आइस क्रीम खाने के बाद मैने रवि भाई से कहा कि मेरे दवाई लेने का टाइम हो गया है तो हमें अब चलना चाहिए।
रवि भाई- वो तो तु सोते वक्त भी खा सकती है। मै आर्थोपेडिक का डॉक्टर बनने वाला हु बहना, मुझे इतना तो पता चलता है, तु दवाई किस वक्त खा सकती है। चल अब नाटक मत कर।
मै- आपको भी कल हॉस्पिटल जाना है, तो चलते है न?
निशु- हमें कोई जल्दी नहीं है, तु बस एन्जॉय करते जा।
अवि- बोरिंग पर्सन हो गई है उम्र के साथ साथ ?।
मै- और आप कैसे है ये मै अच्छे से जानती हूं।
निशु- क्या कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ते रहते है? कभी तो अच्छी बाते करो।
रवि भाई- हा यार, सारा मजा किरकिरा कर देते हो तुम लोग।
मै- आप इसके साथ मुझे क्यू ले जाते है? एक तो यह सीधे बैठते नहीं और ऊपर से मुझे परेशान भी करते है। इन्हीं की बदौलत आज मेरी टांग टूटी है।
अवि- अच्छा तो में अब तुम्हारे साथ नहीं आऊंगा बस, खुश?
दोनों मुंह फुलाकर बैठ गए।
निशु- अरे यार, ये क्या बात बात पर दोनों मुंह फुलाकर बैठ जाते हो? अभी तो आइस क्रीम खिलाई थी, दिमाग ठंडा करने के लिए फिर से खिलानी पड़ेगी ?।
मै- नहीं खानी अब आइस क्रीम, मुझे घर छोड़ दो। और आइंदा से इनके साथ मुझे मत लाना।
अवि- मै भी कोई मरा नहीं जा रहा तेरे साथ घूमने के लिए।
रवि भाई- क्या यार, तुम लोग तो चंटु बंटू की तरह लड़ रहे हो। चलो कुछ देर लोंग ड्राइव करके फिर घर चले जाते है।
मै- एक शर्त पर, आप मेरे साथ बैठेंगे।
रवि भाई- ठीक है बाबा, चल अब।
लोग ड्राइव करके जब घर पहुंची तब थक गई थी। रवि भाई और निशा मुझे मेरे कमरे तक छोड़ने आए। रवि भाई जाते जाते कहते है- दिमाग ठंडा करके सो जाना। कल फिर मिलने आऊंगा। फिर तीन दिन तक प्रेजेंटेशन है तो उसकी तैयारी करनी है तो नहीं आ पाऊंगा। बाहर घूमने का मन करे तो निशु है ही। दोनों गुड नाइट कहकर चले गए।
साढे दस बजे मै सो गई थी। तकरीबन आधे घंटे बाद मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। मोबाइल पर किसिका फोन आ रहा था। रात को मोबाइल मै साइलेंट करके सो जाती हु ताकि सोने में कोई डिसटर्ब ना करे। मै नींद मै ही बड़बड़ाते हुए कहती हुं,- यार ये कौन है इतनी रात गए नींद बिगाड़ रहा है? देखती हूं तो अवि के पांच मिस्ड कॉल आ चुके थे। यार ये बंदा भी ना सोता है ना दूसरों को सोने देता है। मैं कॉल रिसीव किया।
मै- आपमें तमीज नाम की चीज है या नहीं? इतनी रात को क्यो परेशान कर रहे है??
अवि- मै कब से तुम्हें मैसेजेस भेज रहा हूं कोई रिप्लाइ क्यो नही दे रही हो?
मै- मै आपकी तरह उल्लू नहीं हूं जो रात रात भर जागु।
अवि- अभी अधी रात नहीं बीती, ग्यारह ही बजे है।
मै- आपको पता है मै इस वक्त सो जाती हूं फिर क्यो परेशान कर रहे है?
अवि- तुम्हे सोरी कहने के लिए फोन किया था। I m sorry पाखि।
मै- यह आप कल भी कह सकते थे। अभी क्यो निंद खराब कर रहे है। चलिए कल बात करते है, अब मुझे सोने दीजिए।
अवि- फोन मत रखना पाखि। मुझे तुमसे बात करनी है।
अवि- मै अभी बात करना चाहता हु तुमसे। मेरे सवाल का जवाब कब दोगी?
अवि- मेरे I love u का जवाब। कब दोगी?
अवि- उसके बाद तो सब कहते ही है एक दूसरे को। मुझे अभी इसी वक्त जवाब चाहिए।
मै- मेरा जवाब आज भी वहीं है जो पहले था।
अवि- तो तो अब मुझे तेरे भाई से कल बात करने आना ही होगा।
मै- क्यो अंकल आंटी नहीं माने न?
अवि- उनको पता होगा तभी मना करेंगे ना।
मै- तो उनको भी साथ लेकर आइए। अकेले बात करने की हिम्मत है आपने?
अवि- जानेमन तूने मेरी डेरिंग देखी कहा है अभी।
मै- अच्छा? तो दिखा देना कल। चलिए गुड नाईट।
मै कॉल डिस्कनेक्ट करके सो जाती हुं।
सुबह सुबह आज तो विकास भाई आए थे जो हमारे घर के सामने रहते है। घर आकर के जोर जोर से बातें कर रहे थे । मै जब नीचे आ रही थी तो मुझ पर भी बरस पड़े। वहा खड़े कवि भाई का भी आज तो डर न लगा उनको।
विकास भाई- बस अब यही बाकी बचा था।
विकास भाई- यही की सबको पता है मेरे सिवा के तेरा पैर फ्रेक्चर हुआ है। किसीने मुझे बताया भी नहीं।
कवि भाई- घर के सामने तो रहता है पता कैसे नहीं?
विकास भाई- दो दिन से बाहर था मै आज ही वापस आया। वो तो मम्मी ने बताया इसे देखा था तो।
सेतुभाभी- वैसे आंटी आ गए है खबर पूछने। तुम्ही बाकी थे यहां आने मै।
विकास भाई- भाभी मै आउट ऑफ स्टेशन था सुबह ही आया हुं।
कवि भाई- अच्छा अगर तुझे पता देते तो तु आ जाने वाला था तब तेरे आउट ऑफ स्टेशन से?
विकास भाई- एसा नहीं है पर...।
कवि भाई- क्या पर? आने वाला था तो नहीं फिर क्यो डिंगे हांक रहे हो। चल चुप होजा और चाय पीले।
सब को उनका गुस्सा देख हंसी आ रही थी। हम सब ब्रेकफास्ट करने बैठ गए। कुछ देर बाद दिशा घर पर आ गई। उसने भी आकर ब्रेकफास्ट पर धावा बोल दिया। खाती जाती है और परांठे की तारीफ़ करती जाती है।
मै- दिशा तुझे कोलेज नहीं जाना?
दिशा- जाना है ना, वो राजा मुझे पिकअप करने आने वाला है तो अभी टाइम था तो मैं यहां आ गई। कल जो टॉपिक दिया था उसके बारे में कुछ पढ़ा तूने?
मै- नहीं यार, टाईम ही नहीं मिला। देख लूंगी आज। अगर तूने तैयार किया तो मुझे पता दे।
दिशा- कहा तैयार हुआ, मेरा भी कुछ खास प्रिपरेशन नहीं है। कॉलेज जाकर देख लूंगी।
कुछ देर बाद राजा आता है। थोड़ी देर बाते करके राजा के साथ दिशा भी चली जाती है। सब अपने अपने काम पर निकल गए। भाभियां भी अपने काम में व्यस्त हो गई। मै वापस अपने कमरे में चली जाती हुं। ऊपर जाकर याद आया कि आज तो मैंने अपना मोबाइल चैक किया ही नहीं है। जब मैंने वॉट्सएप देखा तो अवि ने कल रात से अब तक 22 मैसेजेस किए थे।
बाप रेे... जिसमे सोरी के मैसेजेस और स्टिकर्स भेजे हुए थे। बिल्कुल पागल है यार ये तो। इतना धुत्कारती हुं फिर भी ढिट बने फिरते है। मोबाइल हाथ में ही था और उनका ही कॉल आ गया। शैतान का नाम लिया और उसी का कॉल आ गया। क्या मुसीबत है ?। मैंने कॉल रिसीव किया। मै कुछ बोलू उससे पहले ही वो बोल पड़े- गुड मॉर्निंग जान।
मै- आप मुझे नाम से नहीं बुला सकते?
अवि- पहले गुड मॉर्निंग बोलो बाद में नाम से बुलाऊंगा।
मै- गुड मॉर्निंग, बताए क्यो फोन किया?
अवि- तुम्हारी आवाज़ सुनने। कॉलेज तो तुम आओगी नहीं तो देख नहीं पाऊंगा। कम से कम आवाज तो सुनू तुम्हारी।
मै- सुनली ना आवाज, अब रखती हुं फोन।
अवि- इतनी जल्दी क्यों रहती है हमेशा तुम्हे फोन डिस्कनेक्ट करने की?
मै- आपकी बकवास बाते सुननी ना पड़े इस लिए।
अवि- मै बकवास बाते करता हुं? बे पगली, मेरी बातें सुनने के लिए तो लड़कियां मरे जा रही है। और एक तुम हो कि ? मुझे भाव नहीं दे रही हो। वैसे मजा भी आ रहा है तुम्हे सताने का।
मै- ज्यादा बकवास की तो नंबर ब्लॉक कर दूंगी समझें?
अवि- तो मै नया नंबर ले लूंगा।? जितने नंबर ब्लॉक करेगी उतने नंबर नए ले लूंगा।
मै- आपसे यही उम्मीद थी। और कुछ तो कर नहीं सकते।
अवि- कर तो बहुत कुछ सकता हुं पर मुझे मेरी लिमिट पता है स्वीट हार्ट।
मै- बाते खत्म हुई हो तो फोन रख्खु अब?
अवि- नहीं, अभी नहीं। तुमने जवाब तो दिया नहीं।
अवि अपने आप से बातें करता है के यार यह कब मानेगी। दो साल से इंतज़ार करवा रही है। और कितना करवाएगी? हद है यार इतना भी क्या इतराना? अब लास्ट एग्जाम्स आ रहे है अब पढ़ाई पे ध्यान दूं या इसको मनाऊ। क्या करू, इसके बगैर रह भी नहीं सकता। कोई बात नहीं देखते है कब तक नहीं मानती। कभी न कभी तो मानेगी ही। दो साल इंतजार किया कुछ वक्त ओर सही। चल अब कॉलेज ही चला जाता हुं। और आज तो अपनी डेरिंग दिखानी है पाखि को ?।
इधर पाखी सोच रही है की क्या करू? अवि के जैसा प्यार करने वाला बंदा मुझे मिलेगा नहीं ओर मै अपने भाइयों से लव मैरैज के बारे में कहना नहीं चाहती। रिश्तेदार तरह तरह की बातें बनाएंगे और मै अपने भाई का सर जुकाना नहीं चाहती। इसी लिए अवि को कहती हूं अपने मम्मी पापा को लेकर आए। पर वो है के समजते नहीं। कोई नहीं, करियर पर फोकस करती हुं, इन सब के लिए बहुत टाईम है।
शाम को सचमे अवि आ गए वो भी अकेले। मै बैठ कर टीवी देख रही थी और उनको देखकर चौक भी गई। घर पर मेरे दोनों भाई और भाभी मौजूद थे। मै अंदर से डरने लगी कि इनका तो कोई भरोसा नहीं है। क्या पता क्या बोल दे। अवि को देख रवि भाई बोले- अरे आज अकेले अकेले, तुम्हारा साथी कहा है
अवि- ओह! वो मेरे घर पर ही है। आज हम सब घर पर ही डिनर करने वाले है। मै यहां विकास के घर ही आया था तो निशु का कॉल आया कि पाखि को लेकर आना है।
मै- पर मुझे तो निशु ने ऐसा कोई फ़ोन नहीं किया।
अवि- निशु को पता था मै विकास के घर आने वाला हु तो मुझे ही कह दिया तुम्हे साथ लाने के लिए।
मै- मै कहा ऐसी हालात में आऊंगी?
मीता भाभी- चली जाना पाखि, वैसे भी पूरे दिन घर पर बैठी बोर होती रहती है।
कवि भाई- सही बात है बच्चा, कुछ वक्त बाहर चली जा तो फ्रेश हो जाएगी।
रवि भाई- कोई बात नहीं चली जा। और तेरे भाग का खाना खाने के लिए ये कवि है ना।?
सेतु भाभी- वैसे भी अभी सब्जी ही बनी है, रोटियां बेलनी बाकी है तो खाना वेस्ट नहीं होगा। अब बहाने बाजी बंद कर और तैयार हो जा।
मै क्या कहूं इन लोगो को कि मै जाना क्यो नही चाहती। ये बहाने ही बना रहे होंगे। सबके कहने पर मुझे उनके साथ जाना पड़ा।
पाखि के जाने के बाद मीता सबसे कहती है- मुझे यह लड़का बहुत पसंद है।
कवि- क्या कहा?? इस उम्र में अब ऐसी हरकत?
मीता- क्या आप भी। मै इसे पाखि के लिए कह रही हुं। और हा, मुझे तो इस उम्र में इससे भी अच्छे लड़के मिल सकते है ?।
कवि- किसीको फटकने तो दूं तेरे पास। एक एक की हड्डी पसली एक कर दूंगा।
मीता- पहले चम्मच ठीक से उठाइए फिर हड्डी पसली तोड़ना।
रवि- क्या लड़ते रहते हो। वैसे मै भी मीता की बात से सहमत हु।
सेतु - आप सब यह क्या बोल रहे है? उनकी तरह अपनी औकात कहा है जो उनसे रिश्तेदारी करे?
रवि- सेतु वह लोग ऐसे नहीं है। हम जानते है उनको। कितने डाउन टू अर्थ है। मीता की बात बुरी नहीं है पर पहले पाखि को डॉक्टर बनने दो उसके बाद इन सब के बारे में सोचते है।
अवि सच में मुझे अपने घर ही लाए। रास्ते में हमने कोई बात नहीं की। आज यह एंग्री यंग मैन क्यो बने हुआ है।?
मुझे सहारा देकर कार से उतार रहे थे। जैसे मै बाहर निकली उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। मै उनके चेहरे की तरफ देख रही थी पर वह मुझे नहीं देख रहे है। ये हो क्या गया इन्हे एकदम से? कहीं सुधर तो नहीं गए? वैसे सुधारने वालो में से है नहीं यह। पर मै क्यू इतना सोच रही हुं? पर एक बात थी, उनके आज के स्पर्श से पूरे बदन में एक सिरहन सी दौड़ गई। एसा क्यो हुआ?? हे भगवान आप क्या क्या करवाते रहते है मुझ से। हम जब घर में दाखिल हुए तो सच में अंकल आंटी घर पर ही थे। सब ड्रॉइंग रूम में बैठे हुए थे। निशु और रवि भाई भी साथ में थे।
मुझे देख आंटी ने कहा- आजा बेटा, मेरे पास बैठ जा। बहुत दर्द हो रहा है क्या?
उन्हे देख मुझे शर्म आ गई। जब अवि ने मुझे सोफे पर बिठाया तब मैने आंटी से कहा कि- हा, पर थोड़ा कम दर्द है अब।
अंकल- मुझे बताया था निशु ने, कैसे इस नालायक की वजह से तुम्हें चोट अाई।
मै- अंकल, गलती मेरी ही थी। मैं ही यहां वहां भाग रही थी।
अंकल अवि से कहते है- देख इसे, तुम्हारा गुनाह कैसे छिपा रही है।
आंटी ने महाराज से डिनर रेडी करने के लिए कह दिया। डिनर रेडी होने तक हम सब यहां वहां की बातें करने लगे। पर अवि ना तो ज्यादा बात करते है ना ही मेरी ओर देख रहे है। हुआ क्या है इन्हें? जब डिनर तैयार हुआ तो हम सब डाइनिंग टेबल पर आ गए। खाते वक्त भी वे मुझे निग्लेक्ट कर रहे है। चलो अच्छा ही है जान छूटी। पर उनका मुझे यू नीग्लेक्ट करना मुझे चुभ रहा था। मैंने रवि भाई से इशारे में पूछा इन्हें क्या हुआ है? पर रवि भाई को भी कुछ मालूम नहीं था।
डिनर करके हम निशु के रूम में गए, पर अवि अपने रूम में चले गए। मैने निशु से पूछा- ये हवा का रुख बदल क्यो गया है?
रवि भाई- तेरे भाई की हवा?।
निशु- पता नहीं पर आज कुछ उखड़े उखड़े से है। मम्मी ने पूछा था उन्हे पर कोई जवाब नहीं दिया। होगा कुछ हमें क्या?
रवि भाई- कल पूछ लूंगा उसे क्यो मुंह फुलाए था? अभी रहने दे उसे।
नीचे निशु के मम्मी पापा के बीच पाखि को लेकर बातें हो रही है।
गायत्री जी- सुनिए, आपको पाखि कैसी लगती है?
भरत जी- अच्छी बच्ची है वह। वह मुझे पहले दिन से ही बहुत प्यारी लगती है। उसके घर वाले भी बहुत ही सिम्पल और अच्छे है लोग है।
गायत्री जी- मुझे यह लड़की अपने अवि के लिए बहुत पसंद है। आपका क्या कहना है?
भरत जी- बात तो तेरी सही है पर क्या हमारी पसंद अवि को पसंद आएगी? मैंने तो जब पहली बार हमारे घर पर पूजा में अाई थी आरती का थाल लेकर तभी तुम्हे कान में बताया था न के राम सीता की जोड़ी लग रही है। बेचारी हमें देख शरमा गई थी।
गायत्री जी- उनके घर वालो से बात करे क्या रिश्ते की?
भरत जी- अभी दोनों को अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने दे। अभी से रिश्तों में बांध देंगे तो पढ़ाई पर असर पड़ेगा। अवि तो यह एक दो महीने में MBBS बन ही जाएगा। एक साल बाद पाखि भी डॉक्टर तो बन ही जाएगी। तब तक राह देखते है। आगे अगर उसे पढ़ना है तो उसकी पढ़ाई हम करवाएंगे।
गायत्री जी- ये सही कहा आपने। बहू के लिए एक साल और इंतजार करते है।?
दोनों घरवालों के विचारों से बेखबर पाखि और अवि अपनी ही धुन में है। अवि फिर से पाखि को ना तो बुलाता है और ना ही उसकी ओर देखता है। पर इस बार पाखि की हालत खराब है। वह सहन नहीं कर पाती अवि का उसकी ओर का रवैया। पर उसे लगा पिछली बार की तरह अवि ही सामने से आएगा उसे बुलाने ओर उस वक्त की राह देखने लगती है।
अब तक दोनों अपनी अपनी सोच पर अडे है। वक्त रेत की तरह बितने लगता है। सब अब डॉक्टर बन गए है। अवि के पापा ने multi-specialty हॉस्पिटल बनवा दिया था। निशु और दिशा साथ में है, राजा, अवि और रवि भाई भी उसीमे अपना अपना डिपार्टमेंट संभालते है। पाखि और साकेत ने उनके हॉस्पिटल के बगल में ही पार्टनरशीप में अपना इमेजिन सेन्टर खोला है। निशु के पापा ने ही उस सेन्टर का काम करवाया था। मीना अब अमेरिका चली गई है। काव्या और रिद्धि अपने अपने शहरों में है। पर आज भी सब रात को फ़ोन कॉन्फ्रेंस करके बात करते है। और इस दीपावली की छुट्टियों में सबने शिमला जाने का प्रोग्राम बनाया है। जिसमे कॉलेज के कुछ पुराने फ्रेंड्स भी आएंगे। पर आज तक पाखि और अवि की बात चीत बंद है। पर प्यार उतना ही गहरा होता जा रहा है। बात अब एगो पर आ गई है कि पहले कौन बात करे। सब साथ ने घूमने फिरने जाते है पर तब भी कोई बात नहीं। अब देखते है शिमला में क्या होता है।
क्रमशः