Aamchi Mumbai - 21 in Hindi Travel stories by Santosh Srivastav books and stories PDF | आमची मुम्बई - 21

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आमची मुम्बई - 21

आमची मुम्बई

संतोष श्रीवास्तव

(21)

सात सौ इकतीस घाट हैं धोबी तालाब में

मरीन लाइन्स और चर्नीरोड के बीच में यदि पैदल चला जाए तो धोबी तालाब इलाके में मिलेगा परिदृश्य प्रकाशन जो विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का मशहूर बिक्री केन्द्र है | पहले यहाँ से पुस्तकें भी प्रकाशित होती थीं | मैंने मुम्बई के कथाकारों की सांप्रदायिक दंगे और विभाजन पर आधारित कहानियों की पुस्तक संपादित की थी नहीं, अब और नहींयह पुस्तक परिदृश्य प्रकाशनसे प्रकाशित हुई और बहुत अधिक चर्चित भी हुई |

यह पूरा इलाका यानी चर्नी रोड, मरीन लाइंस और महालक्ष्मी रेलवेस्टेशनों तक अतीत बहुत लुभाता है | रोमाँचित हूँ | उतर रही हूँ सवा सौ साल पहले के धोबी तालाब के उस गौरवशाली इतिहास में जहाँ स्थित स्मॉल कॉज़कोर्ट में गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटकर अपना पहला मुक़दमा लड़ा था | इस मुक़दमे के बारे में गाँधीजी अपनी आत्मकथा माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ में लिखते हैं- मुझे पहला मुक़दमा मिला ममीबाई का जिसमें मुझे तीस रुपए फीस मिली | मुक़दमा पहले ही दिन ख़तम हो गया | मैं खड़ी हूँ कोर्ट के सामने | देख रही हूँ पत्थरों से बनी चार मंज़िल की इमारत जो १९१८ में पूरी तरह बनकर तैयार हुई और जिस पर ग्यारह लाख का ख़र्च आया | लम्बेचौड़े कोर्ट रूम्ज़, चौड़े-चौड़े कॉरिडोर, घुमावदार सीढ़ियाँ, गोल काउंटर्स, पुराने ज़माने की लिफ़्ट्स..... वक़्त के सितम सहकर भी इस इमारत की बुलंदी में कोई फ़र्क़ नहीं आया | वही शान, वही सुंदरता..... जो पहले थी वो अब भी है | हाँ, इमारत का पिछला हिस्सा थोड़ा कमज़ोर निकला | जगह-जगह से झाँकती दरारों में घास फूस उग आई है..... लेकिन सरकार इसकी मरम्मत के लिए कटिबद्ध है |

धोबी तालाब एरिया महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन के नज़दीक है | यहाँ एशिया का सबसे बड़ा धोबी तालाब है इसलिएइस पूरे इलाके का नाम धोबी तालाब पड़ा | मुम्बई आने वाले विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं धोबी तालाब | वे इसे एक अजूबे की तरह देखते हैं | यहाँ बीस हज़ार वर्ग फुट एरिया में कपड़ों की धुलाई होती है | इसी तालाब से सटे तीस से चालीस हज़ार वर्गफुट एरिया में कपड़ों को सुखाया जाता है | धोबी तालाब में कुल ७३१ (सात सौ इकतीस) घाटहैं जहाँ आज भी परंपरागत तरीके से कपड़ों को धोया जाता है | मुम्बई में धोबियों का बड़ा संगठन कपड़ों को धोने, सुखाने, प्रेस करने और पुराने कपड़ों को रंगकर नया रूप देने का काम इस प्लेटफार्म में करता है | क़रीब दस हज़ार से ज़्यादा धोबी इस कारोबार में लगे हैं जो नज़दीक के स्लम एरिया में रहते हैं |

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