manchaha - 37 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 37

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मनचाहा - 37

सुबह उठकर ही मैंने अवि को कॉल किया के मुझे अभी मिलना है।
अवि- अभी तो सोया हुआ हुं जान। क्या बात है?
मै- आप रेडी हो जाइए, हम मिलते है कॉफी शॉप पर। मिलकर बताती हुं।
मै नहा धोकर रेडी होकर नीचे अाई तो सेतु भाभी ने पूछा- इतनी सुबह सुबह कहा जा रही है?
मै- एक इमरजेंसी में MRI करना है।
सेतु भाभी- नाश्ता तो करती जा..।
मै- वहीं कुछ मंगवा लूंगी। बाय...
मै कॉफी शॉप समय से पहले पहुंच गई थी। कुछ देर बैठी पर अवि अभी तक नहीं आए थे। सोचा घर पर कोई बहाना ना बना सके तो शायद ब्रेकफास्ट करके ही निकले हो। अगर इमरजेंसी का बहाना करते तो निशु पकड़ लेती। अब तो आधा घंटा होने को आया था, ये कहा रह गए?? मैंने जब कॉल किया तो मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था। है भगवान! इन्होंने मोबाइल चार्ज भी नहीं किया होगा। फिर बीस- पच्चीस मिनट हो गई ये अब तक क्यो नहीं आए? मै फिर से मोबाइल ट्राय कर ही रही थी तो सामने से एक अजनबी का कॉल आया।
अजनबी- हेल्लो! मै एम्स हॉस्पिटल से बोल रहा हुं। एक लड़के का ऐक्सिडेंट हुआ है, जिसे हम यहां लाए है। उसके मोबाइल को ऑन किया तो लास्ट कॉल आपका था तो आपको कॉल किया है। आप plz यहां आ जाईए।

यह सुनकर मेरे पैरो तले मानो जमीन खिसक गई?। में बावरी होकर सीधे हॉस्पिटल की और भागी। आज मै अपनी कार लेकर अाई थी पर हड़बड़ाहट में सीधे ऑटोरिक्शा में बैठकर हॉस्पिटल चली गई। वहा रिसेप्शन पर पूछा- अभी कोई ऐक्सिडेंट केस आया हुआ है? रिसेप्शनिस्ट ने मुझे इमरजेंसी वॉर्ड की तरफ इशारा किया और कहा उन्हे वहा ले गए है। मै जाते जाते रवि भाई को कॉल करके सब बताती हुं। इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर ही मेरे पैर रुक गए। मेरी हिम्मत ही ना हुई अंदर जाने की।

कुछ बीस मिनट बाद अंकल- आंटी, निशु और रवि भाई आ गए। वे जब मेरे पास आए तो मैंने अंदर का इशारा किया। सब पूछ रहे थे क्या हुआ? कैसे हुआ? पर मेरे मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पा रहा था। वे सब अंदर वॉर्ड में चले गए। जब रवि भाई बाहर आए तब भी में बुत की तरह बैठी हुई थी। वो मुझसे बात कर रहे थे पर मेरे कानों में उनका एक भी शब्द नहीं पड़ रहा था। अवि को सिर पर अंदरुनी चोट लगी थी और उन्हे इंटरनल ब्लीडिंग हो रही थी। इस वजह से अवि को तत्काल ऑपरेशन के लिए ले गए। क्या हुआ, क्यो ले जा रहे है? मुझे कुछ भी पता नहीं। शायद में जानना नहीं चाहती थी। अगर कुछ ज्यादा सीरियस हुआ तो मै सह नहीं पाऊंगी। आंटी और निशु लगातार रोए जा रहे थे। रवि भाई ने उनके हॉस्पिटल पर कॉल कर दिया और साथ में साकेत को भी बताया अवि के बारे में और कहा मै नहीं आउंगी। साकेत ने आने के लिए कहा पर अवि भाई ने अभी मना कर दिया था।

हम सब ऑपरेशन थियेटर के बाहर खड़े हो गए। अंकल के नजदीकी रिश्तेदार भी आ गए। जो अजनबी उन्हे हॉस्पिटल लाया था उसने अपना नाम मुकेश अग्रवाल बताया। वो अब भी यही पर थे। उन्होंने सबको बताया था आखरी कॉल इस मैडम का था तो मैंने उन्हे ही कॉल करके बुला लिया था। आंटी मेरे पास आए और मुझे पूछा- अवि से क्या बात हुईं थीं तुम्हारी? क्या वो तुमसे मिलने आ रहा था?
मै कोई जवाब नहीं दे पाई। मेरी पथराई आंखो को देख एक पल के लिए वो डर गई, कहीं मुझे कुछ हो ना गया हो। उन्होंने मेरा चेहरा पकड़कर मुझे पूछा क्या हुआ था? मेरे पूरे शरीर को हड़बड़ाकर पूछ रही थी पर मै पुतले की तरह जैसी कि तैसी ही रही। अंकल सब देख रहे थे। वे आंटी को मेरे पास से हटाकर प्यार से सिर पर हाथ रखकर पूछ रहे थे कि क्या हुआ? फिर ज्यादा देर ना करते उन्होंने डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर से उन्होंने मुझे चैक करने को बोला और कहा कि ये कोई रिएक्शन क्यो नही दे रही है?

निशु अब मुझे संभाल ने लगी थी। मुझे एक रूम में ले गए, रवि भाई भी साथ में थे। डॉक्टर ने बताया था इन्हे शायद सदमा लगा है। कैसे भी करके इसे रुलाना होगा वरना इसकी हालत खराब हो सकती है। आंटी को मुझ पर गुस्सा आ रहा था। उनका मानना था मेरी वजह से ही अवि की ये हालत हुई है। अंकल उन्हे समझा रहे थे, ये नियति का खेल है। इसमें इस बच्ची को मत कोसो। इसकी हालत तो देखो गायत्री। निशु पाखि के घरवालों को फोन कर दे। वे लोग आकर इसे ले जाएंगे। रवि भाई लगातार मुझसे बात करने की कोशिश कर रहे है। निशु ने मुझे सदमे से बाहर लाने के लिए तो एकबार जोर से थप्पड़ भी मार दिया। वो मेरी और अवि की हालत से बहुत दुखी होकर रो रही थी। रवि भाई को समझ नहीं आ रहा था वो मुझे संभाले या निशु को।

जब आॅपारेशन खत्म करके डॉक्टर बाहर आए तो उन्होंने बताया- ऑपरेशन तो हमने कर दिया है पर हमें पेशंट को अभी चौबीस घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रखना पड़ेगा। उनकी हालत अभी नाजुक है।
मेरे घर से कवि भाई और सेतु भाभी आ गए। मेरी हालत देखकर भाभी तो डर ही गए। वे जब मुझे घर लेजाने की बात कर रहे थे तब मै वहीं पर अड़ी रही। कवि भाई ने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उनका हाथ ज़टक दिया। कवि भाई ने कहा,- पाखि plz चलो यहां से। कल फिर आ जाना अवि को देखने। पर मै वैसे ही बुत बनी बेड पर बैठी रही। फिर रवि भाई ने कहा- आप फ़िक्र मत कीजिए मै इसे ले आऊंगा घर पर। कवि भाई और सेतु भाई अवि के मम्मी पापा को मिलकर चले गए।

अवि को ICCU में शिफ्ट कर दिया था। मै वापस रूम से बाहर आकर ICCU के बाहर ही बैठ गई। निशु फिर से मेरे पास आकर बात करने की कोशिश कर रही है पर वह नाकाम ही रहती है। रवि भाई और निशु को डर है कि मुझे कुछ हो न जाए। सारा दिन ऐसे ही निकल गया। शाम को नर्स जब डॉक्टर को बुलाने दौड़ी तब सब घबरा गए। हमें बाहर ही रहने को कहकर डॉक्टर अंदर चले गए। जब वह बाहर आए तो उन्होंने बताया अवि कॉमा में चले गए है। यह सुनकर तो आंटी और निशु के साथ साथ अंकल की आंखो में भी आंसु आ गए। रवि भाई ने मुझे यह बताया तब भी मेरा कोई रिएक्शन ना आया। आंटी अब भी मुझे कोस रही थी। सब बारी बारी अवि के पास जा रहे थे। आखिर में जब मै अंदर जाने के लिए उठी तो आंटी ने साफ मना कर दिया। अंकल ने आंटी को चुप रहने को कहा और मुझे अवि के पास जाने की इजाज़त दी। साथ में रवि भाई को भी मेरे साथ भेजा।
जब मै अवि के पास पहुंची उसकी आंखे बंद थी। उनके पास जाकर मैंने उनका हाथ अपने हाथ में लिया तभी मुझे चक्कर आ गए। रवि भाई ने मुझे पकड़ा ना होता तो मैं नीचे ही गिरने वाली थी। रवि भाई ने नर्स से कहकर एक स्ट्रेचर मंगवाया और जल्दी से मुझे बाहर ले गए।

निशु- क्या हुआ पाखि को??
बाहर सब लोग मुझे देखकर घबरा गए।
रवि- अवि को देखकर बेहोश हो गई है।
निशु- oh my god! इसे हम रुला भी ना पाए और ये बेहोश हो गई?
वहा के डॉक्टर पाखि को स्पेशल रूम में ले गए। निशु और रवि भी साथ में गए। रवि बाहर खड़ा रहा और निशु डॉक्टर के साथ अंदर चली गई। जब उन्होंने पाखि को चैक किया और जो उन्होंने बताया यह सुन निशु के चेहरे का रंग उड़ गया। निशु ने डॉक्टर को अपना इंट्रोडक्शन दिया और कहां- क्या मै एक बार चैक कर सकती हुं?
डॉक्टर- yaa sure।
फिर डॉक्टर वहा से चले गए और रवि अंदर आ गया। बाहर डॉक्टर ने रवि को पाखि के बारे में बता दिया था।
निशु ने पाखि को चैक किया तो उसके मानो होश ही उड़ गए। रवि को आंखो के इशारे से हा में जवाब दिया।
निशु- यह कैसे? रवि ये..?।
रवि थोड़ा गुस्से हो गया और निशु से कहता है- यह सब तुम्हारे भाई के कारण हुआ है।
निशु- क्या?? ये क्या बोल रहे हो तुम, तुम्हे पता तो है न?
फिर रवि शुरू से सब निशु को बताता है और यह भी बताता है कि अवि एक दो दिन में आप सब से बात करने ही वाला था।
निशु- oh god! अब क्या होगा? हम इसे कैसे बताएंगे की ये मां बनने वाली है? तुम्हे यह सब मुझे पहले बता देना चाहिए था।
रवि- बताना तो पाखि भी चाहती थी तुम्हे पर अवि ने मना कर रख था। वह तुम्हे सरप्राइज देना चाहता था। उसने कहा था वह तुम्हे बताएगा कि तेरी बेस्ट फ्रेंड तेरी भाभी बनने वाली है। पर इन दोनों के बीच की यह बात मुझे सच में नहीं पता थी। पर निशु इसका बच्चा...?
निशु- बच्चे...
रवि- क्या????
निशु- जुड़वा बच्चे है। इस वक्त समझ में नहीं आ रहा मै इसकी खुशी मनाऊ या दुख। दोनों के मां बाप इस वक्त अस्पताल में है। और यह बात हम सबको कैसे बताएंगे? मुझे तो डर लग रहा है रवि। जब वह दरवाजे की ओर मुड़े तो वहा पाखि के रवि भाई खड़े थे। उन्होंने सब बाते सुन ली थी। वह अंदर आए और पाखि के सिर पर हाथ रखकर बोले- ये क्या कर दिया बच्चा? तु तो हमसे सब बात कहती थी और इस बार हमें बताया भी नहीं।? अभी से पराया समझ लिया लाडो।
कोई कुछ नहीं बोला। कुछ देर बाद रवि भाई वहा से चले गए। रवि ने निशु को बताया अब हमे ही कुछ करना होगा।
निशु- पर क्या?
रवि- अंकल आंटी को सब बता देते है पाखि और अवि के रिश्ते के बारे में।
निशु अपने मम्मी पापा को जहा पर पाखि को रखा था वहां पर ले अाई। पाखि अब भी बेहोश थी। उसे देखकर आंटी का मुंह बिगड़ जाता है। यह देख निशु बोली- मम्मा- पापा मुझे आपसे कुछ कहना है।
अंकल- हां, बोलो बेटा।
निशु फिर अवि और पाखि के रिश्ते के बारे में सब बताती है। और साथ में यह भी कि पाखि भाई के बच्चो की मां बनने वाली है। यह सुनकर आंटी भड़क गए और कहने लगे- मेरा बेटा कॉमा में गया है तो तुम लोग किसी और का पाप मेरे बेटे पर थोप रहे है?
निशु- मम्मा ये आप क्या बोल रही है। सुबह से इस बेचारी की हालत तो देखिए। मै मानती हु यह गलत किया है इन दोनों ने पर इसमें इस बच्चो का क्या दोष?
अंकल- बच्चो का मतलब? तु कहना क्या चाहती है?
निशु- पाखि की कोख में जुड़वा बच्चे है पापा। अब आप ही बताए इस हालत में हम इसे अकेला कैसे छोड़ दे।
अंकल- तुम इसके घरवालों को यहां बुला लो एकबार। फिर मिलकर कुछ तय करते है। अभी कितना टाईम हुआ है प्रेगनेंसी को?
निशु- डेढ़ महीना।
रवि ने तब तक पाखि के घर फ़ोन करके सबको हॉस्पिटल आने के लिए बोल दिया था।
आंटी- यह सब मेरे बेटे को फसाने की साज़िश है। क्या इसने बताया यह अवि के बच्चे है?
रवि- आंटी, यह सुबह से कहा कुछ बोली है? इसके और अवि के रिश्ते का मै गवाह हुं। और अवि आप सब से इनके रिश्ते की बात करने ही वाला था और ये हादसा हो गया।
आंटी- मै नहीं मानती बेटाजी। मेरा बेटा एसा कर ही नहीं सकता। और आप सब तो हमेशा हॉस्पिटल में ही रहते है तो यह सब हुआ कब? क्या अवि हॉस्पिटल से बाहर चला जाता था इसे मिलने मरीजों को छोड़कर?
रवि ने आंटीजी को मनाली के बारे में बताया। जब हम ट्रैफिक के कारण होटल नहीं पहुंच पाए थे तब ये दोनों वहा अकेले थे। तभी शायद..। उसके बाद तो हम सब हर जगह अब तक साथ ही जाते है।
निशु- हा मम्मा, रवि ठीक कह रहा है। और पाखि को हमने कभी किसी लड़के से बात करते या मिलते नहीं देखा है। और आपको फिर भी यकीन ना आए तो हम इस बच्चो का DNA test करवा लेते है।
अंकल- इसकी कोई जरूरत नहीं है। एकबार इसके घरवालों को आने दो। फिर देखते है यह बच्चे रखने है या नहीं।
निशु- पापा यह आप क्या बोल रहे है? मै ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी।
अंकल- चाहता तो मै भी नहीं पर यह पाखि के घरवाले तय करेंगे हम नहीं।
फिर सब अवि के पास चले जाते है। सिवाय निशु के, वह पाखि के पास ही रुक जाती है।

पाखि के घर से सब आ जाते है, दोनों भाई और दोनों भाभी। उनके हाथ में दो बैग्स भी थी। निशु ने उनसे पूछा- रवि भाई ये बैग्स..??
रवि भाई- पाखि के है। अब हमारी तरफ से उसे पूरी आज़ादी है वह जहा चाहे जा सकती है।
निशु- भैया ये आप क्या बोल रहे है?
रूम में अवि के मम्मी- पापा और रवि भी आ जाते है।
अंकल- देखिए हम बैठकर बात करते है। कोई जल्दबाजी मत कीजिए। आप चाहे तो पाखि का अबॉर्शन करवा देते है। आपको शर्मिंदगी नहीं होगी और बात भी बाहर नहीं जाएगी।
निशु- पापा..?
सेतु भाभी- हम भी मां है भरत जी। एक मां से उसके बच्चे उसकी मर्ज़ी के बगैर नहीं छीन सकते।
कवि भाई- हम यहां सिर्फ पाखि का सामान रखने आए है। हम रिश्तेदारों को बता देंगे उसने लव मैरेज कर ली है। बाकी इसे जहा जाना हो वहा जा सकती है। हम इसके बच्चे को मारने का पाप अपने सिर पर नहीं लेना चाहते।? वो भी जुड़वा...
अंकल- आपको कैसे पता?
निशु- रवि भाई यहां आकर गए। और उन्होंने मेरी और रवि की सब बाते सुन ली थी।

तभी पाखि को होश आता है। सब को देखकर वह घबरा जाती है। अवि को छोड़कर सब यहां क्यो है? मै उठने की कोशिश करती हुं पर मीता भाभी मुझे लेटे रहने को कहते है। फिर कवि भाई से कहते है- कवि plz मेरी बात मान लीजिए हम पाखि को घर ले चलते है।
सेतु भाभी- हां, यही सही है।
रवि भाई- एकबार जो कहा सो कहा, यह घर नहीं आएगी।
उनकी बात सुनकर मुझे यह तो पता चल गया था कि मेरी प्रेगनेंसी के बारे में सबको पता चल गया है। मै एक भी शब्द ना बोली। पर मेरी आंख से आंसू निकल आए थे। कवि भाई ने मेरे सिर पर हाथ रखा और कहा- पाखि अब तुम्हे घर आने की जरूरत नहीं है। हम सबको जवाब नहीं दे पाएंगे। बस बता देंगे कि हम ने तुम्हारी मैरेज करवा दी है। बिन ब्याही मां को कोई ताना मरेगा तो हम सुन नहीं पाएंगे तेरे बारे में। इससे अच्छा तुम अब अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी लेना। हम तुम्हारी हर मुमकिन मदद करेंगे। पर अब घर पर नहीं आना। हम नहीं चाहते कोई हमारी बहन के बारे में कुछ भी बोल जाए।

मेरी आंखो से लगातार आंसु बहे जा रहे है। मेरे घरवाले मेरा सामान देकर चले जाते है। अब रात हो गई थी मुझे हॉस्पिटल से जाना भी था। मैंने किसी को कुछ नहीं कहा और बेड से उतरकर अपना सामान लेकर वहा से जाने लगी। तभी रवि भाई मेरे पास आए और बोले- क्या हुआ तेरे दोनों भाई ने रिश्ता तोड़ लिया तो, तेरा यह भाई अभी जिंदा है। और तु यह सामान छोड़। अब तुम्हे कोई भारी चीज नहीं उठानी है। रवि भाई के इतना बोलते ही मै जोर जोर से रोने लगती हुं। सुबह से जो रोना सीने में दबाए रखा था सब मानो बाढ़ बनकर निकलने लगा।
निशु को इस बात से राहत मिली की आखिरकार इसने रो तो लिया वरना इस हालत में क्या होता इसका।
निशु- पापा अब क्या करे? हम पाखि को यूं अकेला..। क्या मै इसे घर ले जाऊं?
गायत्री जी- नहीं, ये लड़की मेरे घर नहीं आएगी।?
भरत जी- ये क्या बोल रही है आप गायत्री? इस हालत में ये कहा जाएगी?
गायत्री जी- मै कुछ नहीं जानती। पर मेरे घर तो यह हरगिज़ नहीं आएगी।
भरत जी- यह आप बोल रही है? आपको तो पाखि पसंद है न?
गायत्री जी- थी, अब नहीं ?।
रवि- अंकल- आंटी आप लड़ाई मत करिए। यह मेरी बहन है और इसकी जिम्मेदारी भी मै ही उठाऊंगा।
आंटी- तुम निशु के मंगेतर हो रवि।
रवि- और पाखि मेरी बहन है।
रवि पाखि को वहा से लेकर चला जाता है।
निशु अपनी मम्मी से कहती है यह आपने ठीक नहीं किया। और वह भी रूम से बाहर चली जाती है। बाद में भरत जी भी चले गए अवि के पास, रह गई सिर्फ गायत्री जी अकेली।

रवि भाई मुझे अपने घर ले गए। घर पर मुझे सामान के साथ देखकर अंकल आंटी कुछ पूछे उससे पहले रवि भाई उन्हे चुप रहने को कहते है और मुझे ऊपर उनकी बहन के रूम में ले जाते है। मुझे आराम करने को कहकर नीचे चले जाते है।
रवि ने नीचे आकर अपने मम्मी पापा को सब बताया। रवि की मम्मी ने कहा- गायत्री जी एसा कैसे कर सकती है? बच्चो के रिश्ते को अपना लेना चाहिए उन्हे। इस वक्त बेचारी पाखि की हालत का तो ध्यान रखा होता। कोई बात नहीं हम सुबह बात करते है उनसे। पाखि अब मेरी बेटी है, इसको दुखी नहीं होने दूंगी। सब फिर सोने चले जाते है।

मेरी आंखो से निंद कोसों दूर है, रूम की लाईट चालु देखकर रवि भाई अंदर आए। मै अपने कपड़े बदलकर बेड पर लेटी हुई थी। रवि भाई मेरे सिरहाने आकर बैठते है और मेरे सिर पर अपना हाथ रख देते है।
रवि भाई- पाखि कल हम हॉस्पिटल जाकर निशु से एकबार अच्छे से चेकअप करा लेंगे।
मै- हममम्। भैया मेरी कार कॉफी शॉप के बाहर ही मै छोड़ आई थी। हम कल वहां से ले लेंगे।
रवि भाई- तु फ़िक्र मत कर, मै किसी से कह दूंगा हॉस्पिटल में। वह ले आएंगे। अच्छा एक बात बता, ये सब कब हुआ? मनाली...?
मै- हां भैया। जिस वक्त आप सब ट्राफिक जाम में फंसे थे उस रात।
रवि भाई- तु अवि को रोक सकती थी।
मै- उन्होंने जबरदस्ती नहीं कि थी, हम दोनों की मर्जी से सब हुआ था। आप सिर्फ उसे दोष मत दे।?
रवि भाई- तुझे यह तो पता है तु मां बनने वाली है पर क्या ये पता है तुम्हारी कोख में जुड़वा बच्चें है?
मै- क्या ?? जुड़..वा..??
रवि भाई- पाखि तु इन्हे रखना चाहती है या अबॉर्शन..।
मै- नहीं भैया, ये आप क्या बोल रहे है? ये हमारे प्यार की निशानी है। इन्हे किसी भी हालत में मै अबॉर्ट नहीं कराऊंगी। अकेले पालना पड़ा तो भी पालूंगी।
रवि भाई- मै बस तुम्हारी राय जानना चाहता था। वैसे मुझे मामा बनने की खुशी तुम्हारी मां बनने की खुशी से ज्यादा है समझी।
मै- अवि की हालत कैसी है? मुझे उसे देखना है, उनके पास रहना है।?
रवि भाई - कल मै जाऊंगा हॉस्पिटल। आज की हालत तो तुम्हे पता ही है। मै रात को रुकने ही वाला था पर यह सब हो गया।
मै- plz आप निशु से मेरी बात करवाए ना।
रवि भाई- इतनी रात को? ठीक है करता हुं कॉल।

रवि का कॉल आया तब निशु अपनी मम्मी के साथ घर आ गई थी। वह अपने रूम में पहुंची ही थी के रवि का कॉल आ गया।
निशु- मै तुम्हे ही कॉल करने वाली थी। पाखि कैसी है?
रवि- उसी के साथ बैठा हुं। वो तुमसे बात करना चाहती है, लो बात करो।
मै- निशु, अवि की हालत..
निशु- चौबीस घंटे तक ऑब्जर्वेशन में है। अगर कुछ ना हुआ तो एक week के बाद हम उन्हें अपने हॉस्पिटल में शिफ्ट कर लेंगे। तु उनकी फिकर छोड़ और अपना ध्यान रख। उनके लिए बहुत लोग है। पर तुम्हारे साथ...।
मै- तुम और रवि भाई होना। और मेरे यह मम्मी पापा भी है न।
रवि भाई मेरे हाथ से फोन ले लेते है और निशु से कहते है- कल तु सुबह कुछ वक्त के लिए हॉस्पिटल आ जाना। मै पाखि को लेकर आता हुं चेकअप के लिए।
निशु- ठीक है, कल दस बजे आ जाना पाखि को लेकर। नहीं नहीं अब तो भाभी ही बोलूंगी। आ जाना भाभी को लेकर।? ठीक है फिर मिलते है कल।

अगली सुबह मै रवि भाई के साथ हॉस्पिटल पहुंचती हुं। जैसे मै निशु की केबिन में पहुंची मेरे सब फ्रेंड्स मुझे सरप्राइज देने पहले से पहुंच गए थे। मेरे दरवाजा खोलते ही सब एक साथ congratulations.. कहते है। राजा और दिशा ने तो तीन अलग अलग मोबाइल से काव्या, रिद्धि और मीना को वीडियो कॉल कर रखा था। उन सब को देखकर मै कुछ वक्त के लिए अपना दर्द भूल गई। निशु ने सब को बुला लिया था और सब बता भी दिया था। अवि के लिए सब सेड थे पर साथ मै हमारे रिश्ते के लिए खुश भी थे। हर कोई बच्चो से अपना रिश्ता जोड़ रहा था। कोई मामा, कोई मौसी, कोई मौसा...। मुझे अपने घरवाले याद आ गए। वो भी तो मामा और मामी बनने वाले है। मेरी आंखो ने आंसू आ गए। सब मुझे सांत्वना देने लगते है। कहते है- तु फिकर मत कर, हम सब तेरे साथ है। साकेत ने तो यहां तक कह दिया- अब तु केवल आराम ही करेगी, अब कोई काम नहीं।
मै- नहीं साकेत। जब तक ठीक हुं तब तक आती रहूंगी। अकेले घर पर टाइम नहीं निकलेगा मेरा। फिर ये सब भी पास ही तो है। थक गई तो आराम कर लूंगी।
निशु- अच्छा अब आप सब बाहर जाइए मुझे इसका चेकअप करने दीजिए। मुझे फिर एम्स में भी भाई के पास जाना है।
सब बाहर चले जाते है सिवाय दिशा के। दोनों मिलकर स्क्रीन पर देखती है।
दिशा- wow! यार। वैसे तो हम रोज कितनी लेडीज़ का चेकअप करते है, उनके बच्चो को देखते है। पर अपने घर के बच्चो को देखने की एक्साइटमेंट कितनी होती है! क्यो निशु?
निशु- हा सच कहा। मै इस वक्त बता नहीं सकती मेरे भाई के बच्चे...? पाखि मै तुम दोनों के लिए बहुत खुश हु। भगवान करे अवि भाई जल्दी ठीक हो जाए।
मै- मेरे बच्चे कैसे है?
दिशा- दोनों बहुत ही सुन्दर है।
निशु- तुझे कहा अभी से सुंदर दिखे?
दिशा- ये दोनों इतने अच्छे दिखते है तो बच्चे सुंदर होगे ही ना।?
निशु- पाखि तुम्हारे और भाई के बच्चे बिल्कुल ठीक है। मै कुछ दवाइयां लिख देती हुं। याद करके खा लेना, हर बार की तरह दवाई में चोरी नहीं चाहिए, समझी?
मै- इस बार नहीं करूंगी।
निशु- और एक बात, तु कभी मुझसे नहीं पूछेगी अंदर लड़के है या लड़की। दिशा तु भी कभी किसी को नहीं बताएगी तुझे राजा की कसम है।
दिशा- क्या यार?। क्यो ना बताऊं?
निशु- पहले से कह देंगे तो लास्ट मोमेंट का एक्साइटमेंट कैसे रहेगा।
दिशा- हां यार, ये तो मैंने सोचा ही नहीं। अब तो राजा ऊपर से नीचे कूद जाए, मै उसे कभी कुछ नहीं बताऊंगी प्रोमिस।
निशु- अच्छा मै अब निकलती हुं। दिशा तु संभाल लेना आज।
मै- निशु, मुझे भी आना है अवि के पास।
निशु- ठीक है चलो। बाहर रवि को बता देती हुं।

हम दोनों रवि भाई को बताकर अवि के पास हॉस्पिटल पहुंचे। निशु ने अंकल से अवि के बारे में पूछा। अंकल ने बताया अभी तक सब नॉर्मल है, कोई चिंता की बात नहीं हुई है। आंटी जी भी वही पर थे। मुझे देखकर वह कुछ बोलना चाहते थे पर अंकल ने उन्हे इशारे से चुप रहने को कहा। मैंने अंकल से परमीशन ली अवि से मिलने की और उन्होंने हकार में अपना सिर हिलाया। मै पहले अंदर गई। अवि को देखकर आंखो में अपने आप ही आंसू बहने लगे।
मै अवि के पास पहुंचकर उन्हे धीरे से कहती हुं- अवि आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते है? अकेले अकेले यहां लेट गए। मेरा ख्याल कौन रखेगा अब? आप अपनी आंखे खोलीए मुझे आपको कुछ बताना है। आप कब निंद से जागेंगे अवि? मुझे अकेला लग रहा है। plz अवि ऐसे ना सताइए, जल्दी ठीक हो जाइए।
निशु फिर अंदर आती है। मुझे रोता हुए देखकर बाहर ले जाती है।
निशु- ये क्या पाखि? तु अब अकेली नहीं है। दो नन्ही जान पल रही है तेरे अंदर। रो रोकर उसका भी बुरा हाल करेगी क्या?
मै यह सुनकर अपने आंसू पोछ लेती हुं। मुझे मेरे, हमारे बच्चों का ध्यान रखना है। मै अब नहीं रोऊंगी। बस आप जल्दी ठीक हो जाइए अवि।?
निशु- फिर से सोचने लगी? भाई को होश आएगा तो वह क्या कहेंगे? मेरी पाखि का किसीने ख्याल नहीं रखा?
गायत्री आंटी- अब यह सब नाटक हो गया हो तो इसे कहो यहां से चली जाए। किसी और का बच्चा मेरे बेटे के मत्थे थोप रही है।
यह सुनकर मै चलने लगती हुं। पर मै रोई नहीं, और रोऊंगी भी नहीं। मेरे बच्चो का सवाल है।
पाखि के जाने के बाद निशु अपनी मम्मी को खरी खोटी सुना देती है। भरत जी बिना कुछ बोले वहीं खड़े रहकर मां- बेटी की बहस सुनते है।

मै अपने इमेजिन सेंटर चली जाती है। साकेत मुझे देखते ही टोक देता है- ये क्या पाखि, तुम यहां क्यो चली अाई? तुम्हे अब आराम करना चाहिए।
मै- नहीं साकेत, आराम नहीं कर सकती। अगर अकेली रही तो ना जाने क्या क्या सोचती रहूं। मै अपने आप को काम मै व्यस्त रखना चाहती हुं। और वैसे अभी तो मेरी तबीयत ठीक है, तुम टेंशन मत करो। अच्छा ये बताओ इस महीने का कलेक्शन क्या रहा है? मुझे घर पर भी पैसे भिजवाने है। वे लोग भले ही मुझे ना बुलाए पर मेरे लिए लिया कर्ज तो उन्हे लौटना ही है मुझे।
दोनों इस महीने का हिसाब कर लेते है। पाखि अपने हिस्से की अमाउंट साकेत के हाथो घर भिजवाने को कहती है। और यह भी कहती है- घर पर कहना ये आप ही के पैसे लौटा रही है। और मुझे वापस लेने से भी मना कर दिया है। साकेत इतने में प्युन से कहकर पाखि के लिए ज्यूस मंगवाता है।
साकेत- पाखि तूने खाना खाया?
मै- नहीं अभी बाकी है।
साकेत- अरे यार क्या कर रही हो तुम। अब तक भूखी मत रहो। चल हम आज मेरा टिफिन साथ में खाते है। और कल से तुम्हारा टिफिन भी मै ही लेकर आऊंगा।
मै- साकेत इसकी क्या जरूरत है। मै लेकर आऊंगी।
साकेत- बिल्कुल नहीं। देख तेरे बच्चो का पापा तो तूने किसी और को चुन लिया। अब मुझे अंकल तो बनने दे।? मेरे भतीजे या भतीजी का ध्यान तो मुझे रखना ही है।
इस बात पर दोनों हस पड़े।? मेरा मन सिर्फ और सिर्फ अवि की यादों में खोया है। पर मै किसीको बताना नहीं चाहती। मै उनके पास रहना चाहती हुं लेकिन आंटी जी के कारण नहीं रह पाती वहां। उनका गुस्सा करना भी जायज है। ना मै अवि को मिलने बुलाती ना ही यह सब होता।?
साकेत- क्या सोचने लगी। चल खाना शुरु कर। अच्छा ना लगे तब भी खा लेना।
अभी हम खाना शुरु ही करने वाले थे तो दरवाजे पर दस्तक हुई। साकेत ने बाहरवाले को अंदर आने की परमिशन दी। जब दरवाजा खुला तो सामने रवि भाई (डॉक्टर) थे- मेरे बगैर ही खाना शुरु?
मै- भैया आप।
रवि भाई- तुम्हे क्या लगा, मै तुझे भूखा रखूंगा?
मै- नहीं ऐसी बात नहीं है। यह तो साकेत को बुरा ना लगे इस लिए..।
रवि भाई- घर से मम्मी ने टिफिन भिजवाया है खास तेरे लिए और सारा खाना ख़तम भी करवाने को कहा है। साकेत के साथ साथ मै भी यही लंच लूंगा। और हां, मम्मी ने कुछ फ्रूट्स भी रखे है उन्हे भी तुम्ही को खाना है।
साकेत- मोस्ट वेलकम सर! आप भी हमें जॉइन कीजिए।
फिर तीनों साथमे टिफिन खोलकर खाने लगे। लंच होजा ने के बाद साकेत ने मुझे ऊपर बने रूम में आराम करने के लिए भेज दिया। और रवि भाई अवि के पास हॉस्पिटल चले गए। हमने ऊपरी मंजिल पर एक रूम आराम करने के लिए बनवाया था। जब कभी किसी की तबीयत ठीक न हो तब वहीं आराम करते थे। पर अब साकेत ने सुबह और शाम का मेरा टाइम फिक्स कर दिया कहा- तु सिर्फ ये टाइम पर ही आयेगी और जाएगी। बाकी वक्त पूरा आराम ही करेगी। और मैंने भी उसकी यह बात मान ली।

एक सप्ताह बाद अवि को उसी के हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया। अवि अबतक कोमा से बाहर नहीं आए थे। मै रोज अवि को देखने जाती हुं। निशु मुझे ज्यादा वक्त तक हॉस्पिटल में नहीं रहने देती। भरत अंकल अब अवि को घर ले जाना चाहते है। कुछ दिनों में अवि को घर भी ले गए। मै सोच रही थी अब मै घर पर कैसे जाऊंगी? आंटी जी को तो मुझे देखते ही गुस्सा आ जाता है।
एक रात को निशु मुझे जबरदस्ती अपने साथ घर ले जाती है। आंटी जी मुझे देखकर खड़ी हो गई पर अंकल ने उन्हे हाथ पकड़कर बिठा दिया। मै निशु के साथ सीधे ऊपर रूम में अवि के पास चली गई। आंटी ने निशु को कॉल करके नीचे बुलाया। निशु ने मुझे वहीं रहने का कहा और वह नीचे चली गई।
गायत्री जी- निशु तु इसे यहां क्यो ले अाई? इसे कहो अभी यहां से चली जाए।
निशु- मम्मा plz, आप अब बस कीजिए। बहुत हो गया। कब तक पाखि को कोसती रहेगी? ये मत भूलिए की आज जो उसकी हालत है उसका जिम्मेदार आपका बेटा है। बेचारी को उस वजह से अपना घर भी छोड़ना पड़ा। और आप है के...।
गायत्री जी- वो दूसरे के पाप को मेरे बेटे का नाम दे रही है। तुम सब अंधे हो मै नहीं।
निशु- आप ये क्या बोल रही है? पाखि कभी जूठ नहीं बोलती और ये बात सब जानते है। आपका यह भ्रम अब मुझे तोड़ना ही पड़ेगा। मै पाखि के बच्चो का DNA test करवाऊंगी, तभी आप मानेंगी।?
भरत जी- नहीं नहीं, एसा नहीं करेंगे। उन छोटी सी जान के साथ ये सब।?
निशु- अब तो यही होगा पापा। मम्मी का पाखि की तरफ का रवैया अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। ये टेस्ट तो होकर रहेगा। और यह भी सुन लीजिए, अगर टेस्ट पॉजिटिव आया तो पाखि इसी घर में रहेगी। बोलिए मंजूर है?
गायत्री जी- मंजूर है। और मुझे यह भी पता है वो नगेटिव ही आएगा।?
निशु- आपका यह भ्रम भी अब टूट ही जाएगा कि यह भाई के बच्चे नहीं है।

मै अवि के पास बेड पर बैठी हुई थी। निशु ने बताया था भाई सब सुन सकते है, सब महसूस कर सकते है पर बोल नहीं पाते। मैंने अभी अवि को मेरी प्रग्निनेसी के बारे में बताना चाहा। शायद वह कुछ रिस्पॉन्स दे इस बात पर। मै उनके पास खड़ी हो गई और उनका हाथ अपने पेट पर रखा।
मै अवि से कहने लगी- अवि आपको पता है मैंने यहां आपका हाथ क्यो रखा? घबराइए मत मुझे पेट दर्द नहीं है ?। पता है आप पापा बनने वाले है...। सच कह रही हुं। उस दिन भी आपको यही बात बताने के लिए बुलाया था। पर आप तो यहां आकर लेट गए। अब मेरा खयाल कौन रखेगा? पता है हमें जुड़वा बच्चे होने वाले है। देखिए उनके इस दुनिया में आने से पहले आपको ठीक हो जाना है। मै अकेले कैसे दो बच्चो को संभालूंगी?
मै अवि के सामने लगातार देखकर बोले जा रही थी। उनकी आंखो में आंसू आ गए थे। मैंने वह आंसू पोछ दिए और उनसे कहां- आपको रोना नहीं है। अगर मै और आप रोते रहे तो हमारे बच्चे रोतले आएंगे। फिर उनका रोना कौन सुनेगा?? हम हमेशा खुश ही रहेंगे ठीक है? अभी आंटी नाराज़ है, क्योंकि हमने उन्हें कुछ बताया नहीं था तो। पर वह भी जल्दी ही मान जाएंगे।
अवि के लिए एक मेल नर्स को चौबीसों घंटे के लिए रखा हुआ था। निशु ने अभी उसे रूम से बाहर भेज दिया था। निशु वापस रूम में आती है तो उसका चेहरा गुस्से से तपा हुआ था। मैंने उससे पूछा- क्या बात है? इतना गुस्सा क्यों?
निशु- यार ये मम्मी ने परेशान करके रखा हुआ है। पाखि कल तुम्हारे बच्चो का DNA test करवाना है। अब तो मम्मी को यह मानना ही पड़ेगा ये भाई के ही बच्चें है।? पापा भी उनसे कुछ कहते नहीं। क्या उन्हे रवि पर भी भरोसा नहीं है, उसकी बात को भी जूठला दिया।
मै- निशु उनको सोचने दो जो सोचना है। मुझे पता ही है यह किसके बच्चें है।
निशु- सोरी पाखि, पर मेरी खातिर ये टेस्ट हो जाने दो। मम्मी का बार बार तुम्हे बेइज्जत करना..., मुझसे अब सहन नहीं हो रहा है। मैंने मम्मी से कह दिया है अगर रिपोर्ट्स पॉजिटिव आए तो तु इसी घर में रहेगी।
मै- और आंटी ने क्या कहां?
निशु- अभी तो हां ही कहा है। पर देखना मै तुम्हे इस घर में लेकर ही आऊंगी। अगर तू भाई के पास रही तो शायद भाई भी जल्दी ठीक हो जाए।
मै भी अवि के पास रहना चाहती थी। अपनी प्रेगनेन्सी में अवि के साथ सब शेयर करना चाहती थी। निशु के कहे मुताबिक़ मेरे यहां रहने से शायद अवि जल्दी ठीक हो जाए।

क्रमशः
अगला पार्ट कहानी का लास्ट पार्ट होगा तो ज्यादा इंतेज़ार नहीं करना पड़ेगा। यह स्टोरी पसंद आए तो इसे जरूर सराहे।