके पहले तो वो कार तेजी से वहां से निकल गई |

सरगम वापस आई और झिलमिल के पास गई | झिलमिल अभी भी बेहोश थी, उसके शिर से खून निकल रहा था | वहां सभी इकठ्ठे हुए | झिलमिल गहरे सदमे में थी | कुछ देर बाद वो होंश में आई और सूरज को ढूँढने लगी | सरगम ने उसको सहारा दिया | झिलमिल अब अच्छी हो रही थी मगर सूरज के साथ जो भी हुआ उससे सब चिंतित थे |

‘कौन थे ये लोग जो सूरज को ले गए ? क्यूँ ले गए ? और कहा ले गए ?’ झिलमिलने होश संभालते हुए पूछा और वो चिठ्ठी सरगम देख न ले ऐसे झिलमिलने उसे अपने पास छीपा दी, वो समझ रही थी की वो सरगम की लिखा हुआ लवलेटर था |

झिलमिल और सरगम दोनों के दिमाग में अलग अलग बात चल रही थी | झिलमिल सोच रही थी की सूरज सरगम से प्यार करता है और सरगम सोच रही थी की क्यां सूरज झिलमिल को मुझसे ज्यादा पसंद करता है ? सरगम को ये बात भी याद आई की सूरज ने कहा था की आज रात तो झिलमिल से मिलने का वादा किया था...!

छोटू, निहाल और सारे दोस्त भी उधर ही खड़े थे | म्युझिक प्रतियोगिता के लिए सबने कड़ी महेनत कर ली थी और जाने के लिए तैयार हो गए थे मगर इस हादसे से सब खामोश हो गए थे | उसवक्त एक बुरखा पहने हुई लड़की उधर आई और सबके बीज आके पूछने लगी, ‘क्या सूरज इधर आया है ?’

उसकी बात सुनकर सबकी नजर उस पर गई, ‘ उन्होंने अपना मुंह ढँक के रखा था |’

सरगमने तभी उसकी ओर देखा और कहा ‘उसे तो अभी ही कुछ लोग यहाँ से उठा के ले गए...! तुम कौन हो ?’

ये सुनते ही उधर से वो भागने लगी | छोटू भी उसके पीछे भागा | कोलेज के गेट से बहार निकलते थी उसने अपना मुंह खोला तो छोटूने आवाज लगाईं, ‘गुलाबो...!’

गुलाबोने देखा की पीछे छोटू था वो खडी रही और कहा, ‘ देख छोटू, सूरज की जान को खतरा है | वो तुम्हे मिले तो कहना की मुझे फ़ौरन मिले और मैं यहाँ आई थी ये किसी को मत बताना |’

‘सूरज को क्या खतरा है ?’ छोटूने पूछा |

‘मैं तुम्हे बाद में बताउंगी...!’ इतना कहकर वो उधर से निकल गई |

इधर दादाजी, झिलमिल और सरगम दोनों को लेकर अपने कक्ष में चले आये | तीनो के दिमाग में कई सारे सवाल चल रहे थे | दादाजी ने थोड़ी देर बाद पुलिस को फोन लगाया |

‘मुझे पता भी नहीं चला की वे लोग कब आए और सूरज को पकड़ के ले गए...?’ झिलमिल सबकी खामोशीओ को दूर करने के लिए बोली |

‘तुम्हे तो कहा पता होगा ? तुम तो उसकी बांहों में खो गई थी |’ सरगमने गुस्से से कहा |

सरगम की आँखे देखकर झिलमिल समझ गई की वो क्या सोच रही थी | उसने कहा, ‘तुम समझ रहे है ऐसा कुछ नहीं था | सूरज के हाथो में जो चीठ्ठी थी वो उससे छीन कर ले जा रही थी और वो मेरे पीछे भाग रहा था | मुझे लगा था की वो तुम्हारा लव लेटर होगा और वो उसके लिए मेरे पीछे भागा चला आया था |’

‘मेरा लव लेटर ?’ सरगम दादाजी की ओर देखकर फिर से ज्यादा नाखुश होते हुए कहा |

‘ये रहा, जो वो पढ़ रहा था और उससे छीनकर मैं भागी थी |’ झिलमिलने वो चीठ्ठी निकाली और सरगम को दिखाई |

दादाजी ये देखकर नजदीक आये और वो अपने हाथो में ली और देखने लगे | ‘ये तो श्रीधर की लिखाई है..!’ दादाजीने देखकर ही कहा |

‘क्या लिखा है ?’ सरगम और झिलमिल दोनोंने तुरंत एकसाथ कहा |

दादाजी जैसे जैसे सारी चिठ्ठी पढ़ने लगे वैसे वैसे श्रीधर, सूरज, गुंजा, सुलेमान सबकी सच्चाई का पता लगने लगा | चीठ्ठी पढ़ते के बाद दादाजी की आँखों से आंसू निकल आए और बोले, ‘बेटा, सूरज मुझे माफ़ कर देना....! हमने तुम्हारी अच्छाई और सच्चाई की सही परख नहीं कर पाया |’

उस वक्त कोलेज के अन्दर पुलिस दाखिल हुई |

क्रमश : .....