Himadri - 21 in Hindi Horror Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हिमाद्रि - 21

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हिमाद्रि - 21



हिमाद्रि(21)


अगले दिन उमेश फिर अपने बचे हुए सवालों के साथ डॉ. गांगुली के क्लीनिक पर मौजूद था। उसके कुछ पूँछने से पहले डॉ. गांगुली बोले।
"उमेश बाबू आपके मन के बाकी के सवालों का भी जवाब मिल जाएगा। किंतु एक बात तय हो चुकी है कि कुमुद को रेग्युलर सेशन्स के लिए आना और दवाइयां लेना बहुत ज़रूरी है। ऐसी बीमारियों के इलाज में समय लगता है। अतः धैर्य बनाए रखना होगा।"
डॉ. गांगुली की बात से उमेश पूरी तरह से सहमत था। अतः उन्हें आश्वासन देते हुए बोला।
"मैं भी चाहता हूँ कि कुमुद इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो जाए। अब मैं बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करूँगा। कुमुद को नियमित रूप से सेशन्स के लिए लाता रहूँगा।"
"अच्छी बात है। कुमुद को ठीक करने का यही एक उपाय है। अब पूँछिए अभी और कौन से सवाल आपको उलझाए हुए हैं।"
"जब कुमुद ने उस गुप्त कक्ष में अपने साथ घटी घटना के बारे में बताया था तब उसने प्रेत का कोई नाम नहीं बताया। जबकी सारी कहानी वह पहले ही डायरी में लिख चुकी थी।"
"उमेश बाबू इस बात पर केवल यही अनुमान लगा सकता हूँ कि ऐसा करके वह आपकी जिज्ञासा को बढ़ाना चाहती हो।"
"पर डॉ. निरंजन के सामने उसने पूरी कहानी क्यों बता दी ?"
"बताना तो वह आपको भी चाहती थी। लेकिन डॉ. निरंजन भी प्रेत होने की बात कर रहा था। यह बात कुमुद को अच्छी लगी। डॉ. निरंजन तांत्रिक क्रिया का जो ढोंग कर रहा था उसने कुमुद को सारी कहानी सुनाने के लिए प्रेरित किया।"
उमेश कुछ देर सोंचता रहा। फिर बोला।
"हिमाद्रि का मुक्त होने की इच्छा जताना।"
"वह कुछ नहीं बल्कि परिस्थिति से उपजी बात थी जो कुमुद ने हिमाद्रि की ओर से कह दी।"
उमेश की सारी दुविधाएं समाप्त हो गई थीं। डॉ. गांगुली ने आगे कहा।
"आपके मन में था कि गुप्त कमरे में हुए हादसे के बाद प्रेत एक माह तक शांत क्यों रहा। आपने उस डॉ. निरंजन से पूँछा भी था। पर इसका जवाब आपको अंत तक नहीं मिला। क्योकी कोई प्रेत था ही नहीं।"
डॉक्टर की यह अंतिम बात ने उमेश को बहुत सही लगी। वह उस सब के बीच इस सवाल को भूल ही गया था। वह बोला।
"आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपने मेरी सारी दुविधाएं समाप्त कर दीं। मैं जल्द ही कुमुद को हिमपुरी बुला कर दोबारा इलाज आरंभ करता हूँ।"
घर लौटते हुए उसके मन में कोई सवाल नहीं था। वह अब आने वाले भविष्य के बारे में सोंच रहा था। तभी गगन चौहान ने उसे फोन कर मिलने बुलाया। वह पुलिस स्टेशन की तरफ चल दिया।
गगन चौहान एक और चौंकाने वाली खबर के साथ तैयार थे।
"मि. सिन्हा आपने मुझसे 2012 में हिमपुरी और उसके आसपास के जंगलों में मिली औरतों की लाशों के बारे में पता करने को कहा था।"
"हाँ.... क्या पता चला ?"
"उस दौरान इस पुलिस स्टेशन के इंचार्ज शादाब खान थे। मैंने उनसे बात की। उन्होंने बताया कि उस समय हिमपुरी के पास के जंगलों में चार औरतों की लाशें मिली थीं।"
उमेश के लिए यह चौंकाने वाली बात थी। उसे तो लगा था कि यह सब झूठ निकलेगा। लेकिन गगन के अनुसार तो सब सच था। उसके चेहरे पर उभरती चिंता की लकीरें देख कर गगन ने कहा।
"पर आपने जो बताया था उसमें और सच्चाई में थोड़ा फर्क है।"
"वह क्या ?"
"आपने कहा था कि देखने से दुष्कर्म की बात पता चल रही थी। पर रिपोर्ट में कुछ नहीं आया था।"
"हाँ.."
"यह बात सच नहीं है। उन औरतों पर बलात्कार की पुष्टि हुई थी। यही नहीं गुनहगार पकड़ा भी गया था।"
"कौन था वह गुनहगार ?"
"सुन कर आप हैरान रह जाएंगे।"
"बताइए कौन था वह ?"
"औरतों का बलात्कार कर उनका कत्ल करने वाले का नाम हिमाद्रि था।"
यह बात सुन कर उमेश लगभग अपनी कुर्सी से उछल ही पड़ा। गगन ने कहा।
"आपने जो जानना चाहा वो मैंने बता दिया। मैं देख रहा हूँ कि इस हिमाद्रि से आपका कोई संबंध अवश्य है। जब भी आप यह नाम सुनते हैं परेशान हो जाते हैं। अब आपकी बारी है सब कुछ सच सच बताने की।"
उमेश ने गगन को शुरू से अब तक जो कुछ हुआ सब बता दिया।
"चौहान साहब कुमुद ने इसी कातिल को प्रेत बना कर अपनी कहानी गढ़ी। पर समझ में नहीं आ रहा है कि कुमुद तो पहली बार हिमपुरी आई थी। उसे इस घटना का पता कैसे चला ?"
"कोई बड़ी बात नहीं है मि. सिन्हा। आजकल का समय इंटरनेट का है। नई खबरों के साथ पुरानी खबरें भी इंटरनेट पर मिल जाती हैं। हो सकता है उन्होंने गूगल पर हिमपुरी के बारे में सर्च किया हो। तब यह खबर भी सामने आई हो। उन्होंने इसे पढ़ कर ही अपनी कहानी बनाई होगी।"
"हाँ यह हो सकता है।"
"तो मि. सिन्हा अब यह तय है कि आपकी पत्नी मनोवैज्ञानिक समस्या से परेशान हैं। मेडिकल रिपोर्ट में भी बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई थी। तो क्या हम यह केस बंद कर दें।"
"जी मैं यह केस वापस ले रहा हूँ।"
उमेश ने घर लौट कर अपनी ईमेल चेक की। उसने कल नोरा को ईमेल कर कुछ सवाल पूँछे थे। नोरा का जवाब आया था। उमेश ने ईमेल पढ़ा। उसके अनुसार उसके पिता स्टुअर्ट मृत्यु के कुछ समय पहले उसके पास अमेरिका रहने गए थे। क्योंकी उनका स्वास्थ ठीक नहीं था। लेकिन उनका फिलिप नाम का कोई भांजा नहीं था।
यह बात पूरी तरह से पुख्ता हो गई थी कि प्रेत हिमाद्रि एक काल्पनिक चरित्र था। जो हत्या और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार गुनहगार पर आधारित था।
उमेश कुमुद को लेने उसके घर गया। उसने उसके माता पिता को सारी बात बता दी। उन लोगों ने बताया कि कुमुद को बचपन से ही कहानियां लिखने का शौक था। वह लेखन में ही अपना करियर बनाना चाहती थी। पर घर वालों के दबाव में एकाउंटेंट बन गई।
बात साफ थी। हिमपुरी आने के बाद खाली समय और बंगले के वातावरण ने उसे फिर से लिखने को प्रेरित किया। उसी समय उसे वह खबर पढ़ने को मिली। उसने हिमाद्रि को एक कामुक प्रेत के रूप में दिखाते हुए कहानी लिखी। अपनी बीमारी के चलते वह अपनी कहानी को सच मानने लगी। उसने पूरी कोशिश की कि बाकी लोग भी उसे सही माने।
उमेश ने अपने पिता को भी सारी बातें बता दीं। पहले तो वह नाराज़ हुए कि इतना कुछ हो गया। पर उन्हें कुछ क्यों नहीं बताया। लेकिन उमेश ने उन्हें समझाया कि उस वक्त वह बहुत अधिक परेशान था। वह उन्हें परेशान नहीं करना चाहता था। इसलिए कुछ नहीं बताया।
उमेश ने बंगला बेंचने का इरादा बदल दिया। उसने बंगले को ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट होटल में बदलने का मन बना लिया। वह कुमुद को हिमपुरी ले आया।
कुमुद को रेग्युलर सेशन्स के लिए डॉ. गांगुली के पास ले जाता था। डॉ. गांगुली के इलाज, उसकी और बुआ की देखभाल से कुमुद ठीक होने लगी थी।
ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट होटल अच्छा चलने लगा था।
उमेश ने उसका नाम हिम कुंज रखा था।