manchaha - 35 in Hindi Fiction Stories by V Dhruva books and stories PDF | मनचाहा - 35

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मनचाहा - 35

अवि की मल्टी स्पेशियली हॉस्पिटल ने कुछ ही वक्त में अपना नाम कमा लिया है। साथ में कुछ और डॉक्टर्स ने भी हॉस्पिटल ज्वॉइन किया है। पर ऑथोरिटी अवि के पास ही है। पर अवि ने एक नियम अच्छा बनाया था हॉस्पिटल में। सब डॉक्टर्स lunch time में साथ ही lunch करने बैठेंगे। ताकि सब को टाइम मिले साथ में बैठने का और अपने cases डिस्कस करने का।

दिशा और राजा की शादी धूमधाम से हो गई है और रिद्धि ओर रजत की भी शादी हो चुकी है। दोनों की शादी में सबने बहुत एन्जॉय किया था। काव्या अब भी अपने लायक लड़का ढूंढ़ रही है। अवि ने घरमे निशु के लिए रवि उसे पसंद है यह बात बता दी है और दोनों के घर वालों ने भी इस रिश्ते को सहमति दे दी है। पर जब भी गायत्री जी और भरत जी अवि से उसकी शादी की बात करने जाते है तो अवि बात टाल कर वहा से चला जाता है। रवि ने कई बार पूछने की कोशिश की के वह इतना बदल क्यो गया है? क्या पाखि से कोई ऐसी वैसी बात हो गई हो जो तुम्हे बुरी लगी हो। पर उसका जवाब नकार में ही मिलता। पाखि ओर साकेत कभी कभार निशु और दूसरे फ्रेंड्स से मिलने हॉस्पिटल चले जाते है। पाखि को साकेत के साथ देख लगता है अवि को शायद अब ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। साकेत इन सब बातों से बेखबर अब भी पाखि की राह देख रहा है की कभी तो मै उसे पसंद आऊंगा।

रिश्ते पाखि के लिए भी अब आ रहे है पर पाखि ने सबको मना कर रखा है और कहा है कि जब शादी करनी होगी तब बता दूंगी। तब तक कोई फोर्स न करे। घरवाले भी उसकी बात मानकर आए हुए रिश्ते मना कर रहे है।

इस बार दीपावली के टाइम पर पहले तय किया हुआ प्लान अब पूरा करने वाले है। जी हां, शिमला जाने का प्रोग्राम तय करने वाले है सब। रात को सब बात करके तय करने वाले है कौनसी तारीख को जाना है। रात को फ़ोन कॉन्फ्रेंस में एक दूसरे से बात करके तारीख और समय तय हुआ। आने जाने के साथ कुल मिलाकर बारह दिन की टूर तय हुई। अपनी absence में सबने दूसरे डॉक्टर्स को अस्पताल में विजिट के लिए बुला लिया था। ताकि पेशनट्स को परेशानी ना हो।

आखिरकार सब आज फिर अपनी कॉलेज केंटीन में इकठ्ठा हुए है शिमला जाने के लिए। अगली रात को नौ बजे सब बस से जाने वाले है। चाहते तो कार से जा सकते थे पर कोई थकना नहीं चाहता था कार में बैठकर। आराम से AC लक्जरी बस में जानेवाले है सब। फिर सब शिमला में भी यही लक्जरी बस में घूमने जाएंगे। हॉटल्स का और खाने पीने का सारा अरेंजमेंट अवि और रवि ने कर दिया है। बस अब सामान लेकर जाने की देरी है।

काव्या, रिद्धि ओर रजत भी आ गए है। मीना का मन बहुत था आने का पर वह कुछ कारण वश अमेरिका से आ नहीं पाई। अवि की फ्रेंड श्रुति भी आने वाली है। श्रुति का अपने पति से अनबन के कारण डिवोर्स हो चुका है। अब वह भी अवि के अस्पताल में ही pediatrician है। पाखि को यही चिंता खाए जा रही है कहीं श्रुति और अवि एक न हो जाए। पर बेचारी कुछ बोल नहीं पाती किसी से। पता नहीं यह अलगाव कैसे इन दोनों के बीच आ गया।

रात को सब तय कि हुई जगह पर पहुंच गए। नैनीताल के बाद सब फिर से साथ साथ जाने वाले है। हां पर कुछ और लोग भी इस बार साथ में है। जैसे कुछ डॉक्टर्स और स्टाफ मेंबर्स भी। कुल मिलाकर कुछ तीस लोग जा रहे है। हमारे नए नए कपल्स दिशा- राजा, रिद्धि- रजत पीछे की सीट पर बैठे है। निशु भी रवि के साथ है। पर इस बार अवि श्रुति के साथ बैठा है। पाखि ने जब उन्हें साथ ने बैठे हुए देखा तो गुस्से से एक धारदार नजर अवि पर डाली। अवि ने देखा पाखि को गुस्सा आया है श्रुति साथ में है तो, फिर भी वह उसी के साथ बैठा रहा। पाखि फिर काव्या के साथ बैठती है और काव्या से कहती है- यह श्रुति दी हमेशा अवि से चिपकी रहती है। आज भी देखना कैसे उसीके साथ बैठ गई।
सब के आने के बाद बस चलने लगती है अपनी मंजिल की ओर।
फिर काव्या कहती है- मुझे लगता है अपने पती को छोड़ने के बाद वह फिर से अवि को प्यार करने लगी है। पहला प्यार वैसे भी कहा भूल पाता है कोई।
पाखि- अवि कभी उनसे प्यार नहीं करते थे।
काव्या- वो तो पहले की बात है। अब उसके दिमाग में क्या हो हमें क्या पता? मैने दिशा से सुना था हमेशा श्रुति दी अवि के आसपास मंडराती रहती है। हां पर अवि सर कभी उसके पीछे नहीं मंडराते।
पाखि- ऐसा दिशा ने कहा?
काव्या- हां, राजा भी यही कह रहा था। अवि सर काम के सिवा किसी से ज्यादा बात नहीं करते। पता नहीं एसा खड़ूस स्वभाव कैसे हो गया उनका। स्टाफ तो उन्हें देखकर चुपचाप इधर उधर काम करने लगता है वरना उनकी हालत बिगड़ जाती है।
पाखि- निशु भी मुझे यही कह रही थी। घर पर कुछ टाइम साथ में बैठते है पर अब वो हसीं मजाक कहा चली गई पता नहीं। अंकल आंटी भी मुझसे पूछते है के इस क्या हुआ। पर मै तो उनके साथ काम करती नहीं तो मुझे क्या पता।
काव्या- मुझे तो पक्का लगता है ये श्रुति दी अवि सर से शादी के सपने देख रही होगी। तभी तो हर जगह चिपकी रहती है।

यह सुन पाखि का गुस्सा और बढ़ जाता है। वह निशु और रवि जहा बैठे थे वहां गई।
पाखि- रवि भाई आपको नहीं लगता के आपको अवि के साथ बैठना चाहिए।
निशु- क्यो?
पाखि- श्रुति दी उनके साथ बैठी है। मुझे उनकी हरकतें ठीक नहीं लगती।
निशु- अरे दोनों अच्छे फेंड्स है और क्या? भैया आज भी उसे अपनी फ्रेंड ही मानते है।
पाखि- पर श्रुति दी तो कुछ ओर ही मानती है उसका क्या?
रवि भाई- तु सच कह रही है पाखि। पिछले कुछ दिनों से मुझे उसका रवैया कुछ ठीक नहीं लग रहा। जब से यह टूर में जाना तय किया है तब से वह ज्यादा ही अवि के साथ रहती है। लगता है फिर से प्रपोज करने वाली है।
निशु- क्या बोल रहे हो तुम? भैया को नहीं जानते क्या? वह प्रपोज करेगी तो जवाब भी पहले वाला ही मिलेगा।
पाखि- तुझे कैसे पता?
निशु- भैया किसी और से प्यार करते है।
पाखि- क्या?? किससे?
निशु- यही तो नहीं पता कौन है वह। भाई बताता ही नहीं। उसके फ़ोन में उस लड़की की तस्वीर भी है जिसे वह अकेले में देखकर बाते करते रहते है। जब पूछते है तो हर बार कोई नहीं है ऐसा कहके बात टाल जाता है। पर हमने भी प्यार किया है आशिक़ का दर्द तो समज सकते है।
पाखि- तुम्हे कैसे पता उनके फॉनेमे किसी लड़की की तस्वीर है?
निशु- एकबार उनके कमरे में गई तो वह फोन की स्क्रीन पर देख बडबडा रहे थे। में नजदीक गई तो फ़ोटो ज़ूम कर दी। ताकी उस लड़की का चेहरा मुझे ना दिखे। और होशियार भी इतने है की मोबाइल में पासवर्ड डाल रखा है जो उनके सिवा कोई नहीं खोल पता।
पाखि- यह सब छोड़, और अभी उस नकचड़ी को वहा से भगाओ। निशु तु उसे अपने पास बुला ले।
निशु- फिर रवि कहा बैठेगा?
पाखि- अवि के पास।
निशु- वो क्यों वहा जाएगा? नहीं नहीं, रवि यही मेरे पास बैठेगा।

रवि इशारे से पाखि को शांत रहने को कहता है। पाखि सोचती है कि सात-आठ घंटे लगेंगे शिमला पहुंचने में। तब तक वो अवि को श्रुति के साथ कैसे देख पाएगी? रवि अपनी जगह से उठकर अवि के पास जाता है। वो श्रुति को कुछ देर दूसरी सीट पर जाने को कहता है। बस में काफी जगह खाली थी। बस 52 सीट्स की है और बैठने वाले 30 थे। तो श्रुति को कहीं पर भी कुछ देर बैठने को बोल दिया। श्रुति काव्या के पास खाली जगह देख उसके साथ बैठ गई। पाखि अभी भी निशु के पास खड़ी रवि भाई को देख रही थी।

रवि- क्या बे, इस श्रुति के सिवा कोई मिला नहीं तुम्हे पास बिठाने के लिए?
अवि- क्या कुछ भी..। जगह खाली थी तो बैठ गई उसमे क्या?
रवि- बस में और भी जगह खाली है,फिर तेरे पास ही क्यो? मुझे लगता है इस बार वो अपना जादू चला ही देगी तुझ पर।
अवि- वो सिर्फ अच्छी दोस्त है मेरी।
रवि- पर वो तो कुछ और ही मानती है तुझे। सारी अस्पताल के स्टाफ को पता है वह तुझ पर लट्टू है।
अवि- क्या बात कर रहा है??
रवि- और नहीं तो क्या? तुझे पता नहीं चलता वो हमेशा तेरे साथ ही क्यो रहती है? हॉस्पिटल में और लोग भी है, उनके साथ क्यो नहीं जाती?
अवि- वो अपने पति से परेशान थी तो में बस उसकी बाते सुनता हुं ताकी उसका दर्द कम हो। और ऐसा वैसा कुछ सोचने की जरूरत नहीं है।
रवि- ओ हेल्लो..! उसका डिवोर्स हुए छे महीने हो गए अब कहेका दर्द? और छोड़ा इसने ही है अपने पति को जबरदस्ती। वो तो बेचारा अच्छा ही था। तु क्या नहीं जानता? अपने आपको बचा के रखना उससे। उसकी नीयत में खोट आ गई है, अब ध्यान रखना। बाकी तेरी मर्जी।
रवि अवि के पास ही बैठा रहता है। वह श्रुति को बोल देता है कि वह उसी के पास बैठने वाला है। श्रुति अपना मुंह बिगड़ती हुई वहीं बैठ जाती है। उसे अपने पास बैठा देख काव्या मुस्कुराती है। सोचती है इस पाखि ने तो कमाल कर दिया। पर अब वो कहा बैठने वाली है?

अब बारी अाई पाखि की, जो अवि को जलाना चाहती है। श्रुति को पास बिठाने का बदला जो लेना है। अवि के सामने की क्रॉस वाली सीट पर साकेत अकेला बैठा था। पाखि वहीं जाकर बैठती है। विंडो सीट पर रवि बैठता है तो अवि बाहरी सीट पर से क्रॉस में पाखि को अच्छे से देख पता था। भंवे तो उसकी भी सिकुड़ ही गई थी पर जताता यह था कि उसे फर्क नहीं पड़ता।
फिर भी वह रवि से कहता है- पाखि इस चिरकुट के साथ क्यो बैठी है? और कोई जगह नहीं मिली इसे?
रवि- क्या करती बेचारी? तु देख सकता है सबने विंडो सीट पर कब्जा जमा लिया है। तुझे पता नहीं होगा शायद या तु भूल गया है, वह बाहर वाली सीट पर बैठती है तो निंद में नीचे गिर जाती है। अपनी सेफ्टी के लिए अंदर बैठ गई इसमें क्या?

अवि खड़ा होकर सभी सीट्स का मुआयना करता है। वाकई में सबने विंडो सीट पकड़ली थी। एक बजे तक सब बाते करते रहे। उसके बाद एक एककर सब सोने लगे। रवि ने देखा के श्रुति काव्या के बाजू में बैठी सो गई है तो उठकर निशु के पास चला गया। रवि के जाते ही अवि की नजर ना चाहते हुए भी पाखि की ओर आकर्षित हो रही है। पाखि भी अभी तो विंडो की तरफ सिर रखकर सो रही है। पर अवि को पता था निंद में वह साकेत को पकड़कर सो जाएगी। यह सोचते ही उसके सीने में आग जलने लगती है और वह सो नहीं पाता। बार बार उसकी नजर बस की डिम लाईट में भी पाखि की ओर चली जाती है। वह यह भी देख रहा है कि साकेत कुछ अनकंफर्टेबल फिल कर रहा है। पाखि के पास बैठना मतलब अपनी जगह भी उसे देना। अवि को उसकी हालत देख हसीं आ जाती है?। साकेत की ओर अवि की नज़रे मिलती है तो साकेत इशारे से पाखि को दिखाता है और अपनी जगह को। अवि उसे अपनी जगह ऑफर करता है तो साकेत जट से उसकी जगह छोड़ अवि की जगह आ जाता है। और अवि बरसो बाद आज एकबार फिर पाखि के पास बैठा है।?
वह सोचा रहा है कि जब पाखि उठेगी तो क्या सोचेगी मेरे बारे में? एक काम करता हूं जब वह उठने वाली हो उससे पहले अपनी सीट पर चला जाऊंगा।

पाखि निंद में ही अवि की बांह पकड़कर अपना सिर उसपे टिकाकर सो जाती है। अब अवि चैन से सो गया क्योंकि पाखि उसके साथ थी। जब ड्राईवर ने बस एक होटल कि तरफ मोडी तब अवि की आंख खुली और वह उठकर अपनी जगह चला गया और साकेत अपनी जगह। उस वक्त भी पाखि निंद में ही थी। साकेत को लगा शायद सर थक गए होगे पाखि से तो जगह चेंज करदी। बस के रुकते ही साकेत पाखि को उठाकर फ्रेश होना है तो नीचे आने को कहकर बस से नीचे उतर गया।
सब बारी बरी नीचे फ्रेश होने उतरते है। जब वापस बस में गए तो श्रुति अवि की सीट पर आ गई थी। यह देख अवि कुछ बोल नहीं पाया। वह सीट के पास खड़ा रहा। जब पाखि ने ऊपर आकर देखा तो उसने जान बूझकर अवि को अपने हाथ की कोहनी अवि की कमर पर मारी और अपनी सीट पर बैठ गई। कोहनी के दर्द से अवि अपनी कमर पकड़कर सीट पर बैठ गया। उसे लगा शायद गलती से लग गया। पर उसे क्या पता यह जान बूझकर मारा गया था।?

सुबह साढ़े सात बजे सब होटल पहुंच गए थे। नवंबर महीना खत्म होने को आया था और ठंड भी मजेदार थी। अभी तक स्नो फॉल नहीं हुआ था तो थोड़ी निराशा तो हुई क्योंकि हम बर्फ का मजा लेना चाहते थे। सब अपने अपने रूम पार्टनर के साथ अपने रूम में फ्रेश होने चले गए। मेरे साथ निशु थी और अवि- रवि भाई साथ में थे। हमें, दिशा- राजा ओर रिद्धि - रजत को साथ में ग्राउंड फ्लोर पर रूम मिले थे बाकी सब के रूम फर्स्ट फ्लोर पर थे। रवि भाई ने रिजॉर्ट बहुत ही अच्छा बुक करवाया था। रिसोर्ट के आगे और पीछे दोनों तरफ गार्डन बनाया हुआ था। पिछला हिस्सा बहुत ही खूबसूरत था। पीछे की ओर बर्फीली पहाड़िया नजर आ रही थी और गार्डन की बैठक व्यवस्था भी बहुत अच्छी थी।

हमने रूम में आकर पहले तो हीटर चला दिया ताकि ठंड थोड़ी कम लगे। वैसे भी मुझे ठंड सबसे ज्यादा ही लगती है?। निशु और में नहा धोकर रेडी होकर ब्रेकफास्ट के लिए बाहर आ गए। कुछ लोग अभी आए नहीं थे पर हम तो चल दिए अपनी पेट पूजा करने। जब हम टेबल पर बैठे तो श्रुति दी हमें खा जाने वाली नज़रों से घुर रही थी। मैने निशु से पूछा- ये श्रुति दी हमें ऐसे क्यो घुर रही है?
निशु- पता नहीं, पर ऐसा लगता है हमें कच्चा खाने वाली है।
तभी काव्या अपनी ब्रेकफास्ट की प्लेट लेकर हमारे पास आकर बैठती है।
काव्या- कल रात तुम लोगों ने श्रुति के बारे में क्या कहा था?
निशु- कब?
काव्या- कल रात बस में जब रवि सर ने उसकी जगह पर अडिंगा जमाया तब। आप लोगो के बीच जो कुछ भी बात हुई थी वो एक नर्स जो श्रुति की चमची है उसने सुन लिया था। और उस चमची ने सब उसे बता दिया है। आप लोगो को आगे पीछे देखना चाहिए था।
मै- तभी में सोचु ये हमें गुस्से से क्यो देख रही है?
निशु- कहने दे, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। उसकी हरकत के बराबर उसे सुनना ही पड़ेगा।
कुछ देर बाद रवि भाई और अवि आते है। रवि भाई हमारे पास आ जाते है और जगह न होने के कारण अवि श्रुति दी के टेबल पर चले गए। हमने भैया को बताया उस नर्स के बारे मे। हम सब ने जब अवि को देखा तो श्रुति दी अवि से शिकायत के लहज़े में बात कर रही थी और अवि भी हमें घूरने लगे। फिर वह उन्हीं के साथ ब्रेकफास्ट करने लगे। आज सब नजदीकी टूरिस्ट स्पॉट पर जाने वाले है। मॉल रोड, लक्कर बाज़ार वगैरह। कल जखो हिल और कुफरी जाएंगे। तीसरे दिन तारा देवी टेंपल और रास्ते में जो भी देखने लायक जगह है वहां जाने का सोचा है। काफी टाइम लेकर आए है तो कुल्लू मनाली भी घूमने का भी तय हुआ था। रोज सुबह निकल ना और शाम को वापस आना।
अवि श्रुति दी के साथ बात करने के बाद कुछ ज्यादा ही बेरुखी दिखा रहे थे मुझे। लगता है श्रुति दी ने अपना चक्कर चला ही दिया और में अपने टूटे दिल के साथ काव्या और साकेत के साथ घूम रही थी क्योंकि बाकी सब तो कपल्स थे ही। साकेत मेरा और काव्या का बहुत अच्छे से ध्यान रख रहा था। बाकियों के पास अपने पार्टनर्स थे उनका खयाल रखने के लिए। तो बेचारा हमें अकेला महसूस नहीं करा रहा था। दो दिन बाद रात को डिनर के बाद मै और निशु गार्डन में बैठकर वापस आपने कमरे में जा रहे थे। तब रवि भाई और अवि के कमरे से आवाजें आ रही थी। निशु ने जब दरवाजा खटखटाया तो अवि ने दरवाजा खोला और गुस्से में वापस कमरे में मुड़ गए। हम अंदर गए और निशु ने पूछा कि क्या हुआ? आपकी आवाज़ बाहर तक सुनाई दे रही है। ग्यारह बजने को है, सब सोने भी वाले होगे ओर आप दोनों जगड़ा कर रहे है?
अवि (गुस्से में)- आप सब ने क्या सोच रखा है? बेचारी श्रुति के बारे में अनाप शनाप बोले जा रहे है। कितना रो रही थी बेचारी।
निशु- हम ने कब उसे कुछ कहा? ओर हां, वो कोई बेचारी वेचारी नहीं है। आपको उल्लू बना रही है।
आवाज़ बाहर ना जाए इस लिए मैने दरवाजा बंद कर दिया।
अवि- आप सब के दिमाग में कीड़े पड़ गए है। वो बेचारी पहले ही अकेली पड़ चुकी है और आप लोग क्या बात कर रहे थे उसके बारे में?
मै- देखिए अवि हमने ऐसा कुछ...
अवि (बीच में टोकते हुए)- तुम तो कुछ बोलो ही मत, चुप रहो। मै इन दोनों बात कर रहा हु।
अवि के इस तरह से बोलने से हम सब सकते में आ गए। मुझे रोना आ गया और में अपने कमरे में चली गई।
निशु- ये क्या बात हुई भैया। पता नहीं आप पाखि से इस तरह से क्यो बात कर रहे है? उसने ऐसा किया भी क्या है जो आप सीधे मुंह बात भी नहीं करते? हद होती है किसी चीज की।
रवि- तूने मेरी बहन को हर्ट किया है अवि, आयिंदा से याद रखना उसे रुलाने से पहले।?
अवि को अपनी गलती का अहसास होता है पर वो कुछ बोलता नहीं है। वो सिर्फ और सिर्फ श्रुति को बेचारी ठहराकर निशु और रवि को बुरा भला कह देता है। सब के बीच इस टॉपिक को लेकर कहा सुनी हो जाती है। निशु भी गुस्से में अपने रूम में आ जाती है और रवि रिसेप्शन पर चला जाता है।

बात दरअसल यह हुईं की पहले दिन ही श्रुति ने अवि को निशु, रवि और पाखि के बीच हुई बात को कुछ ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बोल दिया और अवि को इसी बात का गुस्सा आ गया था। उस वक्त वह कुछ ना बोला पर जब आज रवि ने उसे श्रुति के साथ रहने से टोका तो अवि ने गुस्से में उन सब को कुछ न कुछ सुना दिया। जब वह अकेला पड़ा रूम में तो उसे भी लगा शायद मै कुछ ज्यादा ही बोल गया। पाखि के साथ न रह पाने के कारण गुस्से का उबाल और बढ़ गया था जो आज फुट पड़ा। वह रवि को सोरी बोलकर रूम में वापस ले आता है।

अगले दिन सब मनाली के लिए निकल रहे थे। सब आ चुके थे सिर्फ निशु और पाखि ही बाकी थे। रवि उन्हे बुलाने गया हुआ था। अवि की नजर पाखि को ढूंढ रही थी उससे माफी मांगने के लिए। जब पाखि निशु और रविं के साथ अाई तो उसकी आंखे सुजी हुई थी। उसका सिर भी दर्द से फटा जा रहा था। वो किसीसे कुछ भी बोले बगैर सीधे बस में चढ गई। बस मे चढ़ते ही उसने देखा श्रुति आज भी अवि के साथ वालीं जगह पर बैठ गई है। उसने यह स्वीकार लिए था की अवि अब कभी उसका नहीं हो पाएगा। श्रुति को देखकर वह पीछे निशु के साथ बैठ गई। अवि मनाली पहुंचने तक ड्राईवर के साथ आगे केबिन में ही बैठता है। उसे पाखि की आंखो को देख इतना तो पता लग ही गया था कि वो रोकर अाई है। पर अब उससे बात कैसे करूंगा? अब सब खत्म ?।

निशु एक पल के लिए भी मुझ को अकेला नहीं छोड़ रही थी। अपने भाई के बिहेवियर से वो खुद भी शर्मिंदा थी। मैंने निशु से कहा- तुम क्यो इतना परेशान हो। चिंता मत करो में ठीक हुं।
निशु- चिंता कैसे ना करू, तुम्हे अब बुखार भी चड रहा है। तुम्हे क्या जरूरत थी ऐसे इंसान के लिए रोने की जिसे हमारी कद्र नहीं।
पाखि- छोड़ना यार। मुझे उनके बारे में कोई बात नहीं करनी।
निशु- तुने दवाई तो ली ना?
पाखि- हां बाबा, ली है। मनाली में मजे जो करने है ?।
पाखि को हंसता देख रवि को भी राहत मिलती है। उसे लगा कहीं ये डिप्रेस न हो जाए और अपनी तबीयत ज्यादा खराब न करदे। फिर भी वह पाखि के पास जाकर उसका टेम्परेचर चैक करता है। पाखि को अभी भी थोड़ा बुखार तो था ही पर उसकी वजह से कोई परेशान ना हो इस लिए अपने आपको अच्छा बता रही थी।

मनाली में भी निशु ओर मेरा रूम साथ ही है। और रवि भाई ने भी उसका रूम हमारे पास ही लिया है। इस बार भी श्रुति दी को रूम हमारे साथ नहीं मिला था।? चिपकू कहीं कि। हम ने अपना सामान रखा और बाहर लोकल मार्केट घूमने निकल गए। फिर हड़िंबा टेंपल देखने गए। बाद में लंच करके सोलंग वेली गए। सब जगह इतनी प्यारी है कि मन करता है यही पर घर बसा ले। हमने तो प्लान भी बना लिया नैनीताल के बाद एक घर यही भी बनवा देंगे रिटायर होने के बाद। रात को आठ बजे वापस आए सब। फिर रात को डिनर के बाद सबको बिस्तर ही दिखाई दे रहा था। थक कर सारा बदन चूरचूर हो रहा था। अगली सुबह हमें रोहतांग पास जाना था। अभी स्नो फॉल नहीं हुआ था तो रोहतांग पास खुला हुआ है वरना स्नो के कारण रास्ता बंद हो जाता है। सब को इंस्ट्रक्शन मिल गई की सुबह जल्दी तैयार हो वरना जो नहीं आ पाया टाइम पर वह यही रह जाएगा।

में और निशु अपने रूम में गए। थकान के कारण मुझे थोड़ा बुखार फिर से चढ गया?। निशु ने रवि भाई को बुलाया और मुझे दवाई भी खिलाई। निशु को देखकर ऐसा लगता है काश भगवान ने मुझे इसके जैसी एक बहन भी दी होती। सच में रवि भाई के साथ साथ वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती है। देर रात तक हम रूम में ही बाते करते बैठे हुए थे। रवि भाई वापस कमरे में नहीं गए तो अवि का कॉल आया कि वह कहा है? रवि भाई ने बताया- पाखि को थोड़ा बुखार है तो में यही उसके पास हु।
अवि- ज्यादा तबीयत तो नहीं खराब है न?
रवि भाई- तु उसकी फ़िक्र मत कर, उसके लिए हम है। तु बस अपनी श्रुति का ध्यान रख, ठीक है?☹️
और रवि भाई ने कॉल डिस्कनेक्ट किया।
निशु- इतना क्यो गुस्सा करते हो रवि? भाई ने सिर्फ पूछा तु कहा है। सीधे मुंह जवाब नहीं दे सकते थे?
रवि भाई- उसी के कारण यह बीमार हुई है।? ना ही वह इस पर चिल्लाता और ना ही यह रो रोकर अपना यह हाल करती।
मै- आप दोनों जगड़ना बाद करेंगे plz। मुझे अब सोना है, सुबह जल्दी भी उठाना है। रवि भाई चलिए जाईए यहां से और हमें सोने दीजिए।
रवि भाई- ये अच्छी बात है। में तेरे लिए इन दोनों भाई बहन से लड़ाई कर रहा हुं और तु मुझे ही भगा रही है? ?
मै- भैया...! नाटक बंद करिए और सोने जाइए वरना कहीं यहीं पर ना रहना पड़े। और जाकर देखिए कहीं वो चिपकी ना आ धमकी हो अवि के पास।
रवि भाई- हां यार, ये तो में भूल ही गया।

रवि अपने कमरे में आता है। अवि अब भी जगा हुआ था। उसे देख रवि ने कहां- क्यो जनाब! अब तक जाग रहे हो?
अवि- हां, वो थोड़ा पेट दर्द कर रहा है?। शायद आज का खाना मुझे हजम नहीं हुआ। पर तु कहा था अब तक, जल्दी नहीं आ सकता था?
रवि- पाखि के पास ही था अब तक। चल दिखा कहा दर्द हो रहा है?
रवि ने अवि का पेट चैक किया और कहा कि लगता तो खाने से ही दर्द हो रहा है। बाहर गए तब कुछ खाया था?
अवि ने ना में जवाब दिया। फिर याद आया तो कहा श्रुति घर से कुछ स्नेक्स बनाकर लाई थी। वहीं कुछ चखे थे।
रवि- तब तो यह उसी का असर है?। बाकी सब जगह हम सब ने साथ में ही खाना खाया था। हमें तो कुछ नहीं हुआ। और खा श्रुति के स्नेक्स ?।
अवि- लगता तो मुझे अब यही है। चल जा उस बैग में दवाई रखी है लाकर दे।
रवि- ये अच्छा है। एक मेरी बहन है जिसका में ध्यान रखना चाहता हूं तो भगा देती है। और एक तू है जो सामने से ध्यान रखवा रहा है।
अवि- तुझे प्रॉब्लम है क्या मेरा ध्यान रखने में? याद रखना दोस्त के साथ साथ अब में तेरा साला भी हुं ?।
रवि- इसी लिए तेरा भला बुरा तुझे बता रहा था कि श्रुति से दूर रह पर तुझे तो हम सब ही गलत लगे थे।
अवि- सोरी यार, उस वक्त पता नहीं मुझे क्या हो गया था। अब तक उस बात के लिए गुस्सा हो?
रवि- जब तक मेरी बहन ठीक नहीं हो जाती तब तक ये गुस्सा रहेगा।? ठीक है, चल ये दवा खा और सो जा। कल जल्दी भी उठाना है।
अवि- रवि, मुझे कल ठीक लगेगा तब ही में आऊंगा वरना नहीं। दुखते पेट के साथ कहा सफर कर पाऊंगा?
रवि- सुबह तक तो ठीक हो जाएगा। चल अब आराम कर ले।
और दोनों सो जाते है।

सुबह को जब मेरी आंख खुली तो सात बज चुके थे। पर मेरी हालत अब भी खस्ता थी। मैने निशु को उठाया और कहा कि बुखार अब भी थोड़ा है ओर पूरा बदन भी टूट रहा है। तुम सब जाओ में नहीं आ पाऊंगी साथ में।
निशु- तुझे अकेला छोड़कर मुझे नहीं जाना। ज्यादा तबीयत खराब हुई तो? में रवि को बता देती हुं।
मै- निशु तुझे मेरी कसम है जो किसी को बताया तो। तुझे जाना ही होगा। तु रुक जाएगी तो रवि भाई भी नहीं जा पाएंगे। तु बस तैयार होकर जा। जब रवि भाई पूछे मेरे बारे में तभी बताना। वरना वे भी यही ठहर जाएंगे।
निशु- पर तु अकेले कैसे मैनेज करेगी?
मै- अकेली कहा हुं? होटल का स्टाफ तो है यहां। कुछ काम होगा तो बुला लुंगी उन्हे ओर खाना भी यही मंगवा लूंगी। तु मेरी फ़िक्र मत कर तुझे मेरी कसम है अगर ना गई तो।
निशु- तु यार ये कसमें मत दे। रवि को नहीं बताया तो मेरा जीना हराम कर देगा। तु जानती है वो तेरे लिए कितना पजेसिव है। मुझे छोड़ देगा पर तेरे साथ ही रहेगा।
मै- तु जाना बाबा तैयार होकर। जो होगा देखा जायेगा।

निशु के कहे मुताबिक जब रवि को पता चला पाखि का बुखार अब भी नहीं उतरा तो वो तुरंत पाखि से मिलने चला गया। रवि को रूम में देख वो कुछ बोले उससे पहले ही पाखि बोल पड़ती है- आप को मेरी कसम है अगर जाने के लिए मना किया तो।
रवि- में डॉक्टर हुं, ये कसमें वसमे नहीं मानता।
मै- आपकी मर्जी, पर अगर मुझे कुछ हो गया तो जिम्मेदार आप ही होगे।
रवि- तु इस तरह से मुझे ब्लैकमेल कर रही है।
मै- आपको जो समझना है वह समझिए। पर जाना तो आपको पड़ेगा ही plz निशु की खातिर मान जाईए।?
रवि- प्रोमिस कर के अपना खयाल रखेगी।
मै- प्रोमिस करती हुं बस। अब जाइए ओर एन्जॉय कीजिए। और अच्छे अच्छे फोटोज़ निकालना मेरे लिए।
रवि- ठीक है बाय, अपना खयाल रखना।

उधर निशु अवि के कमरे में जाती है और अवि को बताती है कि
पाखि की तबीयत ठीक नहीं है, वो नहीं आ रही है।
अवि जाने के लिए तैयार था और उसका पेट दर्द भी ठीक हो गया था। पर जैसे उसने सुना कि पाखि नहीं आ रही तो उसने भी अपना पेट दर्द का नाटक चालु रखा। रवि के वापस आने तक उसने अपने कपड़े बदल दिए थे। रवि जब वापस आया तो उसने अवि को बिस्तर पर लेटा देखा।
रवि- अब तुझे क्या हुआ?
अवि- कल का पेट दर्द फिर से शुरु हुआ है। वैसे ठीक भी नहीं हुआ था पर लगता है आराम कर लूंगा तो अच्छा हो जाउगा।
रवि- तुझे ठीक ना लगे तो मै रुक जाता हुं।
इतने में श्रुति आ गई। अवि को बिस्तर पर लेटा देख वो जोर से बोल पड़ी- अवि क्या हुआ तुम्हे??
निशु- कुछ नहीं कल से पेट में दर्द हो रहा है।
रवि- मैंने पूछा कल सबने साथ में ही लंच और डिनर किया था। हम सब को कुछ नहीं हुआ, तुम्हे ही क्यों हो रहा है? कुछ बाहर का खाया है इसने पर उसे याद नहीं कहा खाया था।?
श्रुति- ओह! तो मै रुक जाती हुं तुम्हारे साथ।
अवि- नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं है। इतना भी ज्यादा नहीं है पर मै शायद इतने घंटे बैठ न पाऊं। इसी लिए नहीं जा रहा, पर आप सब जाईए। देर हो जायेगी। सब बस की ओर चल पड़े।

बस में निशु सबको बताती है कि पाखि ओर अवि भाई नहीं आ रहे। यह सुन श्रुति को थोड़ा गुस्सा आ जाता है। वह वापस होटल अवि के पास जाने का मन बना रही थी तभी रवि ने बस स्टार्ट करवा दी। फिर ना चाहते हुए भी उसे बैठना पड़ा। होटल से निकलते निकलते काफी समय हो गया था तो रवि ने बस सीधे रोहतांग पास ही ले जाने को कहा।

होटल में पाखि को रवि ने कॉल करके बता दिया था कि अवि भी नहीं आ रहा है। अगर कुछ जरूरत पड़े तो अवि को कॉल करने को बोला। पर पाखि ने बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और एन्जॉय करने को कहा। फिर वह नहा धोकर ब्रेकफास्ट के लिए बाहर डाइनिंग एरिया में आ गई। वह सोच रही थी कि अवि उसके सामने ना आए तो अच्छा। पर ऐसा नहीं हुआ। अवि भी वही पर था। पाखि अपनी प्लेट लेकर खाली टेबल पर चली गई। कुछ देर बाद एक विदेशी लड़का आया और पाखि से टेबल पर बैठने की परमिशन मांगने लगा। पाखि ने उसे बैठने के लिए कहा। फ़िर दोनों में बातचीत होने लगी। पाखि को उस लड़के के साथ हसता हुआ देख अवि आग बबूला हो रहा था।

अवि अकेले अकेले बबड़ता है- ये पाखि भी ना बिना किसी जान पहचान के उस गोरे के साथ बात कर रही है। ऐसे कैसे किसी के भी साथ बात कर रही है। अगर कुछ कहने जाऊंगा तो उल्टा दो चार मुझे ही सुना देगी।? क्या जरूरत है ऐसे हंस हंस के बाते करने की?
अवि पाखि के सामने की टेबल पर ही बैठा था और पाखि भी उसे देख रही थी। पाखि का हाथ उस गोरे ने पकड़ा तो अवि से देखा न गया और वह वहां से उठकर चला गया। पाखि यह देख मन ही मन हस रही थी। दरअसल सामने बैठा लड़का अमेरिका से आया हुआ था। उसका नाम सेम था और पेशे से वो भी एक डॉक्टर ही था। यहां विंटर की छुट्टियों में घूमने आया था। पाखी ने बात बात में कहा कि उसे बुखार है तो वह पाखि की नब्ज चैक कर रहा था। फिर सेम ने कहा कि सिर्फ वाइरल फिवर है। ब्रेकफास्ट खत्म करके दोनों अपने अपने रूम में चले गए।

रूम में आकर मैने निशु को कॉल लगाया। अभी डेढ़ घंटा बाकी था पहुंचने मे। उसने मेरी तबियत के बारे में पूछा। मैने भी ठीक हूं कहा और बात खत्म करके टीवी पर मूवी देखने लगी। चैनल पर मेरी फेवरेट मूवी 'अंदाज़ अपना अपना ' आ रही थी। वैसे सल्लू मेरा फेवरेट हीरो है। पूरी मूवी खतम होने के बाद कुछ देर के लिए सो गई।

जब उठी तो मोबाइल में टाइम देखा तब दोपहर के तीन बजने आए थे। ओह गॉड! में इतनी देर तक सोती रही? लगता है दवाई लेने के कारण निंद ज्यादा ही आ गई। पर अब बुखार नहीं था तो थोड़ा फ्रेश भी फिल कर रही थी। पर अब तक सब आए क्यो नहीं? रवि भाई को कॉल करती हुं। रवि भाई को कॉल किया तो पता चला कि रास्ते में कोई ऐक्सिडेंट हुआ है तो कोई पांच - छः किलोमीटर का ट्राफिक जाम है तो वह सब किसी धर्मशालत में रुके हुए है।
मै- पर आप सब ट्राफिक में फंसे नहीं?
रवि भाई- ड्राईवर को पहले ही कहीं से पता चल गया था। मैंने अवि को बता दिया था। वह तुझे बताने भी आया था पर तेरा रूम लोक देख वापस चला गया था। हमें लगा ही था कि तुम सो रही होगी तो डिसटर्ब नहीं किया।
मै- आप सब कब तक लौटेंगे?
रवि- अभी अभी खबर अाई है कि रास्ता अभी भी क्लियर नहीं हुआ। जैसे ही रास्ता खुलेगा हम आ जाएंगे। पर तुम अपना खयाल रखना और दवाई टाइम से ले लेना। तबीयत ठीक ना लगे तो अवि को बताना, गुस्सा मत करती रहना।
मै- ठीक है भैया। आप भी अपना ध्यान रखना।

पाखि को थोड़ा सिर भारी लग रहा है। सोचती है चाय पी लुंगी तो शायद राहत मिलेगी। वह चाहती तो रूम में चाय मंगवा सकती थी पर उसे लगा जरा बाहर जाऊ तो थोड़ा अच्छा लगे। वह बाहर गलियारे में आती है। उसे वहा सेम दिख जाता है। वो दोनो वहीं खड़े बाते कर रहे थे। अवि को पाखि की आवाज़ सुनाई दी तो वह बाहर आया। पाखि को सेम के साथ खड़ा देख उसे थोड़ा गुस्सा आता है। पाखि की नजरें अवि पर गई तो उसने सेम को वहां से चलने का इशारा किया। पाखि ने देखा कि मौसम में बदलाव हो रहा है। वह सेम से यह बात करती है तब अवि भी अपने रूम से बाहर चला आता है। सेम पाखि को बताता है कि अभी स्नो फॉल होने की पूरी संभावना है। और सच में यही हुआ। गिरते हुए बर्फ को देख पाखि मानो पागल हो जाती है और अपनी बीमारी को भूल गई और बाहर दौड़कर गिरती बर्फ में जुमने लगी। उसके साथ साथ सेम भी बाहर आ गया। दोनों ऐसे जूम रहे थे मानो बरसो से एक दूसरे को जानते हो। इधर अवि यह नजारा देख अंदर तक जल गया पर बेचारा कुछ नहीं कर पा रहा था। वैसे कुछ दिन पहले यह हालत पाखि की भी थी। दोनों डाइनिंग एरिया में आकर चाय और कॉफी का ऑर्डर देते है। अवि और बाकी लोग भी उस वक्त ठंड में चाय का लुफ्त उठाने आ गए थे। पाखि के पीछे वाले टेबल पर ही अवि ने अपनी बैठक जमाई ताकि वह उन दोनों के बीच की बात सुन सके।

कॉफी पीते पीते सेम मुझसे कहता है- पाखि तुम्हे देखकर ऐसा लगता है जिसे मैं ढूंढ रहा हूं वह तुम्ही हो।
मै- मतलब?
सेम- मतलब यह कि मुझे अपने जीवन साथी के रूप में जिस लड़की की तलाश है वह तुम हो।
मै- (हंसते हुए) इतनी जल्दी कैसे पता लग गया तुम्हे? हमने तो ज्यादा बात भी नहीं की है।
सेम- तुम्हारी सादगी से ही तुम्हारे नेचर का पता चलता है। मुझे ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं है। क्या तुम मुझे पसंद करती हो?
मै- इतनी जल्दी मै किसी पे ट्रस्ट नहीं करती।
सेम- तुम चाहो तो मेरे बारे में पता लगा सकती हो।
मै- कैसे?
सेम- मेरे फेसबुक अकाउंट से। वहा मेरे फ्रेंड्स के साथ साथ में पेशंट्स के कॉमेंट्स भी तुम्हे पढ़ने को मिलेंगे। उसिसे से मेरे बारे में सब पता चल जाएगा। मै अमेरिका की एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में हार्ट स्पेशलिस्ट हुं।
मै- क्या ?? तुम भी?
सेम- तुम भी मतलब?
मै- नहीं कुछ नहीं। वो तो मेरी फ्रेंड का भाई भी हार्ट स्पेशलिस्ट है।

यह सब बाते अवि पीछे बैठे सुन रहा है। उसका मन कर रहा है कि उस गोरे को बिना साबुन के धो डाले।? उसे पाखि पर भी बहुत गुस्सा आ रहा है। वह क्यो उसकी बात सुन रही है? मेरी बात तो कभी सुनी नहीं थी।
आगे सेम अपने परिवार के बारे में पाखि को बता रहा था। और वापस पाखि को प्रपोज भी कर रहा था। पाखि हंसते हुए बात को टाल देती है और सेम से कहती है,- मैने शादी के बारे में अभी सोचा नहीं है। और एक मुलाकात में किसीको पसंद करना मेरी फितरत नहीं है।
पाखी ने अपनी चाय और सेम ने अपनी कॉफी खत्म कि। सेम जाते जाते एकबार फिर से पाखि को अपने बारे में सोचने को कहता है। पर पाखि सेम की प्रपोजल रिजेक्ट कर देती है। अवि को यह सुनकर अच्छा लगा। वरना डर गया था, कहीं मेरा पत्ता न कट जाए।
सेम वापस से बैठ जाता है और पाखि को फ्रैंडशिप के लिए पूछता है और कहता है उससे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है न?
पाखि उसकी फ्रैंडशिप ऐक्सेप्ट करती है। और दोनों गले मिलते है। तिरछी नज़रों से यह देखता हुआ अवि गुस्से से अपने रूम में चला जाता है। पाखि को यह बिल्कुल नहीं पता कि अवि उसके पीछे बैठा हुआ था।
बाते करते करते शाम होने को आई पाखि ने फिर से रवि भाई को कॉल किया। रवि ने बताया हम निकल तो चुके है पर ट्राफिक के कारण कब पहुचेंगे पता नहीं। पाखि को टाइम से खाना खाने को कहकर कॉल डिस्कनेक्ट किया। निशु का मोबाइल पहले ही स्विच ऑफ हो गया था और रवि के मोबाइल की बैटरी भी खत्म होने को आया थी। उसने पाखि को बताया था, जब हम पहुंचने आएंगे तब तुम्हे कॉल कर देंगे। तब तक के लिए मोबाइल स्विच ऑफ करता हूं ताकि बैटरी खत्म ना हो। फिर पाखि और सेम डिनर पर मिलने को कह अपने कमरे में चले गए।

रूम में जाते ही पाखि को छींके आने लगी। अपने आप से ही कहती है- ऑर लो मजे बर्फ में जूमने के। अब भुगतो सर्दी को।
रूम में इलेक्ट्रिक कैटल में पानी गर्म करके पी लेती हुं। साथ में थोड़ा टीवी भी देख लेती हुं। लोकल चैनल पर पता तो चले रोहतांग पास से आने वाला ट्राफिक कब खत्म होगा।
चैनल पर बता रहे थे, स्नो फॉल के कारण दमकल की कार पहुंच नहीं पा रही। दोनों साइड रोड पर चक्काजाम हो गया है।
है भगवान! सब ठीक ठाक पहुंच जाए बस।
कुछ देर न्यूज देखने के बाद पाखि मूवी भी देख लेती है। टाइम पास करने का और कोई जरिया भी नहीं है।

उधर अवि अपने रूम में आग बबूला बने इधर से उधर घूम रहा है और अपने आपसे ही बाते किए जा रहा है,- पाखि भी ना क्या जरूरत है अजनबी से बाते करने की। वो भी एक विदेशी?
साले लड़कियो को फसा कर मजे लेकर चले जाते है। रवि को बताता हूं इस बारे में।
अवि ने कॉल लगाया तो स्विच ऑफ फ़ोन आ रहा था। उसने निशु को कॉल किया तो उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा था।
अवि- ये लोग भी ना पॉवर बैंक साथ नहीं रख सकते थे बैटरी चार्ज करने के लिए? बेवकूफ कहीं के।? श्रुति को कॉल करू? नहीं नहीं वो फिर मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी अपनी बैटरी खत्म होने तक। वैसे अभी तक एकबार भी उसका कॉल नहीं आया है। लगता है उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया है। सब के सब निकम्मे है।? डिनर का टाइम होने को है, पाखि को बुला लेता हुं।

अवि जैसे तैयार होकर बाहर आता है तो पाखि को सेम के साथ जाता देखता है। अवि गुस्से में बड़बड़ाता है - ये साला हर बार मेरे पहले कैसे आ जाता है? पाखि भी बार बार उसके साथ कैसे चली जाती है? कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा अब मुझे।

सब डिनर करने बैठते है। सेम मुझ से कहता है- कल सुबह में दिल्ली जा रहा हुं, रात को मेरी फ्लाइट है अमेरिका जाने की।
मै- इतनी जल्दी?
सेम- जल्दी नहीं, एक महीने से मै इंडिया में हुं। अब जाने का समय आ गया है।
मै- ओह! अच्छा तो मुझे कॉल करना हा अमेरिका से, में भी तुम्हे कॉल करूंगी।
सेम- में इंतजार करूंगा तुम्हारे फोन का और तुम्हारे जवाब का भी।
मै- देखो सेम कोई जूठी उम्मीद मत रखना। हम हमेशा अच्छे फ्रेंड्स ही रहेंगे, उसके आगे कभी कुछ नहीं।
सेम- जैसे तुम्हारी मर्जी। हां पर अभी में तुम्हे अभी फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता हु उस ऐक्सेप्ट कर लो।
मै- यहां अभी नेट नहीं है मोबाइल में।
सेम- यहां का wi-fi पासवर्ड नहीं लिया तुमने?
मै- wi-fi फ्री है? मुझे तो पता ही नहीं।
सेम- कोई बात नहीं, मुझे दो मोबाइल, में डाल देता हूं पासवर्ड।

दोनों मोबाइल नंबर एक्सचेंज करते है बाद में पाखि फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करती है। डिनर खत्म करने के बाद बाद दोनों एक दूसरे के गले मिलते है। सेम गले मिलते मिलते ही पाखि को आई लव यू कहता है। पाखि हंसने में जवाब देना टाल देती है। जब सेम पाखि को आई लव यू कह रहा था तभी अवि अपनी प्लेट लेकर वहां से गुजरा और सेम का कहा उसने सुन लिया। फिर तो क्या था, अवि खाना अधूरा छोड़कर वहा से अपने रूम में चला गया।

अब तक नौ बज चुके थे। रवि ने पाखि और अवि को मोबाइल ओन करके बता दिया था कि उन्हें आने में अब भी देर लगेगी। एक जगह कुछ ढाबे जैसा है वहा हमने खाना खाने बस को मुड़वा दिया है। अब शायद दो किलोमीटर जितना ही आगे ट्राफिक है। बाद में डेढ़ घंटे का रास्ता। ट्राफिक से निकलते ही कॉल कर दूंगा।
पाखि और अवि अपने अपने रूम में टीवी देख रहे है। कुछ एकाध घंटे बाद पाखि को बहुत ठंड लगने लगती है। धीरे धीरे ठंड का जोर ज्यादा लगने लगा। पाखि की हालत खराब होने लगी, उसने अवि को फोन करने का सोचा। जब पाखि ने अवि को कॉल किया तो अवि ने उसका फोन काट दिया। उस वक्त अवि पाखि पर गुस्सा था सेम की वजह से। पाखि ने फिर से कॉल लगाई। अवि ने फिर से फोन काट दिया।
पाखि- ये अवि मेरा कॉल काट क्यो रहे है? इतना भी क्या गुस्सा? इंटरकॉम पर फोन करती हुं।
पाखि को ठंड के कारण बोलने में भी तकलीफ हो रही थी। उसने इंटरकॉम पर अवि के रूम पर फोन लगाया। अवि ने फोन रिसीव किया, वह कुछ बोले उससे पहले ही पाखि की आवाज़ आई- अ.. वि..। अ...वि..।
अवि- पाखि क्या हुआ? तुम्हारी आवाज़ ऐसी क्यो आ रही है?
पाखि- अ..वि..। आप यहां..।
पाखि के हाथ से कम्पन के कारण रिसीवर छूट जाता है। अवि सामने से पाखि को आवाज़ देता है पर कोई जवाब ना मिलने पर वह घबराकर पाखि के रूम की ओर दौड़ता है। पाखि के रूम का दरवाजा खुला हुआ था तो अवि बिना खटखटाए सीधे अंदर आ गया। पाखि बेड पर रजाई ओढ़कर सोई हुई थी। अवि उसके पास आकर देखता है तो पाखि बुरी तरह से कांप रही थी और उसे बुखार भी चढ गया था। रिसीवर हाथ से छूटने कि वजह से नीचे लटक रहा था। अवि ने रिसीवर वापस फोन पर रखा। फिर गुस्से से पास में पड़ी दूसरी रजाई ओढ़ाता है और साथ में बोलने लगता है- और मजे करो बर्फ में, पता था न तुझे बुखार है फिर भी क्यो गई? दवाई ली या नहीं??
पाखि ना में जवाब देती है।
अवि- ओह गॉड! ये लड़की भी ना। दवाई नहीं खा सकती थी टाइम से? कहा रखी है?
पाखि- सा..म..ने वा..ली बेग में।?

अवि पाखि को दवाई खिलता है और वहां पर रखी इलेक्ट्रिक कैटल में पानी गर्म करके पाखि को पिलाकर वहीं बैठता है। कुछ देर बाद भी ठंड कम ना हुई तो वह सीधे रिसेप्शन पर जाकर किसी डॉक्टर को बुलाने के लिए कहता है। क्योंकि वह दूसरी दवाई का डोज नहीं लाए थे जो पाखि को देनी पड़ेगी। और कुछ इंजेक्शंस की भी जरूरत थी। रिसे्शनिस्ट ने तीन डॉक्टर्स को फोन लगाया उसमे दो तो उसी ट्रैफिक में फंसे थे जहां रवि लोग थे। और तीसरे खुद बीमार पड़े हुए थे। अब स्नो फॉल भी कुछ ज्यादा होने लगा था तो टैक्सियां भी नहीं मिल सकती थी। अवि ने रिसेप्शनिस्ट को दूसरा हीटर भी रूम में रखने को कहा और फिर वापस रूम में आ जाता है। उसने फिर से लाएं हुए फर्स्टएड बॉक्स में देखा पर अभी दी हुई दवाई के इलावा कोई हाई डोज की दवाई नहीं थी। वह सोच रहा था अब क्या करू? कुछ देर तक वह पाखि के हाथों और पैरों में अपनी हथेलियों को घिसता रहा पर फिर भी फर्क नहीं पड़ रहा था।

कुछ वक्त सोचने के बाद पाखि से कहता है- माफ करना पाखी पर अब मुझे यह करना ही होगा।
वह अपनी जैकेट और टीशर्ट निकल कर पाखि से लिपटकर सो जाता है ताकि अपने शरीर की गर्मी पाखि को दे सके।। ठंड के कारण पाखि भी उससे लिपटकर अपने बदन को गर्मी का अहसास कराती है। कुछ वक्त बाद पाखि को निंद आ जाती है पर अवि अब भी उसे अपने सीने से लगाए हुए था। वह अपना और पाखि से मिलने से अब तक के सफर को याद कर रहा था। पुरानी यादों को याद करते करते वो भी सो जाता है।

रात में जब पाखि को पसीना होने लगा तो उसकी आंखे खुल गई। उसने अपने आपको अवि की बाहों में पाया। अवि पाखि को सीने से लगाए हुए सो रहा था जबकि उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था। बेड के बाजू में रखा नाईट लेंप चालु था जिसमें उसे अवि का चेहरा साफ दिखाई दे रहा था। वह रात में जो कुछ भी हुआ वह सोचने लगी- अगर आज अवि ना होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वैसे सोते हुए किसी मासूम बच्चे की तरह दिखते है। जी करता है ऐसे ही देखती रहु। मेरा शरीर एक पोजिशन में सोने की वजह से थोड़ा दर्द कर रहा है। पर मैंने थोड़ा भी हिलना चाहा तो अवि उठ जाएंगे। एसा करती हूं अपना हाथ उनके ऊपर से ले लेती हुं।

जैसे ही मैने अपना हाथ हटाया वैसे ही अवि उठ गए। हम दोनों की नजरें एक दूसरे से मिलती है। ना वो कुछ बोलते है और ना ही मै, बस एक दूसरे की बांहों में यूहीं देखते रहे। हमने एक दूसरे को न जाने कितने सालों से अच्छे से नहीं देखा था। आज मौका है जी भरके एक दूसरे को देखने का, जो शायद हम दोनों में से कोई गवाना नहीं चाहता था। देखते देखते ना जाने कब हमारे होंठ एक दूसरे से मिल गए। इतने सालो से सीने में छुपा प्यार आज उमड़ उमड़कर बाहर आ रहा था। अवि चूमते हुए मुझे I lv u कहते है। और इस बार मैने भी अपने प्यार का इजहार कर ही दिया I lv u too कहकर। यह सुनकर अवि मानो पागल होकर कहने लगे,- यह सुनने के लिए मेरे कान तरस गए थे। कितना वक्त लगाया अपने प्यार का इजहार करने मे। लगातार वह बोलते जाते है और मुझे चूमते जाते है।

प्यार में खोकर दो बदन एक हो जाते है। इतने सालो बाद मिले तो एक हो ही गए।? अवि को इतना खुश देखकर पाखि को भी खुशी हो रही थी। देर तक दोनों एक दुसरे की बांहों से लिपटे रहे। दोनों के प्यार में भंग तब पड़ा जब रवि का फ़ोन आया अवि के मोबाइल पर। रात के ढाई बज रहे थे। अवि ने कॉल रिसीव किया और स्पीकर पर रखा। रवि ने सामने से बताया कि हम आधे घंटे में होटल पहुंच रहे है। पाखी यह सुनकर अवि को अपने कमरे में जाने के लिए कहती है। और अवि है कि जाने को तैयार नहीं।
अवि- आज तो मौका मिला है प्यार करने का, पता नहीं फिर कब मिल पाए। में इतनी जल्दी नहीं जाऊंगा।
पाखि- plz जाईए ना, वैसे भी हमें अब कोई जुदा नहीं कर सकता। आपकी वो चिपकू श्रुति भी नहीं।?
अवि- और तुम्हारा वो सेम भी नहीं।?
पाखि- सेम के बारे में आपको कैसे पता?
अवि- जब वो तुझे प्रपोज कर रहा था तब में तुम्हारे पीछे ही था। पर तुम्हारी नजर कहा मुज पर थी?
पाखि- हां, तो मैने भी कहा उसे हां कहा था जो इतना गुस्से हो रहे थे। मेरा फ़ोन भी काट रहे थे। अगर मैने इंटरकॉम पर फोन न किया होता तो सुबह मेरी लाश ही मिलती। अवि पाखि के होंठो पर अपना हाथ रख देता है और कहता है- फिर कभी ऐसी बात मत करना। अभी अभी तो मिले है और तुम हो कि मरने की बात कर रही हो।?
पाखि- सोरी बाबा, माफ करिए और यहां से जाईए।
अवि- जाऊंगा तो नहीं ही, चाहे कुछ भी हो जाए।
पाखि- आप अभी चले जाएंगे तो कल आपको एक किस दूंगी।
अवि- वो तो में अभी भी के सकता हूं देखो।
और अवि पाखि को किस कर देता है।
पाखि- में कल की बात कर रही हुं। वरना तब मिलेगी जब हमारी शादी होगी।
अवि- इतनी राह तो नहीं देख सकता। ठीक है चला जाता हूं पर याद रखना जो अभी कहा है।
पाखि- ? हाथ जोड़ती हुं, अब ज्यादा देर नहीं है सब के आने में। plz जाईए ना।
अवि के पिछे पिछे पाखि दरवाजा बंद करने जाती है तब भी अवि उसे चूमने का मौका नहीं छोड़ता। और पाखि उसे धक्का देकर रूम से बाहर निकालती है।
दोनों बहुत ही खुश थे, इतने सालो बाद प्यार का इज़हार करके।

जब निशु ने दरवाजा खटखटाया तो पाखि ने ऐसे दरवाजा खोला मानो निंद से उठकर आ रही हो। अंदर आते ही निशु बिना कपड़े बदले सीधे बेड पर लेट जाती है। सबका यही हाल था। दूसरे दिन की ट्रिप केंसल करके सब ने आराम ही फरमाने का सोच लिया था।
सुबह आठ बजे जब अवि का कॉल आया तब मेरी आंख खुली। अवि ने कहा- आधे घंटे में तैयार होकर आजा।
मै- क्यो? इतनी जल्दी नहीं मुझे अभी सोना है।
अवि- मुझे कुछ नहीं सुनना। तुम बस तैयार होकर आ जाओ। मै- अवि..।
अवि ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। ना चाहते हुए भी मुझे तैयार होकर जाना पड़ा। निशु को गहरी निंद में सोता देख मैने उसे उठाया नहीं और धीरे से बाहर चली जाती हुं। रूम के बाहर ही अवि तैयार होकर खड़ा था, गले में कैमरा लटकाए।
मैने उनसे पूछा- इतनी सुबह सुबह कहा जाना है?
अवि- ज्यादा दूर नहीं, बस चलो मेरे साथ। मैने एक बाइक रेंट पर बुक करवाई है।
मै- बाइक कहा से मिली?
अवि- होटल का एक स्टाफ मेम्बर है जो अपनी बाइक हम जेसो को रेंट पर देता है।
मै- हम जैसे को मतलब?
अवि- प्यार करने वालो को बाबा।
मै- ओह!
अवि- तुम्हे क्या लगा?
मै- कुछ नहीं, मैं तो बस ऐसे ही..।
अवि- चल अब देर हो रही है।
मै- पर जाना कहा है?
अवि- लॉन्ग ड्राइव पर।
मै- कहा?
अवि- जाएंगे कहीं भी। जहा मन किया वहा रुक जाएंगे।
मै- अवि इतनी ठंड में? कल मुझे ठंड लग गई थी पता नहीं क्या आपको?
अवि- पता है, सब पता है। पर मै धीरे धीरे चलाऊंगा। पता है कल स्नो फॉल हुआ था पर अभी तो मौसम साफ और सुहाना है न। तो चलो... फिर ना जाने कब हम इस तरह अकेले घूमने को जा सके।
मै- ठीक है तो फिर चलिए। साथ साथ घूमने के मजे भी ले लेते है।☺️

हम दोनों निकल पड़ते है मनाली की सड़कों पर। दोनों मनाली से ओल्ड मनाली जाते है। वहा सुबह सुबह का दृश्य बहुत ही मन लुभाने वाला था। सेब के बागान में बहुत सारे सेब लगे थे पेड़ो पर। मैने तो एक जगह रुक कर पेड़ से ताज़ा ताज़ा सेब तोड़कर खा भी लिया। फिर मनालसू रिवर के किनारे जाने के लिए बाइक एक ओर पार्क करके किनारे की ओर चल दिए। बाप रे! बहुत ही ठंडा पानी है नदी में। कुछ देर वहा रुककर मनु टेंपल देखने गए। ओल्ड मनाली में मकान अब भी ट्रेडिशनल है, जो बहुत ही खूबसूरत लग रहे है। रास्ते में लोकल मार्केट से थोड़ी शॉपिंग भी कि और बाद में एक कैफे पर कॉफी पीने बैठे ही थे कि अवि के मोबाइल में रवि भाई का फ़ोन आया।
रवि- हेल्लो! कहा है तु?
अवि- मैने तेरे तकिए के नीचे एक पेपर रखा है, पढ़ ले उसे।
रवि- पढ़कर ही तुझे फोन किया है। साले, बताकर नहीं जा सकता था। हम भी आते न साथ मे।?
अवि- तु साथ में ना आए इस लिए तो बताया नहीं तुझे ?।
रवि- पाखि तेरे साथ है?
अवि- हां।
रवि- फोन दे जरा उसे।
अवि मुझको मोबाइल थमाते है वो भी स्पीकर ओन करके।
मै- हेल्लो भैया। कैसे है, थकान उतर गई?
रवि- पहले तु यह बता, ये चल क्या रहा है तुम दोनो के बीच? तु उसके साथ क्या कर रही है? एक दिन में उसने तुझे पटा भी लिया?
मै- अरे अरे, शांत हो जाइए जरा। कितने सवाल करेंगे?
अवि- अबे ओ साले, मैने कोई तेरी बहन को अगवा नहीं किया है। वह अपनी मर्जी से मेरे साथ अाई है।
रवि- एक बात बताओ तुम दोनों। इतने सालो की नफरत एक दिन में कैसे मिट गई। और मिटी तो मिटी पर दोनों बिना किसीको बताए घूमने भी निकाल गए।
अवि- वो कहानी तो आकर बताऊंगा। और कल तुम लोग गए थे घूमने तो आज हम गए। उसमे कौनसी बड़ी बात है।
रवि- तु हर बार मेरी बहन को साथ ले जाता है फिर उसे हर्ट कर देता है।
मै- इस बार ऐसा नहीं होगा भैया। अब कि बार ऐसे जुड़े है कि कभी अलग नहीं होगे।
रवि- इसका मतलब दोनों ने प्यार का इज़हार कर लिया??
अवि- हां साले, और वो भी एक दूसरे से ?।
रवि- क्या? और तुम दोनों ने मुझे बताया भी नहीं?
मै- मै तो बताना चाहती थी आपको पर अवि ने मौका ही नहीं दिया आपसे मिलने का।
रवि- निशु को पता है?
अवि- नहीं, अभी नहीं बताना है उसको। मम्मी पापा के साथ ही उसे भी सरप्राइज दूंगा कि तेरी चहेती तेरी भाभी बनने वाली है।
रवि- मै तुम दोनों के लिए बहुत ही खुश हु। भगवान करे तुम दोनों को किसी की नज़र न लगे। और यह बताओ तुम दोनों हो कहा?
अवि- हमने एक बाइक रेंट पर ली है और हम ओल्ड मनाली घूमने आए है।
रवि- मुझे वहा का पता दो जहा तुम दोनों हो अभी। मै अभी निकलता हुं वहा आने के लिए।
अवि- अबे ओ, तुझ में लाज शरम है कि नहीं। अभी अभी नए नए बने लवर्स को डिस्टर्ब करने आ रहा है। तु वहा मेरी बहन का खयाल रख, मै यहां तेरी बहन का खयाल रखता हु समझें?
मै अवि से कहती हुं उन्हे आने देने के लिए पर अवि साफ़ मना कर देते है। फिर रवि भाई अवि को मेरा ध्यान रखने को कहकर कॉल डिस्कनेक्ट करते है।

मै- आपने मना क्यो किया रवि भाई को आने से। निशु के साथ आते तो मजा आता न।
अवि- उन्हे साथ लता तो जो कल तुमने कहा वह कैसे करोगी?
मै- मैने क्या कहा था??
अवि- ज्यादा मत सोचो मै ही बता देता हुं। तुमने कल रात कहा था कमरे से जाऊ तो आज मुझे किस दोगी।
मै- कब??
अवि- ए तु अभी मुकर मत जाना हा अपनी बात से। किस तो में लेकर रहूंगा।
मै- आप जरा धीरे बोलिए ना, यहां और लोग भी बैठे है। सब देख रहे है हमें।
अवि- तो क्या हुआ? अपनी होने वाली बीवी से बात कर रहा हुं।
हमारी नोक झोंक चलती रहती है। कॉफी ख़तम करके हम वापस चल दिए अपनी होटल की ओर। पर लॉन्ग ड्राइव करके। होटल पर हम डेढ़ बजे पहुंचे। सब लोग लंच करने आ चुके थे। हम सीधे जहा रवि भाई ओर निशु थे वहा गए। जब मैं काव्या के टेबल के पास से गुजरी तो उसने मेरा हाथ पकड़कर रोक लिया। मुझे अपना कान उसकी ओर लाने को कहा। मैने जब अपना कान उसकी ओर किया तो कान में धीरे से कहती है- क्यो हो गया न?
मै- क्या?
काव्या- प्यार मेरी जान प्यार।
मै- धीरे बोल, मरवाएगी क्या?? तुझे बाद ने मिलती हु, अभी जाने दे।
काव्या- हां हां, अब हमसे तो बाद में ही मिलेगी ना। जा अपने अवि के पास। हम तो पराए हो गए।
मै- तु सुधरेगी नहीं। अब ज्यादा मत बोल, सब को पता लगवाएगी क्या? रात को मिलते है गार्डन में डिनर के बाद।
काव्या- ठीक है पर याद रखना कि मिलना है। अब तो कहा हमे याद रख पाएगी।
मै उसके सिर पर टपली मारकर निशु के पास चली जाती हु। हमने भी अपना लंच कर लिया। फिर दोपहर के बाद सोलंग वैली में पैराग्लाइडिंग करने जाने का प्रोग्राम बनाया हम चारो ने। और भी कई सारी एक्टिविटीज है वहां। आज उसिको एन्जॉय करेंगे।

थोड़ा आराम करके हम जब सोलंग वैली जाने के लिए बाहर निकले तो पूरा स्टाफ वहा मौजूद था। मैने अवि से कहा- ये सब कहा से आ गए?
अवि- मैने ही सबको कहा था। वहा ग्रुप में जाना ही अच्छा रहता है। अगर आज ना ले गए तो ये लोग कल का दिन बिगाड़ेंगे वहा जाने के लिए।
मै- ये क्या बात हुई अवि। जाने की बात हमारी हुई थी।? आपने सब को ले लिए साथ में। जाईए में बात नहीं करती आपसे।?
अवि- सोरी जान, पर ये टूर हमने ऑर्गनाइज कि है तो सबका ध्यान हमें ही रखना पड़ेगा। पर तुम चाहती हो तो सब को मना कर देता हु।
मै- कोई जरूरत नहीं है।
और मै वहा से चली जाती हुं। निशु रवि भाई के साथ आगे चली गई थी। मै भी उन्हीं के पास चली गई। अवि को श्रुति दी ने रोक लिया था। ओर अवि उनसे पूछा छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
सोलंग वैली जाने के लिए हम सब बस में बैठ गए। इस बार मै पहले सीट पर बैठी हुई थी और मेरी बाजू की सीट खाली थी। लास्ट में जब अवि आए तो श्रुति दी को लगा वो उनके पास बैठेंगे पर वह मेरे पास आकर बैठ गए। यह देख श्रुति दी का मुंह बिगाड़ गया। हम सब जब पैराग्लाइडिंग के लिए पहुंचे तो निशु और रवि भाई कपल में उड़ान भरने वाले थे। अवि ने मेरी ओर इशारा करके साथ ने जाने को कहा। और मैने अपना मुंह दूसरी तरफ कर काव्या और साकेत से बात करने लगी। अवि हमारे पास आए और मेरा हाथ पकड़कर पाने साथ के गए। मैने अवि से कहां- सब देख रहे है, आप हाथ छोड़िए मेरा।
अवि- हमारा टर्न आ गया है पैराग्लाइडंग का चलो जल्दी। वरना श्रुति आ धमकेगी मेरे साथ आने के लिए।
मै- हां, तो जाईए। बेचारी अकेली है।?
अवि- बस अब सुनाना बंद करो। चलो जल्दी अब। टेक ऑफ प्वाइंट तक हम गए। वहा से नजर बहुत ही खूबसूरत था। कल जो स्नो फॉल हुआ था तो खूबसूरती और बढ़ गई थी।

हमने टेक ऑफ प्वाइंट से जब टेक ऑफ किया तो पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा। अवि ने यह सब पहले भी किया हुए है तो उसे तो मेरे डर पर हंसी आ रही थी। मुझे हाथ में मोबाइल लगाकर सेल्फी स्टिक पकड़ा दी थी। ताकि में हमारा विडीयो शूट कर सकू। हम जब थोड़ा ऊपर गए तब अवि ने मुझे कहा कि कल का वादा पूरा करो।
मै- अभी?
अवि- हां, उसमे क्या है?
मै- अवि ये हमें कुछ ज्यादा ही ऊपर ले जा रहे है। माना के यहां से इन बर्फीले पहाड़ों को देखने का मजा आ रहा है पर मुझे ऊंचाई से चक्कर आने लगते है। आप इसे थोड़ा नीचे ले जाइए ना।
जैसे हम ऊपर की ओर जाने लगे मैं अवि पर चिल्लाने लगी- अवि इसे नीचे ले लीजिए ना plz।?
अवि- पहले अपना वादा पूरा करो।
मै- अवि ये मजाक का वक्त नहीं है। यहां लटकते लटकते कैसे..।
अवि- ऐसे..।
अवि एक हाथ से मेरे मुंह को पीछे की ओर करके अपने होंठ रख देते है मेरे होंठो पर। मै उनका हाथ हटाने की कोशिश करती हु। हाथ में पकड़ी सेल्फी स्टिक में यह सब शूट हो रहा है। कोई देखेगा तो यही सोचेगा अवि मुझे जबरदस्ती किस कर रहे है। जब हम नीचे आए तब निशु हमारे पास अाई।
निशु- बता आपका विडीयो कैसा आया?
तभी दिशा निशु को अपना और राजा का वीडियो शूट दिखती है। रवि भाई मेरे हाथ से मोबाइल लेकर देखने लगते है। उन्होंने देखा अविने मुझे जो किस किया। फिर अवि से कहते है- साला यह भी नहीं सुधरेगा।
अवि- अपनी होने वाली बीवी को किस किया है ना कि किसी और को। अब तुझे ये सब नहीं आता तो उसमे में क्या करू??
मै- मेरा भाई बेचारा बहुत ही भोला है। आप जैसा नहीं अकडू, गुस्सैल, ड्रामेबाज।
अवि- ये सब खूबियां भी है मेरे में? मुझे तो पता ही नहीं था।

हम बाते कर रहे थे तब श्रुति दी हमारे पास अाई और अवि को अपने साथ पैराग्लाइडिंग के लिए आने को कहने लगी। अवि ने बता दिया कि वो मेरे साथ एक बार जा चुके है। अब नहीं जाना चाहते। यह सुन श्रुति दी ने मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखा। फिर अवि से कहा कि,- तुम्हे जाना ही था तो मुझे कहते। इस जूनियर के साथ जाने की क्या जरूरत थी। रवि भाई से यह सुना नहीं गया और श्रुति दी से बोले- यह मेरी बहन है और अवि की..(मैने भैया का हाथ पकड़ लिया और बोलने से मना कर दिया)
अवि- तुम्हे यह देखने की जरुरत नही के मै किसके साथ जाऊ और किसके नहीं। और हा सुन लो, आइंदा से इस तरह बात मत करना किसी से।
श्रुति दी वहा से गुस्सा होकर चली गई। मैने अवि से कहा- आप को इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी उनसे। वो आपकी दोस्त है।
अवि- हां तो दोस्ती के दायरे में रहे। मेरी लाइफ में मै किसी की भी दखलंदज़ी बर्दाश्त नहीं करूंगा।
मै- मेरी भी नहीं??
अवि- तु तो मेरी जान है, तु कुछ भी कर सकती है।
रवि भाई- और मै??
अवि- तु मेरी जोरू का भाई है, मेरा साला तो तेरे लिए भी छूट है।
रवि भाई- अच्छा साला? अबे मै तेरा जीजा हुं पहले फिर साला। मेरी खातिरदारी मै कमी रखी न तो मिलने नहीं दूंगा तेरी बहन को शादी के बाद।
अवि- और मै तेरी बहन को ?।
मै- पहले यह वीडियो डिलीट करे वरना निशु आकर देख लेगी।
अवि - तु यह मुझे मेरे मोबाइल पर सेंड करदे और फिर अपने मोबाइल से डिलीट करना। रवि तु जरा सेंड करदे फटाफट से वरना वह भूचाल अभी आती ही होगी।
रवि भाई ने वीडियो अवि को सेंड करके मेरे मोबाइल से डिलीट कर दिया। फिर दोनों वहा से चले गए।
जब निशु, काव्या, रिद्धि और दिशा मेरे पास आए तब सीधे मेरे मोबाइल को हाथ से लेकर देखने लगे। पर उसमे उन्हे कहा कुछ मिलने वाला था ?।
दिशा- पाखि, तेरा वीडियो नहीं बनाया?
मै- मै वीडियो का बटन स्क्रीन पर टच करना ही भूल गई थी।
काव्या- क्या यार तु भी, इतना अच्छा मौका गंवा दिया।
निशु- मौका?
काव्या- अरे पैराग्लाइडंग से अपने आपको शूट करने का मौका।
निशु- ओह हा, तु ध्यान नहीं रख सकती थी? चल फिर से जा और वीडियो बनाकर आ।
मै- no way, मुझे ऊंचाई से डर लगता है। मुझे नहीं जाना वापस।
फिर मैने सबका वीडियो उनके मोबाइल में देखा। अच्छा हुआ रवि भाई ने जल्दी से डिलीट कर दिया वरना हमारी पोल आज पकड़ी जाती।?

हम सबने फिर जोरबिंग और घुड़सवारी का भी लुफ्त उठाया। क्या सुंदर जगह बनाई है भगवान ने। मन करता है यही रह जाऊ। दिल्ली की उस भीड़ में वापस जाऊ ही नहीं। शाम होने अाई थी और ठंडी का जोर भी बढ़ रहा था। हम जब होटल पहुंचे तब तक थोड़ी थोड़ी बर्फ गिरने लगी थी। हम सब रूम में फ्रेश होकर डिनर के लिए आ गए। मै, निशु, रिद्धि और रजत साथ में बैठे थे। अवि और रवि भाई जब आए तब अवि ने मुझे उनके टेबल पर आने का इशारा किया। जो रवि भाई ने देखा लिया।
रवि- बे साले, खाना तो उसे अपने दोस्तो के साथ खाने दे।
अवि- इतने साल दिए तो सही मेरे सिवा अपने दोस्तो को। अब सिर्फ और सिर्फ मेरी बारी है।
रवि- वो तुझसे दूर नहीं थी, तु उससे दूर रहता था। तब तो मेरी बहन के सामने तक देखना गवारा नहीं था तो एकदम से इतना प्यार कहा से उमड़ गया? तूने मुझे कल क्या हुआ था वह अब तक नहीं बताया है।
फिर अवि ने एक चीज के सिवा जो कुछ भी कल हुआ वह बताया। वह पाखि को रवि की नज़रों में गिराना नहीं चाहता था। सब सुनकर रवि अवि से कहता है- पाखि यह हालत थी और तूने मुझे बताया तक नहीं?
अवि- बताया होता तो क्या उखाड़ लेता? तु आ सकता था वापस?
रवि- आ तो नहीं पता, फिर भी कहना तो चाहिए न?
अवि- कहता तो क्या करता? उड़कर आने वाला था क्या??
रवि- ठीक है, ठीक है। मेरी बहन का खयाल रखने के लिए thank u।
अवि- अबे यार, तेरी बहन ने मुझे अब तक थैंक्स नहीं कहा। देखा, मेरी तो कोई वैल्यू ही नहीं है।?
रवि- चल अब ड्रामा बंद कर। अब रात का क्या प्रोग्राम है?
अवि- बहुत बढ़िया प्रोग्राम है। निशु और पाखि को अपने रूम में आने को कहना। मैने कुछ मंगवाया है।
रवि- क्या?
अवि- वो तो रूम में तुम सब आओगे तब पता चल जाएगा।

मेरे मोबाइल में रवि भाई का मैसेज आया। रात दस बजे हमारे रूम में आ जाना निशु के साथ। मैने वह मैसेज निशु को दिखाया। हमारा डिनर ख़तम होने से पहले फिर से स्नो फॉल होने लगा। मै एक्साइटमेंट में खड़ी हो गई। पर जैसे अवि पर नजर पड़ी उन्होंने मुझे उंगली के इशारे से मना कर दिया। और यह हमारी काव्या जासूस ने दिख लिया।?
हमारा डिनर ख़तम हुआ तो काव्या मेरे पास आती ओर काम का बहाना निकालकर अपने साथ अपने रूम में ले गई।
काव्या- अब सच सच बता, तुम दोनों क्या चक्कर चल रहा है?
मै- कुछ नहीं यार। इतने सालो के गिले शिकवे ख़तम हुए बस।
काव्या- जुठ मत बोल। मै किसी से कुछ कहने वाली नहीं हुं। हां अगर ना बताया तो जरूर सबको बता दूंगी तेरे और अवि सर के बारे में।
मै- वो मुजसेे प्यार करते है।☺️
काव्या- आय हाय, बेचारी शर्मातो तो देखो कैसे रही है। कब से ये सब चल रहा है।
मै- उनकी ओर से पिछले चार सालों से। मेरी ओर से शायद एक साल से। पर मैने कल ही उनसे इजहार किया था।
काव्या- और अवि ने कब किया था?
फिर मैने रिद्धि के बहन की शादी से लेकर अब तक का सफर बताया। सिवाय कल रात के। कहीं काव्या अवि के बारे में गलत ना सोचे।
काव्या- wow! यार तुम दोनों तो मतलब कमाल हो। एक दूसरे से इतने टाइम से प्यार करते हो और साथ रह भी ना पाए।गोल्डन पीरियड मिस कर दिया न? तूने देर कर दी अवि सर का प्यार ऐक्सेप्ट करने में। सोच अगर पहले ही कर लिया होता तो अब तक शादी हो चुकी होती और एक दो चुन्नू मुन्नू भी आ गए होते।?
मै- धत्त पागल, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। अब मै जाऊ, या और कुछ पूछना है?
काव्या- तेरे और अवि सर के बारे ने किसे किसे पता है?
मै- बस रवि भाई और अब तुझे। पर अभी किसीको मत बताना। घर पर सब बताएंगे बाद में सबको।
काव्या- फिकर नोट मेरी जान, तेरी शादी के बाद भी नहीं बताऊंगी किसी को के मुझे पता है।?

हम दोनों एक दूसरे के गले मिलते है? और मै अपने कमरे में जाने के लिए निकलती हुं। वहा निशु पहले से मेरी राह देख रही थी। अभी दस बजने में देर थी तब तक निशु ने मुझे अगले दिन रोहतांग पास में लिए फोटोज दिखाए और पूरे दिन का विवरण बताया। मैने भी उसे सेम के बारे में बताया तो कहने लगी- मैने एक बात तो नोटिस की है तूजमे। मैने घबराकर पुछा- क्या?
निशु- यही की हर एक लड़का तुझ पर ही मर मिटता है पहली नजर में। हमारी ओर तो कोई जल्दी देखता भी नहीं।
मेरा मन शांत हुआ उसकी बात सुनकर। मुझे लगा इसे कहीं मेरी और अवि की बात ना नोटिस कि हो।
निशु- क्या सोचने लगी?
मै- नहीं, कुछ नहीं। रवि भाई ने दस बजे क्यो बुलाया यही सोच रही थी।
निशु- मै सोच रही हु दस बजे तक क्यो राह देखे? वैसे भी कोई दस-पंद्रह मिनट ही बाकी है दस बजने में। तो चल अभी से चलते है।
फिर क्या दोनों पहुंच गए अवि के रूम में। वहा पहुंचते ही निशु पूछती है- हमें यांह क्यो बुलाया?
अवि- पहले दरवाजा बंद कर फिर बताता हुं। कहीं वो श्रुति न आए धमके।
निशु ने दरवाजा बंद किया और पूछा- अब बताओ।
अवि ने अपनी बैग से दो बोतल निकाली। उसे देख निशु एकदम से उछल पड़ी- wow, भाई u r great?।
और में भड़कती हुं- आप शराब पीते है??
अवि- कभी कभार फौरन ट्रिप में ले लेता हुं। और हां पापा और निशु भी साथ में ही होते है। पूछ लो इनसे, कभी ज्यादा नहीं पीता।
मै- निशु, तु कबसे यह सब...?
निशु- मै अकेली नहीं, ये तेरा रवि भाई भी इसमें शामिल है।
मै- क्या?? भैया आप भी?
निशु- आज तक तो मैने सिर्फ चक्खी ही है। भर भर के नहीं पिया।
रवि भाई- पाखि, वो मै... ये अवि ने मुझे पहली बार पिलाई थी।
अवि- और मुझे पापा ने।
मै- ओह गॉड! और आप सब इसमें मुझे शामिल कर रहे है?
अवि- रोज रोज कहा पाखि हम बैठते है। plz आज मेरी खातिर चख तो ले।
मै- आपने मुझे फोर्स किया तो मै चली जाऊंगी यहां से।
अवि- अच्छा ठीक है मत लेना। पर यहां का लोकल ड्रिंक तो चख। जहा जाते है वहा की फेमस चीज ट्राय करनी चाहिए। फिर कभी ऐसा न लगे कि हम कहीं गए और हमें अफसोस हो कि साला यह किया होता तो अच्छा था।
मै- पर यहां का लोकल ड्रिंक कौनसा है?
अवि- lugdi।
मै- ये क्या है?
अवि- चखले एक बार। पता चल जाएगा।
सब बैठ गए अपनी जगह बना कर। जैसे मैने ग्लास में से एक घूंट पिया... बाप रे...क्या गंदा टेस्ट है।
निशु- अरे एक घूंट में गंदा ही लगेगा। पूरा ग्लास एक बार ने घटक ले, बाद में मजा आएगा।
निशु जबरदस्ती मुझे पूरा ग्लास पीला देती है।
मै- अगर मेरे घरवालों को पता लग गया तो बेहोश हो जाएंगे सब के सब। मुझे रहने ही दीजिए इन सब में। आह! अब मेरा सिर भी चकराने लगा है।
एक ग्लास में ही पाखि को नशा चढ गया। वह अब कुछ भी बोले जा रही थी। अवि को अब तक न बुलाने के लिए कोस रही थी। और आगे बोलने लगी- पिछली रात जो हुआ...। रवि बीच में ही उसे रोक देता है बोलने सेे और कहता है- लगता है तुम्हारी तबीयत बिगड़ी रही है। चल तुझे तेरे कमरे में छोड़ देता हुं।
अवि- मै छोड़ आता हुं, तुम दोनों बैठो।

निशु को तो यही चाहिए था। आज वैसे भी दिन भर साथ रहने का मौका कम मिला था। अवि पाखि को उसके रूम में ले जाता है। पाखि का बोलना नोन स्टोप चालु ही है। कमरे में आते ही वो अवि को मारने लगती है और रोते हुए बोलती है- आपको मना किया था मुझे मत पिलाओ। अब मेरी हालत खराब हो रही है। अवि, कल रात को हुआ वह सही नहीं था। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।? आपने मुझे रोका क्यो नहीं?
अवि पाखि को बेड पर सुलाता है। वह सोचने लगा, ये मुझसे कह नहीं पाई वो अपने मन की बात नशे में बोल रही है। मुझे भी लगता है यह गलत था। पर अब इसका क्या करे? उस वक्त situation ही ऐसी थी कि होश न रहा। कहीं ये इसी सोच में वापस मुझसे अलग ना हो जाए। पाखि लगातार नशे में रोए जा रही है। अवि उसे शांत करने की कोशिश करता है। पाखि फिर से अपने पास बैठे अवि को थप्पड़ लगा देती है और कहती है- आप मुझे छोड़कर क्यो चले गए थे? पता है मै कितना हर्ट हुई? आप तो श्रुति दी के साथ ही रहते है हर वक्त, मेरे साथ नहीं रहते।?
अवि- मै तुम्हारे साथ ही हुं जान। plz अब सो जाओ। मै कहीं नहीं जानेवाला अब, हमेशा तुम्हारे पास रहूंगा। अब शांत हो जा और सोने की कोशिश कर।
अवि जाने के लिए खड़ा होता है तो पाखि उसका हाथ पकड़ लेती है और वही रुकने को कहती है।
पाखि- आप मेरे पास ही रहिएना, मुझे डर लग रहा है अकेले में। अवि, मुझे उल्टी आ रही है।
इतना बोलते ही वह बाथरूम की तरफ भागती है। पाखि ने भर पेट खाना खा लिया था। बाकी सब ने नहीं, निशु ने भी न के बराबर ही खाना लिया था। पाखि का सारा खाना बाहर आ गया। अवि उसके पीछे जाकर पीठ पर हाथ फिराने लगता है ताकि पाखि थोड़ा बहेतर महसूस करे। सब खाना निकल गया फिर वह कुछ अच्छा फिल करने लगी। अवि उसको संभालते हुए बेड पर लेटाता है। पाखि फिर से उन्हें थोड़ी देर वहीं रहने को कहती है। अवि उसके सिरहाने बैठा तो उसके गोद में सिर रखकर सो जाती है। अवि ने रवि को कॉल करके बताया- पाखि मेरी गोद में सिर रखकर सो गई है। उसे कुछ देर ऐसे ही सोने देता हुं। अगर वापस ना आऊ तो तुम वही सो जाना और निशु से बचके रहना। रवि जोरका ठहाका लगाकर फोन रख देता है।?
कुछ पंद्रह मिनट बाद अवि पाखि का सिर तकिए पर रखकर उसके बाजू में ही सो जाता है।

सुबह जब मेरी आंख खुली तो सिर बहुत ही भारी लग रहा था। मैंने जब निशु को उठाना चाहा तो देखा अवि पास में सोए हुए थे। उनको ऐसे सोए हुए देखना बहुत अच्छा लग रहा था। मै अपने आपको रोक ना सकी और उसके पास जाकर उनके माथे पर चूम लिया। जैसे ही मैंने चूमा उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी बांहों में समा लिया। फिर क्या दोनों लग गए एक दूसरे को प्यार करने। मैंने अवि से कहा- अवि, अब मुझसे रहा नहीं जाएगा तुम्हारे बिना। क्योना यहां से जाते ही घर पर बात करे।
अवि- हां जान, मै भी यही सोच रहा हुं। मै जाते ही सीधा मम्मी पापा को बता दूंगा कि अब शादी की तैयारियां शुरू कर दे। आपकी बहू लाने का टाइम हो गया है।
दोनों फिर एकमेक में खो जाते है। मै अपने आपको अवि की बांहों में सुरक्षित महसूस करती हुं। कुछ देर बाद मै अवि को अपने रूम में जाने के लिए कहती हु।
अवि- तुम्हे हमेशा मुझे भगाने की जल्दी क्यो रहती है?
मै- जरा घड़ी देखिए, आठ बज चुके है। कोई न कोई आ जाएगा हमें उठाने। plz अब आप जाइए ना।
अवि- कोई नहीं आएगा।
मै- क्यो? आपने मना कर रखा है सबको??
अवि- आज लंच के बाद बाहर जाने का प्रोग्राम है। तो अभी सब सोए पड़े होगे।
मै- फिर भी, अगर निशु आयेगी रूम में तो क्या सोचेगी?
अवि- मेरी बहन फॉरवर्ड है। वो ऐसा वैसा कुछ नहीं सोचेगी।
मै- यह बात तो सच है कि वो है फॉरवर्ड ओर मेरा भाई इतना बड़ा डॉक्टर होकर भी भोला है उसके सामने।
अवि- सच कह रही हो।? ज्यादा ही भोला है बेचारा। वैसे भोला तो मै भी हुं।
मै- किस एंगल से?? और अब आप जानेका क्या लेंगे यहां से?
अवि- प्यार.. प्यार... और प्यार...।
मै- वो तो मै करती ही हु। अगर आपको नहीं जाना तो मै चली जाती हुं।
अवि- जाता हुं बाबा। कैसी बीवी मिली है, प्यार भी नहीं करने देती।?
मै- अभी बनी नहीं हुं। पहले शादी तो कीजिए फिर बीवी बोलिए।
अवि- शादी तो होगी ही पर तुम्हे मै अभी से अपनी बीवी ही मानता हुं।
मै- ठीक है अब निशु को भेजिए यहां। फिर तैयार होकर ब्रेकफास्ट पर मिलते है।

अवि अपने रूम में जाकर निशु को उठाकर अपने रूम में भेजता है। रवि तब तक नहा धोकर तैयार हो गया था।
अवि- रात में इसने परेशान तो नहीं किया?
रवि- होश में रहती तभी ना परेशान करती।? तुम्हारे जाने के बाद दो पैग में ही सो गई।
अवि- अरे वो तो आधा पैग भी नहीं पी पाती और तुमने उसे दो पैग पीला दिए?
रवि- अबे ओ..। मेरे बहुत मना करने पर भी दो घटका लिए। मेरी कहा सुनती है ये कभी।?
अवि- अच्छा चल में नहा लेता हुं। फिर नाश्ता करने जाते है।

ब्रेकफास्ट के लिए पहुंचे तो श्रुति दी अवि और रवि भाई के साथ बैठी हुई थी और उसका हाथ अवि के हाथ के ऊपर था। मुझे देखकर अवि ने अपना हाथ ले लिया। अब मेरा गुस्सा फटने वाला था पर निशु साथ में थी तो कुछ नहीं कह पाई। पर अवि को पता चल गया था कि मै गुस्सा हुई हुं। अवि उठकर हमारे टेबल पर आकर बैठ गए। निशु मेरे और उसके लिए चाय लेने गई थी। अवि आकर मेरे हाथ पर हाथ रखते है और मुझे सोरी बोलते है। मै अपना हाथ जटक देती हुं। वह मेरे पास बैठकर सोरी का अलाप लगाने लगे।
फिर रवि भाई हमारे पास आए और उसने बताया- श्रुति जबरदस्ती गले पड़ रही थी। अच्छा हुआ तुम आ गई, तो जान छूटी। आकर सीधे अवि पर ही बिजली बनकर गिर पड़ी। तु संभालना ह, वो अवि पर ही डोरे डाल रही है। ध्यान रखना इसे अकेला मत छोड़ना।?
अवि- क्या तु भी बाल की खाल निकालने बैठा है। क्यों हमारी जोड़ी तुड़वाने पर तुला हुआ है। एक तो वो चिपकू दिमाग खा गई और बाकी दिमाग तु चांट रहा है??
इतने में निशु आ जाती है और अवि को कहती है- भाई क्यो मेरे रवि को डांट रहे हो?
अवि- तेरा रवि श्रुति के साथ मेरी बेंड बजा रहा है।
निशु- रवि तु मार खाएगा। अगर मेरे भाई के साथ श्रुति का नाम जोड़ा। वो मेरी भाभी कभी नहीं बन सकती क्यो भाई?
अवि- हां, बिल्कुल। तुम्हारी भाभी तो...।
मै (अवि की बात बीच में ही काट देती हुं)- रवि भाई आप लोगो ने ब्रेकफास्ट कर लिया?
रवि- अभी कहां? अभी तो बैठे ही थे कि श्रुति आ गई।

मैंने श्रुति दी को देखा तो वह मुंह बिगाड़े हमारी ओर ही देख रही थी। मुझे उनके लिए बुरा भी लग रहा था। वह पहले से ही अवि को पसंद करती थी। मुझे उन्हे अवि के साथ देख गुस्सा आता था तो जाहिर है अवि को मेरे साथ देखकर उन्हे भी गुस्सा आता ही होगा। पर अवि तो मुझसे ही प्यार करते है तो...। चल कोई नहीं अभी ब्रेकफास्ट पर ही ध्यान देते है। कल का खाना सब निकाल गया था रात को तो अभी बहुत भूख लगी है। हम सब अपना ब्रेकफास्ट करने के बाद गार्डन मै बैठते है। साथ में हमारे सारे फ्रेंड्स भी थे। घूमते फिरते कल जाने का समय भी आ गया था। तो रवि भाई ने बताया जितना एन्जॉय करना है वह आज ही करले। कल से फिर वही बोरियत शुरू। घर से अस्पताल, अस्पताल से घर। तो let's enjoy friends।

लंच के बाद सबने रिवर राफ्टिंग करने का सोचा। आज स्नो फॉल नहीं हुआ था। लोकल पर्सन से मालूम किया कि अभी रिवर राफ्टिंग कर सकते है?। तो चल पड़े सब राफ्टिंग करने।
वहा पहुंचकर पता चला यार कपड़े तो गिले हो जाएंगे। पर कोई बात नहीं आखरी प्लेस को एन्जॉय कर ही लेते है। क्या मजा आया रिवर राफ्टिंग में ?! पानी तो ठंडा लगा ही पर एन्जॉय भी सबने बहुत किया। सबको एक बार तो यह एक्स्पीरियंस करना ही चाहिए। होटल पहुंचकर पहले तो गर्म पानी में मै और निशु पैर रखकर बैठ गए, ताकि ठंड ना लग जाए शरीर मे। रात का डिनर करके सब गार्डन में कैंप फायर करके देर तक बैठे रहे। कुछ लोग गा रहे थे, कुछ नाच रहे थे। वाकई में कोलेज के दिन याद आ गए।
अगली सुबह फिर निकाल पड़े अपनी मंजिल की ओर।

क्रमशः