Das Darvaje - 10 in Hindi Moral Stories by Subhash Neerav books and stories PDF | दस दरवाज़े - 10

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दस दरवाज़े - 10

दस दरवाज़े

बंद दरवाज़ों के पीछे की दस अंतरंग कथाएँ

(चैप्टर - दस)

***

चौथा दरवाज़ा (कड़ी -1)

एडविना : मैं चुड़ैल, मेरे से बच

हरजीत अटवाल

अनुवाद : सुभाष नीरव

***

बैटरसी, लंदन का महत्वपूर्ण इलाका है। यहाँ बड़े-बड़े दफ़्तर है, स्टोर हैं और दुनिया के खूबसूरत फूलों वाला पॉर्क भी है। बैटरसी के इलाके की स्विंग रोड भी काफ़ी प्रसिद्ध है। यह एक तरफ दरिया थेम्स को आ लगती है, दूसरी तरफ लंदन की प्रमुख रोड ‘ए-23’ को। इस पर घरों के दो-दो फ्लैट बनाये हुए हैं। इनमें से बहुत से फ्लैट्स काउंसिल के हैं। कभी किसी समय फ्लैट्स काउंसिल के ही रहे होंगे, पर लोगों ने कुछ फ्लैट्स खरीदकर निजी बना लिए हैं। लंदन में काउंसिल का फ्लैट मिलना भी कोई सरल बात नहीं है। बहुत से लोग हेरा-फेरी से ले लेते हैं। किसी फ्लैट में दोस्त या रिश्तेदार के साथ जाकर रहने लग जाओ। यदि वह रिश्तेदार फ्लैट छोड़ना चाहे तो उसको कुछ पैसे देकर इसका मालिकाना हक खरीद लो। फिर, धीरे-धीरे सभी बिल अपने नाम करवा लो कि बहुत सालों से वही मालिक चला आ रहा है। इस तरह काउंसिल वह फ्लैट उसके नाम कर देती है। स्विंग रोड का 92-बी नंबर का फ्लैट डेनियल ने इसी तरह लिया है। निचले फ्लैट का नंबर ‘ए’ होता है और ऊपरी फ्लैट का ‘बी’। डेनियल का यह फ्लैट ऊपरी मंज़िल पर है।

डेनियल के हालात ऐसे बनते हैं कि उसको सब कुछ छोड़छाड़ कर एक दिन आयरलैंड जाना पड़ता है। वह फ्लैट की जिम्मेदारी मेरे सिर डाल जाता है। वह कह जाता है कि यदि कोई इस फ्लैट के थोड़े-बहुत पैसे देता है तो ले लूँ। यदि मैं यह फ्लैट किसी तरह अपने नाम करवा लूँ और फिर काउंसिल से खरीद लूँ तो एक दिन इसकी कीमत लाखों और बाद में करोड़ों पौंड हो जाएगी। डेनियल की बात है तो ठीक, पर मैं ऐसा नहीं सोच रहा। एक समय में मैं बहुत सारे मसले गले में नहीं डाल सकता। मेरे अपने पास एक घर है और एक स्टोर भी। यह फ्लैट मुझे पड़ता भी दूर है। वैसे मैं यहाँ प्रायः चक्कर लगाता रहता हूँ और सोचता हूँ कि यदि कोई ज़रूरतमंद दोस्त मिल जाए तो उसको दे दूँ। कभी-कभी मुझे यह फालतू की जिम्मेदारी लगती है, पर कई बार यहाँ आना मुझे अच्छा भी लगता है। यहाँ आकर दरिया की निकटता महसूस होती है और केन्द्रीय लंदन की भी। मैं सोचता हूँ कि अगर यह फ्लैट किसी तरह फंसा रहे तो किसी ख़ास मित्र को दे दूँगा। इस फ्लैट को लेकर एडविना का नाम मेरे मन में क्लिक होता है।

एडविना के साथ अभी मेरी मित्रता उस पड़ाव पर नहीं पहुँची है, जहाँ मैं इसे लेकर जाना चाहता हूँ। बातें तो हमारी बहुत होती हैं, पर बात किसी किनारे नहीं लग रही। एक दिन मैं पूछता हूँ -

“एडविना, तेरे पास कोई बॉय-फ्रेंड क्यों नहीं?“

“तेरा क्या मतलब?... मैं बीमार हूँ कोई?“

“नहीं, मैं तो सोचता हूँ कि मर्द के बग़ैर तेरे जैसी सुन्दर और जवान औरत का कैसे गुज़ारा होता होगा।“

“जॉय, असल में हमारे टूरिज़्म के महकमें में काम बहुत है और कर्मचारी कम हैं। मेरे पास मर्द को देने लायक वक्त ही कहाँ है!“

कुछ देर बार वह मजाक की रौ में आकर कहती है -

“असल में, मर्द मेरे से डरते हैं क्योंकि मैं चुड़ैल हूँ, तू भी ज़रा सोच-समझकर मेरे साथ खुला कर।“

“मुझे तो लगता है कि तू ऐसी बातें करके ही पुरुषों को डरा देती होगी।“

उसकी ऐसी बातें मेरी उत्सुकता को और बढ़ाने लगती हैं। मैं उसको बाहर ले जाने की या अपने घर में रात ठहरने की पेशकश अधिक करने लगता हूँ। जब डेनियल वाले फ्लैट की बात चलती है तो सोचता हूँ कि एडविना को अपने करीब लाने के लिए यह बहाना ठीक रहेगा। मैं उसको फ्लैट के बारे में कहानी बताते हुए कहता हूँ -

“एडविना, तू एक बार देख तो सही, फ्लैट तुझे पसंद आएगा। एक रात मेरे संग चलकर वहाँ रहकर देख।“

वह शरारती नज़र से मेरी ओर देखती है और कहती है -

“तू भी मेरे साथ चलकर रहेगा उस फ्लैट में?“

“नहीं, मैं तो नहीं रह सकूँगा। यह बात नहीं कि मुझे वहाँ रहना पसंद नहीं, पर मैं अपना घर कैसे छोड़ सकता हूँ।“

वह मेरी बात की ओर अधिक ध्यान नहीं देती। कुछ दिन बाद वह आकर मुझे कहने लगती है -

“मेरा लैंडलोर्ड स्टीवन कह रहा है कि कमरा खाली कर दूँ।“

“क्यों? किसी बात पर झगड़ा तो नहीं हो गया?“

“नहीं, झगड़ा क्या होगा। मेरा तो उससे वास्ता भी कम ही पड़ता है। यह बात उसने पहले ही कह दी थी कि कोई गैस्ट नहीं आना चाहिए और मैं कभी किसी को लेकर नहीं गई।“

वह मेरे साथ कई बार स्टीवन के बारे में भी बातें कर लिया करती है। स्टीवन संगीतकार है और बहुत समय वह संगीत साधना करते हुए अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। मैं कहता हूँ -

“सोच ले एडविना, तेरे पास बैटरसी वाले फ्लैट की च्वाइस तो है ही।“

“चल, किसी दिन देखकर आते हैं।“

“एडविना, मैं तो रात में दुकान बंद करके ही जा सकता हूँ।“

मेरे कहने पर वह सोचने लग पड़ती है और फिर कहती है -

“तुझे पता है, मैं चुड़ैल हूँ। बच मेरे से!“

“चुड़ैल है तो आ चिपट जा, यूँ ही डराये क्यों जाती है।“

मैं कहता हूँ और हम दोनों हँसने लगते हैं।

उस दिन हम देर से फ्लैट में पहुँचते हैं। वाइन और खाना हम बाहर से ले आते हैं। मैं उसको फ्लैट दिखलाता हूँ। दो शयन कक्ष सामने और एक बैठक पीछे की ओर और साथ ही रसोई। एक तरफ गुसलखाना। मैं पूछता हूँ -

“कैसा लगा यह फ्लैट?“

“बहुत खूब, बहुत सुन्दर।“

“एडविना, आज से यह फ्लैट तेरा हुआ।“

“यह पेशकश तो बहुत बढ़िया है... धन्यवाद।“

“इसमें एक नुक्स है।“

“वह कौन-सा?“

“इसके निचले हिस्से में एक अफ्रीकन परिवार रहता है जो बहुत शोर-शराबा करता है। धाड़-धाड़ संगीत चलाता है, कभी-कभी अजीब-सी आवाजे़ं भी निकालने लगता है।“

“कुछ अफ्रीकन लोग चुड़ैलों को भी मानते हैं, पर मुझे इन बातों की कोई परवाह नहीं, मेरे से बड़ी कौन-सी चुड़ैल है!“ कहकर वह हँसने लगती है और फिर कहती है -

“मुझे शोर-शराबे से अधिक डर नहीं लगता। रात को सोते समय मेरी नींद बहुत गहरी होती है, नहीं तो वाइन के दो गिलास पी लो। इसकी कोई चिन्ता नहीं।“

वह लापरवाही से कहती है और गिलासों में वाइन डालने लगती है। हम ज़रा-सा सहज होकर बैठते ही हैं कि अचानक नीचे से आवाज़ें आनी प्रारंभ हो जाती हैं। ये आवाज़ें अजीब-सी बोली में कुछ गा रही हैं। धीरे-धीरे, बीच-बीच में चीखें भी उठने लगती हैं। एडविना कहती है -

“ये तो सचमुच भूत-प्रेतों को ठिकाने लगा रहे हैं।“

“चल, तेरे अन्दर की चुड़ैल को भी ठिकाने लगवा आऊँ।“

मैं हँसता हूँ। वह कहती है -

“मेरे अन्दर की चुड़ैल का इलाज इनके पास नहीं।“

“फिक्र न कर, इस चुड़ैल को मैं वश में करूँगा।“

“जॉय, ज्यादा हीरो न बन, तेरे जैसे कई आए और चले गए।“ कहती हुई वह उठ खड़ी होती है। अपने बैग में से तौलिया निकालते हुए कहती है -

“मैं तो पहले नहाना चाहूँगी, फिर खाना खाएँगे।“

वह गुसलखाने में जा घुसती है। मैं मेज़ पर खाना लगाने लगता हूँ। कुछ मिनट बाद अचानक वह शॉवर लेती अधबीच में ही बाहर की ओर भागती हुई चीखती है -

“जॉय, जल्दी देख, शॉवर को क्या हुआ? इसका पाइप फट गया लगता है।“

मैं बाथरूम में जाकर देखता हूँ। पानी का तेज़ फुव्वारा छूटा पड़ा है। चारों ओर पानी ही पानी। मैं पानी के इस बहाव को रोकने की पूरी कोशिश करता हूँ, पर वो रुक नहीं रहा। कुछ ही पलों में सारा फ्लैट जल-थल हो जाता है। एडविना डायरेक्टरी में वॉटर-वर्क्स का फोन खोजकर शिकायत दर्ज़ करवाती है। पानी लकड़ी की छत को पार करता नीचे जा पहुँचता है। नीचे से उठती चीखें एकाएक बंद हो जाती हैं। चल रहा समागम रुक जाता है। नीचे से लोग आकर हमारा दरवाज़ा पीटने लगते हैं। मैं उन्हें पानी के पाइप के फट जाने के बारे में बताता हूँ। दो आदमी मेरी मदद करने लगते हैं, पर पानी की तेज़ धार किसी से नहीं रुक रही। तब तक वॉटर-वर्क्स वाले भी आ जाते हैं। वह बड़ी कठिनाई से पानी पर नियंत्रण पाते हैं। नीचे चल रहा कार्यक्रम खत्म कर दिया जाता है क्योंकि नीचे का फ्लैट भी पानी से भर गया होगा। ऊपरी फ्लैट का पानी भी अब नीचे जाकर ही दम लेगा। कारपेट का पानी भी रात भर नीचे चूता रहेगा। हम वाइन पी कर अपना खाना खाने लगते हैं।

सुबह एडविना जल्दी उठ खड़ी होती है। मेरे लिए चाय बनाकर लाती है और फिर से बिस्तर में घुसकर पूछती है -

“जॉय, सच बता, तूने मुझे फंसाने के लिए इस फ्लैट का सहारा तो नहीं लिया?“

“एडविना, मैं नहीं समझता कि तुझे फंसाने के लिए मुझे किसी फिजूल-से सहारे की ज़रूरत थी। तुझे कैसा लगता है?“

“बहुत से पुरुष ऐसे ही हथकंडे अपनाते हैं।“

मैं उसकी बात का जवाब दिए बिना कहता हूँ -

“तूने तो मुझे डरा रखा था।“

“क्या मतलब?“

“यही कि मैं चुड़ैल हूँ, मैं ये हूँ, वो हूँ!“

“जॉय, तूने अभी मेरा देखा ही क्या है! यह रात तेरी थी, मेरी रात तो शॉवर ने खराब कर दी थी।“ वह मेरी तरफ तिरछा-सा देखते हुए कहती है।

(जारी…)