आमची मुम्बई
संतोष श्रीवास्तव
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बांद्रा वर्ली सी लिंक..... रोमांचकारी सफ़र.....
बांद्रा रिक्लेमेशन से वर्ली की आधा घंटे की दूरी आठ मिनट से भी कम समय में!! सचमुच यकीन नहीं होता, मगर ये संभव कर दिखाया है बाँद्रा वर्ली सी लिंक ने | सचमुच ये सफ़र बेहद रोमाँचकारी है | सी लिंक पर बने विशालकाय तारों से सुसज्जित ब्रिज सम्मोहित कर लेता है और जब उसके बीच से गुज़रती हैं गाड़ियाँ तो लगता है मानो साँसें थम जाएँगी | इतने खूबसूरत नज़ारे को देख भला कौन नहीं इसके इश्कमें पड़ जाएगा | निश्चित रूप से बाँद्रा वर्ली सी लिंक एक लैंडमार्क बन गया है जो मुम्बई की शिल्पकला की अद्भुत मिसाल है | प्रवेश करते ही विशालकाय स्तंभों के नीचे से समँदर की लहरों का संगीत सुनाई देने लगता है | इन स्तंभों का निर्माण मुम्बई की लाइफ़ लाइन कही जाने वाली नेटवर्क केबल को बिना नुकसानपहुँचाये किया गया है | येकेबल समँदर के अंदर बिछाई गई है | गाड़ी की खिड़की से दोनों ओर ऊँची उठती लहरें एहसास कराती हैं जैसे किसी क्रूज़ का सफ़र हो |
भारत में यह सी लिंक पहला सी लिंक है | यह खूबसूरत ब्रिज ५.६ किलोमीटर लम्बा है और ५०० मीटर तक केबल पर टिका है | हर ओर चार लेन हैं | हर दिशा में बेस्ट बसों के लिए अलग लेन है | इसके मुख्य तोरण की ऊँचाई १३० मीटर है | जो ६० मंज़िल इमारत की ऊँचाई के बराबर है | ब्रिजका वज़न ५० हज़ार हाथियों के वज़न के बराबर है | एक हाथी का वज़न कम से कम पाँच टन होता है | ब्रिज में सीमेंट की 2 लाख बोरियों और ३५ हज़ार टन स्टील का इस्तेमाल हुआ | ब्रिज की पूरी लम्बाई पृथ्वी के व्यास के बराबर करीब ४० हज़ार किलोमीटर है | यह ब्रिज वर्ली से हाजी अली होते हुए नरीमन पॉइंट तकहै | सोलह लेन का आधुनिक टोल प्लाज़ा है और इसे एम एस आर डी सी के लिए मैसर्स हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन ने बनाया है | इसकी लागत १६३४ करोड़ रुपए है और फ्यूल की बचत २६० करोड़ रुपए प्रतिवर्ष |
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