Kamsin - 7 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कमसिन - 7

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कमसिन - 7

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(7)

उसने देखा वो सड़क के किनारे बसा हुआ एक पहाड़ी कस्बा ही था ! मुश्किल से एक किलोमीटर की दुरी तक सड़क के दोनों किनारों पर दुकानें ढाबे और उनके ऊपर घर बने हुए हैं !

घर की सारी जरूरतों की चीजें कपड़े राशन आदि हर तरह के सामान की दुकानें और सरकारी ऑफिस भी थे ! आस पास के गाँव के लोगों की हर जरूरत का सामान वहां पर था !

सड़क पर बहुत तेजी से बस ट्रक आदि आ जा रहे थे ! बड़ी सावधानी से सडक पार करके वो लोग एक ढाबे पर आकर बैठ गए ! आठ दस सीढियाँ चढकर बना यह ढाबा दो भागों में बंटा हुआ था ! एक तरफ जरुरत का सामान और दूसरी तरफ खाना चाय आदि !

बाहर पड़ी कुर्सियों पर ही बैठ गए वहां से धूप के साथ ही आने जाने वालों लोगों और पर्वतीय नजारों को भी बड़ी आसानी से देखा जा सकता था !

रवि ने लड़के को दो आलू के तंदूरी परांठा दही और चाय का आर्डर कर दिया !

दो मिनिट्स में ही वो लेकर भी आ गया !

आलू के परांठे पर मक्खन का एक टुकड़ा रखा हुआ था, जो गर्म परांठे पर धीरे धीरे पिघलने लगा था !

बहुत स्वादिष्ट परांठा था ! बड़ा भी बहुत था राशी से खाया ही नहीं जा रहा था !

उसने आधा परांठा तोडकर रवि की प्लेट में रख दिया !

क्यों क्या हुआ ? खाया नहीं जा रहा है ? वे मुस्कुराते हुए बोले ! !

वे लोग खा ही रहे थे कि एक स्थानीय व्यक्ति वहां पर आकर बैठ गया ! वो भी नाश्ता करने आया था ! उसने दो परांठे मंगवाए ! कैसे खा पायेगा यह इतने बड़े दो परांठे ? राशी ने मन में सोचा !

लड़का उसके लिए एक भोजन थाल में दो परांठे दाल और आचार लेकर आया !

रवि उन सज्जन से बात करने लगे थे ! वे एक बैंक में जॉब कर रहे हैं ! परिवार में एक बेटी और पत्नी बस तीन ही लोग ! बेटी के लीवर में इन्फेक्शन हो गया है वो शहर में एडमिट है पत्नी भी उसी के साथ है ! मैं आजकल यहाँ पर बिलकुल अकेला हूँ ! खाना बनाना नहीं आता तो यहीं पर खाने आ जाता हूँ ! वो अपने दोनों परांठे खा चूका था और एक परांठा मंगा लिया ! न जाने क्यों राशि के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी ! रवि ने देख लिया ! वे समझ गए और उसे इशारे से मना किया ! उनकी इस हरकत पर उसे और तेज हंसी आने लगी थी वो वहां से उठकर अंदर की तरफ चली गयी कि कहीं उनको बुरा न लग जाये !

वहां पर पड़ी कुर्सी पर बैठ कर उसने अपना मोबाईल निकाल लिया और उसमें गेम खेलने लगी !

थोड़ी देर बाद फिर वहीँ धूप में आ गयी ! रवि और वे सज्जन अभी भी बातें कर रहे थे ! वो अपना खाना फिनिश कर चुके थे और अब रवि के साथ चाय पी रहे थे ! उनकी आँखे छलछला रही थी रवि का मन भी भरा भरा सा लग रहा था !

जिसकी एक ही बेटी हो और इतनी भयंकर बीमारी से घिरी हो जिसमे उसका बच पाना भी शायद संभव न हो !

अंधाधुंध पैसा बहाते हुए भी वे कह रहे थे, चाहें मेरा सारा पैसा उसके इलाज में खर्च हो जाए किन्तु वो सही हो जाए !

रवि ने सांत्वना देते हुए कहा, परेशान न हो वो ठीक हो जाएगी !

वैसे उसे क्या शुरू से ही थोड़ी बहुत समस्या थी ?

न जी ! बिलकुल ठीक थी ! एकदम स्वस्थ सुंदर प्यारी सी गुडिया लेकिन 10 th क्लास में आते ही न जाने क्या हुआ अचानक से उल्टियाँ आनी शुरू हो गयी थी ! इलाज चलता रहा लेकिन कोई फर्क ही नहीं पड़ा ! फिर शहर ले गए ! पढने में बहुत ही अच्छी थी ! अपनी क्लास में हमेशा फर्स्ट डिविजन से ही पास होती थी ! पूरे स्कुल में सबसे बढ़िया स्टूडेंट थी ! लेकिन बीमारी के कारण बस 11 वी के किसी तरह एग्जाम दिला दिए और फिर इलाज के लिए शहर भेज दिया और पढाई बंद हो गयी ! 5 साल हो गए हैं कोई फायदा ही नहीं !

मैं कितने दिन उसके साथ रहता, यहाँ नौकरी, बाग़ सब देखना है ! उसकी माँ को वहां छोड़ रखा है और मैं छुट्टी होने पर चला जाता हूँ ! उन्होंने अपनी जेब से उसकी फोटो निकाल कर दिखाई ! एक सुंदर सी लड़की जिसकी गुलाबी रंगत थी ! लेकिन अब यह ऐसे नहीं दिखती है रंग पीला पड गया है !

उनकी बातें सुनकर राशि की आँखों में आंसू भर आये ! सच दुनियां में कितने दुःख हैं हर इन्सान किसी न किसी परेशानी से घिरा हुआ है ! एक जरा सी बच्ची इतने कष्ट उठा रही है ! हे ईश्वर उसका क्या कसूर है ? उसे क्यों इतने दुःख दे रहे हो उसने तो अभी दुनियां को देखा भी नहीं है !

क्या अब उसकी पढाई नहीं होगी ?

नहीं, अब कैसे हो पायेगी ! इंजेक्शन, ग्लूकोस बस इसी में घिरी हुई है ! पता नहीं, सही होगी भी या नहीं ! कुछ भी पता नहीं है !

भाई उस उपर वाले का भरोसा रखो, वो सब ठीक करेगा ! रवि ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा !

माहौल बड़ा ग़मगीन सा हो गया था ! एक अंजान से कैसे दर्द का रिश्ता बन गया था !

अच्छा यह बताओ तुम्हारे पास कुछ बाग़ तो होंगे ही ! रवि ने माहौल को देखते हुए बात के रुख को मोड़ दिया था !

हाँ सर हम हिमाचली लोगों के पास अगर सेब के बाग़ नहीं तो हम कैसे हिमाचली !

तुम देखते हो या फिर गोरखे रख लिये या खुद ही देख लेते हो सबकुछ ?

अब कहाँ देख पाता हूँ अपनी नौकरी कर लूँ वही काफी है ! पहले खुद ही करता था! पर अब सब गोरखों पर ही छोड़ रखा है ! हर समय अब तो अपनी बच्ची की फ़िक्र ही लगी रहती है कि किसी तरह से वो ठीक हो जाए ! कहते हुए उनकी आँखों में फिर से आंसू छलक आये !

दुनियां में कितने गम हैं, मेरा गम कितना कम है ! ये गाना राशी के ज़ेहन में घूम गया !

राशी के मन में उसके लिए दुआ आ गयी !

देखिएगा अंकल जी, आपकी बेटी बिलकुल ठीक हो जाएगी ! आप इतना परेशान न हो !

रवि ने भी उनको सांत्वना देते हुए कहा, आप निराश क्यों हैं ! वो ऊपर बैठा है न ! सब देख रहा है ! आस का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए !

पता नहीं मासूमों को तकलीफ क्यों देता है ! क्या गलती है उसकी ! जो गलत काम करते हैं बुराइयों में रत हैं ! वे सब निरंकुश और खुश हैं ! और निर्दोष सजा भुगत रहे हैं ! वैसे देखा जाए तो यह सजा उसे नहीं बल्कि उसके परिवार को मिल रही है ! वो शारीरिक कष्ट ही झेल रही है जबकि उसके मम्मी पापा शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से भुगत रहे हैं और धन से बरबाद हो रहे हैं सो अलग ! राशि सोच में डूब गयी !

रवि ने लड़के को चाय का ऑर्डर करते हुए कहा, चलो मेरे यार को चाय पिलाओ ! अब से तुम मेरे यार हो, तुम्हें फ़िक्र करने की कोई जरूरत नहीं ! रब पर भरोसा रख बन्दे ! होना वही है जो पहले से तय है !

थोड़ी देर को वहां पर शांति छा गयी थी !

यार ये बताओ, क्या यहाँ सब लोग ही मांसाहारी होते हैं ?

नहीं सब तो नहीं ! हाँ कुछ लोग खाते भी हैं !

आपके पहाड़ों पर तो देवता की बलि भी दी जाती है न ?

हाँ दी जाती थी लेकिन अब बंद कर दी गयी है !

अच्छा !

पहले लोग मांस को बर्फ गिरने के दिनों में छत पर डाल दिया करते थे ! और जब बनाने का मन हुआ तो निकाल कर ले आया करते थे !

हाँ ऐसा होता था परन्तु अब बंद कर दिया गया है !

राशी उनकी बातों को सुनकर चौंक गयी ! सूखने को छत पर डाल देते थे ? क्या ख़राब नहीं होता था उससे बदबू नहीं आती थी ?

नहीं नहीं ! धूप में सूखने को नहीं बल्कि बर्फ में ! ईश्वरीय फ्रिज होता है ! इतनी बर्फ गिरती है कि मांस को निकालने के लिए कुदाल की जरुरत पड़ती है !

ओह हाँ ! आप सही कह रहे है जब इतनी गर्मी में यहाँ इतनी सर्दी है तो सर्दियों में कितनी ठंडक होती होगी !

अब रोचक बातें चल रही थी तभी देव आ गया ! रवि ने फिर तीन कप चाय का ऑर्डर कर दिया ! राशि ने पहले ही मना कर दिया था कि मुझे नहीं पीनी है !

चाय पीकर और उन सज्जन से हाथ मिलाकर वे लोग वहां से चले आये !

***