Achchaiyan - 32 in Hindi Fiction Stories by Dr Vishnu Prajapati books and stories PDF | अच्छाईयां – ३२

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अच्छाईयां – ३२

भाग – ३२

काली घनी रात में इन्स्पेक्टर तेजधार अपनी वर्दी का खौफ दिखा रहा था | वो सूरज को डराना चाहता था |

सूरज को तेजधार पे गुस्सा आ रहा था मगर वो चुप बैठा था | तेजधारने उस खँडहर के कुछ दूरी पे जीप रोकी और पेशाब करने नीचे गया | सूरज को याद आया की ये वही जगह है जहाँ उसकी बच्चू के आदमी के साथ हाथापाई हुई थी और वो मारा गया था | तेजधारने भी उस बात का अभी कुछ देर पहले ही जिक्र किया था |

क्या तेजधार वो सच जानता होगा ?

वो आखिर मुझे इस रास्ते पर ही क्यों ले जा रहा है ?

उसने उस ट्रकवाले से जो बदतमीजी की उससे तो लगा की वो मुझे डराना ही चाहता है...!

सूरज का दिमाग अब तेजधार के दिमाग से भी ज्यादा तेजी से दौड़ने लगा | मेरे पास अब दो रास्ते है….. एक तेजधार की बात मान लू और वो कहे वैसा करू या आज फैंसला कर दू की मैं तुम्हारा कोई काम करना नहीं चाहता...!

तभी सूरज के दिमाग में और एक ख्याल आया की यदी मैं उसकी बात नहीं मानूंगा तो मुझे मुस्ताक या सुलेमान के बारे में वो कभी कुछ नहीं बतायेगा, मुझे श्रीधर और गुलशन की मौत के बारे में भी कुछ तो जानना है...!

तभी तेजधार वापिश आया और बोला, ‘ तुझे सू सू नहीं आती है क्या ? मेरी तो **** रुकती ही नहीं...!’

‘सुगर चेक करवा लो...या प्रोस्टेट भी... इस उम्र में तो.... !’ सूरजने उसके गीले पेंट की और देखकर कहा |

शायद उसे सूरज की बात पसंद नहीं आई इसलिए कुछ देर घूरने लगा और जीप स्टार्ट की और बोला, ‘ आगे एक होटल है, वहां से तुम्हे कुछ ड्रग्स के पेकेट दूंगा वो तुम्हे इस शहर के इस इस हिस्से में पहुँचाने है |’ इतना कहकर तेजधारने एक चीठ्ठी सूरज को दी |

सूरजने सभी जगह के नाम पढ़ लिये और बोला, ‘तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है की मैं ये काम करूँगा ?’

तेजधार चुप था | उसने कोई जवाब नहीं दिया मगर उसने जीप के आगे के भाग से कुछ रुपये निकाले और सूरज को दिए और कहा, ‘देख हर काम का एक दाम मिलेगा...!

सूरज उसकी इस हरकत पे हंसने लगा और बोला, ‘ तुम्हे क्या लगता है की तेरे इतने पैसो के लिए मैं तेरा ये काम करूँगा ?’

तेजधार को अब गुस्सा आया और बोला, ‘तुझे पैसे नहीं चाहिए क्या ? और ये कम नहीं है, काम के हिसाब से बराबर है...!’

‘इससे तीन गुने ज्यादा पैसे मैं तुझे दूंगा... बोल तु मेरा काम करेगा ?’ सूरजने सही समय पे तेजधार को वापिस जवाब दिया तो तेजधार उसे घूरने लगा |

तेजधार कीसी से इस तरह की बात सुनने का आदी नहीं था इसलिए उसे ओर गुस्सा आया और चिल्लाया, ‘तुझे मालूम नहीं की तुम किससे बात कर रहे हो, तेरी हैसियत नहीं है मुजसे सौदा करने की...!’

‘आज मैं तेरे साथ एक सौदा करता हूँ और मेरी हैसियत दिखा दूंगा.....!’ सूरजने ऐसे कहा तो तेजधारने जीप रोक दी |

‘कैसा सौदा? और क्या है तेरे पास...?’

‘मैं तुझे भी खरीद शकता हूँ... दस करोड़ की एक डील तुझे मंजूर हो तो मैं बताऊ...!’

‘दस करोड़....!! मुझे ******* बना रहा है ?’ वो गुस्से से और पागल हो रहा था |

‘हा...दस करोड़ मैं तुझे दूंगा... डी.के. को मारने के लिए....और दूसरे दस करोड़ तुम्हे इसलिए की तुम मुझे एक सच बताओ...!’ सूरज विश्वास से ऐसे बोला की तेजधार उसकी आंखोमे देखने लगा |

‘तु हद से बहार जा रहा है और तु जनता है ये डी.के. कौन है ?’ तेजधार सूरज के मुंह से डी.के को मारने की बात सुनकर चौंक गया था |

‘हाँ... मगर तु ये नहीं जानता होगा की वो डी.के. तुम्हारे इस शहर में है..!’ सूरज अब तेजधार को भी सोचने में मजबूर कर रहा था |

‘क्या बात कर रहे हो ? वो इस शहर में है और मुझे पता नहीं....? और वो क्यूँ यहाँ आएगा ?’ तेजधार अब सूरज की साजिस में फंसने लगा था |

‘मुझे ढूंढने और मेरे पास जो करोडो का माल है उसको लेने के लिए....! यदी तुम्हे यकीन नहीं आ रहा है तो तुम सुलेमान से भी पूछ शकते हो...!’

‘क्या सुलेमान जानता है की डी.के. इस शहर में है ?’ अब तेजधार के लिए दूसरा झटका था |

‘हाँ, सुलेमान ही नहीं मगर मुस्ताक भी जानता है की डी.के. इस शहर में है और वो दोनों कल ही उसे मिले थे...!’ सूरजने अब तेजधार के दिमाग पर कब्ज़ा कर लिया था |

‘वो दोनों मुझे अँधेरे में रखकर डी.के. से मिले और मुझे बताया तक नहीं... ****!! तेजधार गालिया देने लगा | मगर वो थोड़ी देर रुक गया और बाजू में रखी उस आधी दारु की बोतल खोल के एक साथ ज्यादा पीने लगा | शायद नशे के बाद ही वो अपने आप पर कंट्रोल कर पाता था | वो कुछ देर रुका और फिर बोला ‘तु जूठ बोल रहा है....!!’

सूरज अब तेजधार को यकीन दिलाना चाहता था इसलिए कहा, ‘तो अभी ही बात कर लो सुलेमान से.... और हाँ, ध्यान से पूछना तो अभी ही सच पता चल जाएगा... और ये बात झूठ निकली तो ये काम मैं करने के लिए तैयार हूँ...!!’ सूरज भी सही वक्त पे सही शब्द का इस्तेमाल कर रहा था |

तेजधार कुछ सोचने लगा और फोन लगाया |

‘हेल्लो....!! सुलेमान...!’

सामने से आवाज आई तो तेजधारने तुरंत कहा, ‘ अभी ही पूरणसिंग का एक सीक्रेट मेसेज आया है की डी.के. इस शहर में आनेवाला है ?? क्या ये सच है ?’ सूरज भी वो आवाज सुने इसलिए स्पीकर ओन किया |

‘हाँ, ये सच है, मैं तुम्हे बताने ही वाला था की देवराज इस शहर में आ चूका है...!’ सुलेमानने जब ये कहा तो तेजधार को यकीन आया |

‘तो अब तक मुझे बताया क्यूँ नहीं... ****??’ तेजधार अब आग बबूला हो रहा था |

‘अनवर ने ऐसे ही एक मीटिंग बुलाई थी और किसी को कुछ नहीं बताया था...!’ सुलेमान भी अब तेजधार के गुस्से को समझ रहा था |

‘ ***** तुम उसको मिलकर भी आये और मुझे अँधेरे में रखने का तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा ***** और मुझसे ओवरटेक करने का मतलब तो तुम जानते हो सुलेमान....!!’ अब तेजधार अपना गुस्सा सुलेमान पे निकालने लगा |

सुलेमानने भी तेजधार को समजाने के लिए धीरे से कहा, ‘देख, तुम्हे या पुलिस को यदी कुछ भी पता चले तो लफडा हो शकता था इसलिए ये टॉप सीक्रेट था और वो उस सूरज के लिए आया है जिसने ड्रग्स के साथ सालो पहले पकड़ा गया था... उसके पास करोडो का माल है...!!!’ सुलेमानने जब ये बात कही तो तेजधार सूरज के सामने देखने लगा |

‘तु मुझे डी.के. की सारी इन्फोर्मेशन देते रहना और वो अब जिन्दा वापिस जाना नहीं चाहिए...! सालो के बाद हमको उसका नाम इस दुनियासे मिटाने का ये मौका मिला है, तु समझ रहा है मैं क्या कह रहा हूँ...? अब तेजधार गुस्से से नहीं मगर किछ प्लान करने की सोच रहा था |

‘तुम्हे तो पता है की वो कहा जाता है और किससे मिलता है वो केवल अनवर जानता है...!! और हाँ, एक हसीनाखाने की कोठेवाली लड़की भी उसके साथ थी...!’ सुलेमानने ये बात कही तो तेजधार तेजी से सोचने लगा |

‘और बताओ जो भी हुआ था तुम्हारी मीटिंगमें...!’

‘सूरज की तलाश में वो इधर आया है और यदी सूरज हमें मिल जाए तो वो खुद म खुद हमारे पास आएगा...! वो कुछ दिन के बाद इस शहर वापिस आनेवाला है | मुस्ताक ने आज ही मुझे कहा था की सूरज कोलेज आ गया है, हम कल उधर से ही उसे उठा लेंगे और अनवर के जरिए डी.के. के साथ सौदा करेंगे...!’ शायद सुलेमान अब तेजधार को साथ ले के काम करने के लिए प्लान बना रहा था |

‘वो इंतजाम मैं कर दूंगा...!! इसबार तु मुझे कोई भी खबर मिले तो बताते रहना | सूरज पे अब तेजधार की नजर रहेगी और तुम्हारी नजर अनवर और डी.के पर...!’ तेजधार अब फोन रख दिया और कुछ देर सूरज के सामने देखने लगा और फिर बोला, ‘मुझे लगता है की ये सुलेमान या तु कोई बड़ी गेम खेलने जा रहे हो ..!’

सूरजने तेजधार को समजाया, ‘देख, मुझे गेम खेलनी होती तो तुम्हारे साथ क्यु आता और तुम्हे सच क्यूँ बताता ? तुम को तो पैसे से मतलब है, वो मैं तुम्हे दूंगा....मे कहता हु वो करोगे तो तुम्हे अनवर, डी. के और पैसे भी मिलेंगे....!! सुलेमानने भी अभी बताया तो सही की मेरे पास क्या है ? ’

‘मुझे ये बता की यदी तेरे पास करोडो रुपये है तो तु इस शहर में वापिस आया क्यूँ ? तु कही भी छूमंतर हो शकता था...!’ तेजधार अब सच जानना चाहता था |

सूरजने बिना देर लगाये तुरंत कहा, ‘मेरी बेगुनाही साबित करने और एक सच जानने के लिए...!’

‘कौन सा सच...?’

‘मैंने तुमसे पहले ही कहा था की मुझे एक सच बताओ और उसके तुम्हे दस करोड़ ओर मिलेंगे और मुझे पता है की तुम पैसो के लिए कुछ भी कर शकते हो..! सूरज अब तेजधार को अपने वश में करना चाहता था |

‘कौन सा सच...? तुम्हे लगता है की वो मैं जनता हूँ..?’ तेजधार अब बातो में उलझ रहा था |

‘हां, तुम ही जानते हो की श्रीधर और गुलशन का मर्डर किसने किया था ?’ सूरजने जैसे ये प्रश्न पूछा तो तेजधार के चहेरे की लकीरे बदल गई |

‘वो एक्सीडेंट था...!’ जैसे मुस्ताक का रिएक्शन था वैसा ही रिएक्शन तेजधार के चहेरे पे आया था |

‘दस करोड़ रुपये.... कोई मामूली रकम नहीं है.... और मैं भी जनता हूँ की मैं उस छोटे के सच के लिए ज्यादा दाम दे रहा हूँ...! शायद तुम्हे सालो पहले गलत काम के लिए कुछ पैसे मिले थे मगर आज तुम्हे सच के लिए पैसे मिल रहे है |’ सूरजने तेजधार पर फिर दबाव दिया |

‘पैसे कब मिलेंगे....?’ तेजधार अब सूरज की चाल में फंस रहा था |

सूरजने संभालते हुए कहा, ‘अब कुछ दिन बाद संगीत की विश्व प्रतियोगिता होनेवाली है, उसमे मेरी कोलेज फिर से फर्स्ट आयेगी ऐसा मेरा विश्वास है और उस दिन तुम्हे तुम्हारे पैसे भी मिल जायेंगे...! हो शकता है की उसके पहले भी तुम्हे मील जाए... और मुझे पैसो से कोई दिलचश्पी नहीं है |’

‘तेरा विश्वास कैसे रखू ?’

‘देख मैं कोई सबूत नहीं मांग रहा हूँ... मुझे केवल सच ही जानना है की वो एक्सीडेंट कैसे हुआ था और श्रीधर और गुलशन के शिर पर किसने मारा था ?’ सूरज अब समझ चूका था की तेजधार से कैसे बात करनी है |

‘तु मुझसे भी ज्यादा तेज है...!! शिर पर लगी चौट के बारे में तुझे कैसे पता ?’

‘वक्त ने तेज चलना शीखा दिया |’

‘मैं उसकी सच्चाई बताता हूँ, हलाकी वो सच छुपाने के मुझे दस लाख रुपये मिले थे और यदी वो सच आज बहार निकालने से दस करोड़ मिलते है तो मैं तैयार हूँ... और दूसरी बात वो केस पुलिस और कोर्ट की फाइलो में दफन हो चूका है....!!’ तेजधार सूरज से अब नरमी से पेश आ रहा था |

‘मुझे पुलिस और कोर्ट में कोई दिलचश्पी नहीं है, मुझे तो ये जानना है की आखीर उस दिन हुआ क्या था ?’ सूरजने भी केवल सच्चाई जानने की कोशिश की |

‘आज से करीब पांच साल पहले मुझे सुलेमान का फोन आया था....!!’ करीब रात को दो बजे थे बहार अँधेरा घना हो चुका था | वो रास्ता भी अब सुमसाम था और खंडहर के पास तेजधार सूरज की कुछ सच्चाई और उसके जीवन से जुड़े कुछ राझ बताने जा रहा था....!

क्रमशः ..................