सुबह जब उठी तो अपने आप को तरोताजा महसूस किया। अंगड़ाई लेकर जब उठी और पास में नजर गई तो अवि मेरे साथ बेड पर ही सोए हुए थे। वो भी एक ही ब्लैंकेट में ?। उन्होंने अपने नाईट ड्रेस की टीशर्ट भी नहीं पहनी थी। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। कहीं रात में कुछ... नहीं नहीं एसा नहीं हो सकता?। में गुस्से से बेड पर बैठे बैठे ही अवि को पीट ने लगी। वो उठकर अपना बचाव करने लगे।
अवि- क्या हुआ? अरे रुको, मार क्यो रही हो?
मै- आप मेरे साथ बेड पर क्या कर रहे है? और ब्लैंकेट भी मेरा ओढ़ा हुआ है आपने।
अवि- अरे पहले मारना बंद करो, बताता हुं। रात को मै सोफे पर ही सोया था पर मुझे मेरे बेड के सिवा इस कमरे में नींद नहीं आती तो बेड पर आकर सो गया।
मै- आपने अपने कपड़े क्यो नहीं पहने है?
अवि- मै हमेशा अपनी टीशर्ट निकालकर ही सोता हूं। और बॉक्सर मैने पहना हुआ है देखो। और ब्लैंकेट मैंने तुम्हारा नहीं तुमने मेरा ओढ़ रखा है देखो पहले।
मैंने गौर किया तो देखा यह रात वाला ब्लैंकेट नहीं है तो मेरा ओढ़ा हुआ कहा है? आसपास देखा, फिर बेड के पास नीचे बाजू में देखा तो ब्लैंकेट नीचे गिरा हुआ था। मै माथा पीटते हुए कहती हुं- सोरी।
अवि- बुरी तरह पिट डाला और सोरी?
मै- गलती आपकी ही है। आप क्यो यहां पर सोए?
अवि- वाह! तुम लड़कियां कभी भी अपनी गलती मानती हो के नहीं?
मै बेड से नीचे उतरती हूं बाहर जाने के लिए दरवाजे के पास पहुंचते ही अवि मेरा हाथ पीछे से पकड़कर अपनी और खींचते हुए कहते है- गुड मॉर्निंग किस तो देती जाओ।
मै- शादी करलो बाद में दूंगी।
इतना कहकर हाथ छुड़ाकर निशु के कमरे में जाती हुं। वहा जाकर देखती हूं तो रवि भाई सोफे पर सोए है और निशु बेड पर। बिचारे मेरे भाई को देखो कितना शरीफ है और एक इन्हें देखो, बाजू में आ गए।? यह दोनों देर रात तक जगे लगते है अभी नहीं उठती हुं।
में अपना बैग लेकर गेस्ट रूम में नहाने चली जाती हु। नहा धोकर रेडी होकर नीचे जाती हु। अवि नीचे बैठकर न्यूज पेपर पढ़ रहे थे। घर के नौकर आ चुके थे। महाराज भी आकर ब्रेकफास्ट रेडी कर रहे थे। मुझे आता देख अवि ने न्यूज पेपर मेरी और बढ़ा दिया। मैंने सोचा खाली बैठा देख यह मेरा दिमाग खाएंगे उस से बहेतर है कि मै न्यूज पेपर ही read करू। मै ड्रॉइंगरूम में उनके सामने के सोफ़ा पर ही बैठ गई। बाजू में बैठना भी मेरे लिए खतरा ही है।
आधे घंटे बाद निशु और रवि भाई भी नीचे आ गए। मेरे सिवा सबका नहाना बाकी ही था। उतने में महाराज आकर कह गए ब्रेकफास्ट रेडी हो गया है कहे तो टेबल पर लगा दु? निशु ने उन्हें टेबल पर सब ब्रेकफास्ट रख दे फिर बुलाने को कहा।
मै- आप लोगो ने ब्रश किया या ऐसे ही आ गए? अगर नहीं किया तो पहले करके आओ। मेरे सामने ऐसे ही मत बैठना।
निशु- पता है मेरी मां तुझे पसंद नहीं। तेरे भाई ने पकड़कर जबरदस्ती मुझे बाथरूम में धकेल दिया। नींद भी पूरी नहीं करने दी ?।
रवि भाई- ओ लेडी कुंभकर्ण, नौ कबके बज चुके है और कितना सोना था?
निशु- छुट्टी के दिन तो आराम करने दो।
अवि- निशु, यह दोनों भाई बहन एक जैसे ही है। दूसरों की नींद खराब करने मै माहिर।
मै- चलिए चलिए कुछ भी मत बोलिए।
रवि भाई- आप सब की परमीशन मिले तो ब्रेकफास्ट करले?
हम सब डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट करने बैठ गए। महाराज ने आलू के परांठे बहुत ही अच्छे बनाए थे। और साथ मै अदरक वाली गरमा गरम चाय। मजा ही आ गया बाय गोड।
मै- महाराज ने चाय बिल्कुल हमारे घर जैसी बनाई है।
मै- भुक्कड़ दिखती हूं क्या मै?
अवि- रात चाईनीज खाते वक्त तो ऐसा ही लग रहा था।
मै खड़ी होकर उन्हे मारने दौड़ती हुं तो वह भी मुजसे बचने भागने लगते है। पूरे घर में मुझे दौड़ा रहे थे।
मै- लगता है आज पूरा दिन आप मेरे हाथ से मार खाने वाले है।
अवि नीचे अंकल आंटी के रूम में भागकर चले गए तो मै भी पीछे चली गई। मेरे अंदर जाते ही वह दरवाजा खाली बंद कर देते है। मै उनके पिछे भागते भागते कहती हुं- यह क्या कर रहे है? वह दोनों क्या सोचेंगे?
अवि- सोचने दो जो सोचना है वह। मुझे क्या फर्क पड़ता है?
मै- हां, बेशर्मो को कहा फर्क पड़ता है।
अवि- क्या? में और बेशर्म? तु रुक अभी बेशर्म कहा है तो बेशर्मी भी देख ही ले।
अब वह मेरे पीछे भागने लगे। मै दरवाजा खोलकर चिल्लाते हुए बाहर आती हुं- निशु, भैया बचाओओ...। वह दोनों हम दोनों को देखकर हंस रहे थे। मै उनसे बचने के लिए ऊपर भागने लगी। वह भी मेरे पीछे ऊपर आने लगे।
अवि और पाखि को देखकर नीचे बैठे रवि निशु से बोला- ये दोनों एक दूसरे के साथ कितने अच्छे लगते है।
रवि- यही के यह दोनों अच्छे लग रहे है साथ में।
निशु- तब तो मजा आ जाएगा। पाखि मेरी भाभी... wow!
रवि- पर एसा होगा तब ना? तु पाखि को जानती तो है।
निशु- हां, वह कभी नहीं मानेगी इसके लिए। बहुत जिद्दी है। तुम बात करोना पाखि से।
रवि- शामत आई हैं क्या मेरी? मार मार के लाल कर देगी मुझे। तु भी मत कहना कुछ वरना शेरनी की तरह टूट पड़ेगी तुज पर।
निशु- नहीं बाबा, मै कुछ नहीं कहूंगी। कहना तो दूर में सोचूंगी भी नहीं। अपनी अच्छी वाली फ्रेंड को खोना नहीं चाहती।
ऊपर मै निशु के रूम मै चली जाती हुं और दरवाजा बंद करती हूं तो अवि बिच में ही अपना हाथ रखकर दरवाजा बंद होने से रोक लेते है।
मै- अवि plz मुझ से दूर ही रहना वरना...।
अवि- वरना क्या हं, वरना क्या..? आज तुम्हे अपनी बेशर्मी दिखाऊंगा ही।
उनसे बचने इधर उधर भागने में पैर में मोच आ जाती है और मै गिर पड़ती हुं। दर्द से मेरे मुंह से आह निकल जाती है और मै रोने लगती हु?। अवि जल्दी से मेरे पास आते है और मेरा पैर देखने लगते है।
मै उन पर चिल्लाते हुए अपना पैर उनके हाथो से छुड़ाते हुए कहती हुं- यह आप ही के कारण हुआ है। ना आप पीछे भागते ना मैर गिरती।?
अवि- I m sorry पाखि मेरे कारण तुम्हे चोट आई। अपना पैर दिखाओ मुझे plz।
मेरे पैर न दिखने से वह अपने आप ही मेरा पैर हाथ में लेकर देखने लगते है।
अवि- थोड़ी मोच अाई है मै मुव का स्प्रे लगा देता हुं, आराम मिलेगा तुम्हे।
मै दर्द के कारण कुछ बोल नहीं पाती। पर मुझे अवि पर गुस्सा बहुत आ रहा है। अवि ने मूव लगाया और धीरे धीरे मसाज करने लगे। फिर उन्होंने मुझे उठकर बेड पर बैठाया। फिर मेरे पैर में हल्के हाथों मसाज करने लगे। मैंने गुस्से से पैर पर से उनके हाथ हटाए और वहां से जाने के लिए कहा।
अवि- तुम गुस्सा बहोत करती हो पाखि। थोड़ी देर शांत नहीं रह सकती।
मै- मुझे गुस्सा आपको देखकर ही आता है।?
अवि- ठीक है तो मै अब तेरे सामने मास्क पहनकर ही आऊंगा, ताकि तुम्हे गुस्सा ना आए।
मै- आप सुधरेंगे नहीं? कोई कहेगा आप डॉक्टर बनने वाले है?
अवि- मै बिगड़ा ही कब था जो सुधरू?? और डॉक्टर इंसान नहीं होते? उनकी अपनी भी एक लाइफ होती है मैडम।
मै गुस्से से उन्हे देखती हुं तो उठकर मेरे होंठो पर चूम के चले जाते है यह कहकर कि रवि और निशु को बुलाकर आता हूं।
मै गुस्से से उन पर पास में पड़ा तकिया फेंक देती हुं।
कुछ देर बाद रवि भाई और निशु ऊपर आते है। अवि अपने रूम में नहाने चले गए थे।
रवि भाई- क्या हुआ? कैसे गिर गई?? बता तेरा पैर।
मै- अवि से बचने में पैर में मोच आ गई और गिर पड़ी। अवि ने मूव स्प्रे लगा दिया है तो दर्द कुछ देर कम हुआ है।
निशु- अरे यार हम तो मूवी देखने का प्लान बना रहे थे। अब कैसे जाएंगे।
मै- तुम लोग जाओ न मै घर चली जाती हुं।
निशु- नहीं तेरे बगैर नहीं जाना।
मै- रवि भाई समझाओ इसे। तुम दोनों जाओ और उस खड़ूस को मत ले जाना।
निशु हंस ने लगती है। रवि भाई कहते है जाएंगे तो चारों साथ मै जाएंगे। एक काम करते है ना हम रिक लाइनर वाली सीट ले लेते है तो तेरे पैर को भी आराम मिलेगा।
निशु- ये हुई ना बात। रवि चल तु ऑनलाइन टिकट्स बुक करले।
निशु- कैप्टन मार्वेल बुक कराले, अच्छी मूवी है।
रवि भाई निशु को चिड़ाते हुए- तुझे इंग्लिश पता चलेगी ना।
निशु गुस्से से एक मुक्क लगा देती है।?
रवि- अच्छा चल पहले नहा धोकर फ्रेश हो जाते है। मै टिकट्स बुक कर देता हुं। अवि को मत बताना पहले से वरना मना कर देगा पढ़ाकू कहीं का।
मैंने सोचा तब तो मै जरूर बताऊंगी। सिर दर्द को साथ नहीं लेना है। निशु बाथरूम मै चली जाती है। रवि भाई निशु के जाते ही पूछते है- अवि ने रात में परेशान तो नहीं किया?
मै सोचने लगी कि रात क्या हुई थी मेरी हालत बताऊं या नहीं। फिर सोचा बता ही देती हुं उनसे क्या छुपाना। वहीं तो है जो मेरा हर राज़ जानते है। मैने रात मै जो कुछ भी हुआ सब बता दिया।
रवि भाई- वो तुझे अपने रूम में ले गया। यह नालायक सुधरेगा नहीं। पाखि एक बात पूछूं?
मै- आप परमीशन मत लीजिए जो पूछना है पूछिए।
रवि भाई- सच बताना क्या तुझे अवि पसंद नहीं है?
मै- भैया धीरे बोलिए, यह निशु का रूम है। सुन लेगी सब।
रवि भाई- शावर चालू है अंदर कुछ सुनाई नहीं देगा। तु बताना अवि तुझे पसंद है या नहीं?
मै- मै सच में नहीं जानती के वो मुझे पसंद है या नहीं। मैंने कल भी कहा था आप मुझसे शादी करले तो कहते है मेरे प्रैक्टिस एक बार शुरू हो जाए बाद में करेंगे। शादी ना सही पर सगाई तो कर ही सकते है ना।
रवि भाई- वैसे उसकी बात भी सही है। पढ़ते पढ़ते कौन शादी करेगा। क्या तेरे लिए कोई रिश्ता आए तो तु अभी शादी कर लेगी?
रवि भाई- तो फिर अवि कहा गलत है। देख तेरा भविष्य उसके साथ सिक्योर है। वो तुझे बेहद चाहता भी है और इससे आगे क्या चाहिए तुझे। अंकल आंटी को भी तु जानती है। दिल के कितने अच्छे है। तूने देखा कभी उन लोगो को घमंड करते हुए?
रवि भाई- तो फिर..। एक मौका देकर तो देखो उसे।
मै- मैंने कब मना किया है? एक बात बताऊं जो आपके और मेरे बीच ही रहेगी। अगर किसीको बताया तो आपको मेरी कसम है।
रवि भाई- तेरी बात मै कभी टाल सकता हुं? वचन देता हु किसिसे कुछ नहीं कहूगा। बोल अब..
मै- मैं अभी भी स्योर नहीं हूं के अवि मुझे पसंद है या नहीं पर शादी के लिए मै उनका इंतजार जरूर करूंगी। अगर वह सच्चा प्यार करते है तो मेरा हाथ मांगने अपने घरवालों को जरुर भेजेंगे मेरे घर।
रवि भाई- ये हुई न बात। सच कहूं तो मै भी चाहता हूं तुम दोनों एक हो जाओ।
मै- पर शादी के बाद ?। और खबरदार किसी को कुछ कहा तो।
रवि भाई मेरे दोनों गाल खींचते है और कहते है- मेरी बहन को मै कभी परेशान होते हुए देख सकता हुं क्या? पगली कही की।
रवि भाई भी नहाने चले जाते है। मै बेड पर ही आराम करते हुए अपना वॉट्सएप चैक करने लगती हुं। सब फ्रेंड्स के गुड मॉर्निंग मैसेजेस आए हुए थे। पर ये किसका नंबर है? देखू जरा मेसेज क्या है। उस नंबर पर मेसेज पढ़ती हूं तो कोई शायरी लिखी थी। वैसे मुझे शायरी नहीं पसंद है पर जो शायरी लिखी
कि दीवानगी की हद को पार कर दुं
लगता है गूगल से उठाई है। चल जो भी हो शायद गलती से भेज दी है किसीने। इतने मै निशु नहाकर बाहर आती है।
मै- कितनी देर लगा दी नहाने में, सो गई थी क्या अंदर?
निशु- अरे कभी सन्डे के नहाने का मजा लेती है या नहीं? सन्डे ही तो मजा आता है नहाने का। अच्छा यह बता रवि ने मूवी टिकट्स बुक कराए?
मै- करवा ही दी होगी अबतक। चल तैयार हो जा फिर नीचे बैठते है साथ मै।
हम दोनों बाहर निकले तो रवि भाई भी साथ में हो लिए।
रवि भाई- पाखि, तेरे पैर में अब दर्द कैसा है?
मै- अभी भी दर्द तो हो रहा है। चलने में मुश्किल पड़ रही है।
निशु- रवि, तुने बुकिंग करवा ली ना?
रवि भाई- हां बाबा, करवाली है। तीन बजे का शो है।
मै- तीन बजे? तब तो शाम हो जाएगी। मुझे घर पर बताना पड़ेगा अभी। हा पर में डिनर तक नहीं रुकूंगी। मूवी खत्म होने के बाद आप मुझे सीधे घर ही छोड़ देना।
रवि भाई- हां, छोड़ दूंगा घर और दूसरे टाइम में अच्छी सिट्स नहीं मिल रही थी तो यही टाइम पर बुक करावाई।
निशु- चल अभी नीचे जाकर गप्पे लड़ते है कुछ देर। महाराज को दोपहर का खाना बनाने के लिए कह दिया है अवि भाई ने।
मै- अपनी पसंद का कुछ सड़ा हुआ ही बनवाने को बोला होगा।
हम जब नीचे पहुंचे तब अवि हमसे पहले नीचे आके बैठे हुए थे। हम सब भी वही बैठ के टीवी देखने लगे। रवि भाई और निशु आपस में खुसुर फुसुर कर रहे थे। अवि उनको कहते है- रात कम पड़ गई क्या बात करने के लिए? कितनी बाते करोगे?
निशु- भैया आपको क्या पता कितनी बाते होती है कहने सुनने के लिए। आपको प्यार होता तो पता चलता।
मै, अवि और रवि भाई एक दूसरे को देखते है। इस बेचारी को क्या पता उसका भाई कितना खुराफाती है। कभी मन करता है निशु को सब बता दूं। पर उसके भाई की वजह से हमारी फ्रैंडशिप में कोई दरार आए ये मै नहीं चाहती। निशु फ्रेंड की तरह अच्छी है पर मुझे उसके भाई के साथ...। शायद ऐक्सेप्ट ना भी करे। हे भगवान! इस लड़के ने मेरे दिमाग का दही बना दिया है, कितना सोचती हूं मै!
मेरे पैर में दर्द के कारण सोफे पर पैर रखा तो एक छोटी सी आह निकल गई मुंह से। रवि भाई तुरंत मेरे पास आकर पैर देखने लगे।
रवि भाई- पैर की सुजन बढ़ गई है पाखि। तुझे दर्द कम नहीं हुआ अबतक?
मै- नहीं भैया, दर्द में कोई फर्क नहीं है। पैर अब हिलाने से भी दर्द कर रहा है।
अवि भी मेरे पास आकर पैर इधर उधर घुमा के चैक करने लगे।
मै- अवि मुझे दर्द हो रहा है, ऐसे मत पैर को घुमाएं।
निशु- orthopedic के पास चलते है।
रवि भाई- आज सन्डे है। कौन सा हॉस्पिटल खुला होगा।
अवि- अपना क्लासमेट है ना हारून शैख, उसके पापा ऑर्थोपेडिक डॉक्टर है। उसे फोन करके देखे? मेरे पास नंबर है उसका।
अवि हारून को कॉल करके सब बताता है। अगर अंकल एक बार देख ले तो।
हारून- अरे ये भी कोई पूछने की बात है? अस्पताल के पीछे ही मेरा घर है। मैं तुम्हे ऐड्रेस सेंड कर देता हु तुम लोग आ जाओ, अब्बू घर पर ही है मै बात कर लेता हुं।
हम सब हारून के बताए ऐड्रेस पर पहुंचते है। हॉस्पिटल में हारून और उसके अब्बू आ गए थे। हम उनकी केबिन में गए। अंकल ने मेरा पैर देखा ओर कहा- शायद हैर लाइन फ्रेक्चर ना हो। एक x-ray निकाल लेते है, उसके लिए बाहर नहीं जाना है यही पर सुविधा है इसकी। x-ray निकाल ने पर यही निदान आया। अंकल ने फिर प्लास्टर लगा दिया और पंद्रह दिन बाद बताने को बोला। जब अवि उनको फीस देने लगे तो अंकल बोले- अरे तुम भी तो मेरे बच्चे की तरह हो तुम्हारी फिस लूंगा तो ये हारून मेरा जीना हराम कर देगा।?
उनकी बात पे सब ठहाके लगाने लगे।
निशु अवि के कान मै कहती है- अंकल तो बिल्कुल अपने पापा की तरह ही बोलते है।
हम सब हारून का शुक्रिया अदा करके कार मै बैठ गए। मैंने बैठते ही कहा के अब ऐसे पैर के साथ मै मूवी देखने नहीं आऊंगी। आप मुझे घर ही छोड़ दे।
रवि भाई- पाखि मैने रिक लाइनर सीट ही बुक करवाई है तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी। अब तो चलेगी ना?
मै- ठीक है। पर घर पर बता दूं अपने पैर के बारे में।
रवि भाई- अभी कहा बताएगी, चिंता करेंगे वह सब। घर जाएगी तो पता वैसे भी चल ही जाएगा।
निशु- अच्छा चलो घर चलते है, वैसे भी साढ़े बारह हुए है। लंच के बाद तु थोड़ा आराम कर लेना।
हम निशु के घर आए। कुछ वक्त तक बाते की ओर कुछ cases डिस्कस किए। जो आगे जाके मुझे ओर निशु को हेल्प करने वाले थे। हम वैसे तो सब नोट्स अवि के ही use करते है पढ़ने में। इससे काफी हेल्प मिल जाती है हमें। लंच के बाद कुछ देर आराम कर के हम मूवी के लिए निकले। मैंने अपना बैग पहले से ही के लिए था ताकि बाद में सीधे घर जा सकू।