Kamsin - 14 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 14

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कमसिन - 14

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(14)

ओह्ह ! तो क्या सर्दियों में इससे भी भारी होती हैं ! वो तो हिल भी नहीं पायेगी अगर उसने ओढ़ लिया तो !

हाँ भाई, यहाँ पर हमेशा ही बहुत ठंडा और प्यारा मौसम रहता है !

वे खाना खा रहे थे, साथ ही बातें भी करते जा रहे थे ! बेचारी दीदी जी भूखी ही सो गयी उनको भी उठा लेते ! रात को भूख लगी तब ! यहाँ पर रात लम्बी भी होती है !

वो इन बातों को सुनते हुए ही फिर सो गयी ! पूरी रात गुजर गयी पता ही नहीं चला, एक बार भी नींद नहीं उचटी ! सुबह के समय आँख खुली, देखा हलकी सी रोशनी सामने की शीशे की खिडकियों से छन कर कमरे मे बिखर रही है ! उसकी नजरें सामने दिखते पहाड़ों से जा टकराई, कितना सुरम्य नजारा ! यही सच्चा जीवन है ! यही स्वर्ग है ! सूर्य के दर्शन यहाँ पर ही सबसे पहले होते होंगे ! रात को अँधेरा था, कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था लेकिन अब देखा तो लगा यहाँ से ज्यादा रमणीय शायद ही कोई जगह हो !

राशि ने उस भारी सी रजाई को अपने उपर से हटाकर हाथ बाहर निकले, उन्हें मसलते हुए, मन ही मन कुछ बोला और फिर उन्हें चूमकर माथे से लगा लिया ! वो उठी, धरती माँ के चरण स्पर्श किये और शीशे वाली खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गयी ! उस सुंदर वातावरण को अपनी आँखों में भरते हुए खिड़की के नीचे झांक कर देखा, नीचे गहरी खाई ! वहां पर फूलों के रंग बिरंगे पौधे, चारो तरफ हरियाली, देवदार, चीड़ के पेड़ और सेब आदि फलों के बाग़ ! सामने उन्नत मस्तक उठाये खड़ा विशाल पर्वत !

क्या ये पर्वत बहुत कठोर होते हैं ? क्या इनको दर्द नहीं होता ? क्या इनके दिल नहीं होता ? यह किसी की तकलीफ नहीं समझते, ये बेकार की बातें उसके दिमाग में उठने लगी ! तभी सामने पर्वतों के पीछे से झांकते हुए, लाल लाल लालिमा लिए सूर्यदेव भगवान के दर्शन हुए !

उसने अपने दोनों हाथ जोड़कर उनको नमन किया ! सचमुच इतना प्यारा और खुबसूरत नजारा उसने अपनी जिन्दगी कभी नहीं देखा था !

उसके मुँह से निकल पड़ा, वाह ! कितनी खूबसूरती इन पहाड़ों को इश्वर ने बख्शी है ! जी चाहता है कि इस खूबसूरती को अपनी बाहें फैला कर उनमे भर लूँ और फिर हमेशा के लिए कैद कर लूँ ! कभी भी अपनी बाहों को नहीं खोलूंगी, यूँ ही बंद रहने दूंगी !

किसे कैद करना चाहती हो ?

रवि की आवाज उसके कानों में पड़ी तो उसने पीछे मुडकर देखा, अरे रवि आप जाग गए ? आप भी इसी कमरे में सोये थे ? उसके चेहरे पर खिली मुस्कान पल भर में हट गयी ! रवि उसी कमरे में सोये थे ! उसे खुद पर शर्म आ गयी, उसने दोनों हाथों से अपने मुँह को ढांप लिया और सोचने लगी, यह लोग उनको पति पत्नी ही समझ रहे होंगे ! वैसे उन लोगों का अभी विवाह कहाँ हुआ है ? हालाँकि रवि ने उससे गंदर्भ विवाह किया है लेकिन उसके तो कोई मायने नहीं होते ! उसे सामाजिक रूप से कोई स्वीकार भी नहीं करता !

और ये रवि रात भर उसके साथ बेड पर सोते रहे, उसे अहसास भी नहीं हुआ ! रवि ने पूरी रात उसके साथ गुजार दी और छुआ तक नहीं ! कितना पवित्र प्रेम है रवि का ! उसका जी चाहा कि अभी जाकर उनका माथा चूम ले ! उनको नमन कर ले ! चरण स्पर्श कर ले ! आज के दौर में कोई इतना अच्छा कैसे हो सकता है ! कोई इतना महान कैसे हो सकता है !

आई लव यू राशि ! रवि की आवाज ने उसकी तन्द्रा तोड़ते हुए कहा !

वे अपनी दोनों बाँहें फैलाये उसे ही देख रहे थे ! वह दौडकर हमेशा के लिए उन बांहों में सिमट जाना चाहती है ! ये बाहें रवि की नहीं उसके प्यार की बाँहें है सामने खड़े विशाल पर्वत की बाँहें हैं ! जिसमे वह खुद को समर्पित कर रही है ! बस यही एक पल तो जीवन है, बाकी सब निरर्थक ! यह सच ही तो है वो रवि के बिना खुद को जीवित कहाँ पाती है ! निर्जीव, बेजान हो जाती है ! लेकिन यह एक पल ही सदियाँ गुजराने को काफी है !

वह रवि की बांहों में समां गयी ! उसके बेचैन दिल को तसल्ली का अहसास हुआ ! लगा जीवन यही सिमट कर ख़त्म हो जाए ! या रुक जाएँ स्वांसे, दिल का धडकना और भूल जाए खुद को ही फिर जी ले एक जीवन जो अमर हो जाए जन्म जन्म तक के लिए ! रवि ने उसके माथे को चूमते हुए उसकी आँखों में झाँका ! रात को नींद आ गयी थी न, ठीक से !

हाँ बहुत ही अच्छी, रात को आँख ही नहीं खुली ! उसने रवि के दायें गाल पर अपना चुंबन दे दिया ! और फिर पूरे चेहरे को चुम्बनों से भर दिया ! रवि ने प्यार से उसे निहारा और आँखों को चूम लिया ! दोनों की पकड़ मजबूत हो गयी थी ! दो जिस्म और एक जान की तरह ! इस एक पल में ही न जाने कितनी सदियाँ जी आये थे ! उसी समय बाहर से किसी के बोलते हुए ने आने की आहट हुई ! टूट गयी प्रेम तन्द्रा !

वह रवि की बांहों से छिटक कर दूर हो गयी और खिड़की की तरफ जाकर खड़ी हो गयी ! रवि ने रजाई के भीतर अपना मुँह कर लिया !

तभी पीका ने कमरे में प्रवेश किया, उसके हाथ में चाय की ट्रे थी !

आप उठ गए, दीदी जी !

हाँ जी, अभी उठी हूँ !

रात को ठीक से नींद आ गयी थी न !

हाँ बहुत अच्छी ! बस अभी आँख खुली !

दीदी जी कल आप बहुत थके हुए थे और आपको बहुत ठण्ड भी लग रही थी !

हाँ ! वो मुस्कुराई !

फिर ठण्ड तो नहीं लगी !

इतनी भारी तो रजाई थी ! तो ठण्ड कैसे लगती भला !

अच्छा अब चाय पी लीजिये, आपने रात न खाना खाया था, न ही चाय पी थी !

पहले थोडा पानी मिल जायेगा ? राशि ने मुस्कुराते हुए पूछा !

हाँ हाँ, क्यों नहीं ! वो जाने लगी !

मैं भी चलूँ आपके साथ ?

आ जाइये न ! आप ऐसे क्यों पूंछ रहे हैं ! आपका ही घर है !

वह उसके साथ हो ली !

रात को जो रसोई उसे बहुत आकर्षित कर रही थी, अब वो उसी के सामने खड़ी थी !

आप भी अंदर आ जाओ न, दीदी जी !

वो भी तो जाना चाहती थी, उसने अपनी चप्पल बाहर उतार दी और पीका के पास जाकर खड़ी हो गयी !

पीका ने भगोने में एक गिलास से पानी डाला और गैस जलाकर उस पर रख दिया ! फिर हल्का गर्म होते ही गैस बंद की और पानी गिलास में लौट कर उसे दिया !

यह पानी पीना है ?

नहीं पीना नहीं, गला साफ़ करना है !

तो नमक डाल देती हूँ थोडा !

हाँ तब ज्यादा ठीक रहेगा !

पीका ने एक सफ़ेद रंग के डिब्बे से थोडा सा नमक पानी में डाल दिया !

किधर करूँ कुल्ली ?

आप इधर कर लीजिये !

रसोई के बाहर एक जगह दिखाते हुए उसने कहा !

वो झाड़ियों से भरी छोटी सी खाई थी !

राशि ने वही पर कुल्ला किया और थोडा सा पानी पी लिया जिससे गला साफ़ हो जाए !

पीका से बातें करना बहुत ही अच्छा लग रहा था ! वो उसके साथ बातें करती हुई उसी शीशे वाले कमरे में आ गयी ! जहाँ पर चाय रखी हुई थी !

रवि बिस्तर पर बैठे चाय पी रहे थे !

राशि चाय पी लो ! रवि ने उसे कहा !

हाँ अभी ले रही हूँ !

पीका आपकी चाय ?

मेरी चाय चाची के कमरे में रखी है !

अपनी चाय इधर ही ले आओ ! और मेरे साथ ही पी लो !

ठीक है मैं ले आ रही हूँ ! आप तो पीजिये न !

राशि ने चाय का एक सिप ही लिया था कि उसके मुँह में एकदम मीठा शहद जैसा घुल गया !

क्या हुआ राशि ? रवि ने उसके चेहरे के भाव को पढ़ते हुए कहा !

कुछ भी तो नहीं !

बहुत मीठी लग रही है न ?

यहाँ के लोग इतनी मीठी चाय क्यों बनाते हैं ? कहते हुए राशि ने अपने हाथ में पकड़े गुनगुने पानी को चाय में डाल लिया !

यह देखकर रवि हल्के से मुस्कुरा दिए !

आखिर रवि के कितने रूप हैं ! कभी डाँटते हैं कभी नाराज होते हैं और कभी इतना प्यार करते हैं आखिर वो उनको समझ क्यों नहीं पा रही ! फ़िलहाल वो जैसे भी हैं वो एक बहुत प्यारे और सच्चे इन्सान हैं !

वे उसकी भलाई के लिए ही उसे डाँटते और नाराज होते हैं जबकि वो भी तो समझते होंगे कि राशि को बुरा लग रहा होगा और वो उससे दूर भी जा सकती है ! वैसे इतना तो पता है कि सच्चा या साफ दिल इंसान ही किसी से नाराज हो सकता है ! क्योंकि झूठे इन्सान ही हर वक्त हर गलत सही बात पर वाह वाह करते हैं !

राशि मन में मुस्कुराई ! सच में हम जिसे प्यार करते हैं उसकी गलत बात भी सही ही लगती है ! प्यार की एक झप्पी भी हर बात पर भारी है ! नफरत भी प्यार का हिस्सा है लेकिन प्यार के आगे नफरत की नहीं चलती ! जरा से प्यार से बड़ी से बड़ी नफरत को भी हराया जा सकता है !

रात भूखी ही सो गयी थी अब तुम्हें भूख लगी होगी ? फ्रेश हो जाओ फिर नाश्ता कर लेना !

उसने सर हिलाकर हाँ कहा !

पीका भी अपनी चाय लेकर वही आ गयी थी !

उसने बताया कि वो हिंदी से एम ऐ कर रही है ! उसे पढने का बहुत शौक है ! उसकी एक दीदी हैं जिनकी शादी हो चुकी है ! चाची के तीन बच्चे हैं, अभी छोटे क्लास में पढ़ते हैं !

मैं चाची और मम्मी तीनों दिन भर खेतों में काम करती हैं ! सेब की इतनी पैदावार है कि उससे साल का 15 लाख मिल जाता है ! बाकी और भी चीजें हैं खेत में जिनसे साल भर कुछ न कुछ आता ही रहता है !

ओफ्फो मैं भी कितनी बातें करती हूँ ! आप लोगों को परेशान कर दिया !

नहीं नहीं ऐसा नहीं है बल्कि तुमसे बात करके और तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है !

वो वाकई हम लोगों की तरह ही लग रही थी बिलकुल भी अलग नहीं बात करने का ढंग, भाषा सब हमारे जैसी !

चलिए आप अब फ्रेश हो लीजिये !

हाँ चलो ठीक है !

किधर है वाशरूम ?

आप अकेले नहीं जा पाएंगी ! मैं साथ चल रही हूँ !

क्यों ?

देखिये वहां तक चढ़ कर जाना पड़ेगा ! उसने ऊँगली से थोड़ी ऊँचाई पर बने वाशरूम की तरफ दिखाते हुए कहा !

आपको मेरा हाथ पकड़ कर ही चलना पड़ेगा !

पीका का हाथ पकड़ कर चलते हुए पहाड़ पर चढने की लडखडाहट दूर हो गयी थी ! पीका कितनी सुंदर है और इसकी बातें उससे भी ज्यादा प्यारी हैं !

आप नहाएंगी ?

नहीं !

क्यों ?

यहाँ पर कपड़े नहीं हैं ! कार में बैग रखा है !

तब तक आप मेरे पहन लीजिये ! मेरे कपड़े आपको एकदम सही आयेंगे !

रहने दो पीका ! आज अभी नहाने का मन नहीं है !

मैं कार में से बैग ले आऊं ?

तुम परेशान न हो पीका, यह बाद में नहा लेगी ! रवि ने वहां पर नहाने की सही सुविधा न होने के कारण राशि के इंकार करने को पहचान कर उसे असमंजस से निकाल दिया था !

राशि ने रवि को प्रेम से देखते हुए आँखों ही आँखों में उसे धन्यवाद कहा !

वो पीका के साथ रसोईघर में आ गयी ! धूप को बादलों ने ढँक लिया था ! सुबह की जगह साँझ का अहसास होने लगा था ! हलकी हलकी फुहारें गिरने लगी थी ! फिर एकदम से ठंडा मौसम हो गया था ! चाचीजी रसोई में नाश्ते की तैयारी कर रही थी ! बुखारी जल रही थी ! उस पर दाल बन रही थी ! बुखारी जलने से रसोई में गर्माहट हो गयी थी ! पूरी रसोई में गर्म कालीन बिछा था और मसनद रखे हुए थे ! राशि आराम से टेक लगा कर वहां पर बैठ गयी ! पीका ने गैस पर आलू उबलने को रख दिए वे लोग काम भी करते जा रहे थे और राशी से बातें भी करते जा रहे थे ! राशी को अभी बहुत तेज भूख लगी थी परन्तु नाश्ते में देर थी ! शायद यहाँ पर शहरों की तरह ब्रेड आदि नहीं खाया जाता होगा ! उसे याद आया कि वो एक पहाड़ी गाँव में बैठी है !

क्या सोच रही हो आप ?

कुछ नहीं बस यूँ ही !

वो लोग बहुत जल्दी जल्दी काम करने में लगे थे ! चाचीजी ने आटा गूंदकर आलू छीलकर मैस किये और गैस पर परांठे सकने लगी ! पीका ने दाल को तड़का लगाने के लिए एक प्लेट में टमाटर, प्याज, हरी मिर्च कट लिए और कढाई में गाय का देसी घी डाल कर उसे भूनने लगी ! परांठे भी देसी घी में बनाये जा रहे थे ! घी का रंग पीला था तभी वो समझ गयी कि यह गाय का घी है ! वैसे उसे पता ही चल चूका था कि यहाँ पर अधिकतर सभी लोग अपने घरों में गाय पालते हैं ! गाय का दूध, घी, दही, मठठा, छाछ सबकुछ घर की गाय का बना हुआ शुद्ध और ताजा !

पीका आप तो कालेज जाती हो न ?

हाँ, आजकल छुटियाँ चल रही हैं !

क्या इन दिनों यहाँ पर स्कूल कालेज बंद रहते हैं ?

इन दिनों तो बंद नहीं होते हैं !

फिर किन महीनों में !

दिसम्बर, जनवरी और कभी कभी फ़रवरी तक बंद रहते हैं ! या फिर जब तक बर्फ पड़ती रहे !

अच्छा जब यहाँ बर्फ पड़ती होगी तब यहाँ घर से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता होगा ?

हाँ ! उन दिनों बहुत ज्यादा ठण्ड भी हो जाती है ! हम सब लोग आग जलाकर एक ही कमरे में बैठे रहते हैं जिस कमरे में टी वी लगा है न वहीँ पर !

अकेले मन भी तो नहीं लगता है ! चाचीजी मुस्कुराते हुए बोली !

आप न जब बर्फ पड़े तब आना ! यहाँ पहाड़ों पर सफ़ेद चादर सी बिछी नजर आती है !

ये हरे भरे पहाड़ यूँ नजर आते हैं जैसे कोई तपस्वी सफ़ेद चादर ओढे तपस्या में लीन है !

सूरज तो निकलते भी नहीं होगे ?

हाँ और क्या ! रुई के फायों की तरह बर्फ झरती रहती है !

जब कमरे से बाहर निकल कर इधर उधर जाना होता है ! तब बाल सफ़ेद हो जाते हैं !

हहह्हहहः ! ! राशि उनकी बात सुनकर हँस पड़ी थी !

दीदी मेरे बाल बना दो न ? चाची जी की बेटी अपने बाल बनाने के लिए पीका से कहने आई ! वो स्कूल जाने के लिए तैयार होकर खड़ी थी

अभी सुखा लो बाल ! मैं बस आ रही हूँ ! उसके गीले बालों से टपकते हुए पानी को देखते हुए पीका ने कहा !

पीका ने एक प्लेट में दो परांठे, तड़का लगी एक कटोरी में दाल और दही रख कर उसे देते हुए कहा, दीदी जी पहले आप खा लो ! आपने कल से कुछ भी नहीं खाया है !

कठोर पहाड़ पर रहने वाले यह लोग दिल के कितने नर्म होते हैं !

सरल और सहज !

खा लूँगी भाई ! !

सर जी को भी यहीं पर बुला लूँ ?

हाँ बुला लो, तब ठीक लगेगा ! अकेले खाना पसंद नहीं है न !

पीका ने एक प्लेट और लगा दी ! एक कटोरी में गाय का शुद्ध देसी घी भी भर के रख दिया ! पीले रंग का घी ! !

पीका जल्दी से भाग कर गयी और रवि को बुला लायी ! वे भी राशि के पास मसनद की टेक लगाकर बैठ गए !

अरे भाई यह घी क्यों रख दिया ! मुझे तो नाश्ते में भी रोटियाँ खाने की आदत है ! ऐसा करो, परांठे रहने दो, मेरे लिए दो रोटी बना दो !

खा लीजिये सर जी, यहाँ के परांठे भी आपको नुक्सान नहीं करेंगे ! राजू ने अंदर आते हुए कहा !

ठीक है लेकिन अगर कोई परेशानी न हो तो मेरे लिए रोटी ही ठीक है ! राशि को बहुत तेज भूख लग रही थी, उसने सोचा अब रोटी सिकने में देर लगेगी, तब तक वो भी बैठी रहेगी !

रवि आज परांठा खा लीजिये न ! राशि ने मनुहार करते हुए कहा !

चलो आज खा लेते हैं ! इतने लोगों का दिल तोडना ठीक नहीं है न ! वे राशि की तरफ देख कर मुस्कुराये !

सचमुच बहुत ही टेस्टी नाश्ता बना था ! एक तो जोरो की भूख लगी थी ऊपर से गर्म !

वाह ! मजा आ गया ! इतना स्वाद परांठे खा कर !

राशि भी तो यही कहना चाहती थी ! वाकई आप सही कह रहे हैं ! मैं भी तो यही कहना चाहती थी ! आपने मेरे मुँह की बात छीन ली !

कोई भी बात हो एकदम बेधडक कह देते हैं ! सच्चे दिल के मालिक रवि हमेशा सच ही कहते हैं और दिल में कभी कुछ नहीं रखते ! इतने दिनों में वो इतना तो समझ ही गयी है !

वैसे सच कहने की सबकी हिम्मत नहीं होती ! राशी को उनकी यह बात बहुत पसंद आई कि बिना हिचकिचाए मन की बात कह देना !

सर जी चलो, आपको अपने बाग़ दिखा कर लायें ! देव ने रवि से कहा !

रवि भी तो यही चाहते थे फ़ौरन हाँ करते हुए बोले, राशि आप यही पर रुको, मैं देख कर अभी आता हूँ !

ठीक है रवि ! तब तक मैं यहाँ पर पीका और चाची से बात करुँगी !

राजू ने जल्दी जल्दी नाश्ता ख़त्म किया और वो रवि को साथ लेकर चले गए !

***