manchaha - 36 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 36

Featured Books
Categories
Share

मनचाहा - 36

रात को हम दिल्ली पहुंचे। अवि और निशु को लेने ड्राईवर आया था कार लेकर। रवि भाई अपनी कार हॉस्पिटल में ही छोड़ गए थे तो रवि भाई और मै साथ में ही घर चले गए। घर पर सब इंतजार करते ही बैठे थे। जैसे ही घर पहुंची चंटू-बंटू दोनों आकर लिपट गए। सब के साथ कुछ देर बैठकर सोने चली गई।

सुबह उठी तब भी थकान नहीं गई थी। पर कब तक थककर बैठी रहूंगी। वहा साकेत भी अकेला पड़ जाएगा। चलो जाती ही हुं। सुबह नहा धोकर तैयार होकर नीचे जा रही थी अपना वॉट्सऐप चैक करते हुए। सुबह सुबह अवि के मैसेजेस आ गए थे। लंच साथ में करने को कह रहे थे। मैने हा तो कर दिया पर अाज कुछ ज्यादा ही पेशंट्स थे तो लंच करने का मौका ही ना मिला। अवि को कॉल करके बता दिया आज नहीं आ पाउंगी। तो अवि ने डिनर के लिए पूछा। पर इतने दिन बाहर खाकर उब चुकी थी तो मैंने मना कर दिया। आज तो भाभी को मेरे लिए सिर्फ खिचड़ी ही बनाने को कहा है। इतने टाइम से बाहर का खाकर पेट भी खराब हो गया है। अवि जैसे ही ओपीडी से फ्री होते है सीधा कॉल कर देते है। मैने अवि से कहा आप फ्री हो गए इसका मतलब ये नहीं कि मै भी फ्री हुं। इतने दिन से साथ ही तो थे। तो अवि कहते है- इसी लिए अभी तुम्हारी कमी खटकती है।
मै- ठीक है अभी फोन रखिए, अभी MRI के लिए बुला रहे है।
अवि- साकेत को बोलना, वो कर लेगा।
मै- सोरी, मै अपने काम में चोरी नहीं करती। ठीक है अब फोन रखिए, मुझे जाना है। फ्री होते ही कॉल बेक करूंगी।
अवि- ठीक है।? पर मिलेगी कब?
मै- बताया ना, फ्री होते ही बताती हुं। आज कुछ ज्यादा ही केसेस आ रहे है। लगता है देर तक रात को रुकना पड़े।
अवि- कोई बात नहीं, मै आ जाऊंगा वहा।
मै- क्या कहकर आएंगे? कोई बोलेगा नहीं, अब तक नहीं आए और अब क्यू आने लगे? ऐसे ही पोल खुल जाएंगी। वैसे आप कब बात करने वाले है घर पर।
अवि- बस मौका ढूंढ़ रहा हुं। जैसे ही कोई शादी के बारे में बोले तब फट से बता दूंगा।
मै- अच्छा ठीक है, पेशंट आ गए है मशीन पर अब मै फोन रखती हुं, बाय।
अवि- बाय एंड लव यू।?

आज वाकई में देर हो गई। अवि से मिलने का मौका भी ना मिला। आज रात वो सोने नहीं देंगे मुझे।☺️ जब घर पहुंची तो सब सोने की तैयारी कर रहे थे। रवि भाई मेरी राह देखकर बैठे हुए थे। भाभी ने सब खाना डाइनिंग टेबल पर रख दिया था। मेरे कहे मुताबिक़ भाभी ने खिचड़ी बनाई वहीं खाने बैठ गई। भैया बोले खिचड़ी में घी डालू क्या?
मै- भैया, मोटी हो जाऊंगी घी खा खाकर। आप क्यो अभी तक जग रहे है? अब तो ये रोज का हुआ।
रवि भाई- हां ,पर अपनी गुड़िया को देख न लू तब तक कहा निंद आएगी?
मै- अच्छा...। फिर ससुराल चली जाऊंगी तब क्या करेंगे?
रवि भाई- तब देखा जायेगा।?
मेरे खाना खा लेने तक दोनों भाई बहन साथ ही बैठे। फिर सब किचन में रख कर अपने अपने कमरे में चले गए। सेंटर से निकलते वक्त दस बज चुके थे और उस वक्त मैंने अवि को कॉल कर दिया था। अभी रूम में आकर नहाकर फ्रेश ही हुई थी के अवि का फोन आ गया।
मै- आपको पता चल गया कि अब मै फ्री हुई?
अवि- हा, बिल्कुल। मुझे सब पता रहता है। बोलो अभी अभी नहाकर आई हो ना?
मै- आपको कैसे पता?
अवि- ? ज्यादातर डॉक्टर्स नहाकर ही सोने जाते है। पता नहीं क्या?
मै- ओह हां! आपका अनुमान वैसे तो ठीक ही है पर डॉक्टर्स के सिवा भी लोग नहाते है रात को। बताइए क्यो कॉल किया? आज मेरा बात करने का बिल्कुल भी मुड़ नहीं है। plz आज जल्दी सोना है। हम कल बात करे?
अवि- जैसी तुम्हारी मर्जी, जानेमन। पर कल मै तुम्हे लेने आऊंगा सुबह। कल की चाय हम साथ पिएंगे। अच्छा गुड नाइट।
मै- घर पर? ना बाबा ना। मै कहीं बीच रास्ते ही मिलूंगी आपसे। अभी घर पर मत आना। सुबह सुबह मेरे घरवाले आपको जाने नहीं देंगे और मुझे आपके कारण देर हो जायेगी।
अवि- ठीक है, तुम्हारे घर के बाहर बस स्टैंड पर मेरी राह देखना।
मै- ठीक है, बाय एंड गुड नाईट।

मेरे बस स्टैंड पर जाने तक अवि वहा आ पहुंचे थे। जैसे ही कार में बैठी पहले ही गले लगा दिया। फिर कहने लगे- यार अब तो नहीं रहा जाता तेरे बिना। आज मम्मी पापा यूरोप टूर पर गए है बीस दिन के लिए। जब वे आएंगे सीधे हमारी शादी की बात कर दूंगा।
मैं- तब तक सब्र करे। और चले चाय पीने, वरना हॉस्पिटल जाने का वक्त हो जाएगा।
हम दोनों एक कैफे में जाकर बैठे। अवि ने चाय के साथ ब्रेकफास्ट का ऑर्डर भी दे दिया। मैंने अवि से कहा घर से नाश्ता करके नहीं आए?
अवि- आज जरा देर से उठा था तो नाश्ता करने का टाइम नहीं मिला।
मै- मैंने तो ब्रेकफास्ट कर लिया है, तो आप ही खा लेना।
अवि- मैंने अपना ही मंगवाया है। पता है तु सिर्फ स्पेरो? जितना ही खाती हो। और इतना तो घर से खाकर ही अाई होगी।
मै- हां, ठीक है अब, चलो जल्दी नाश्ता कर लो। हम दोनों को जाना भी है।
अवि- अरे ऑर्डर आने तो दो।
ऑर्डर आते ही अवि ने फटाफट ब्रेकफास्ट किया और दोनों निकल गए। मुझे इमेजिन सेंटर उतारकर अवि हॉस्पिटल चले गए। आज भी पूरा दिन व्यस्त रहा। शाम को तो थक कर चूर हो गई थी।
घर पर आज खाना बनाने से मना कर दिया था। मै, अवि, निशु और रवि भाई साथ मैं निशु के घर गए। अवि ने किसी होटल में डिनर के लिए कहा पर मेरी थकान कि वजह से हम ने बाहर जाने का प्रोग्राम कैंसल कर दिया। हमने घर पर ही महाराज से खाना बनवाया और खाना खाया। रात साढ़े दसबजे तक बाते करते रहे। तभी मेरे मोबाइल पर कवि भाई का फोन आया। बंटू की तबियत बिगड़ गई थी। उसे पेट दर्द और उल्टियां हो रही थी। मैंने बंटू को राजा के घर ले जाने को कहा और हम सब भी वही चले गए। राजा के घर पहुंचे तो कवि भाई, मीता भाभी और रवि भाई बंटू को लेकर आ गए थे।
राजा ने जब बंटू को चैक किया तो बताया- इसे अभी एडमिट करना पड़ेगा। दस्त हो गया है। शरीर से बहुत पानी कम हो गया है। हम इसे अभी ले चलते है हॉस्पिटल।
दिशा भी साथ आना चाहती थी पर मैंने मना कर दिया। हम सब थे तो उसे परेशान न होने को कहा।

हम सब जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचे और राजा ने वहा बंटू का ट्रीटमेंट शुरु किया। राजा ने मुझे फिर अपने कैबिन मे बुलाया। मै और कवि भाई उसके केबिन में गए।
राजा- मुझे लगता है एक बार उसका बॉडी चैक अप करवा लेते है। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है और वो शायद थकान भी महसूस कर रहा है।
कवि भाई- हां हम तीन चार दिन से देख रहे है यह खेलते खेलते थक जाता है।
मै- भैया, आपने मुझे बताया क्यो नहीं?
कवि भाई- तुम आते ही काम पर लग गई थी। हमें बात करने का मौका ही नहीं मिला।
मै भैया पर गुस्सा हो जाती हुं- भाई आप मुझे फोन पर तो बता सकते थे न? पहले बता दिया होता तो ये हालत नहीं होती।?
राजा- सुनो पाखि, अभी उसका दस्त का ट्रीटमेंट शुरु कर दिया है। मै कुछ टेस्ट लिखकर देता हुं, वह कल करवा लेते है।
मै- ठीक है राजा। अब बंटू का ट्रीटमेंट होने लगा है तो तुम अब घर जा सकते हो। मै यही हुं, कुछ होगा तो कॉल कर दूंगी।
राजा- ठीक है, वैसे मैंने नर्स को इंस्ट्रक्शन दे दिए है। मै कल सुबह जल्दी आ जाऊंगा। और कल आकर पैथोलॉजी लेब से कोई आ जाएगा उसके ब्लड टेस्ट करवाने के लिए।

मै, कवि भाई और मीता भाभी हॉस्पिटल ही रुक गए और रवि भाई को हमने घर भेज दिया। ट्रीटमेंट शुरु होने से बंटू की वोमिटिंग बंद हो गई थी। और वो सो भी गया था। मैने निशु, अवि और रवि भाई को भी घर भेज दिया। अवि तो रुकना चाहते थे पर कल दो सर्जरी थी तो आराम करना भी जरूरी था उनके लिए। भाभी बंटू के साथ उसके रूम में सो गई। मै और कवि भाई बाजू के खाली रूम में सो गए।

सुबह सेतु भाभी चाय और नाश्ता घर से लेकर आए थे। वो जब तक वहा रुके तब तक मै और मीता भाभी घर नहा धोकर वापस आ गए। बाद में सेतु भाभी कवि भाई के साथ चले गए। ब्लड टेस्ट के लिए लेब से आदमी आ गया था ब्लड कलेक्ट करने। बंटू तब बहुत रोया। उसे मै रोता न देख पाई। डॉक्टर्स के साथ अक्सर ये होता है। सब के इलाज कर लेते है पर घरवाले के इलाज के वक्त वह थोड़ा डिस्टर्ब हो जाते है। कुछ देर बाद दिशा और राजा भी आ गए। राजा ने बंटू को चैक किया और कहा अभी तीन दिन तक रखना पड़ेगा। बाद में आप घर ले जाइएगा। उनके जाने के बाद निशु और अवि भी आकर खबर पूछ गए। रवि भाई को सुबह में एक ऑपरेशन था तो वह नहीं आए थे।

अवि ने एक ऑपरेशन के बाद मुझे कॉल करके अपने केबिन में बुलाया। अवि का केबिन 2nd floor पर था। मैं जब वहा गई तब अवि थोड़े सीरियस होकर बैठे थे। मैंने पूछा इस तरह क्यो बैठे है, क्या हुआ?
अवि- मेरी राजा से बात हुई है बंटू के बारे में। लगता है हमें हार्ट से रिलेटेड टेस्ट भी करवाने पड़ेंगे।
मै- क्या??
अवि- मै अभी थोड़ी देर में आता हु बंटू को चैक करने ओपीडी ख़तम करके। हम दो दिन बाद बंटू के टेस्ट करेंगे।
मै- पर उसे हुआ क्या है?
अवि- वो तो टेस्ट करने के बाद ही पता चलेगा। तुम कवि भाई से बात कर लो, मीता भाभी से अभी कुछ मत कहना।
मै वहीं अवि के केबिन में ही रोने लगी। अवि मेरे पास आकर मुझे समझाने लगे- तु एक डॉक्टर होकर कमजोर कैसे पड़ सकती है? तु एसा करेगी तो घरवालों को कैसे संभालेगी? अभी टेस्ट तो होने दे। एसा थोड़े ही है के रिपोर्ट खराब ही आए। तुम को अब सबको शांत होकर बताना है। ऐसे रोते हुए जाएगी तो सब घबरा जाएंगे।
मै- बंटू को कुछ होगा तो नहीं ना?
मै अवि से लिपटकर रो रही थी तभी वहा श्रुति दी आ गई। मुझे इस तरह रोता देख वह भी पूछने लगी- क्या हुआ पाखि? इतना क्यो रो रही है अवि यह?
अवि ने बंटू की कंडीशन के बारे में बताया तो उन्होंने कहा वह तुम्हारा भतीजा है? मै अभी अभी उसे ही देखकर आ रही हुं। अभी उसकी हालत स्टेबल है, घबराओ मत पाखि। उन्होंने जैसे मेरे सिर पर हाथ रखा, मै उनसे भी लिपटकर रोने लगी। उन्होंने अवि से पूछा ये इतना क्यो रो रही है? अवि ने इशारे से चुप रहने को कहा। फिर मुझे बंटू के पास जाना था, भाभी वहा अकेली थी तो मैंने अपना रोना बंद किया और वहा से चली गई। पाखि के जाते ही अवि ने श्रुति को बताया कि शायद उसके भतीजे को हार्ट का प्रॉब्लम लग रहा है। हम उसके कुछ टेस्ट करवाने वाले है।
श्रुति- ओह! भगवान करे सब ठीक हो।

बंटू अब जाग चुका था और वह कल से बेहतर फिल कर रहा था। वह मूजसे पूछता है- बुआ हम घर कब जाएंगे? मेरी एक्जाम्स आ रही है और मेरी पढ़ाई भी बाकी है।
मै- दो दिन बाद जाना ही है घर तब पढ़ लेना, अभी आराम कर तु। और ये क्या मोबाइल में गेम खेल रहा है?
बंटू- नहीं, अभी तो डाउनलोड कर रहा हुं। लूडो...।
मै- अरे वाह! चल हम दोनों खेलते है। पर एक बार ही, ज्यादा मोबाइल यूज करना तेरे लिए अलाउ नहीं है। राजा आएगा तो तेरे साथ मेरी भी बेंड बजाएगा।
मीता भाभी रात को जगी रही थी तो उनको हमने वहीं सुला दिया। मै और बंटू उसके बेड पर लूडो खेलने लगे। बीच में नर्स ने आकर हाथ में लगी सिरिंज में इंजेक्शन लगाया फिर चली गई। एक तरफ ग्लूकोज की बॉटल चढ रही थी। दोपहर को कवि भाई टिफिन लेकर आ गए। हम सब ने खाना खा लिया। फिर भैया ने कहा अब तु अपना काम देख यहां मै रुकता हुं। अभी मैंने भाई से बंटू के बारे में बात नहीं कि। सोचा कल बता दूं। खामखां टेंशन करेंगे आज से ही। फिर में अपने इमेजिन सेंटर पर चली गई।

तकरीबन छ: बजे अवि का कॉल आया। उसने दूसरा ऑपरेशन भी कर दिया था। उसने बताया आज मैंने अपने घर से सब का टिफिन मंगवाया है। ड्राईवर जाकर ले आएगा।
मै- रहने दो अवि। सेतु भाभी ने तैयारियां कर दी होगी।
अवि- मै कवि भाई से मिलकर आ रहा हुं और उन्होंने घर पर फोन कर दिया है। सेतु भाभी और रवि भाई चंटू को लेकर देर से आएंगे। तेरे साथ रवि ओर निशु भी यही खाने वाले है। तो अब ना मत बोलना।
मै- आपने सब पहले से तैयारियां कर ली है तो मना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पर बंटू के सब टेस्ट के लिए उसे घर से लाना पड़े उससे बहेतर हम उसे एक दिन और यह रख लेते है न।
अवि- मैंने ऑलरेडी राजा से बात कर ली है। कल शाम को हम बंटू को मेरे वॉर्ड में शिफ्ट कर लेंगे।
मै- आप मेरे घरवालों के बारे में इतना सोचते है ईसके लिए दिल से थैंक्स।
अवि- यह मत भूलो अब वो मेरे घरवाले भी है। तो मेरा फ़र्ज़ भी है उन्हे संभालना।
मै- अच्छा ठीक है। पर मुझे आते आते आठ तो बज ही जाएंगे। मुझे छोड़कर खा मत लेना ?
अवि- कोई बात नहीं। हम राह देखेंगे तुम्हारी। इतने भी भुक्कड़ नहीं है हम के तुम्हे छोड़कर खा ले। और मै तो तुम्हें छोड़ कर किसी और को नहीं खाना चाहता।
मै- क्या कहा?
अवि- मेरा मतलब मै तेरे साथ ही खाना खाऊंगा।?
मै- अच्छा तो मिलते है फिर आठ बजे। बाय..
अवि- बाय एंड लव यू ?।
मै- लव यू टू।

साकेत जानता था बंटू को एडमिट किया हुए है तो उसने मुझे जाने के लिए कहा। और वह संभाल लेगा यहां। मैंने थैंक्स कहते हुए जाने की तैयारियां की। वैसे हमने चार assistant doctors रखे हुए थे तो साकेत भी अकेला महसूस नहीं करेगा। मेरे लिए इस वक्त फायदे की बात यह थी कि हॉस्पिटल और इमेजिन सेंटर के बीच ज्यादा फासला नहीं था। मैं जल्दी से वहा पहुंच गई। फिर भी आठ तो बज ही गए थे। बंटू को मिलकर मै अवि के पास गई। वह पेशंट को देख रहे थे। मै बाहर ही निकाल रही थी तो अवि ने वहीं रोक लिया। जब पेशंट गए तो अवि ने वॉर्ड बॉय को बुलाकर कहा अभी किसीको अंदर मत भेजना। वॉर्ड बॉय के बाहर जाते ही अवि मुझे कसके गले लगा लेते है।?
मैंने धीरे से कहा- अवि क्या कर रहे है? कोई आ जाएगा।
अवि- अभी तुम्हारे सामने तो वॉर्ड बॉय को मना किया। वो तूफान आ जाएगा तो भी किसीको अंदर नहीं आने देगा। आज बहुत थक गया हुं तो बस एनर्जी ले रहा हुं तुमसे।
मै- अच्छा...।? तो मिल गई न एनर्जी ? अब छोड़िए।
हम अभी अलग भी ना हुए ओर निशु का कॉल आ गया अवि पर। बता रही थी ड्राईवर घर से निकल चुका है टिफिन लेकर। मुझे जरा देर हो जायेगी। आप लोग खा लेना।
अवि- दिशा है तो सही। आज उसे संभालने दे। पता तो चले कभी अकेले सब पेशंट्स संभालने पड़े तो देख सकती है या नहीं।
निशु- ठीक है, मै बता देती हुं उसे। फिर भी साढ़े आठ तो बज ही जाएंगे। चलेगा?
अवि- चलेगा, इतना टाइम तो मुझे भी होगा। और रवि से बात कर लेना।
निशु- वो भी साढ़े आठ बजे तक फ्री हो जाएगा। तो साथ में ही मिलते है फिर।
अवि के फोन रखते ही मै जाने के लिए उन्हे कहती हुं और वो है कि मुझे छोड़ नहीं रहे थे। निशु से बात करते वक्त भी मुझे गले लगाए ही रखा था।
मै- अवि अब जाने दीजिए, मुझे कवि भाई से बात भी करनी है।
अवि- तूने अभी तक बताया नहीं?
मै- पहले सोचा कल बताऊंगी पर उनके बच्चे के बारे में उन्हे पता होना चाहिए। इस लिए अभी ही बता देती हुं। और भाभी भी साथ ही थे तो नहीं बता पाई थी।
अवि- अच्छा ठीक है जाओ मगर आज का टेक्स देकर।
मै- टैक्स? क्या मतलब?
अवि- मतलब ये..
अवि मेरे होठों पर होंठ रख देते है। और में उन्हे धक्का देकर बाहर चली जाती हुं। बाहर एसा ही दिखाया कोई गंभीर बात करके आ रही हुं। ये अवि ना कभी मरवाएंगे मुझे। मै बंटू के पास जाती हुं तब अवि के ड्राईवर वहा टिफिन रखने आए थे। निशु ने उन्हें रूम नंबर बता दिया था। कवि भाई ने उन्हे शुक्रिया कहा और वो चले गए। मैंने भैया भाभी से वहीं खा लेने को कहा और मैं निशु के साथ खा लूंगी यह भी बताया। मै कवि भाई से बात करना चाहती थी पर शायद वह पूरी रात टेंशन करने लगेगे यह सोचकर नहीं बताया बंटू के बारे में। भैया और भाभी ने खाना खा लिया। बंटू को हॉस्पिटल केंटीन से ही खाना मिलता है। आधे घंटे बाद राजा आकर बंटू को चैक करता है फिर कहता है- अब काफी सुधार है इसकी स्थिति में। कल हम इसे डिस्चार्ज कर देंगे। क्यो बंटू जाना है न घर?
बंटू- हां अंकल।
राजा- अरे अंकल मत बुलाओ वरना दिशा को तुम्हे आंटी बुलाना पड़ेगा। और आंटी शब्द सुनकर वो भड़क जाती है ?।
तभी दिशा ने एंट्री ली।
मै- वैसे बंटू मेरे साथ साथ दिशा को भी बुआ ही कहता है। तो जब दिशा ने बंटू से पूछा- कैसा है अब तू?
बंटू- अच्छा हुं बुआ।
राजा- बुआ? ये कब से तेरी बुआ हो गई?
बंटू- जबसे पहली बार मिले थे तबसे।? यह मेरी बुआ है तो आप हुए ना अंकल... या फूफाजी बुलाऊं?
राजा- नहीं नहीं, तु मुझे अंकल ही बुला।?
दिशा- हम घर जा रहे है, कल तेरे लिए कुछ लाना है पाखि ?
मै- नहीं, मै आज घर ही जाने वाली हुं। आज भैया ओर भाभी यहां रुकने वाले है। कल सन्डे है तो भैया की छुट्टी है। वैसे अभी रवि भाई और सेतु भाभी आते ही होगे। उन्हीं के साथ चली जाऊंगी।
राजा- अच्छा तो कल मिलते है फिर। अब बंटू अच्छा हो गया है टेंशन मत करना मीता भाभी।
मीता- तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया राजा।
दिशा- भाभी इसे काहेका शुक्रिया? आप तो इसे हक से इलाज करने को कह सकती है। कोई शुक्रिया- वुक्रिया नहीं।
मीता भाभी- अच्छा तो मेरी तरफ से इसे अच्छा डिनर बनाकर खिलाना।
राजा- ये क्या बोल दिया भाभी आपने?। डिनर तो जाकर मुझे बनाना पड़ता है जब से मम्मी पापा गए है हरिद्वार।?
उसकी बात पर ठहाके लगाकर सब हस पड़ते है। उन दोनों के जाने के बाद दोनों रवि भाई, सेतु भाभी, निशु, अवि और चंटू सब आते है। रूम में बैठने तक की जगह नहीं बची। सब खड़े खड़े ही बाते करने लगे। फिर कवि भाई ने कहा आप सब अब खाना खा लीजिए, टिफिन भी ठंडा होने आ गया।
सेतु भाभी- अभी तक भूखे है। नौ बजने आए, जाइए खाना खा लीजिए।

हम सब अवि के केबिन में चले गए। पूरे हॉस्पिटल में उसिका केबिन बड़ा था। तीन लोग तो आराम से सो सकते है बेड लगाकर, इतनी जगह है। हम चारों नीचे ही बैठ गए। वॉर्ड बॉय केंटीन से हमारे लिए खाली प्लेट्स ले आया था। खाना वाकई उंगली चाटते रहे एसा बनाया था महाराज ने।
मै- निशु तुम्हारे घर के महाराज खाना बहुत अच्छा बनाते है। हर बार मुझे ऐसा लगता है कि खाते ही रहुं।
निशु- हा वो तो है। मम्मी इसी लिए उन्हे अच्छे से रखती है। कहीं चले गए तो।?
हम सब ने डिनर खत्म किया। सेतुभाभी का कॉल आ गया था घर जाने के लिए। मै बंटू के पास गई तो साकेत भी वहा बैठा था। उसने कहा- तुम्हे कुछ दिन छुट्टी चाहिए तो ले सकती हो। मै वहा संभाल लूंगा।
मै- अभी तो बंटू की हालत अच्छी ही है तो कल मै दोपहर तक आऊंगी।
फिर हम सब साथ में ही हॉस्पिटल से निकले।

दूसरे दिन घर से रवि भाई और सेतु भाभी हॉस्पिटल गए तब मीता भाभी और कवि भाई घर आए। जब वो दोनो ने नहा धोकर, ब्रेकफास्ट कर लिया। फिर बाद में मैंने उन्हें मेरे पास बैठने को कहा और उन्हे वहीं बात बताई जो अवि ने मुझे बताई थी। वह सुनकर मीता भाभी कवि भाई से लिपटकर रोने लगी। मैंने भाभी से कहा- भाभी आज दोपहर के बाद कुछ टेस्ट करने है, बाद में हमें MRI भी करवाना है। तभी पता चलेगा क्या तकलीफ है। मैंने और भाई ने भाभी को संभाला। फिर वे दोनों हॉस्पिटल चले गए। चंटू घर पर अकेला था तो जब तक सेतु भाभी और रवि भाई वापस आए तब तक में घर पर ही रुकी। उनके आते ही में अपने इमेजिन सेंटर चली गई।

मै जब दोपहर के बाद हॉस्पिटल पहुंची तब तक बंटू को 2nd फ्लोर पर अवि के वहा शिफ्ट कर दिया था। अवि ने उसके कुछ टेस्ट भी कर लिए थे अब सिर्फ MRI ही बाकी था। हम सब फिर उसे लेकर वापस हमारे यहां ले आए। बंटू को जब मशीन पर लेटाया तो वह डर के बोला- बुआ मुझे डर लग रहा है। यह मशीन बहुत बड़ी है।
मै- बुआ यही पर है बच्चा। देख पापा तेरे साथ ही खड़े रहेंगे। और पता है आज बुआ खुद तेरा टेस्ट करने वाली है। आज तो तेरे मस्त फोटो निकलने वाला है। देखना तु अभी मशीन कि आवाज से डर मत जाना। हम सब यही ही है ठीक है।
बंटू- ओके बुआ, मै रेडी हुं।

बंटू को मशीन पर रखकर मै कंप्यूटर के पास आ गई। साकेत भी साथ ही था। हम दोनों के अलावा मैंने सब को बाहर भेज दिया था। जब बंटू की बॉडी स्कैन होने लगी मेरी धड़कन जोरो से धड़कने लगी। जैसे रिज़ल्ट सामने आया मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई। साकेत ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे होंसला रखने को कहा। जब मै बाहर अाई तो सब बाहर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैंने एक स्टाफ मेम्बर के साथ मीता भाभी और बंटू को हॉस्पिटल भेज दिया। उनसे कहा अभी रिपोर्ट आना बाकी है। जैसे ही साकेत रिपोर्ट बना ले उसे लेकर हम आ जाते है हॉस्पिटल। भाभी के जाने के बाद साकेत ने बताया तुम सब भी जाओ मै अवि को मैल करता हुं रिपोर्ट।
कवि भाई ने मुझसे पूछा- पाखि क्या है रिपोर्ट में? जो भी हो बता दे अभी। तेरी भाभी के सामने बताया तो मै भी सह नहीं पाऊंगा।
मै भैया को बताती हुं- भैया देखिए घबराएगा नहीं। इसका इलाज भी हो सकता है।
कवि भाई- पर बता तो सही क्या बात है?
मै भाई को मेरी केबिन में ले जाती हुं। बाहर सब लोग खड़े थे, उनके सामने मै भाई को कमजोर नहीं देख सकती थी। मेरे केबिन में जाकर मैने भैया को बताया- भैया बंटू के दिल में सुराग है।?
कवि भाई- क्या?? पर कैसे? पहले तो ऐसा कुछ नहीं था।
मै- भैया संभालिए अपने आप को। इसका इलाज मुमकिन है। हम अवि से बात करते है। आगे के सजेशन वहीं देंगे।
मैंने अवि को कॉल करके सब बता दिया था। उन्होंने मुझे होंसला रखने को कहा। मैंने साकेत से कह दिया रिपोर्ट रेडी रखे मै लेकर ही जाती हुं। जब रिपोर्ट साकेत ने बना दी तो मै और रवि भाई अवि के पास चले गए। आज संडे था पर अवि हमारे लिए ही आज रुके हुए थे। सब रिपोर्ट्स अवि के पास आ चुके थे। उन्होंने भी हमें यही बताया जो मैंने कवि भाई से कहा था। कवि भाई ने घर से रवि भाई को भी बुला लिया था। फिर अवि ने बताया- देखिए आप घबराए नहीं। इसका इलाज संभव है। ये बात अच्छी है के हमें वक्त रहते पता चल गया तो अब इलाज भी जल्द शुरू कर देंगे। देखिए ओपरेशन तो करना पड़ेगा। और अच्छी बात यह है कि बैंगलोर से एक सीनियर डॉक्टर आए हुए है, डॉ.नायडू जो मशहूर कार्डियाक सर्जन है। मै उनसे सेमिनार में दो से तीन बार मिला हुआ हुं। मै उन्हे यहां आने के लिए पूछ लूंगा, और वो मना भी नहीं करेंगे। क्योंकि उन्हें पता है मै गोल्ड मेडलिस्ट हुं और दूसरा बैंगलोर में उनकी हॉस्पिटल का काम पापा की कंपनी ने ही किया है। कवि भाई ने अवि को खर्चे के बारे में पूछा। क्योंकि एकदम से पैसा इकट्ठा करना पड़ेगा तो..।
अवि- अभी आप पैसे की फ़िक्र मत कीजिए। मै एक बार डॉ, नायडू से बात करके आप को बताता हुं।

फिर हम सब बंटू के पास चले गए। दोनों भाभियों को रूम से बाहर बुलाकर कवि भाई ने बता दिया बंटू को दिल में छोटा सा सुराग है। मीता भाभी को यह सुनकर वहीं चक्कर आ गए। किसिके गिरने की आवाज़ सुनकर मै और अवि बाहर आ गए। देखा तो मीता भाभी बेहोश हो गई थी। अवि ने तुरंत कवि भाई और रवि भाई से कहा हम इन्हें मेरे केबिन में ले जाते है, यहां कोई रूम खाली नहीं है।
अवि के केबिन में भाभी को सोफे पर लेटाया। फिर अवि ने चैक किया और बताया फ़िक्र करने की बात नहीं है। सदमे से बेहोश हो गई है। आप इन्हे संभालिएगा, और समजाइए बंटू बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
सेतु भाभी को हमने बंटू के पास भेज दिया था। वहा चंटू और बंटू अकेले थे। मीता भाभी जब होश में आए तो वह फुट फुटकर रोने लगे?। मैंने भाभी को शांत करके समझाया कि हम बंटू का इलाज अच्छे से कर सकते है। घबरानेवाली कोई बात नहीं है। बस अब बंटू को इसके लिए तैयार आप ही को करना है और होंसला आप ही को देना पड़ेगा। मीता भाभी कुछ देर बाद शांत हो जाती है और अवि से कहती है- चाहे कुछ भी हो जाए मै अपने बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगी। आप जो कहेंगे में वो करूंगी बस मेरे बच्चे को ठीक कर दीजिए। मै तुम्हारे सामने अपनी जोली फैला रही हुं अवि। मेरे बच्चे को बचा लीजिए।
अवि- भाभी plz एसा मत करिए। आप देखिएगा दो महीने में तो दौड़ने लगेगा। मुझ पर आप भरोसा रखिए, मै बंटू को कुछ नहीं होने दूंगा। अब मै डॉ. नायडू से बात कर लेता हुं, अगर वो रुकने वाले होगे तो सीनियर डॉक्टर के नाते मैं उन्हे अपने साथ रखके ही ऑपरेशन करूंगा। बंटू जितना आपको प्यारा है उतना मुझे भी प्यारा है, तो अब टेंशन ना करे और बंटू को ऑपरेशन के लिए तैयार कीजिए। कहीं वह ऑपरेशन का नाम सुनकर डर ना जाए।
कवि- अवि, मै तुम्हारा बहुत शुक्रगुजार हुं। तुम ना होते तो पता नहीं इताना जल्दी हम कैसे मैनेज कर पाते।
मै- भैया आप सब बंटू के पास जाइए। अवि जब डॉ. नायडू से बात करते है तब मै यही रहना चाहती हुं। अगर वो मना करे तो मै बात करके कैसे भी मना लूंगी।

सब के जाने के बाद रवि भाई (जो डॉक्टर है) अवि के केबिन में आए।
रवि भाई- बंटू के रिपोर्ट्स आ गए?
अवि- हां। तु भी देखले एकबार।
रवि भाई सब रिपोर्ट्स देखकर दुखी हो जाते है। पर उसका ऑपरेशन संभव है यह सुनकर उन्हे तसल्ली भी हो जाती है। अब तक अपने आपको संभाले हुए थी पर जैसे ही रवि भाई ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे रोना आ गया। भाभी की हालत मुझसे देखी नहीं गई थी। बेचारे अपने बच्चे के लिए उनकी फ़िक्र देखकर मुझे भी रोना आ गया। अवि मुझे रवि भाई के सामने ही अपने सीने से लगा लेते है और मुझे छोटे बच्चे की तरह समझाते है- तुझे रोना नहीं है। इस वक्त भाभी का सहारा बनना है। तुझे रोता देख सब को शक होगा कि मामला गंभीर होगा और तु उन्हे बता नहीं रही है। अच्छा चल तेरे सामने ही डॉ. नायडू को मै कॉल करता हुं।
अवि ने जब डॉ. नायडू को कॉल किया तो एक ही रिंग मै उन्होंने कॉल रिसीव कर लिया।
डॉ. नायडू- हेल्लो, यंग मेन!
अवि- आपने मुझे पहचान लिया सर?
डॉ. नायडू- क्यो नही, तुम्हारा नंबर मैंने सेव किया हुआ है।?
अवि- थैंक्स सर।
डॉ. नायडू- इसमें थैंक्स की क्या बात है। तुम जैसे होनहार डॉक्टर्स की डिटेल्स तो रखनी पड़ती है भाई।?
अवि- सर अगर आपके पास टाइम है तो मुझे आपसे कुछ बात करनी थी।
डॉ. नायडू- हां हां, बोलो।
अवि ने फिर बंटू का केस उनसे डिस्कस किया। और उनकी हेल्प भी मांगी। तब पहले तो उन्होंने कहा- मुझे तो कल निकालना है। कल सुबह तो बैंगलोर की फ्लाइट है मेरी।
फिर कुछ देर बाद कहते है- कोई बात नहीं फ्लाइट का टिकिट मै कल शाम का करा दूंगा। कल सुबह को चलेगा ना मै आ जाऊ तो?
अवि- अरे सर, आपको तो ऑर्डर देना है ना कि मुझे पूछना।?
अवि ने मोबाइल स्पीकर पर रखा था। जैसे डॉ. नायडू मान गए आने के लिए, मै और रवि भाई एक दूसरे को गले लगा लेते है। कल सुबह का ऑपरेशन का टाइम फिक्स किया गया और हम सीधे बंटू के रूम मै चले गए। सब लोग वही थे। हमारे चेहरे की मुस्कान से उन्हे पता लग गया कि डॉ. नायडू मान गए है यहां आने के लिए। हमारे आने तक सब ने बंटू को अपने अपने तरीके से तैयार कर लिया था। जब अवि ने उसे कहा हम कल तुम्हारा छोटा सा ऑपरेशन करने वाले है तो बंटू कहता है- ये सब कबसे यही कहे जा रहे है और आप भी। अरे मै तैयार ही हुं, अब मै बड़ा हो गया हुं। क्या आप सब डरते रहते है ऑपरेशन के नाम से। मै भी बड़ा होकर बुआ की तरह डॉक्टर ही बनाने वाला हुं। और डॉक्टर्स कभी डरते नहीं, क्यो बुआ?
मै- हां बच्चा, यह बात सही है के अब तु बड़ा हो गया है। अच्छा एक काम करते है, तु बड़ा तो हो ही गया है तो ऑपारेशन के बाद तु ठीक हो जाए तब तेरी शादी करा देते है क्यो मीता भाभी।?
बंटू- ए बुआ, इतना बड़ा भी नहीं हुआ हुं। पहले मुझे डॉक्टर बनने दीजिए फिर मै शादी करूंगा।

सब उसकी बात पर हस देते है। और माहौल थोड़ा अच्छा बनता है। आज भी अवि ने अपने घर से ही सबका खाना मंगवाया था। मेरे घरवाले तो उसकी तारीफ करते थकते नहीं थे। शाम के आठ बजे निशु सबके टिफिन लेकर ड्राईवर के साथ आती है। आज भी मैंने अवि के साथ ही उसकी केबिन में डिनर लिया। मीता भाभी ने अपने मायके वालो को कॉल करके सब बताया और कल सुबह ऑपरेशन है यह भी बताया। सेतु भाभी ने भी अपने मायके बता दिया था। अब सब अगली सुबह का इंतज़ार करने लगे।

सुबह हॉस्पिटल में सब मौजूद थे। दोनों भाभियों के मायके वाले भी आ गए थे। डॉ. नायडू अवि के साथ ऑपरेशन थियेटर में जा चुके थे। सब बाहर भगवान का ध्यान करके बैठे हुए थे ताकि ऑपरेशन ठीक से हो जाए। सच कहूं तो बंटू ने बहुत हिम्मत दिखाई थी। अभी तो वह महज़ ग्यारह साल का है पर कैसे वो ऑपरेशन के लिए रेडी हो गया। जब ऑपरेशन खत्म हुआ तब अवि और डॉ. नायडू बाहर आए और उन्होंने कहा- ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा है। आपका बेटा बिल्कुल ठीक है घबराएगा नहीं। हमने डॉ. नायडू को थैंक्स कहा। जब वह अवि के साथ अपने कैबिन में गए तब मै और कवि भाई भी साथ में गए। हमने फिर से डॉ. नायडू का शुक्रिया अदा किया। कवि भाई ने जब अवि से पूछा के डॉक्टर को कितना पेमेंट करना है बता दो, हम कर देते है।
तो डॉ. नायडू ने हंसते हुए जवाब दिया- मै इस बच्चे का एक रुपया लूंगा और वो भी मुझे अभी ही चाहिए।
मै- पर सर एसा कैसे..।
डॉ. नायडू- अविनाश मेरे बेटे जैसा ही है। अपने बेटे की मदद के लिए कोई पैसा लेता है क्या?
अवि- सर plz, आप फीस तो ले लीजिए। दूसरी बार मै आपको कैसे बुलाऊंगा, अगर आप फीस नहीं लेंगे तो?
डॉ. नायडू- दूसरी बार जरूर लूंगा फ़िक्र मत करो। पर इस बार रहने दो। और दूसरी बार तो तुम्हारे घर खाना खाकर जाऊंगा।?
अवि- मोस्ट वेलकम सर। हमें इंतेज़ार रहेगा उस दिन का।
डॉ. नायडू- अच्छा तो अब मुझे चलना चाहिए। अभी बैग भी पैक करना बाकी है। अविनाश क्या तुम मेरे लिए टैक्सी मंगवा दोगे?
अवि- टैक्सी क्यो सर? मै खुद आपको छोड़ने आऊंगा।
फिर डॉ. नायडू को अवि उनकी कार में होटल छोड़ आता है। बंटू को अभी आईसीयू वॉर्ड में शिफ्ट किया है। अभी किसीको मिलने से मना किया था क्योंकि अभी वह बेहोशी की हालत में है। मेरे सब फ्रेंड्स दोपहर को अपनी ओपीडी खत्म करके आ गए थे बंटू को देखने। वे सब उसी हॉस्पिटल के डॉक्टर्स थे तो सब एक एक करके बंटू को देख आए। आज दोपहर का टिफिन मीता भाभी के घर से आयाय था। बंटू के पास रवि भाई बैठे थे। हम सब केंटीन में टिफिन लेकर चले गए। वैसे बाहर का खाना अलाउ नहीं है पर हमारे साथ साथ मेरे सब फ्रेंड्स भी थे तो हमे बैठने दिया गया।

पांच दिन बाद बंटू को डिस्चार्ज मिला गया था। एक महीना हो गया था। अब धीरे धीरे उसकी स्थिति बेहतर होने लगी थी। पर अब मेरी स्थिति बिगड़ने वाली है।?

क्रमशः
आप को मेरी ये रचना पसंद आए तो आपकी अमूल्य समीक्षा जरूर दे और रेटिंग्स भी।?