सैलाब
लता तेजेश्वर 'रेणुका'
अध्याय - 29
एक दिन पावनी ने शतायु से पूछा, "अब कहो शादी के लिए क्या निर्णय लिया ?"
"मौसी आप जो कहे जैसा कहे वैसा ही होगा।"
पावनी ने आखिरी बार उससे पूछा, " फिर उससे पूछा? क्या कहा उसने?"
"जाने दो ना मौसी, भूल जाओ उन सारी बातों को हम कुछ सोचते हैं पर यह जरुरी नहीं कि वह हमें मिल ही जाए। वह अपनी जिंदगी में खुश है फिर किसीकी मजबूरी का फायदा उठाना भी सही नहीं न। इसलिए उसे भूल जाना ही सही है।" सारी बातों को भूलने प्रयास करते हुए शतायु ने कहा।
"वो तो है, कोई बात नहीं शतायु, जो नहीं हो सकता उसे एक सपना समझ कर भूल जाना ही बेहतर है, जो बीत गया सो बीत गया। ये जिंदगी है और जिंदगी में वह नहीं होता जो हमें चाहिए बल्कि हमें जिंदगी में जो मिलता है उसको ख़ुशी ख़ुशी अपना कर आगे बढ़जाना चाहिए।"
शतायु को कई पुरानी बातें एक के बाद एक याद आने लगी। "हाँ मौसी आप सच कह रही है, पिछली बातों को अगर हम नहीं भूल सकेंगे तो कभी आगे बढ़ ही नहीं पाएँगे।"
"हाँ, मेरे बच्चे अब सारी बीती बातों पर मिट्टी डाल और आगे की सोच और ये बता तेरी शादी के लिए मुझे क्या करना है?"
"आप जो कहे मौसी।"
"तो मेरी बात मानोगे? शादी करोगे?"
"मौसी जैसे आप की इच्छा।"
"तो अभी भी वो तस्वीरें मेरे पास है ले आऊँ?" हँस कर बोली पावनी
शतायु ने मुस्कुराकर कहा, "जैसे आप की इच्छा।"
पावनी को बस शतायु के हां कहने का इंतज़ार था तुरंत ही उन तस्वीरों को ले आई और शतायु के हाथ में रख कर बोली, "अब बता कौन सी लड़की के लिए बात चलाऊँ।"
शतायु ने एक एक तस्वीर देखी फिर पूछा, "मौसी ये बिंदु की फोटो इसमें क्या कर रही है?"
"बिंदु ? वो बस ऐसे ही मिल गई होगी।"
"ओह, अच्छा कह कर फोटो अलग रख दी।"
"अगर बिंदु तुम्हें पसंद है तो बात चलाऊँ?"
"मौसी बिन्दु मुझसे क्यों..? आप कैसी बात कर रही हो?"
"क्यों नहीं? वह तुम्हें अच्छे से जानती है। तुम्हारी दोस्त भी है।"
"हाँ, वह मेरी दोस्त है, इसलिए तो पूछा बिन्दु की तस्वीर इसमें क्यों?"
"क्यों क्या दोष है, अगर उसे तुम से शादी करने में प्रॉब्लम नहीं हो तो?"
"बिन्दु से शादी? मुझसे 11 साल छोटी है वह। मैं ने कभी उस नज़र से देखा ही नहीं मौसी।"
"अगर मैं कहूँगी प्यार करती है तुझ से तो?"
"मैं नहीं जानता क्या भला है क्या बुरा है। मुझे खुद पर यकीन नहीं रहा अब। आप जो भी फैसला लेंगी मुझे मंजूर होगा। आप जिस लड़की से कहोगी उससे शादी करने के लिए तैयार हूँ, उफ़ तक नहीं कहूँगा।" कहकर तस्वीरों को पावनी के हाथ में रख कर वहां से चला गया। दरवाज़े के पीछे खड़ी सब कुछ सुन रही बिन्दु, आंखें पोंछ कर सबकी नज़र से छिप कर चुपके से वहाँ से चली गयी।
" ठीक है अब बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दे। "
"मौसी एक शर्त है।" शतायु ने वापस आ कर कहा।
"बोल बेटा।"
"यह कि शादी में कोई हंगामा न होगा बस कोर्ट मैरिज।"
"ठीक है, वह बात मुझ पर छोड़ कर निश्चिन्त हो जा।" मुस्कुरा कर कहा पावनी ने।
शतायु ने जिंदगी में पहली बार उसके जीवन का एक बड़ा फैसला लिया था। जीवन के कई रंगों से गुजरते हुए शतायु ने आखिरकार बिन्दु के साथ घर बसा ही लिया। पावनी की एक बड़ी जिम्मेदारी पूरी हुई। बिंदु शतायु के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गई। पावनी अपनी कहानी ''सैलाब'' को यही खत्म कर प्रकाशन के लिए भेजने की तैयारी करने लगी।
पावनी ने तो पुस्तक को यही पर खत्म कर दिया पर जीवन यहाँ खत्म नहीं होता वह आगे बढ़ता ही जाता है। इसीलिए तो इसे जीवन कहते है। जब तक शरीर में प्राण है तब तक ये जीवन एक जल प्रवाह की तरह बहता जाता है। इस तरह पावनी ने अपने जीवन में एक लेखिका का दर्जा हासिल किया। लेकिन उसकी कलम अभी रुकी नहीं है, यह मात्र एक शुरूवात थी आगे लंबा रास्ता तय करना बाकी है .......।
समाप्त