Rakhi in Hindi Moral Stories by Priya Vachhani books and stories PDF | राखी

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राखी

साँझ का वक्त एक तरफ सूरज डूबने को था दूसरी तरफ चाँद अपनी चाँदनी बिखेरने को तैयार था। तारे भी टिमटिमाते हुए अपनी मौजूदगी का अहसास करा रहे थे। पंछी अपने-अपने घोसलों में लौट आये। वही बाकी कर्मचारियों की तरह मनीष भी कारखाने में छुट्टी का साइरन बजने पर अपने घर की तरफ चला। पर आज उसके मन मे उधेड़बुन थी।
सारे दिन का थका मनीष हाथ मुँह धो जैसे ही खाना खाने बैठा
नंदिता ने कहा "याद है न कल रक्षाबंधन है।" मनीष के चेहरे पर ख़ुशी और चिंता मिश्रित भाव उभर आये।
"हां याद है।" वह इतना ही कह पाया
"कल मेरा भाई विनोद शाम तक आ रहा है , तो आप सुबह जल्दी ही दीदी से राखी बंधवा लेना ताकि शाम उसके आने तक हम लोग फ्री हो जाए।" नंदिता ने अपना एक तरफ़ा फैसला सुना दिया
मनीष सिर्फ हां के अलावा कुछ नहीं बोल सका इतने में नंदिता फिर बोली
"अच्छा सुनो , कल दीदी को नेग क्या दोगे?"
"इस साल मेरी तनख्वाह में बढ़ोतरी हुई है तो सोच रहा हूँ इस साल नेग कुछ बढ़ा दू और साथ ही कुछ फल भी ले चलेगे। वैसे भी साल में दो बार रक्षाबंधन और भाईदूज के दिन ही तो जाना होता है दीदी के घर वैसे कहाँ समय मिल पाता है मुझे भी। और मम्मी के जाने के बाद दीदी भी कहाँ आती है अब यहाँ।" मनीष अपनी लय में बोलता चला गया
"जब फल ले जाने की सोच ही रहे हो तो नेग में बढ़ोतरी क्यों ?"नंदिता ने आँखे तरेरते हुए कहा " एक बात करो या फल या नेग पता भी है आज कल फल कितने महंगे हो गए हैं?"
मनीष नंदिता के इस स्वभाव से भली भांति परिचित था वह जानता था के नंदिता उसकी बात को जरूर काटेगी इसलिए खाली हाथ न जाना पड़े उसने नेग भी बढ़ाने की बात कही। मनीष का मन तो बहुत होता के नंदिता से कहे "मैं कमाता हूँ , मेरी बहने है उनको क्या देना क्या न देना यह सब कहने वाली तुम कौन होती हो।" किन्तु वह नहीं कह पाता क्योंकि उससे कुछ कहना मतलब घर में आठ दिनों की कलह की शुरुवात करना। घर में कोई बड़ा भी न था जिससे वह डरती। मनीष मन मसोसकर रह गया।
दूसरे दिन वही हुआ जो नंदिता ने तय किया था। फल तो ले गए पर नेग में कोई बढ़ोतरी न हुई।
शाम को नंदिता का भाई विनोद आया राखी बंधवाकर वह रात की गाडी से ही रवाना भी हो गया।
उसके जाने के बाद नंदिता ने चहकते हुए मनीष को बताया "जानते हो विनोद मुझे कितना प्यार करता है , मेरे लिए कितना कुछ लाया है , आज उसने मुझे न सिर्फ पिछले साल से ज्यादा नेग दिया है बल्कि वो मेरे लिए साड़ी भी लाया है और साथ ही बच्चों के लिए चॉकलेट और आपके लिए फल भी ले आया है। सच कितना प्यार करता है मेरा भाई मुझसे। भगवान् ऐसा भाई सबको दे " नंदिता यह सब पाकर ख़ुशी के मारे बोलती गई
अनायास ही मनीष कह उठा "वाकई बहुत प्यार करता है तुम्हारा भाई तुमसे, सच भगवान् ऐसा भाई सबको दे।"