Kamsin - 16 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 16

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कमसिन - 16

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(16)

रवि ने एक हजार रूपये का नोट राशि को देते हुए कहा यह पीका को दे दो ! वो अपने लिऐ कुछ खरीद लेगी !

पीका ने मना किया और बोली, आप हमारे लिए आम लेकर तो आये थे ! हम रूपये नहीं लेंगे !

क्यों नहीं लोगी क्या हम आपके भाई नहीं हैं ? बहन का हक़ बनता है लेने का और भाई का फर्ज होता है देने का ! समझी कुछ या नहीं !

रवि के इतना आग्रह करने पर पीका ने संकोच के साथ वे रूपये ले लिए थे !

चलते समय पीका की चाची ने उसे सिर पर बांधने वाला एक रुमाल दिया और राजू ने रवि के सिर पर लाल और हरे रंग की किन्नोरी टोपी पहना दी !

यह हमारे पहाड़ों की परम्परा है कि हम अपने मेहमानों को सर पर टोपी और रुमाल पहनाते हैं ! हम उनको खाली सर नहीं भेजतें !

चाची, राशि रुमाल बांधकर हम लोगों की तरह लग रही हैं न ! पीका ने राशि के सर पर रुमाल बांधते हुए कहा !

हट पागल वो हमसे ज्यादा खूबसूरत हैं !

अरे चाची, आप पीका से ऐसे क्यों कह रही हैं ! मैं आप लोगों की तरह ही तो हूँ आप लोगों से अलग तो नहीं हूँ ! और अब तो आपकी बेटी ही हूँ !

आपने अपनी भोली और प्यारी बातों से हमें निरुत्तर कर दिया ! थोड़ी सी देर में ही आपने हमें अपना बना लिया ! सच में आप बहुत याद आएँगी !

जब आते हैं तभी जाने का भी समय भी नियत हो जाता है ! मिलने के बाद बिछुड़ना और बिछुड़ने के बाद मिलना यही प्रक्रति का नियम है ! बिछुड़ने का दर्द वही जान सकता है जिसने इसे महसूस किया हो और राशि से ज्यादा अच्छी तरह कोई कैसे जान सकता है ! दर्द और उसका रिश्ता भी ऐसा ही है जैसे जिस्म में जान !

राशि तो जाने के नाम से ही उदास हो गयी थी ! पीका और उनकी चाची की आँखों में आंसू आ गए थे !

लेकिन जाना तो था ही ! वो जाने लगी तो पीका बोली, आप हमेशा खुश रहना, आपका उदास चेहरा बिलकुल अच्छा नहीं लगता ! आप जब हँसते हो तो बहुत सुंदर लगते हो ! उसे भी पता है कि मुस्कान ही चेहरे का असली गहना होता है और मुस्कुराहट उसके चेहरे पर अलग ही निखार और चमक ले आती है ! पर गम में तो आंसू आ ही जाते हैं !

पीका उसे कार तक छोड़ने आई थी !

अभी जब तक रवि उसके साथ है तब तक खुशियाँ उसके दामन में बिखरी पड़ी हैं ! वो जी भर के सबकुछ सहेज लेगी ! वैसे पल भर को भी अपने रवि को दूर नहीं जाने देगी ! अपने आँचल से बाँध लेगी !

वो अपने रवि से कैसे दूर जा पायेगी ?

यह सोचती हुई भावुक हो उठी और उसने अपना सर रवि के कंधे पर टिका दिया !

अरे यह क्या कर रही हो ? अपना सर हटाओ और जरा ठीक से बैठो !

राशि को रवि का यह बात कहने का अंदाज बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा ! उसके कोमल मन को हलकी सी चोट लगी ! वाकई शब्दों की चोट बड़ी लगती है ! फिर भी उसने मन को समझाया शायद इनको पसंद नहीं होगा ! क्योंकि वो लोग इस समय बाजार के बीच में हैं और काफी लोग आसपास हैं ! खैर कोई बात नहीं

शायद रवि उसके मन की बात समझ गये थे तभी बात को घुमाने की गरज से उससे बोले सुनो राशि, पीछे सीट पर एक पैकेट में आडू रखे हैं उठाओ तो जरा, मैं इनको बाग़ से अपने हाथों से तोडकर लाया था ! राशि ने पन्नी उठाई उसमे थोड़े से आडू रखे हुए थे !

खा कर बताओ कैसा स्वाद है ?

राशि ने एक आडू स्वयं ले लिया और एक रवि को दे दिया !

बहुत ही स्वादिष्ट ? पहला टुकड़ा मुँह में जाते ही उसके मुँह से निकल गया ! अलग सा स्वाद था उन आडुओं का ! ताजे फल का स्वाद वाकई लाजवाब होता है ! ! !

लव यू रवि, आई लव यू, तुम मेरे हो सिर्फ मेरे और तुम्हारे सिवाय मेरा कोई भी नहीं, मैं खुद की भी नहीं रही, अब यही सच है

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