Kamsin - 31 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 31

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कमसिन - 31

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(31)

आज कल गाँव में भी सभी लोग बारी बारी से अपने घर में देवता को घर ला रहे थे। आज चाचा के घर पर देवता आ रहे थे पूरा गाँव उनके घर जाने वाला था। राशि भी परिवार के सभी लोगों के साथ गई थी। पूरे 11 बकरों की बलि दी जानी थी। खूब चहल पहल चारों तरफ संगीतमय वातावरण। वे तीनों बच्चियां भी खूब सुंदर कपड़ों में सजी इधर उधर घूम रही थी।

पुरे ग्यारह बकरों की बलि दी जायेगी, हालांकि तीनों बच्चियाँ और चाचा माँस नहीं खाते। ऐसा नहीं है कि वे पहले भी नहीं खाते थे। बल्कि जबसे कार एक्सीडेन्ट में अपने भईया, भाभी, माँ पापा को खोया है ! तबसे खाने का मन ही नहीं होता। पहले जितने बकरे कटते उनको छत पर डाल दिया जाता और जब तेज या खूब ज्यादा बर्फ गिरती और घर से निकलना मुश्किल लगता था। तब उन्हें छत पर से लाकर पकाया जाता और पूरा परिवार साथ बैठ कर खाते ! वे बता रहे थे !

उसे याद आई रवि के साथ ढाबे पर बैठे उस व्यक्ति के साथ की बातचीत ! वे दिन याद आते ही उसकी आँखे छलक आई। पिंकी ने राशि की छलकती आंखों को देखा ! लेकिन कुछ नहीं बोली यह सोच कर कि दर्द को आँखों के रास्ते बह जाने दिया जाए !

पिछले दो दिनों में राशि चाचा के कई रूप देख चुकी थी। उसे अहसास हुआ हर इंसान अपनेआप में कितना तन्हा और अकेला है अगर उसे सच में जानने की कोशिश की जाये, तो अहसास होता है कि न जाने कितने जख्मों को भीतर ही भीतर छुपाये फिरता है और दर्द से लबरेज हो जाता है ! तो वे दर्द आसुओं के रूप में बदल जाते है और फिर उन्हें छलकने में जरा भी देर नहीं लगती। चाचा को जब पहली बार देखा तो लगा था कि यह इंसान कितना बहादुर है और आज ये छलकते आसूँ उसके कमजोर होने को वयाँ कर रहे थे।

शाम को धुंधलका छाने लगा था पक्षी अपने घरो को लौट रहे थे। सूर्य देव भगवान भी अपनी यात्रा पूरी करके अगले दिन की यात्रा के लिए खुद को तैयार करके ध्यानास्त होने जा रहे थे ! पहाड़ियों पर धूप चढ़ने लगी थी । राशि उदास होकर घर के बरामदे में बैठी थी। सब लोग अपने अपने कार्यों में व्यस्त थे और राशि भी व्यस्त थी रवि की यादों में।

क्योंकि उसका सिर्फ यही काम था उनकी यादों में खोये रहना और कभी रोते हुए मुस्कुरा देना या मुस्कुराते हुए रो देना। कोई मधुर याद हँसा देती और विरह फिर से उदासी ले आती। पर उसका विश्वास था भले ही ये विरह के रात दिन बहुत लम्बे और तन्हा सही, एक न एक दिन सब बीत जायेंगे, कट जायेंगे। सारे दुःख दर्द। होठों पर मधुर मुस्कान जरूर आयेगी। हवाओं का रूख नर्म होकर बह उठेगा। शीतलता का अनुभव कराते हुए। ये तपिश जो महसूस होती है वो अवश्य फुरारों से लवरेज हो जायेगी। रवि अपनी प्रेम वर्षा से हर ताप को हर लेगा। जरूर एक दिन रवि लौटेगा। ये आस उसके चेहरे पर रौनक ले आती थी।

राशि क्या सोच रही हो, यहाँ अंधेरे में बैठकर?

कुछ भी तो नहीं।

कुछ तो जरूर। पिंकी ने हल्की से स्माइल के साथ कहा। आज पिंकी की ये मधुर मुस्कान बड़ी अच्छी लगी थी, कुछ कुछ बदली सी। खिलाखिलाती हुई हंसी और उमंग से भरपूर मन।

क्या बात है आज तुम बडी खुश लग रही हो ?

चेहरे पर चमकती मुस्कान, उसके आत्मविश्वास को बढ़ा रही थी।

चलो बाग में चलते है।

अभी मतलब इतनी शाम को।

तो क्या हुआ अभी लौट आयेंगे ? मेरा मन कर रहा है कुछ देर टहलने का।

अरे! पिंकी अभी तो तू कालेज से आई है टहल कर, कितने पहाड़ चढ़े-उतरे फिर वो लम्बी सी सड़क पार करके, कालेज की दूरी तय करके घर पहुची कि फिर तेरा घूमने का मन ।

पता है आज पैदल नहीं आई हूँ और वो लम्बी सी दूरी पलक झपकते ही पूरी हो गई। आज वो दूरी महसूस ही नहीं हुई और घर आ गया जबकि मैं चाहती थी कि ये रास्ता कुछ और लम्बा हो जाये या फिर रास्ता खत्म ही न हो चलता ही जाये।

अच्छा ऐसा क्या हुआ है तुम्हें? जो तुम रास्ता खत्म न होने की बात कर रही हो। आज तुम अगल लग रही हो।

अलग तो नहीं ! हाँ खुश जरूर है।

हमेशा खुश रहो।

हाँ मैं हमेशा खुश रहना चाहती हूँ लेकिन?

लेकिन क्या पिंकी?

आपको पता है जब कोई बहुत अच्छा लगता है और हमेशा उसके साथ रहने को जी चाहता है तो क्या यह प्यार होता है? पिंकी ने कुछ शरमाते हुए और मुस्कुराते हुए पूछा।

अच्छा तो आपको प्यार हो गया है ? राशि ने कहा।

तो पिंकी ने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।

राशि को याद आया वह भी तो इसी तरह प्यार में पड़ कर अपना सब कुछ गवाँ चुकी है। लेकिन गवाने के साथ कुछ पाया भी तो है। हाँ अपना चैन और मुस्कुराहट खो दी है। लेकिन ये प्यार किसी को नहीं छोड़ता! खुद ही दूब घास सा उग आता है मन की गीली उपजाऊ मिटटी में ! फिर ऐसे लहू में बहने लगता है कि अहसास होता है अब नहीं रहा जायेगा उनके बिना परन्तु सब रहते है जीते भी है। कोई नहीं मरता है किसी के लिए। पल पल जीते हुए मरना। या पल पल मरते हुए भी जीना। बस प्यार में यही मिलता है अब इस पिंकी को कैसे समझाये क्योंकि प्यार बड़ा जिद्दी होता है अगर जिद पर उतर आये तो असंभव को भी संभव बना देता है।

क्या सोंच रही हैं आप?

कुछ नहीं ! प्रेम शाश्वत है। वह अटल सच है। एक बार दिल में जग जाये तो मरते दम तक साथ निभाता है अगर वह स्वार्थ से भरा हुआ न हो तो । वैसे ये किया नहीं जाता, स्वयं हो जाता है सच्चा प्रेम मात्र आकर्षण भर नहीं होता है। प्रेम में अगर सच्चाई है, तो बाकी सब कुछ गौड़ हो जाता है, बचता है सिर्फ प्रेम ! भले ही सब कुछ चुक जाये, खत्म हो जाये।

अच्छा अब ये तो बताओं कि वह है कौन?

राशि और पिंकी टहलते हुए इतनी दूर तक निकल आई थी। सामने ही सफेद फूलों के पौधे, छोटे छोटे पौधों पर सैकड़ों की तदाद में फूल लदे पड़े थे ! वे सफेद फूल उसके मन को शीतलता और शांति प्रदान कर रहे थे ! वैसे मन में एक तपिश सी रहती है। न जाने ये कौन सी आग है?जो बुझती ही नहीं, न जाने कैसी प्यास है ? जो मिटती ही नहीं।

अरे पिंकी अब बताओ भी न ! इतना शरमाओगी तो प्यार कैसे करोगी।

क्यों प्यार में शरमाना मना है?

नहीं भई, शरमाना मना नहीं है पर शरमाती ही रहोगी तो प्यार को अपना कैसे बनाओगी। उसके लिए डर निकाल फेंकना होगा, निडर बनना होगा।

हाँ आप सही कह रही है। दीदी पता है बिट्टू बहुत बहादुर है वह किसी से नहीं डरता, पूरी दुनिया से मेरे लिए लड़ जायेगा।

अच्छा जी, ये बिट्टू कौन है?

पास वाले गाँव में रहते हैं, बहुत सारे बाग है जमींदार है उसके पापा ! अकेला बेटा है, दो बहनें है, दोनों की शादी हो गई।

ओहो पूरे खानदान की पहले ही पड़ताल कर ली फिर प्रेम किया। वाह! क्या बढ़िया लड़के को देखकर प्रेम किया।

अरे नहीं जी, ये तो उसने बाद में बताया ! प्यार तो बहुत पहले से करते थे। आज बता रहे थे ये सब बातें तो मैंने आपको बताया। आखिर अपनी मंजिल तक प्रेम को पहुँचाना ही होगा तो फिर ये सब जानना भी जरूरी है ताकि घरवाले शादी को तैयार हो जाये।

राशि के होठों पर मुस्कुराहट खेल गई। प्रेम में इतना भी अंधा नहीं होना चाहिए कि दिमाग से कोई काम ही न लिया जाये। अगर प्रेम में दिल के साथ थोड़ा सा दिमाग चलाया जाये तो निःसंदेह प्यार पूरा होता है अधूरा नहीं रहता। वैसे सच्चा प्यार भी तो पूरा हो जाता है। उसने भी सच्चा प्यार किया है और उसका प्यार अवश्य ही पूरा होगा, कितनी भी मुश्किलें आये, जुदाई, तन्हाई, गम आये लेकिन एक दिन उसकी तपस्या अवश्य पूरी होगी। रवि आयेंगे और उसे ले जायेंगे हमेशा के लिए अपना बनाने को । राशि ने हल्की से चपत अपने सिर पर लगाई और मन ही मन कुछ बुदबुदाई कि वह हर बार सिर्फ अपने लिए ही सोंचने लगती है।

पिंकी कभी उसे घर ले आओ या फिर मुझसे ही मिलवा दो !

ठीक है एक दिन लेकर आऊँगी। तभी सामने की ढलान से एक कार फिसलती हुई सी उन लोगों के करीब आकर रूक गई।

हल्की सी बूँदा बांदी शुरू हो गई थी सड़क गीली हो गई थी। पेड़ पौधे अपनी मस्त चाल में हवा के संग लहरा रहे थे। वहां पर ढलान कुछ ज्यादा थी, सड़क महज इतनी चौड़ी कि अगर कार गुजरे तो आने जाने वालो के लिए बिल्कुल जगह ही न बचें।

कार इतने करीब आकर रूकी थी कि अगर थोडा सा और पास आ जाती तो टक्कर ही लग जाती ।

एक तरफ जंगली खाई और दूसरी तरफ फूल और सेबों के बाग। बचने का कोई साधन नहीं, हाँ मोड़ के पास थोड़ा बचने की जगह थी। पिंकी बुरी तरह घबरा गई राशि का दिल भी जोर से धड़का परन्तु जब उस कार से बिट्टू को उतरते देखा तो उसके चेहरे पर चमक उभर आई और होठों पर मुस्कुराहट !

क्या यही बिट्टू है ? राशि ने मन में सोंचा हाँ यही है। पिंकी के चेहरे की चमक और मुस्कुराहट तो यही बता रही है !

ऐसे ही उसके रवि भी एक दिन लौट आयेंगे। तब तक वह यूँ ही इंतजार करती रहेगी।

दीदी यही है बिट्टू। पिंकी उसे हिलाते हुए बोली।

ओह! हाँ हाँ, मैं समझ गई थी।

अच्छा आप ने कैसे जाना?

क्यों नही जानूँगी भला, आखिर तेरी बहन या सहेली जो भी हूँ, तुम्हारी ही जैसी हूँ।

ओहो ! आज आपने बहुत अच्छी बात कही। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब आप खुश होती हो ! आपके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहे।

ठीक है बाबा, अब पहले बिट्टू से बात कर लो।

बिट्टू ने उसकी तरफ देखकर हाथ जोड़कर नमस्ते की।

आप राशि है न?

जी!

पिंकी आपकी बहुत तारीफ करती है लेकिन एक बात बताऊँ?

हाँ।

आप उस तारीफ से ज्यादा की हकदार है।

वो कैसे?

क्योंकि आपका दिल बहुत प्यारा है और आप बहुत सुंदर हो।

हाँ अब रहने भी दो जी, मेरी राशि की तारीफें।

अच्छा तो कुछ जला? है न राशि जी।

राशि ने मुस्कुरा भर दिया और कहा कि आप मुझे सिर्फ राशि कहकर बुला सकते हैं।

ठीक, चलो तुम लोगों को घर तक छोड़ दूँ।

अरे मेरा घर तो करीब ही है, कार की जरूरत नहीं ! हम अभी घर से निकले है बाग तक टहलने जायेंगे, राशि की तबियत ठीक नहीं है न।

क्या हुआ ? बारिश में कहाँ जायेगी और आप भी बीमार पड़ जायेगी।

नहीं होऊँगी बीमार।

सोच लो भई। कुछ मेरा भी ख्याल रखना ! अगर तुम बीमार हो गई तो मैं कैसे खुश रह पाऊँगा। क्या तुम चाहती हो कि मैं दुःखी रहूँ।

अरे नहीं नहीं जी।

अच्छा चलो घर वापस जाती हूँ।

चलिए ! राशि का हाथ पकड़कर वो बोली।

कल कालेज तो आ रही हो न?

हाँ हाँ आऊँगी।

राशि यह देखकर मन ही मन मुस्कुरा दी।

इनका प्यार हमेशा ऐसा ही बना रहे कभी दूर न हो ये। राशि ने हाथ जोड़कर अपना सिर ऊपर आसमान की तरफ नजर उठाकर कहा।

दोनों पलट कर वापस घर की तरफ चल दी थी। पिंटू वहीं पर खड़ा होकर उन्हें जाते हुए देखता रहा। वे नजरों से ओझल हो गई तो बिट्टू अपनी कार स्टार्ट करने लगा।

बहुत ही प्यारा है बिट्टू ! पिंकी से कहा।

हाँ जी, बहुत ज्यादा प्यारा है और हमेशा ही इतना प्यारा बना रहे।

प्यारे लोग हमेशा प्यारे ही रहते है।

राशि बहुत कमजोर हो गई थी, घर से कुछ ही दूरी पर आने के बाद ही उसे चक्कर आने लगे थे।

पिंकी कुछ देर यहाँ बैठ जाये?

हाँ चलो ठीक है। पर घर तो सामने ही है।

मेरा मन कर रहा है। उसे नहीं बताया कि चक्कर आने की वजह से उसे एक कदम भी नहीं चला जा रहा। क्योंकि अगर उसने पिंकी को बताया तो वह परेशान हो जायेगी और घर में सबको बता देगी।

पास के घर से कुत्ते की भौंकने की आवाज आई।

पिंकी चलो चलते है, उसने उसका हाथ पकड़ लिया। मुझे कुत्तों से पता नहीं क्यों डर लगता है।

कुछ नहीं बोलेगा, अगर इधर आ गया तो देख लेना।

नहीं नहीं चलो अब नहीं रूकेंगे। राशि ने कसकर पिंकी का हाथ पकड़ रखा था, वहीं चकरा कर गिर न पड़े।

वह पूरी रात राशि ने आँखों में ही गुजार दी थी, समझ ही नहीं आ रहा कि क्या करे, उसके बारे में घर में किसी को कुछ नहीं बताकर कि वह शादी शुदा है या फिर क्वांरी। उसने घर के सभी सदस्यों से अपनी पहचान छुपा रखी थी अपनी याददास्त चले जाने का बहाना करके। अब यह समस्या कि उसकी कोख में बच्चा है। इससे कैसे निजात पायेगी। किस तरह बता पायेगी और छुपाया भी कब तक जा सकता है एक न एक दिन सबको पता चल ही जायेगा क्योंकि ये खुद व खुद सामने ही आ जायेगा। घर के सभी लोग उसे इतना मान सम्मान इज्जत देते है साथ ही अपनी बहन बेटी जैसा प्यार भी। तो क्या उन लोगों से इस बात को छुपाना उचित है। वैसे भी गाँव के अन्य लोग उस पर उँगली उठाते है और अब तो और भी ज्यादा। वैसे भी इस घर में एक जवान लड़की है उसकी बेचारी के जिन्दगी राशि तेरी वजह से बर्बाद भी जो सकती है। उसकी अन्र्तात्मा ने उसे धिक्कारा। जब सबको पता चलेगा कि राशि गर्भ से है तो उसे सब पतित कहेंगे। हो सकता है घर के किसी व्यक्ति पर ही ये लाॅझन लगा दें। इस घर में आये तीन महीने हो चुके थे और वह तीन महीने से ही गर्भवती है।

हे ईश्वर! मेरी मद्द करना। मुझे इस परिवार के हर सदस्य की इज्जत की रक्षा करनी है। इन लोगों ने मेरी उसक वक्त मदद की है जब मुझे मरने के सिवा कुछ और नज़र नहीं आ रहा था। वह मन ही बुदबुदा उठी थी और हाथ स्वयं ही जुड़ गये थे। रात गुजर गई परन्तु उसकी समस्या वही की वही बनी रही। सेब की फसल पूरी उतर गई थी अब कुछ काम नहीं बचा था। फुरसत के कुछ पल मिले थे। सब घर में ही थे ! बागों का कोई काम नहीं था बस घास काटकर इक्ट्ठी करनी थी। सर्दियाँ आ रही हैं और गाय को सर्दियों में घास की जरूरत होगी। न जानें किस दिन ज्यादा बर्फ गिर जाये और घर से निकलना भी मुश्किल हो जाये। घर में सब सामान (खाने पीने का) इकट्ठा करने के साथ ही गाय का भी सब खाने पीने का इंतजाम करना पड़ता है। एक बार तो लगातार 12 दिनों तक बर्फ पड़ी थी। घर से निकलना मुश्किल था सब लोग आग जलाकर एक कमरे में ही बैठे रहते थे। खाना बनाने जब रसोई घर में जाते तो सब लोग संग ही जाते और वहाँ बिछे कालीन पर मसतद लगाकर लेटे रहते। पिंकी ने बताया था उसे। तब उस बार खाने की दिक्कत हो गई थी।

घर में मात्र 10 दिन के खाने का इंतजाम था फिर उन परेशानी के दिनों में रिंकू चाचा ने ही बहुत मद्द की थी उन लोगों की। अपने घर से खाने पीने के सामान के साथ गाय की घास का भी इंतजाम दिया था। तब से हम सब लोग उन्हें बहुत मानने लगे, वैसे भी वे नेक बन्दे है। उनको जितनी भी दुआ दो, कम पड़ जाती है।

फिर भी ईश्वर न जाने क्यों उन्हें परेशानी दे देता है, वैसे भी अगर देखा जाए तो ईश्वर अच्छे लोगों की हमेशा से परीक्षा लेता आया है।

खैर घर में कुछ मेहमान आये हुए थे गांव में दो दिन मेला चलेगा उसमें जाने के लिए। पिंकी ने सबके लिए लस्सी लाकर दी। उसने मना कर दिया था। वह नहीं पी पायेगी। कितने दिन निकल गये, कुछ भी ठीक से नहीं खाया था, किसी तरह की की भी चीज खाने का कोई मन ही नहीं होता। वैसे भी जब से रवि दूर गये उसने एक दिन भी पेट भर कर खाना नहीं खाया।

अचानक दिल में एक हूक सी उठी। दर्द भरी लहर मन में आई, उफ ये तड़प, खुद को किस तरह से सम्भालूँ। बहुत ही बेवश है। खुद पर कोई जोर ही नहीं। क्या रवि भी ऐसे ही महसूस करते होंगे ? वैसे कहते तो यही हैं कि दिल से दिल को राह होती है ! जैसा हमारा मन किसी के लिए सोचता है ठीक वैसे ही दुसरे का मन भी हमारे लिए सोचता है ! लेकिन उसे कुछ नहीं पता कुछ भी नहीं ! वह अपने दिल को हाथ से पकड़ कर बैठ गयी शायद आराम मिल जाए !

किसी को बताना होगा ! अब नहीं रहा जाता शायद कोई मद्द कर दे और लौटा लाये उसके रवि को, उसके पास ।

वो जान बूझ के तो नहीं करती ये सब, सबकुछ अनजाने में ही होता चला जाता है ।

उसे तो हर समय रवि की यादों में खोये रहना ही अच्छा लगता है और पिछले तीन महीनों से यही तो करती आई थी परन्तु अब ये यथार्थ के सामने सपनों का तो कोई अस्तित्व ही नहीं।

पिंकी ने कहा था, आज मेला चलना ! वहाँ देवता से माँग लेना ! वह हर मुराद पूरी कर देगा। देखियेगा जरूर ऐसा ही होता है।

हाँ होता होगा न ! मैने मना कब किया। लेकिन अगर दिल सच्चा है तो एक बार सच्चे दिल से ईश्वर से मन्नत घर बैठे ही माँग लो तो अवश्य पूरी हो जाती है। और देखना उसका रवि आयेगा, लौट आयेगा। उसके जीवन में, आते ही ढेरों खुशियाँ बिखेर देगा। उसका दामन खुशियों से भर देगा और चेहरों पर मुस्कान सजा देगा।

जब बात बिगड़ जाती है तो उसे संवारने में ईश्वर को भी वक्त तो लगता ही है। उसने स्वयं को समझाया !

***