shadi ki saalgirah in Hindi Love Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | शादी की सालगिरह

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शादी की सालगिरह

शादी की पहली सालगिरह मुबारक हो,

रात के बारह बजे में ने उसे जगा कर मुस्कुराते हुए मुबारक बाद दी,


उसने पहले नींद में मुझे देखा फिर मुस्कुराते हुए मुबारक बाद वसूल की और आँखे मूंदे लेटा रहा,मेरे लिए उसका ये अंदाज़ नया नही था,
इस एक साल में उसने बहुत कम दफा अपनी मोहब्बत का इज़हार किया था,

ऐसा नही था कि वो इज़हार के मामले में कंजूस था, हाँ वो ज़बान से इज़हार के मामले में बहुत कंजूस हे,
वो मोहब्बत का इज़हार अपने अमल से करता है,
वो मेरा ख्याल रखता है,मेरे लिए तोहफे तहायफ लाता है,मुझे मोहब्बत से देखता है, मेरी ख्वाहिशात का एहतराम करता है, हर मामले में मेरी राय लेता है, और कोई भी फैसला आपसी मशवरे के बगैर नही लेता,

सब से बढ़ कर वो मेरी इज़्ज़त करता है,
हाँ इज़हार वो तब करता है जब वो एक बेइख़्तेयारी की गिरफ्त में होता है,
या जब कोई खूबसूरत लम्हा उसे खुशगवार कर देता है,और उसका ये कभी कभी मोहब्बत का इज़हार करना रोज़ रोज़ के इज़हार के मुकाबले में मोहब्बत की क़दर को ज़्यादा बढ़ा देता है,
आज उसे विश करने के बाद मेने गिफ्ट का पैकेट उसके सामने रख दिया,
और कंधे से हिला कर उसे गिफ्ट की तरफ मुतवज्जा किया,उस ने हेरत से मुझे देखा और फिर टेक लगा कर बैठने के बाद गिफ्ट खोलने लगा,
में उसके ऐन सामने बैठ गयी,एक बड़े फ्रेम में हमारी शादी की तस्वीर मौजूद थी,
तस्वीर में मौजूद लम्हा इतना मुकम्मल था के वो इन लम्हो में खो गया,
" तुम्हारी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत लम्हा कौनसा था? " मेने तस्वीर की जानिब देखते हुए सवाल किया।

जब पहली बार तुमने मेरी इमामत में फज्र की नमाज़ पढ़ी थी, जानती हो मेरा दिल क्या चाह रहा था, के ये नमाज़ कभी ख़त्म न हो, सूरह रहमान पढ़ते हुए उन लम्हो में हक़ीक़त में मेरा दिल मुझसे कह रहा था। " और तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमत को झुटलाओगे"

मेरे लिए इस से खूबसूरत इज़हार कोई नही था,

उस ने तस्वीर को एक तरफ रख कर मेरे दोनों हाथ थाम लिए और मोहब्बत व अपनाइयत से भरपूर लहज़े में बोला।
मोहब्बत से भरपूर एक महरम और शरई ज़िन्दगी का एक साल बहुत बहुत मुबारक हो। बोलो क्या तोहफा चाहिए तुम्हे आज ?
में ने अपने मिजाज़ी ख़ुदा को देखा। जिस ने आज के दिन मोहब्बत के इतने खूबसूरत इज़हार का तोहफा दिया मुझे।।
तुम्हारी इमामत में एक तहज्जुद की नमाज़, मेने अपना तोहफा माँगा।
वो कुछ लम्हे बिना पलके झपके मुझे देखता रहा, फिर उसने ज़रा आगे झुक कर मेरे दोनों गालों के ज़रिए मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम कर मेरी पेशानी पर शरई रिश्ते की रो से एक मेहर मोहब्बत का बोसा दिया, और वज़ू करने उठ खड़ा हुआ।
जबकि मेरा दिल बेइख़्तेयार कह उठा, और तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमत को झुटलाओगे।

जुनैद चौधरी।

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