Kamsin - 15 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 15

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कमसिन - 15

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(15)

पीका तुम भी बाग़ में जाती हो न ?

हाँ, मैं और चाची घर के काम के निपटा जाते हैं और मम्मी तो बहुत जल्दी सुबह ही चली जाती हैं !

वे घर के काम नहीं करती !

नहीं घर के काम हम दोनों ही निबटाते हैं ! पहले दीदी थी तो वे करती थी !

जब तुम कालेज जाती हो तो अकेले चाची को ही सब काम करने होते होंगे ?

मेरी चाची बहुत अच्छी हैं ! वे हमेशा मुस्कुराते हुए ही सब काम करती हैं ! घर संभालती हैं, बच्चों को देखती हैं और फिर बाग़ में भी चली जाती हैं !

अब बस करो पीका ! मेरी इतनी तारीफ़ न करो ! चाची मुस्कुराई !

कौन अच्छा नहीं है ? बाहर से एक महिला ने अंदर आते हुए पूछा ! वे मोटी सी कम कद की, अधेड़ावस्था की महिला थी ! उन्होंने गर्म सूट के ऊपर जैकेट और सर पर रुमाल बांधा हुआ ! सर पर बंधे रुमाल को वे लोग दाठु कह रहे थे ! उनका रंग थोडा दबा हुआ किन्तु गालों की रंगत गुलाबी थी !

ये मेरी मम्मी हैं ! पीका ने उनसे परिचय कराते हुए कहा !

राशि ने अपने दोनों हाथ जोडकर उनको नमस्ते की !

वे अपने दोनों पैर फैलाकर बैठ गयी ! शायद मोटी होने की वजह से !

चाची ने उनके लिए नाश्ता लगाकर दे दिया ! उनकी प्लेट में परांठे की जगह रोटियां थी !

मम्मी आपकी तरह सर जी को भी रोटी खानी पसंद है !

अच्छा !

हाँ जी !

मैं तो परांठे खा ही नहीं पाती, मेरे पेट में दर्द शुरू हो जाता है ! गैस बनती है न !

चलो हम लोग ऊपर वाले घर में चलते हैं ! पीका ने राशि से कहा !

अच्छा उपर भी घर बना है !

हाँ वो देखो दिख रहा है न! पीका ने अपनी ऊँगली दिखा कर थोड़ी ऊंचाई पर बने घर को दिखाते हुए कहा था !

पीका ने उसका हाथ पकड़ा और ऊपर कमरे तक ले आई !

लकड़ी की सीढियां चढकर वो कमरे के अंदर आ गयी ! पूरे कमरे में मोटी नर्म कालीन बिछी हुई, दीवारों से सटे सुंदर रंगीन मसनद लगे हुए थे ! वो कमरे का मुआयना कर रही थी और पीका किसी से फोन पर बात कर रही थी ! लकड़ी का बना हुआ वो कमरा रंग बिरंगे फूलों से सजा हुआ बेहद खुबसूरत लग रहा था !

आज नहीं आ पाऊँगी ! पीका ने किसी से फोन पर बात करते हुए कहा !

_____

कोई मेहमान आये हुए हैं शहर से ! ओके अभी बंद कर रही हूँ फोन ! बाद में बात करेंगे !

किससे बात कर रही थी पीका ? उसके चेहरे पर बढ़ आई गुलाबी रंगत को देखते हुए राशि ने पूछा !

मेरा मंगेतर है ! शहर बुला रहा था मिलने के लिए !

तो जाना था न !

वो तो रोज ही बुलाता रहता है पागल है न !

दोनों जोर से हँस दी थी !

कब कर रही हो शादी ?

एक साल के बाद !

इतने दिनों के बाद !

हाँ !

क्यों ?

अभी वो पढ़ रहा है !

किस क्लास में है ?

मेरे साथ ही है ! एम ऐ कर रहा है !

मतलब पहले से जानते हैं दोनों एक दूसरे को ? राशि शरारत भरी मुस्कान के

साथ बोली !

हाँ जी ! हम जानते हैं ! तभी तो अपनी पसंद से शादी कर रहे हैं !

वाओ, अपनी पसंद !

हाँ !

घरवालों ने कोई एतराज नहीं किया ?

क्यों करते हमारी जाति एक है !

अच्छा इसीलिए मान गए ! अगर दूसरी जाति होती और घरवाले नहीं मानते तो क्या करती ?

तब हम घर से भाग कर मंदिर में शादी कर लेते !

दूसरी जाति का होने से बस यही मुश्किल होती है !

पता हैं यहाँ पर ऐसा ही होता है फिर घरवाले बाद में मान ही जाते हैं !

राशि सोच में पड गयी कितना अच्छा रिवाज है यहाँ का ! छोटा सा गाँव है फिर भी सबको अपनी मर्जी से जीवन जीने का पूरा हक़ है ! अपना जीवन साथी चुनने का हक़ है !

हमारे मैदानी इलाकों में तो कई जगह लड़कियों को जिन्दा ही मार देते हैं !

वो भी इसी गाँव की रहने वाली होती तो कितना अच्छा होता !

क्या सोच रही हैं आप ? राशी को देखते हुए पीका ने पूछा !

कुछ नहीं बस यूँ ही !

अपनी इज्जत या दिखावा की बजह से वे लोग लड़की की ख़ुशी नहीं देखते ! न जाने कैसे कैसे लोग होते हैं ! न खुद खुश रहते हैं न ही दूसरों को खुश रहने देते हैं ! येसे लोग सपाट दिल के होते हैं, कोई धड़कन ही नहीं होती ऐसे लोगो के दिलों में ! इसी तरह के लोगों द्वारा न जाने कितनी लड़कियां बलि दे दी जाती हैं ! पता नहीं अब उसका क्या होगा ? क्या उसके घरवाले मान जायेंगे ? रवि को अपना दामाद स्वीकार कर लेंगे ?

कितना सोचती हैं आप ? पीका ने फिर टोंका !

नहीं नहीं बाबा, नहीं सोच रही हूँ !

एक बात कहूँ आप से ?

हाँ हाँ कहो न !

आप बहुत सुंदर हैं ! एकदम कश्मीरी रंगत लिए हुए !

लेकिन आप तो मुझसे ज्यादा खुबसूरत हैं !

मेरा रंग खेतों में काम करने से पहले से डल हो गया है ! और स्किन में चमक भी नहीं है ! आपकी स्किन एकदम प्योर लगती है आपके दिल की तरह साफ़ !

कैसा है मेरा दिल ?

सच्चा और साफ़ ! सच में आप बहुत प्यारी हैं और सर जी भी ! आपकी जोड़ी एकदम परफेक्ट है ! किसी की आपको नजर न लगे ! आप लोग हमेशा खुश रहें !

हाँ पीका मैं भी तो यही चाहती हूँ कि हमारी जोड़ी को किसी की नजर न लगे ! हम हमेशा साथ रहें ! कोई हमें जुदा न कर सके ! पता है पीका मैं उनको अपने जीवन से भी ज्यादा प्यार करती हूँ ! उनके जैसा प्यारा इंसान दुनियां में कोई भी नहीं ! मैं तो उनके बिन मर ही जाउंगी ! राशी भावुक हो उठी !

आप ऐसे क्यों कह रही हैं कौन अलग करेगा आपको ? सच्चा प्यार कभी जुदा होकर भी जुदा नहीं हो सकता ! अगर सच्चे दिल से कुछ चाहों तो ये पूरी कायनात भी आपका साथ देती है ! रूह से रूह का रिश्ता बहुत सच्चा होता है ! मैं जानती हूँ आप सच्ची इंसान हो, आपकी हर मनोकामना पूरी होगी ! दुनियां की कोई ताकत सच से सामना नहीं कर सकती !

वैसे सर जी आपसे उम्र में बड़े लग रहे हैं !

हाँ ! लेकिन प्यार में उम्र आड़े थोड़े ही न आती है !

सही कहा आपने ! आपके घर वालों को यह रिश्ता मंजूर है !

बस यही समस्या है ! अभी घर पर किसी को भी नहीं पता है ! मैं होस्टल में रह कर पढाई कर रही हूँ वहीँ से एक प्रोग्राम में रवि के साथ आ गयी !

कालेज से दस दिन की छुट्टी ली और यहाँ मंदिर में शादी कर ली ! अब आगे देखे क्या होता है ? दिल बहुत घबरा रहा है ! पता नहीं लोग प्यार की कीमत क्यों नहीं समझते !

आप परेशान न हो ! यहाँ पर कहते हैं कि प्यार कभी नहीं मरता और वो खुद बखुद अपना रास्ता बना लेता है ! हमारे यहाँ पर देवता होते हैं अगर उनसे सच्चे मन से कुछ भी मांगो जरुर मिलता है !

तो मुझे ले चलो न उनके पास ! मुझे उनका आशीर्वाद लेना है और मन्नत भी मांगनी है कि हम कभी भी अलग न हो !

आप बार बार ऐसा क्यों कह रही हैं ! ईश्वर ने आप दोनों को एक दूसरे के लिए ही बनाया है फिर बार बार जुदा या अलग होने की बात क्यों ? कौन करेगा आप दोनों को जुदा ?

पीका एक बात बताओ क्या तुम सच्चे प्यार की गहराई को जानती हो ? क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है ?

हाँ किया है न ! करती हूँ और करती रहूंगी ! अपने बिशु से ! वो बहुत अच्छे हैं, वे हमेशा ही मेरी हर बात मान लेते हैं ! मेरी ख़ुशी के लिए सारे काम करते हैं !

हाँ वो तो तुम्हारे चेहरे की चमक देखकर पता चल रहा है ! ये ख़ुशी यूँ ही बरकरार रहे ! बहुत खुशनसीब हो तुम जो अपने प्यार को घरवालों की मर्जी से पा रही हो ! वरना प्यार की राह में बहुत रोड़े होते हैं !

आप सही कह रही हैं !

माहौल थोडा भावुक सा हो गया था !

हमारे यहाँ पर बादाम के पेड़ में बादाम लगे हुए हैं चलो आपको दिखाएं ? पीका ने बात को बदलते हुए कहा !

हाँ हाँ क्यों नहीं !

कितने पेड़ हैं बादाम के ?

बस दो !

वो जगह कमरे से सटा हुई ही थी ! जहाँ पर बादाम, प्लम, आदि के पेड़ थे ! राशि ने आज पहली बार बादाम का पेड़ देखा था ! खूब ऊँचा सा ! फलों की जगह पर अभी हरे रंग के बादाम दिख रहे थे !

अभी ये हरे रंग के हैं, कच्चे होंगे न ?

हाँ अभी तो कच्चे हैं ! फिर भी आप खा सकते हो ! आपको खाना है ?

राशी कुछ नहीं बोली !

पीका ने अपनेआप से एक बादाम तोडकर उसे खाने को दिया ! हरे रंग का वो बादाम छीलने पर अंदर से सफ़ेद रंग की गिरी ! वो देखने में इतनी नाजुक सी लग रही थी मानों कम दिनों का पैदा हुआ बच्चा ! उसे खाने पर उसका स्वाद मीठा था !

जब यह कच्ची होती है तब बिलकुल जैली की तरह होती है ! अभी तो थोडा ठीक हो गयी है ! कुछ दिनों में खूब पक जाएगी फिर इसका छिलका एकदम से सख्त हो जायेगा ! रंग भी बदल जायेगा बादाम बादामी रंग का हो जायेगा ! कह कर पीका जोर से हँस दी !

सर्दियों के लिए खूब हो जाते होंगे न !

हाँ हो जाते हैं वैसे हमारे पास तो मात्र दो ही पेड़ हैं ! बस घर के लिए ही हो पाते हैं हम बाजार में नहीं बेंच पाते हैं !

कोई बात नहीं, घर के लिए तो काफी हो जाते हैं न ?

हाँ वो तो खूब हो जाते हैं !

जब सर्दियाँ होती हैं तब हम इसकी सब्जी बनाते हैं हलवा बनाते हैं !

वे दोनों बातें करते हुए थोडा आगे निकल आये थे ! वही सामने ही मन्दिर था !

चलो मन्दिर में चले ?

नहीं अभी तो हम नहाये ही नहीं हैं !

अरे वो भी तो नहीं नहाई है !

वैसे मन में श्रध्दा होनी चाहिए, भगवान तो भाव के भूखे होते हैं ! जरुरी नहीं कि झूठा दिखावा किया जाए !

आप लोग भगवान की कैसे पूजा करते हैं ?

शायद हम लोग भी आप लोगो की तरह से ही करते होंगे ! वैसे हमारे यहाँ देवता को घर में लाया जाता है फिर पूरी रात अपने घर में ही रखते हैं ! खूब नाच गाना और खाना पीना होता है ! अगले दिन धूमधाम से उनकी विदाई करते हैं !

भगवान को घर में लाते हो मतलब मंदिर से ?

हाँ, साल में एक बार अवश्य लेकर जाते हैं !

यहाँ पर सभी लोग अपने घर लेकर जाते हैं ?

हाँ अधिकतर सभी लोग ! खूब खर्चा होता है लोग खुशियाँ मनाते हैं !

अरे तुम दोनों तो सहेलियां बन गए ?

हाँ पापा राशी बहुत अच्छी हैं मन की एकदम सच्ची !

पीका भी तो बहुत प्यारी है ! पीका अपना नाम तो बताओ ? कालेज में किस नाम से बुलाया जाता है ?

क्यों ?

नहीं बताना तो मत बताइए ! राशि मुस्कुराई ! !

क्यों नहीं बताऊँगी ! मेरा नाम प्रीति शर्मा !

आपका नाम कितना अच्छा है फिर सबलोग पीका क्यों बुलाते हैं ?

बचपन में दादी इस नाम से बुलाती थी इसीलिए सबलोग इसी नाम से बुलाने लगे !

हाँ यही होता है !

आप किस कलास में पढ़ते हो ?

मैं बीएससी कर रही हूँ !

तब तो आप मेरे से छोटे हो ?

कोई छोटा बड़ा नहीं ! हम सहेली हैं !

अब बातें ही करते रहोगी या वापस भी चलोगी ?

हाँ चलिए ! अब कहाँ जायेंगे ?

होटल में ! तुम्हें नहाना है न ! आज रात को रुकेंगे कल वापस !

कहाँ ?

तुम होस्टल में और मैं अपने घर !

यह सुनते ही उसकी अपने आप ही आँखों से आंसू टपक पड़े ! रवि से दूर और होस्टल जाने के ख्याल मात्र से ही एक तेज दर्द की हूक उठी !

अब तो एक पल की दूरी भी बर्दास्त नहीं है फिर कैसे कालेज जाकर पढाई कर पायेगी ! उसे तो हमेशा के लिए रवि के साथ ही रहना है उससे दूर जाने से तो अच्छा है कि मैं मर ही जाऊं ! वैसे भी दूर जाने के नाम से ही आधी जान निकल गयी है ! बची हुई आधी दूर जाकर निकल जाएगी ! बेजान से जिस्म को ढोती फिरेगी ! अब क्या होगा उसका ? उसकी आँखों से झर झर करके आंसूं झरने लगे ! उसने अपना मुँह दूसरी तरफ को घुमा लिया जिससे कोई उसके आंसुओ को देख न पाए !

क्या हुआ आपको ?

कुछ भी तो नहीं वो सामने वाली पहाड़ी देख रही थी ! कितनी ऊँची है न ?

हाँ वो सबसे ऊँची है !

अभी तक कोई उस पहाड़ पर चढ़ नहीं पाया होगा ?

क्यों नहीं चढ़ा होगा !

पापा बताते हैं जब वो छोटे थे तो इन चोटियों पर रेस लगाया करते थे !

पहाड़ों पर रेस ?

हाँ और क्या ! ये अपने दोस्तों के साथ छुपम छुपाई खेल खेला करते थे !

क्या सच में ?

राशि के इस भोलेपन पर सबलोग जोर से हँस दिए थे और वहां का माहौल एकदम से खुशनुमा हो गया था !

भाई अब चलो भी !

ठीक है जी !

***