दस दरवाज़े
बंद दरवाज़ों के पीछे की दस अंतरंग कथाएँ
(चैप्टर - बाइस)
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सातवां दरवाज़ा (कड़ी -4)
जैकलीन : यह कैसा मुकाबला
हरजीत अटवाल
अनुवाद : सुभाष नीरव
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फिर मैं डेविड और जैकलीन को प्रायः एकसाथ देखता हूँ। डेविड लगभग आए दिन जैकलीन के साथ उसके घर आ जाता है। एक दिन वह मुझे पब में मिल जाते हैं। मैं उन्हें बियर के गिलास भरवाकर देता हूँ। डेविड ऊँची आवाज़ में गाने लग पड़ता है। बियर के दो गिलास पीकर अजीब-सी आवाज़ें भी निकालने लगता है। जैकलीन उसको रोकती है। लोग हँस रहे हैं। मैं सोच रहा हूँ कि डेविड जैकलीन के योग्य नहीं है। मुझे बहुत ही अजीब-सा अनुभव हो रहा है।
एक दिन पत्नी मुझसे कहती है -
“तुम्हें पता है कि जैकलीन ने कोई अंधा ब्वॉय फ्रेंड ढूँढ़ लिया है।”
“तुझे किसने बताया?”
“मैंने देखा कल, गार्डन में एक दूसरे से लिपटे खड़े थे।”
“अच्छा!”
“मैं कहती हूँ, जैकी तो इतनी सुन्दर लड़की है, इसकी अक्ल को क्या हो गया!”
“लोगों के मामले में ज्यादा टांग नहीं अड़ाते।”
मैं कहता हूँ, पर बात करते हुए उससे मैं आँखें नहीं मिला पा रहा हूँ।
एक दिन रोजमरी मुझे मिलती है। वह बहुत उदास है। मैं पूछता हूँ -
“रोजमरी, क्या हुआ तुझे? तू ठीक तो है?”
“मिस्टर सिंह, तुमसे एक ज़रूरी बात करनी है। कभी वक्त मिले तो मेरे घर आओ।”
“जल्दी बता रोजमरी, प्लीज़!”
“यहाँ नहीं, घर में आ, बैठकर बातें करेंगे।”
वह थोड़ा घबराई हुई-सी है। मैं रोजमरी को मिलने से झिझकता भी हूँ, पर उसकी स्थिति देखकर मिलने से रह भी नहीं सकता। मैं उसके घर चला जाता हूँ। वह उतावली होकर कहती है-
“सिंह, मेरी हैल्प कर। इस मूर्ख लड़की को नर्क में गिरने से बचा!”
“क्या मतलब?”
“मतलब यह कि यह लड़का डेविड उसके लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।”
“हाँ रोजमरी, यह तो मैं भी देख रहा हूँ।”
“सिंह, कहाँ मेरी परी जैसी बेटी और कहाँ यह उजड्ड-सा डेविड!”
“यह तो ठीक है रोजमरी, पर मैं क्या कर सकता हूँ?”
मेरी बात सुने बग़ैर वह कहती है -
“सिंह, उसका अंधा होना तो एक बात है, पर वह दिमागी तौर पर भी ज्यादा ठीक नहीं लगता और जैकी उसके पीछे पागल हुई फिरती है। अपना सुनहरी भविष्य दांव पर लगा रही है।”
“रोजमरी, शीघ्र ही जैकी यूनिवर्सिटी चली जाएगी और यह रिश्ता अपने आप ही टूट जाएगा।”
“हाँ, पर अब पता नहीं वह यूनिवर्सिटी जाए कि नहीं, डेविड उसको विवाह के लिए तैयार कर रहा है।”
“अच्छा!”
“मैं ऐसे बंदों की साइकी को जानती हूँ। इनके अन्दर असुरक्षा की भावना होती है। इतनी आसानी से तो कोई लड़की डेविड से विवाह नहीं करवा सकती, पर जब जैकी जैसी कोई भोलीभाली लड़की मिल जाए तो ये छोड़ना नहीं चाहते।”
“नहीं नहीं, यह बात ठीक नहीं। उसकी अभी उम्र ही क्या है! पहले उसको अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए और फिर विवाह के बारे में सोचे।”
“सिंह, इस लड़की की आँखों पर प्यार का पर्दा पड़ा हुआ है, पर फरेबी डेविड इसको इस्तेमाल करना चाहता है, इसे किसी तरह अपने साथ बाँधे रखना चाहता है।”
“रोजमरी, मैंने तो इतनी दूर तक सोचा ही नहीं था।”
“सिंह, अब जब भोली जैकलीन उसके हत्थे चढ़ गई है तो उसको वह कैसे जाने देगा। किसी न किसी तरह फुसलाकर, कोई लालच देकर इसके साथ विवाह करवाएगा।”
बात करते हुए रोजमरी रोने लगती है। मुझे भी क्रोध आ रहा है। मैं कहता हूँ -
“यह तो जैकी के लिए आत्महत्या जैसी बात होगी!... उसको किसी प्रकार रोकना चाहिए।”
“यही तो मैं कहती हूँ, पर मेरी बात वह सुनती ही नहीं। किसी की भी नहीं सुनेगी, माइको की भी नहीं। मुझे पता है कि वह तेरी बात अवश्य सुनेगी।”
“पर रोजमरी, मैं उससे क्या कहूँगा? उसको कैसे समझाऊँगा?”
“जैकी बहुत अच्छी लड़की है, पर भावुक है। कोई भी ज़रा-सा प्रेम दिखाता है तो उस व्यक्ति पर सब कुछ न्योछावर कर देती है। मुझे पता है कि वह तुझे बहुत प्रेम करती है।”
कहकर रोजमरी मेरी ओर देखने लगती है। मैं गर्दन झुका लेता हूँ। वह फिर कहती है -
“मैं सब जानती हूँ... जैकी ने स्वयं ही सब बता दिया था।”
“सॉरी रोजमरी, यह सब...।”
“सॉरी कहने की आवश्यकता नहीं, मुझे पता है, पहल उसकी तरफ से ही हुई होगी। सच जान, पहले तो मैं तेरे से खफ़ा थी, पर फिर मैंने सारी बात पर ध्यान से सोचा। इसको पिता का प्यार नहीं मिला। यह तुझ में पिता और प्रेमी दोनों ही देखती होगी।”
मैं शांतचित्त उसकी बात सुनता रहता हूँ। कहने के लिए मेरे पास कुछ है ही नहीं। वह ज़रा रुककर कहती है -
“मुझे पता है कि तू सदा उसका भला ही चाहेगा। मैं यह भी जानती हूँ कि तूने ही उसको कहा था कि कोई हमउम्र प्रेमी तलाश ले।”
“रोजमरी, मैंने कभी भी जैकलीन को इस नज़र से नहीं देखा था, नशे में सब हो गया था।”
“मैं जानती हूँ, तू मर्द है, नहीं रोक सका होगा खुद को, पर अब कुछ कर। सिंह, सच मान, जब से वह डेविड के साथ जुड़ी है, मेरी रातों की नींद उड़ गई है।”
“रोजमरी, मेरा मन भी बहुत खराब है। अब तो अधिक ही खराब है जब से मुझे डेविड के इरादों का पता चला है।”
“सिंह, मेरी मदद कर। मेरी बेटी को बचा ले। तेरा अहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी।”
“मैं कैसे बचा सकता हूँ? ”
“तू जैकलीन को डेविड से वापस जीत ले, प्लीज़! डेविड के मुकाबले तेरा पलड़ा बहुत भारी है। जैकी अभी भी तुझे बहुत चाहती है, मेरे साथ सारी बातें कर चुकी है।”
“रोजमरी, यह बात सरल नहीं। पहले तो मेरी पत्नी को पता नहीं चला, पर अब अवश्य पता चल जाएगा। फिर मेरी विवाहित ज़िन्दगी तो खत्म समझो।”
“सिंह, मैं सारी बात समझती हूँ। मैं जानती हूँ कि तेरी पत्नी बहुत अच्छी है, पर मेरा यकीन कर, यदि कोई ऐसी बात हुई तो मैं उसको समझा दूँगी। तू प्लीज़…!”
“ठीक है रोजमरी, मैं सोचता हूँ इसके बारे में।”
कहने को तो मैं कह देता हूँ, परंतु मेरा दिल-दिमाग-आत्मा कोई भी मेरा साथ नहीं दे रहा। मैं यह सब क्यों करूँ? डेविड जैसे आदमी से मेरा मुकाबला ही क्या है। फिर मैं तो पहले ही बड़ी कठिनाई से जैकलीन से पीछा छुड़ा पाया हूँ। बहुत कुछ सोचता हूँ, पर जैकलीन का हँसता हुआ चेहरा मुझे दिखाई देना बंद नहीं होता।
एक दिन मैं देखता हूँ कि डेविड नाचते हुए अजीब-सी हरकतें कर रहा है। उसके संग-संग चली आ रही जैकलीन हँस हँसकर लोटपोट हुई जा रही है। मेरी वैन उसके करीब से गुज़रती है तो जैकलीन मुझे हाथ हिलाती है और साथ ही, वह डेविड को भी मेरे बारे में बता देती है। डेविड भी हाथ हिलाने लग पड़ता है। जैकलीन मुझे अपना मोबाइल दिखाती है। लगता है, उसने नया लिया है। मेरे मन में अजीब-से ख़याल उठने लगते हैं। मैं कुछ और तरह से ही महसूस करने लगता हूँ - अपने आप को हीन-सा। जैकलीन मुझे इस लड़के की खातिर छोड़ गई है। यदि संग पढ़ते किसी लड़के को खोजा होता तो शायद ऐसा महसूस न होता। मुझे लगता है मानो डेविड ने जैकलीन को मुझसे छीन लिया हो। मुझे गुस्सा आने लगता है। मैं सोचने लगता हूँ - क्या जैकलीन को डेविड से वापस हासिल कर लेने की मेरे में हिम्मत है? यही सोच मेरे ऊपर हर समय भारी रहने लगती है। मेरा मन एक ही लकीर पर काम करने लगता है कि किस भी प्रकार से जैकलीन को दुबारा प्राप्त किया जाए, पर कैसे? अब मैं शेष दो खतरों की चिन्ता न करते हुए जैकलीन के विषय में सोचे जा रहा हूँ।
एक दिन वह मुझे मिलती है और कहने लगती है -
“सिंह, तूने देखा था न, मैंने भी मोबाइल ले लिया है।”
“हाँ। क्या नंबर है तेरा?”
“तू अपना बता, मैं रिंग कर दूँगी और मेरा नंबर आ जाएगा। तू सेव कर लेना।”
“जैकलीन, आज तू बहुत सुन्दर लग रही है।”
“मैं तो हमेशा ही ऐसी होती हूँ। शायद आज तू अलग मूड में हो।”
“शायद।”मैं कहता हूँ।
वह चली जाती है। कुछ देर बाद मैं उसको मैसेज भेजता हूँ -
“डार्लिंग, किसी दिन मेरे साथ पब चलेगी?”
“क्यों नहीं! मुझे खुशी होगी। डेविड को भी साथ ले आऊँगी।” वह मेरे मैसेज का जवाब देती है।
अगले दिन वह फोन करती है और पूछती है -
“सिंह, तू मुझे बाहर ले जाने के लिए गंभीर है?”
“बिल्कुल।”
“कल शाम को क्या कर रहा है?”
“सात बजे के बाद फुर्सत में होऊँगा।”
“ठीक है, सात बजे मैं मेन रोड के कॉर्नर पर खड़ी मिलूँगी।”
मैं घर में पत्नी से कोई बहाना बनाकर सात बजे घर से बाहर निकल जाता हूँ। जैकलीन बताई हुई जगह पर खड़ी मेरी प्रतीक्षा कर रही है। मैं उसको पब में ले जाता हूँ। हम वाइन-बियर लेकर एक तरफ बैठ जाते हैं। बैठते ही वह कहती है -
“देख सिंह, अब मैं डेविड से प्यार करने लगी हूँ। वह भी करता है। यही तू चाहता था न?”
“हाँ, पर अब महसूस होने लगा है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। हमें आपस में मिलते रहना चाहिए था। तुझे यूनिवर्सिटी जाकर डिगरी लेनी चाहिए थी।”
“यह यूनिवर्सिटी वाली बात कहीं मेरी मॉम ने तो नहीं कही?... क्योंकि ये तो उसके शब्द हैं।”
“नहीं जैकी, तू अच्छी तरह जानती है कि मैं सदैव कहा करता हूँ कि डिगरी कर, डिगरी मुहब्बत करने से भी ज्यादा ज़रूरी है।”
“डिगरी तो मैं करूँगी ही, लीडज़ यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलने की उम्मीद है।”
“ठीक है, मैं तुझे यूनिवर्सिटी छोड़ आया करूँगा और ले भी आया करूँगा... कहीं घूमने भी चले जाया करेंगे। जैकलीन, चल फिर से एकसाथ हो जाएँ।”
मैं उसको बांह से पकड़कर कहता हूँ। वह सोच में पड़ जाती है। कुछ देर बाद कहती है -
“सिंह, शायद तुझे पता नहीं कि डेविड मुझे कितना प्यार करता है...जिस म्युजिक शॉप में मैं काम करती हूँ, उसका वह आधे का मालिक है।”
“तुझे उसके दुकान के आधे से क्या लेना है... डिगरी करने के बाद जब तुझे नौकरी मिली तो तेरी भी तनख्वाह बहुत होगी।”
“सिंह, क्यों तू मुझे इस दुविधा में डाल रहा है? तब तो तूने मुझे एकदम तोड़कर फेंक दिया था। मेरा मन बहुत मुश्किल से सैटल हुआ है।”
“सॉरी जैकी!”
“एक बात और भी है, तू जानता है, मैं अपने सभी दोस्तों को तेरे बारे में बता चुकी थी, पर जब डेविड के साथ मेरी दोस्ती हुई तो मुझे तेरे बारे में कोई कहानी घड़नी पड़ी थी। अब मैं अपने दोस्तों से क्या कहूँगी?”
“जैकलीन, मैं तेरे पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाल रहा... मैंने तो तुझे अपने दिल की बात बताई है। मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ! तेरे साथ फिर कनूइंग पर जाना चाहता हूँ, स्विमिंग करना चाहता हूँ।”
वह कुछ नहीं बोलती। मैं पुनः कहता हूँ -
“और नहीं तो मेरी एक विनती मान ले।”
“क्या?”
“यही कि अभी डेविड से विवाह मत करना, क्या पता, मेरी किस्मत तेज़ हो और तू फिर से मेरे पास वापस आ जाए, पर यदि तूने विवाह करवा लिया तो सब गड़बड़ हो जाएगा।”
“मैं सोचकर तुझे फोन करूँगी।”
तीन दिन गुज़र जाते हैं, पर जैकलीन फोन नहीं करती। मैं हर समय उसके सपने देखने लगता हूँ। उसके साथ हुई कुछ मुलाकातों में से मिला आनन्द मुझे बहुत बड़ा प्रतीत हो रहा है। जो बात करमजीत किसी समय ऊषा के नाटे कद को लेकर कहा करता था, वह बात जैकलीन पर बहुत ज्यादा फिट बैठती है। बिस्तर पर वह खिलौना-सा लगती है। मैं जितना उसके बारे में सोच रहा हूँ, उतना ही भावुक होने लगता हूँ। चौथे दिन उसका फोन आता है, कहती है -
“सिंह, डेविड मुझे बहुत प्यार करता है। मैं उसको नहीं छोड़ सकती।”
“अच्छा! मेरा दुर्भाग्य!”
मैं हारे हुए खिलाड़ी की तरह बोलता हूँ। वह फिर कहती है -
“पर एक तरीका है।”
“वह क्या?”
“यदि डेविड मुझे छोड़ दे तो मैं दुबारा तेरे बारे में विचार कर सकती हूँ।”
मैं सोचने लगता हूँ कि अब डेविड को कैसे मज़बूर करूँ कि वह जैकलीन को छोड़ दे। डेविड को तो बमुश्किल इतनी सुन्दर लड़की मिली होगी। वह फिर कहती है -
“तुझे मालूम है न कि हर शनिवार शैकल्टन हॉल में डिस्को होता है।”
“हाँ, मैं जानता हूँ।”
“मेरे सभी दोस्त वहाँ होते हैं। वे सभी तुझे जानते हैं, कम से कम तेरा नाम... डेविड को भी तेरे-मेरे बारे में सब पता है। इस शनिवार डेविड भी वहाँ होगा। यदि तू करीब नौ बजे वहाँ आकर सबके सामने मेरे साथ अपने प्यार का इज़हार कर दे तो सभी समझ जाएँगे कि तू मुझे कितना प्यार करता है। इस तरह मुझे लगता है कि डेविड मुझे छोड़ जाएगा।”
“यह कौन-सी मुश्किल बात है। मैं शनिवार शाम को नौ बजे वहाँ होऊँगा।”
मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मुझे लगता है कि मैं डेविड पर विजय प्राप्त करने के बहुत निकट हूँ। यह काम तो आसान ही होगा। मैं उसके मित्रों में जाकर उसका हाथ पकड़ कर ‘आय लव यू’ सहजता से कह सकता हूँ। मेरे मन में एक झिझक-सी भी है कि उसके सभी मित्र उम्र में मुझसे छोटे होंगे, पता नहीं मेरे बारे में वे क्या सोचेंगे, पर फिर मैं सोचने लगता हूँ कि जब जैकलीन मुझे पसंद करती है तो किसी अन्य से मुझे क्या लेना। आजकल उम्र के फर्क़ को कौन पूछता है।
शनिवार का दिन आ जाता है। मैं शैकल्टन हॉल में जा पहुँचता हूँ। संगीत चल रहा है। डांस फ्लोर पर सभी आयु के लोग नाच रहे हैं, पर अधिक संख्या जैकलीन की आयु के जवानों की है। मैं अपना गिलास भरवा कर एक तरफ बैठ जाता हूँ। जैकलीन मुझे देखती है। वह मेरे पास आकर कहती है -
“सिंह, मेरे साथ डांस करेगा?”
“हाँ, पर बाद में। अभी मैं ज़रा नज़ारा देख लूँ।”
“ठीक है, मैंने डिस्क जॉकी को कह दिया है, वह अनाउंस कर देगा। तू पूरे नौ बजे स्टेज पर आ जाना।”
“तू फिक्र न कर।”
वह चली जाती है। मैं देखता हूँ कि डेविड नाच रहा है और बज रहे संगीत के साथ गा भी रहा है। इस वक्त उसके हाथ में सफ़ेद छड़ी भी नहीं है। वह बहुत खुश प्रतीत होता है। गीत बदलता है, नृत्य का तरीका भी। डेविड नए गीत पर नाचने लगता है। मैं कयास लगाने लगता हूँ कि जब मैं स्टेज पर जाकर जैकलीन का हाथ पकड़कर उसको ‘आय लव यू’ कहूँगा तो डेविड का क्या हाल होगा। नाचना तो वह एकदम भूल जाएगा। एकदम उदासी में डूब जाएगा। शायद रोने भी लग जाए। शायद खुशियाँ छिन जाने के कारण मुझे कोई बद्दुआ भी दे। फिर मुझे ख़याल आता है कि उसकी खुशियों को छीनने का मुझे क्या हक़ है। एक पल के लिए मैं अपने आप को गुनाहगार समझने लगता हूँ। मेरे पास तो सबकुछ है - घर, पत्नी, बच्चे। डेविड के पास शायद सिर्फ़ जैकलीन ही हो। फिर उसी पल सोचने लगता हूँ कि आज तक मेरी ज़िन्दगी में आईं स्त्रियों में से जैकलीन सबसे अच्छी भी है और जवान भी। यदि जैकलीन मेरे पास होगी तो मैं भी डेविड जितना ही खुश होऊँगा। भिन्न-भिन्न तरह के ख़यालों से जूझता मैं बियर कुछ अधिक ही पी जाता हूँ।
डिस्क जॉकी संगीत धीमा करके स्टेज से मेरा नाम पुकारते हुए कहता है -
“दोस्तो, बहुत ही खुशी की बात है कि हमारा दोस्त मिस्टर सिंह अपना कोई जज़्बा, अपने दिल की कोई बात आप सबसे साझा करना चाहता है।... गिव हिम ए बिग हैंड!”
हॉल में उपस्थित सभी लोग तालियाँ बजाने लगते हैं। जॉकी फिर कहता है -
“कम ऑन मिस्टर सिंह... हैव द माइक एंड से समथिंग... व्हटएवर ऑन युअर माइंड!”
मैं धीमे कदमों से स्टेज पर जाता हूँ। जॉकी मेरा स्वागत करते हुए माइक मुझे थमा देता है। मैं जैकलीन की ओर देखता हूँ। वह चमकदार आँखों से मुझे देख रही है और हल्का-हल्का मुस्करा रही है। डेविड के कान माइक की तरफ हैं। मैं जैकलीन को अपने नज़दीक आने का संकेत करता हूँ। वह आँखों में आँखें डाले मेरी ओर देखती जा रही है। मैं कहने लगता हूँ -
“दोस्तो! मैं खूबसूरत जैकलीन और नौजवान डेविड को उनके सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। गुड लक जैकी, गुड लक डेविड!”
हॉल तालियों से गूंज उठता है और मैं मंच से नीचे उतरकर जैकलीन के मित्रों में जा खड़ा होता हूँ।
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आख़िर आपने ‘सात बंद दरवाज़ों’ के पीछे की दिलचस्प अंतरंग कथाएं पढ़ ही लीं। निश्चित ही अब ‘आठवें बंद दरवाज़े’ के पीछे की अंतरंग कथा क्या है, यह जानने की आपके अंदर तीव्र उत्सुकता तो होगी ही। तो अपनी इस उत्सुकता को शांत करने के लिए अगली नई किस्त अवश्य पढ़ें जिसमें हम आपके लिए ‘आठवां बंद दरवाज़ा’ खोलने जा रहे हैं…