कमसिन
सीमा असीम सक्सेना
(19)
कहाँ चली गई थी मेरी जान? एक लड़के ने पूछा !
चलो, मेरे साथ चलो, ऐश करेंगे। जीवन की सारी खुशियाँ तेरे कदमों में डाल देंगे।
थर्ड फ्लोर पर लिफ्ट का गेट खुलता उससे पहले ही उन लोगों ने पांचवे फ्लोर का बटन दबा दिया। वह घबराहट से भर गई ! चेहरे पर पसीने की बूँदें छलक आई । आज क्या होने वाला है? कहीं कोई बड़ा अनर्थ न हो जाये। उसने अपने बदन को चुन्नी से लपेट लिया। उन तीन लड़को के बीच जैसी वो बुरी तरह से डर गई थी।
कहाँ हो रवि? मुझे बचा लो। मैं तो तुम्हारे सहारे ही यहां तक आई थी। इस तरह अकेला करके किधर चले गये। वे लड़के इस समय उसे किसी आतंकवादी की तरह नजर आ रहे थे, उनकी आँखों से मानों शोले उगल रहे थे, जो उसके अंग अंग को भस्म करना चाहते थे। राशि ने अपने दोनों हाथों को उन लोगों के सामने जोड़ कर कहा, प्लीज मुझे जाने दो।
कहाँ जाने दो। तुम्हे अकेला छोड़ दे। इस तरह माल को खुलेआम नहीं छोड़ा जाता ! किसी की भी नियत खराब हो जाती है। तुम मेरी हिफाजत में हो। एक लड़के ने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा।
नहीं भाई, छोड़ दो मुझे, छोड़ दो, प्लीज मुझे जाने दो, ये तुम्हारी बहन जैसी हूँ !
हाँ भई, तुम्हे छोड़ देंगे, मना कब किया है छोड़ने को। बहन जैसी सुन्दर तो हो पर तुम मेरी बहन नहीं हो।
क्या मिलेगा मुझे बर्बाद करके।
मैं तो तुम्हें आबाद करूँगा मेरी जान।
खिला दूँगा तुम्हारी कली कली।
राशि का दिल भय से धर्रा उठा ! जो आत्मविश्वास कुछ देर पहले जगा था, वो न जाने कहाँ गायब हो गया। सही में परिस्थितियाँ ही हमारे मन में आत्मविश्वास जगाती है और वहीं उन्हें खत्म भी कर देती है। कोई उपाय नहीं है अब इन लोगों से बचने का, मन में सोचा। इस होटल की लिफ्ट तो एक ही है और लोगों का सामान लाने जाने के लिए तो लिफ्ट ही जरूरत होगी। लोग वार तो सीढ़ियों से आ जा भी सकते है परन्तु सामान उसके लिए लिफ्ट का ही सहारा लेना होगा। जरूर कुछ ही देर में होटल का प्रशासन सतर्क हो सकता है। बस किसी तरह कुछ देर इन लोगों का सामना कर लिया जाये। शरीर की जान तो रवि के दूर जाने से वैसे भी निकल चुकी थी और अब ये मुसीबत। फिर भी उसने अपने शरीर में बची खुची ऊर्जा को समेटा और उन लोगों से बोली, आप लोग इस तरह क्या पाओगे? कुछ भी नहीं। मुझे पाना चाहते हो न, बस इतनी सी तो बात है। तो जरा सोचो इस तरह से गलत करोगे तो उसकी सजा निश्चित है परन्तु मेरी रजामंदी से करोगे तो फिर सुख भी मिलेगा और सजा का नामोंनिशां तक नहीं होगा।
हा, हा, हा ! ! मुझे सिखा रही है। तू जानती नहीं हम लोग कौन है? तेरी मूर्खतार्पूर्ण बातों में आकर भावनाओं में बह जायेंगे, क्या यही सोच रही है न। यार ये बहुत चालाक है, ऐसे नहीं मानेगी ! अपनी बुद्धिमत्ता से हमें जीतना चाहती है। एक ने अपने साथी से कहा।
नहीं, मैं सच कह रही हूँ मैं अकेली हूँ मैं अपने हास्टल से दो दिन की छुट्टी लेकर घूमने आई हूँ ! यहाँ मेरा कोई भी साथी नहीं हैं ! मैं स्वयं साथी तलाश रही थी। मेरी आँखों में झोंक कर देखों, क्या तुम्हें सच्चाई नजर नहीं आ रही है? सच ये उसकी बातों का जादू ही था। वे सब लड़के कुछ संभले।
तू सच कह रही है न?
हाँ बिल्कुल सच। राशि ने अपनी बात को जोर देकर कहा। और अपना हाथ आगे बढ़ाकर बोली ले पक्का प्रामिस करती हूँ।
आज रात को आ जाना मेरे कमरे में !
कौन सा कमरा है?
तुम्हारे कमरे से सटा हुआ रूम नं. 23। अच्छा 232 नं. मेरा है।
चलो ठीक है ।
पक्का वायदा है न ?
राशि मुस्कराई। वे लड़के जिनके चेहरे पर कुछ समय पहले तक खतरनाक इरादे घूम रहे थे वे भी अब मुस्कुरा उठे थे शायद अपनी जीत पर। या फिर वे भी सच्चा सुख पाना चाहते थे बिना किसी कानूनी भय के। उसी में से एक लड़के ने तीन नं. का बटन दबा दिया। अभी तक ऊपर चलती लिफ्ट, तीन नं. पर आकर रूक गई थी। लड़कों ने चेहरे पर मुस्कुराहट तैर रही थी, वे खुश नजर आ रहे थे। राशि ने देखा लाबी में पड़े सोफों पर बहुत से लोग बैठे हैं। मन का भय निकल गया था उन लोगों को देखकर।
राशि ने एक लड़के से पूछा, क्या मैं आपका नाम जान सकती हूँ?
हाँ हाँ, क्यों नहीं ? मैं राशिद हूँ। मैं बी.काम. फाइनल ईयर का छात्र हूँ पटना यूनिवर्सिटी से।
ओके मतलब पढ़े लिखे हो, तभी मेरी बात समझ गये। आओ राशिद में तुम्हें अपना कमरा दिखा दूँ। फिर यहां लाबी में बैठते हैं। ठीक है चलो राशिद के साथ उसके दोनों साथी भी संग में आने लगे।
तुम लोग यही पर रूको। मैं आता हूं। राशि ने अपने कमरे का लाक खोल कर अंदर प्रवेश किया ! पीछे पीछे राशिद भी आ गया ! ये देखों ये रहा मेरे सामान का एक बैग।
यहाँ पर मैं बिल्कुल अकेली हूँ कोई भी साथ में नहीं। अब तुम्हें ही मुझे कंपनी देनी होगी, बोलो खुश।
हाँ हाँ मैं सच बहुत खुश् हूँ। राशिद तुम मेरा नाम लेकर बात कर सकते हो मेरा नाम राशि है मैं बीएससी बाॅयो कर रही हूँ। कह कर राशि ने राशिद को गले से लगाया सच में विश्वास जीतने के लिए कुछ देर को अपनी नजरों में गिरना ही पड़ता है।
राशिद, अब बाहर चलें कुछ स्नैक्स खाते हैं भूख भी लग आई है।
ठीक है चलो। वह बातों बातों में रवि के कमरे तक टहल कर देख आई। अरे! यहाँ तो ताला पड़ा है। क्या हुआ? कहाँ चले गये तुम बिन बताये। जबकि जानते है कि राशि को कुछ भी नहीं पता अनजान है वो सब बातों से, यहां के स्थानों से। अब क्या होगा? कैसे बच पायेगी वो। उसे ख्याल आया नीचे मैडम उसका इंतजार कर रही होगी। अब कहाँ कर रही होगी। चली गई होगी वे दोनों आज के समय में कौन किसका इंतजार करता है।
चलो फिर नीचे चलते है।
ठीक है चलो।
राशिद जो कुछ देर पहले तक गलत इरादों के साथ उसे बर्बाद करने पर तुला था, अब वहीं हर बात बिना किसी ना नुकुर के मान ले रहा था। प्यार में बहुत शक्ति होती है। लेकिन वो तो रवि को जान से ज्यादा प्यार करती है फिर क्या वजह रही । जरूर उसकी ही गलती है वह नहीं बांध सकी अपने रवि को, क्यों छूट दे दी उसे ? क्यों नहीं प्रीत की जोत भीतर तक जलाई। कोशिश तो की थी लेकिन सब व्यर्थ, सब बेकार। क्या करे अब? किस तरह इस उलझन को सुलझाये फिर ये उलझन कहां ? यह तो उसकी जिदंगी का सवाल है। और इस समय सबसे पहले इस राशिद नाम की मुसीबत से बचना है। अकेले किस तरह से मुकाबला कर पायेगी। कितनी देर तक उसे अपनी बातों में उलझायेगी फिर उसके दो साथी और भी हैं कहीं वे दोनों ही भड़क गये फिर तो बहुत मुश्किल होगी ! इन लोगो से बचने का कोई उपाय समझ नहीं आ रहा। अब तो रवि को फोन करना ही होगा, बिना फोन के कोई बात नहीं बनेगी, क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा डाँट ही तो लेंगे, डाँट लेने दो। वे तो उसके ही है। क्या वाकई उसके ही है? नहीं भीतर से आवाज आई, वे उस महिला के भी कुछ हैं या शायद सब कुछ उसके ही हैं ? वे उसके अकेले अपने नहीं है ! होते तो इस तरह अकेला छोड़ के नहीं जाते। एक अकेली लड़की खुली तिजोरी। ये शब्द उसके दिमाग में गूँज रहे थे छटपटा रहे थे।
राशिद यहाँ की कैंटीन में खाओगे या कहीं बाहर?
चलो कहीं बाहर चलते हैं ! कुछ गुफ्तगूँ हो जायेगी ! तुम्हारे बारे में जान लूँगा, अपने बारे में बता दूँगा।
हाँ ये ठीक है ! उसे लगा प्रेम से किसी का भी दिल जीता जा सकता है। बहुत शक्ति होती है प्रेम में फिर भी राशिद है तो पुरूष ही। उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता है। और स्त्री पुरूष का आकर्षण कभी भी खत्म नहीं होता। हर बार मर्द स्त्री को भोगना चाहता है। अपना स्वामित्व स्थापित करना चाहता है। स्त्री मजबूर हो जाती है भोगे जाने को। क्या एक स्त्री की यही नियति है। अनेकों विचार मन में उथल पुथल मचाने लगे !
राशि क्या सोच रही हो ? अच्छा यह बताओ ? तुम्हें क्या अच्छा लगता है ? मतलब तुम्हारे शौक क्या हैं ?
मेरे शौक पढ़ना और घूमना।
वाह! नाइस ये मेरे भी शौक हैं। मुझे ऐसा लगता है कि हम दोनों के शौक काफी मिलते जुलते हैं। राशिद मुस्कुरा कर बोला।
वे सड़क के किनारे चल रहे थे थोड़ा थोड़ा धुंधलका होने लगा था, लाइटें जल गई थी ! पूरे शहर का नजारा बड़ी आसानी से वहाँ से दिख रहा था। पहाड़ियों पर बसा यह शहर दूर से कितना आकर्षक और खूबसूरत लग रहा था। नीचे से ऊपर तक बसा हुआ ! यहां से कितना आकर्षक लग रहा था। करीब से जाने पर और उन घरों तक पहुंचने में कितनी चढ़ाई चढ़कर या उतर कर जाना पड़ता है ! यह तो वही समझ सकता है, जो कभी गया हो ! कितना कठिन होता है ! एक ऊँचाई को चढ़कर जाना या फिर एक उतराई को उतर घर तक पहुँचना। ये पहाड़ी लोग तो बड़ी आसानी से कर लेते है ! आदत होती है बचपन से परन्तु किसी मैदानी शहरी इंसान के लिए कितना मुश्किल होता है यह बात वो शहरी ही समझ सकता है ! जिसने जाकर देखा हो।
आप फिर से सोचने लगी ! क्या सोंच रही हैं राशि।
मैं कुछ भी तो नहीं। वैसे मैं यह सोच रही थी कि वो सामने वाला रेस्त्रां कैसा रहेगा?
बढ़िया मैं भी यही सोंच रहा था ! तुमने तो मेरे मुँह की बात छीन ली ! काफी भीड़ हो रही थी वहाँ पर शायद यह पीक सीजन की वजह से ही था।
वह देखो काॅर्नर वाली सीट ! वो हम दोनों का ही इंतजार कर रही है! चलो वही पर चलकर बैठते हैं। राशिद ने कहा।
हा ठीक है, उधर से बाहर सड़क का, दूसरी तरफ से पहाड़ियों का आनन्द लिया जा सकता है। है न?
जी सही कहा। वैसे जब सामने इतनी खूबसूरत तुम हो, तो किसी और तरफ देखने का मन नहीं करता।
राशि यह सुनकर अंदर से घबराई, फिर भी होंठो पर मुस्कुराहट ले आई। कभी कभी ये मुस्कुराहट भी बड़ी मुश्किल से आती है। आये भी कैसे जब अन्तर्मन में इतने दुवंद छिड़े हो तो कैसे मुस्कुराया जा सकता है। बेटर पानी रख गया था। और साथ ही मैन्यू कार्ड भी।
क्या लोगी तुम?
कुछ भी।
कुछ भी, यहाँ नहीं मिलता, फिर कहीं और जाना पड़ेगा। चलो कहीं और चलते है राशिद ने उठते हुए कहा।
अरे नहीं नहीं। ये मतलब नहीं था ! अच्छा ऐसा करो मेरे लिए मोमोज।
और मैं लूंगा पनीर पकौड़ी। साथ में काफी या कोल्ड ड्रिंक?
काफी।
सही है ! उसने कार्ड पर टिक लगा कर बेटर को पकड़ा दी।
राशि सोच रही थी कि ये वही शख्स है, जो कुछ देर पहले अपने साथी के साथ मिलकर उसके साथ बलात्कार करने पर तुला था और अब एक मासूम बच्चे की तरह उसके साथ साथ उसके कहने पर चल रहा है, वैसे हर इंसान में एक हैवान व भगवान दोनों के ही रूप और गुण होते है न जाने कब कौन सा जाग्रत हो जाये। परिस्थितियाँ भी काफी हद तक जिम्मेदार होती है किसी भी रूप में जाग्रत करने के लिए। एक स्त्री पुरूष का आकर्षण किसी भी हाल में और कभी भी खत्म नहीं होता। जब वह अकेली और युवा है तो हर कोई उसे पाने की ख्वाहिश रखेगा। राशिद बड़े ध्यान से उसके चेहरे की तरफ ही देख रहा था।
राशि को अच्छा नहीं लगा कोई इस तरह से उसे घूर घूर कर देखे लेकिन वो क्या करे मजबूरी है। बेटर एक प्लेट मोमोज और एक प्लेट पनीर की पकौड़ियां ले आया साथ ही दो खाली प्लेट व कटलरी ट्रे में से निकाल कर मेंज पर सजाकर चला गया। राशि ने प्लेट उठाकर दो मोमोज और हरी चटनी अपनी प्लेट में डाल ली, उसने राशिद के खाने का इंतजार किये बगैर ही खाने शुरू कर दिये, शायद उसे बहुत भूख लग रही थी या फिर तनाव की वजह से उसने कुछ ध्यान ही नहीं दिया। राशिद ने भी उससे बिना पूछे पकौड़ियां अपनी प्लेट में डाली और खाने लगा। इतनी देर में वेटर काफी भी ले आया। राशि को काफी पसंद है लेकिन एकदम ठण्डी हो जाने के बाद क्यों कि गर्म काफी से अक्सर उसका मुंह जल जाता है और कोल्ड काफी उसका गला खराब करती है इसलिए वह हॉट काफी को ठण्डा करके पीना ज्यादा पसंद करती है। वह चुपचाप बैठी आने जाने वालों को देख रही थी। उसकी निगाह बराबर सड़क की तरफ ही थी कि कहीं से रवि आता हुआ दिख जाये और वह उसके सीने से चिपट कर जी भर के रोले। कितना असहाय महसूस कर रही है। गला ऊपर तक भरा हुआ है न जाने यह कैसी घबराहट है कि कुछ भी सोचने समझने की शक्ति ही नहीं बची। शाम धीरे धीरे रात में बदल जायेगी और फिर। फिर क्या होगा? किस तरह बच सकेगी। इस आने वाले तूफान से। उसने सिर को हल्का सा झटका दिया। कुछ नहीं होगा देखना जैसे अभी तक संभाला है ठीक उसी तरह आगे भी संभालना होगा।
आप कुछ लेती क्यों नहीं?
नहीं, बस अब नहीं खाऊँगी। डिनर करना है। अब तक राशिद अपनी प्लेट की सारी पकौड़ियां फिनिश कर चुका था पर मोमोज पूरे के पूरे वैसे ही रखे थे। अरे आपको मोमोज नहीं खाने है क्या? अब मन नहीं। काफी ठंडी होने लगी थी राशि ने काफी का कप उठाया और धीरे धीरे सिप करने लगी। बेटर एक ट्रे में बिल कार्ड लेकर आ गया था। राशिद ने पर्स निकालकर पेमेंट कर दिया, बेटर ट्रे लेकर चला गया और माऊथ फ्रेशनर व बचे हुए पैसे लेकर लौट आया। राशिद ने वे पैसे बिना देखे ही उसी में रखे छोड़कर, उठा खड़ा हुआ, राशि भी उठकर चल दी उसे अपनी काफी भी छोड़नी पड़ी। राशिद ने बाहर निकलते हुए उसका हाथ पकड़ लिया ! रशीद प्लीज मेरा हाथ छोड़ो कहकर उसने अपना हाथ राशीद के हाथ से छुड़ा लिया । बाहर आकर सड़क पर चलते हुए ठंडी हवाओं के झोंके उनके शरीर को सहला रहे थे। राशि का शरीर ठंडी हवाओं से सिहर रहा था और डर भी बढ़ता जा रहा था। वह ठंड से सिहरती हुई एक डरावने अहसास से ओर भी ज्यादा सिहर उठी। हे भगवान मुझे बचा लो। अनायास उसके मुँह से निकल गया। राशिद ने नहीं सुना, वह सड़क के किनारे ही लेदर की एक दुकान की तरफ देख रहा था शायद कुछ पंसद आ रहा था या फिर कुछ खरीदना था उसे। उसके चेहरे पर कोई गलत भाव नहीं थे ! राशि जरा उस दुकान तक मेरे साथ चलोगी? ये पूछकर उसकी उलझन खत्म कर दी। वो बिना कुछ बोले हाँ मैं सिर हिलाकर उधर की ओर चल दी ! राशिद भी संग संग चला आया।
मुझे अपनी बहन के लिए एक पर्स खरीदना है क्या तुम मेरी मद्द करोगी?
क्यों नहीं।
उसे फ्लैप वाले पर्स बहुत पसंद है।
आजकल उसी तरह के पर्स ही ज्यादा चल रहे हैं । देखो वो सामने टंगा है न, उसी तरह के निकलवा लो। एक ही बहन है तुम्हारी?
हाँ बस एक ही बहन है और वो भी बोलने सुनने में असमर्थ। वह कुछ उदास हो गया था।
अरे इसमें उदास होने की क्या बात है।
उदासी की बात ही है वो बोल सुन नहीं पाती ! वैसे हर काम में होशियार है। हम सबसे अच्छा काम कर देती है परन्तु एक कमी की वजह से अभी तक शादी नहीं हो पाई !
तो परेशान क्यों हो रहे हो? क्या लड़कियों के लिए शादी ही अंतिम लक्ष्य है, उसे पढ़ाओं लिखाओं, पैरों पर खड़ा कर दो ! आत्मविश्वास जागेगा, अपने पैसे से मजबूती आती है फिर देखना एक नहीं कई लड़के खुद व खुद उसका हाथ मांगने घर तक आयेंगे।
राशि तुमने बिल्कुल सच कहा ! मेरा भी यही मन है परन्तु घर में अम्मी अब्बू को कौन समझायें।
समझाने की जरूरत ही नहीं वे खुद व खुद सब कुछ समझ जायेंगे। बस अपनी बहन के मन में ये बात बिठा दो कि पढ़ा लिख कर, चार पैसे कमाने लायक बन जाओ फिर देखना सब कैसे सरल हो जायेगा। राशिद ने मुस्कुरा कर राशि की तरफ देखा, न जाने क्या सोचा होगा उसने अपने मन में।
अच्छा अब पर्स बताओ ?
ये वाला ले लो, यह अच्छा रहेगा न ? एक पर्स की तरफ उँगली दिखाते हुए उसने कहा था।
राशि यह काले रंग का पर्स कैसा रहेगा?
काला मत लो ! उसके जीवन में तो चमक बिखरेनी है न। ऐसा करो ये सुनहरा वाला ले लो ! इसमें ज्यादा चमक है।
ठीक है पर ये काला पर्स मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। क्या तुम इसे लेना चाहोगी? एक याद के तौर पर संभाल के रख लेना, बोलो?
राशि क्या करे समझ नहीं पा रही। हालांकि वो रंगों को नहीं मानती फिर भी नजाने क्यों ये काला रंग उसे अंधेरे के समान लगा रहा था। राशि कुछ तो बोलो।
मुझे पर्स की जरूरत नहीं है सच कह रही हूँ। उसे राशिद का इस तरह उपहार देना भी अच्छा नहीं लग रहा था। किसी के बोझ तले दब जाना। वह राशिद के इतनी प्रेम भरी भाषा में कहने पर उसे मना करना भी तो उचित नहीं है। ठीक है देख लो। राशिद के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी। उसने दोनों पर्स उठा लिए और काउंटर पर आकर पेंमेंट कर दिया। प्योर लैदर के पर्स, एक पर्स ही लगभग 2000 का था। वह बड़ी उलझन में पड़ गई थी ! क्या करे क्या नहीं? ये राशिद जो कुछ समय पहले तक उसको बुरी नजर रखा था अब उसकी नजरों में इतना फेर कैसे आ गया। वैसे हमारा खुद का व्यवहार दूसरे को बदलने में बहुत शक्ति रखता हैं प्रेम की भाषा जानवर भी समझता है, प्रेम से तो किसी को बदला जा सकता है परन्तु नफरत से दोस्त नहीं दुश्मन पैदा होते है। वे दोनों बाहर निकल आये ! ठण्डी हवाओं के झोंके शरीर को सिहरा रहे थे। ठण्ड बढ़ गयी थी, होटल आने वाला ही था। राशिद तुम अच्छे इंसान हो फिर उस वक्त तुम्हारे मन में वो पाशविक भावना कैसे जाग्रत हो गई। उसने अपना सिर झुका लिया ! शायद कोई जवाब नहीं बन पा रहा था उसके लिए!
अच्छा एक काम करो राशिद तुम अपना मोबाइल नं0 दे दो, क्योंकि हमारा रिश्ता यही तक नहीं होगा, आगे तक जायेगा, तुम्हारा दिल साफ है और साफ व सच्चे दिल वाले लोग कभी बीच राह में नही छोड़े जाते है।
अच्छा एक बात बताओं ? राशिद की आँखों में प्रश्न तैर रहे थे। तुम स्वयं इतनी प्यारी, अच्छी और भोली कैसे हो ? बिल्कुल भगवान की तरह पवित्र, तुम्हारी हँसी एक दम निश्चल है, किसी मासूम बच्चे की तरह। उसे यह बात सुनकर पीका की याद आई वो भी तो यही कह रही थी !
अरे अरे इतनी तारिफ मत करो। चलो अच्छा ठीक है। राशि ने कलाई घड़ी की तरफ देखा 08 बजने वाला था। होटल आ गया था वह लिफ्ट से अपने कमरे में पहुँच गई, राशिद भी बराबर वाले कमरे में था साथ में उसका एक साथी भी था । वह अकेली कमरे में। कहीं रात को इसका पाशविक स्वभाव फिर से न जाग जाये वह लिफ्ट में हुई घटना को याद करके सिहर उठी। राशि ने मोबाइल पर नैट आन करके कोई कहानी पढ़नी शुरू कर दी, जब मन परेशान हो तो ध्यान बटाँने के लिए उसे दूसरी और मोड़ दे तो मन का भ्रम दूर हो जाता है और फिर सारी चिंताएं भी कुछ समय तक के लिए खत्म हो जाती हैं । फोन की घंटी बजी ! नीचे रिशेप्शन काउंटर से आया था ! मैडम खाना 9 से 10ः30 तक कैंटीन में मिलेगा ! उसने फोन रख दिया, उसे भूख भी नही हैं, और अकेले जाने की इच्छा भी नही। रवि का ख्याल आ गया उसने उसे एक बार भी उसे याद नहीं किया, फोन करके ही पूछ सकते थे। क्या इतने व्यस्त हो गये वो।
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