Love aajkal - last part in Hindi Love Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | लव आजकल - लास्ट पार्ट

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लव आजकल - लास्ट पार्ट

घर आने के बाद में उसे घर में बने ऑफिस में ले आया,जो मैंने पहले से ही सजा रखा था, मेज़ पर केक रखा था! और गिफ्ट्स रखे थे,हमने कुछ केक खाया कुछ एक दूसरे के फेस पर लगाया,ज़ोहा ने कहा मुझे उम्मीद नही थी के तुम एक महीना पहले मेरा बर्थडे सेलिब्रेट करोगे। तुम बहुत अच्छे हो जुनैद प्लीज ऐसे ही रहना।और फिर उसने हग कर लिया। उसका अपना पन मेरे प्यार के लिए ऐसा था जेसे आग में घी। मेने भी हग को टाइटली करते हुए कहा बिलकुल मेरी जान में मौसम नही जो बदल जाऊँ। अब गिफ्ट्स तो खोल लो। गिफ्ट्स ज़ोहा को बहुत पसंद आये।।फिर उसने कहा में भी कुछ लायी हूँ तुम्हारे लिए।और उसने स्कूल बैग से एक स्केच निकाला। जिस पर वो और में स्कूटी पर बैठे हुए बने हुए थे।।ज़ोहा इस बार भी बाज़ी मार के ले गयी। मेरे सारे गिफ्ट्स उसके एक गिफ्ट के आगे फीके पड़ गए। खेर एक हफ्ते बाद माँ पापा भी घूम के आ गए। और मेरे लिए एक तूफानी खबर साथ लाये। माँ ने बड़े प्यार से पास बिठा कर कहा के हम तेरा रिश्ता जयपुर में पक्का कर आये हैं। मेरे तो जैसे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी।(और साहेब आशिक़ की तब हवा खराब नही होती जब उसकी लैला की शादी होती है..आशिक़ की तब हवा खराब होती है जब उसकी खुद की शादी होती है)। लेकिन अम्मी क्यों ? इतनी जल्दी क्यों? अम्मी ने कहा बहुत प्यारी लड़की है। हम ज़बान दे चुके हैं। अगर उन लोगो को तू पसंद आ गया तो बात फाइनल समझ।। मैने कहा लेकिन अम्मी मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी। पर माँ तो माँ होती है। इमोशनल ब्लैक मेल शुरू ।फिर माँ बाप के आगे लड़के ऐसे होते है जैसे नाँद के बैल।अम्मी को ज़ोहा के बारे में भी नही बता सकता था।क्योंकि ज़ोहा की शादी में कम से कम ६ साल थे अभी। और अम्मी एक दो साल से ज़्यादा रुकने वाली नहीं थी।।एक्सप्रेस की तरह दौड़ने वाला दिमाग एक दम से पेस्संजर बन गया।ज़ोहा को सारी बात बताई के शायद कुछ हल निकल आये।पर ज़ोहा ने तो उल्टा मुझसे ही पूछ लिया अब क्या करोगे? मजबूरन मुझे ज़ोहा को ये कहना पड़ा" में दो नाव में सवारी नही कर सकता ।तुमको धोखे में भी नही रख सकता। बेहतर ये होगा के हम लोग ब्रेकअप कर ले" इतना सुनते ही ज़ोहा ने कॉल पर ही फूट फूट के रोना शुरू कर दिया।उस दिन खुद पर बहुत गुस्सा आया। इतनी मासूम लड़की का दिल दुखाया मेने।आत्म गलिन की वजह से रात में भी नींद नही आयी। पूरा हफ्ता ऐसे ही गुज़र गया। ८वे दिन ज़ोहा की फ़्रेंड उमैमा की कॉल आयी। उसने कहा जीजू ज़ोहा की मम्मा ने आपके और ज़ोहा के फोटोज़ देख लिए हैं। आप उसको सब जगह से ब्लॉक कर दो और अपना न० दो तीन दिन के लिए बंद कर दो।ज़ोहा ने मुझसे ये सब आपको बताने के लिए कहा है।ये तो बिलकुल यूं हुआ के सर मुंढाते ही ओले पड़ गए। अब मेरा दिमाग और ज़्यादा परेशान हो गया।अगले दिन स्कूल पर काफी देर तक खड़ा रहा पर ज़ोहा स्कूल नही आयी। दो दिन ऐसे ही बीत गए। तीसरे दिन ज़ोहा को देखा तो उसके लम्बे काले रेशमी बाल कट चुके थे। और बॉय कट बालो में वो स्कूल ड्रेस में स्कूल से घर रिक्शा में माँ के साथ जा रही थी।।उस वक़्त का अफ़सोस किसी ज़बान के लफ़्ज़ों में बयां नही किया जा सकता।में समझ गया था ज़ोहा कि माँ ने मेरी वजह से बाल काट दिए है उसके।मेने सोच लिया बस बहुत हुआ।सारी क़ुरबानी क्या ज़ोहा ही देती रहेगी।क्या उसी ने मोहब्बत की थी।।मेने घर जाकर कहा मुझे शादी नही करनी है। मुझे कोई और पसंद है। दिल में जो बिजली थी वो घर वालो पर टूट पड़ी । माँ ने लाख समझाया।पर ज़ोहा के बालो के आगे माँ के इमोशनल ब्लैक मेल वाली एक बात न चली।माँ ने थक कर कहा चल ठीक है। आज वो लोग आ रहे है देखने तुझे। उसके बाद बात करेंगे क्या करना है। उसकी तस्वीर लगा कर अपनी तस्वीर के साथ मेने एक उम्र गुज़ारी तदबीर के साथ। उस दिन में सारा दिन ज़ोहा की पिक्स देखता रहा।जिनमे वो लहराते हुये खूबसूरत बालो के साथ थी। आखिरकार लड़की वाले भी आ गये। मेने न तो उनसे ढंग से बात की न उन लोगों को टाइम दिया। आखिरकार अल्लाह नियतो पर फैसला करता है। उन लोगो ने खुद ही मुझे रिजेक्ट कर दिया। अब बस किसी तरह ज़ोहा से बात करनी थी। दो महीने ज़ोहा के पावंदी में बीत गए। और ये दो महीने मुझ पर ऐसे बीते जैसे काले पानी की सज़ा सुना दी गयी हो। हर दिन अफसोस में गुज़रता।हर रात करवटों में। आखिरकार ज़ोहा किसी तरह व्हाट्स एप पर ऑनलाइन आयी।

व्हाट्स एप्प चैट

जुनैद- मुझे माफ़ कर दो ज़ोहा ।में तुम्हारा गुनहगार हूँ। मेरे पास तो अल्फ़ाज़ भी नही के किन अल्फाज़ो में तुमसे माफ़ी माँगू।

ज़ोहा- छोड़ो जुनैद। अब इस सब से क्या फायदा। तुम शादी करो और खुश रहो उस जयपुर वाली के साथ।में अब तुमसे बहुत दूर जा चुकी हूँ। कहा ढूंढोगे मुझे ?

जुनैद- चलो तो में ढूंढना शुरू करता हूँ। ज़ोहा अगर एक परसेंट भी चांस हे तो भी में ढूंढूंगा।

ज़ोहा- शुरू कहाँ से करोगे?

जुनैद-मम्म्म अपनी अलमारी की दराज़ से..

पहले उसे लिफाफों में बंद कार्ड में ढूंढूंगा ..

उस कार्ड में छुपी मेहनत और प्यार में ढूंढूंगा.

फिर उसे पेंसिल के छिलके से बने गुलाब में ढूंढूंगा..

फिर दोस्त के फ्लैट के बिस्तरों की सिलवटों में ढूंढूंगा..

फिर उस फ्लैट के घर से बहते पानी में ढूंढूंगा.

फिर सुकून के लम्हो में टिक टिक करती घड़ी में ढूंढूंगा..

उस पंखे की चर चर में ढूंढूंगा...

फिर उस बाइक की गद्दी पे ढूंढूंगा जिस पर कभी वो चिपक कर बैठा करती थी..

फिर लिम एपल पर बरसती बूंदो में ढूंढूंगा.

उस रोड की गाड़ियों की भीड़ में ढूंढूंगा..

फिर भी न मिली तो स्कूल के सामने बुरखे में ढूंढूंगा..

वहाँ भी न मिली तो चाँदी के छल्ले में ढूंढूंगा..

और वहाँ भी न मिली तो अपने घर के ऑफिस की खुशबु में ढूंढूंगा..

उस सोफ़े पर ढूंढूंगा जिस पर वो सीने से लगी लेटी थी ..

और वहाँ भी न मिली तो सीने में धड़कते उस दिल में ढूंढूंगा जिस पर उसका मासूम सर रखा था..

उस दिल में ज़रूर मिल जायेगी ...

ज़ोहा- कितना कुछ याद है तुमको :-0

जुनैद- भुला ही क्या हूँ..सिवाये खुद के । हाँ मुझे ये भी याद है उस दिन तुम्हारे स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थी। और तुम जल्दी छुट्टी लेकर मुझसे मिलने रेस्तरॉ आयी थी। उस दिन भी बादल आज ही की तरह मस्ती में था और हलके हलके मोतियों की बौछार कर रहा था। तुम्हारी बड़ी बड़ी पलकों पर वो मोती बेहद खूबसूरत लग रहे थे। और तुमको देख के में बस इतना कह पाया था। लॉन्ग ड्राइव पर चले।। और तुम ने हां में सर हिलाया और मेरी दोस्त से उधार ली हुई स्कूटी पर बैठ गयी थी।। मौसम खुशगवार था। और उस पर ठंडी ठण्डी बूंदो के बीच तुम्हारी सांसो की गर्माहट। उस दिन इत्तेफ़ाक़ की मुलाकात की वजह से में तुम्हारे लिए कुछ ला नही पाया था।। सिवाये उस गुलाब के जो तुमने आज तक बेहद सम्भाल के रखा है।।में जानता हूँ अब इस सब का कोई मतलब नही।। लेकिन बस इस बारिश ने फिर से पुरानी यादें ज़िंदा कर दी।

ज़ोहा- अब कोई फायदा नही जुनैद।इंतज़ार करना बेकार है।अल्लाह हाफिज़ ।

जुनैद- मोहब्बत ज़िद्दी हे.. आखरी सांस. आखरी धड़कन.आखरी पल तक इंतज़ार कर सकती है... और कभी कभी उस के बाद भी।।अल्लाह हाफ़िज़ ......

किन किन राफ़ाक़तों के दिए वास्ते -

उसको न याद आयीं पुरानी मोहब्बतें

जब कही से यार को मनाने की कोई सूरत नज़र नही आयी तो थक हार के ज़ोहा की कजिन को व्हाट्स एप मैसेज किया ....

व्हाट्स एप चैट

जुनैद- हेल्लो डिअर । मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए । प्लीज यार ज़ोहा को समझाओ न के वो मुझे माफ़ कर दे।

रिदा- किस बात के लिए भाई ?

जुनैद- सब बातों के लिए। पहले ब्रेकअप किया।।फिर मेरी वजह से उसके बाल कटे।फिर मम्मी से पिटाई भी हुई उसकी।उस पर पवंदिया लगी।इन्सल्ट हुई। और जितने भी उसको दुःख हुये मेरी तरफ से उस सब के लिए माफ़ कर दे मुझे।

रिदा- भाई ब्रेकअप तक तो ठीक है। लेकिन बाल उसके आपकी वजह से नही कटे ।।

जुनैद- क्या ? फिर किस वजह से कटे ?

रिदा- रज़ि अकरम की वजह से।स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थी। ज़ोहा की मम्मी स्कूल में थी और ज़ोहा स्कूल के गेट पर रज़ि से मिल रही थी। रज़ि ने ज़ोहा को वॉच भी दी।।वॉच देते वक़्त ज़ोहा की मम्मी ने दूर से देख लिया था।घर जाकर इसी बात पर ज़ोहा की डांट लगी।आपके फोटोज़ और चैट तो वो डिलीट कर चुकी थी।रज़ि की चैट उसकी मम्मी ने पढ़ ली।और चैट पढ़ के उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने ज़ोहा को मारा तो ज़ोहा उनसे आर्गुमेंट करने लगी। इसी बात पर ज़ोहा की मम्मी ने बाल काट दिए। के न तेरे बाल होंगे और न तू किसी लड़के से बात करेगी।लेकिन ज़ोहा का अब भी रज़ि से अफेयर चल रहा है। और अब इसकी मम्मी ने तब्यत ख़राब की वजह से साथ आना बंद कर दिया है। अब आप देख लेना किसी भी दिन ये आपको घण्टा गोल करते हुऐ मिल सकती है।।

जुनैद- लेकिन उमैमा ने मुझे ये बताया था के मेरे फोटोज़ देखे हैं उस की मम्मी ने।

रिदा- हाँ । में जानती हूँ।ज़ोहा ने एक तीर से दो निशाने खेले। एक तो उसने आपके दिल में अफ़सोस पैदा कर दिया। दूसरा उसने आपको एक्स्ट्रा में रख लिया था। जब रज़ि से ब्रेकअप होता तो वो फिर आपको माफ़ कर देती। आप उसको मत बताना के में आपको सब बता चुकी हूँ। भाई मानती हूँ इसी लिए सब बता दिया

जुनैद- ................. अल्लाह हाफ़िज़..

और हुआ भी ऐसा ही। अगले ५ महीनों के दौरान मेने ज़ोहा को ३ बार स्कूल का घण्टा गोल करते हुए देख लिया।। आधे साल के बाद हफ़सा से बात हुई तो पता लगा रज़ि को भी छोड़ दिया है। और अब किसी बिलाल के साथ वही सब कसमे वादे हो रहे हैं।फिर दिल बहलाने को उन्होंने खिलौना दूसरा ढून्ढ लिया है।