Moumas marriage - Pyar ki Umang - 4 in Hindi Love Stories by Jitendra Shivhare books and stories PDF | माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 4

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 4

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग

अध्याय - 4

करोड़ो की जायदाद एक गैर आदमी के हाथों में जाती देख काजल के काका और उनके जवान बेटों ने काजल और राजेश की शादी का विरोध कर दिया। राजेश की जाति और अनाथाश्रम में पले-बढ़े होने के कारण उसके कुटुंब का कोई अता-पता न होने का मुद्दा बनाकर उन्होंने पुरे चोरल गांव में सुषमा जी के विरूद्ध वातावरण तैयार कर दिया। राजेश का चोरल गांव में प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया गया। यहां तक की जबरन गांव में घुस रहे राजेश पर काजल के काका के जवान बच्चों ने हमला उसे घायल कर दिया। काजल बहुत पहले से अपने काका और उनके बच्चों का शोषण सह रही थी लेकिन आज राजेश के सिर से बहता हुआ खुन देखकर उसका रौद्र रूप जाग उठा। काजल ने लठ उठाकर गांव की चौपाल पर अपने काका के जवान दोनों बेटों की जो पिटाई की वह पुरे गांव ने देखी। सुषमा और राजेश ने जैसे-तैसे काजल को पकड़ा। काजल ने पुरे गांव के सामने ऐलान कर दिया की वह राजेश से ही शादी करेगी जिसे जो करना है वह कर सकता है। काजल ने राजेश पर हमले के दोषियों पर पुलिस शिकायत भी दर्ज करवा दी। पुलिस ने छगन और मगन के विरुद्ध केस दर्ज कर लिया। राजेश द्वारा दिये गये बयान में छगन और मगन के विरूद्ध कोई बात न देकर उन्हें हवालात से बाहर निकालवा दिया।

काजल को राजेश की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया। वह राजेश से नाराज हो गयी। उसने राजेश से बातचीत बंद कर दी।

राजेश ने इंदौर से चोरल गांव आकर काजल को मनाने के प्रयास शुरू कर दिये।

राजेश के हाथों काजल द्वारा पसंद किया गया दोनों की होने वाली शादी में पहनने वाला जोड़ा था। काजल उस लहंगे को देखकर मुस्कुरा दी। वह दौड़कर राजेश के गले लग गई।

"राजेश! मेरे लिए आपसे बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है। अगर आपको कुछ हो जाता तो? क्यों छुड़ावाया आपने उन नमक हरामों को? सड़ने देते उन्हें वहीं!" काजल अपने दोनों को राजेश की कमर से चिपका कर बोली।

"काजल! क्या तुम्हें सचमुच लगता है कि मैंने कुछ गल़त किया?" राजेश काजल की पाठ पर हाथ घुमा रहा था। काजल मौन थी।

"बोलो! क्या तुम्हें सचमुच लगता है कि छगन और मगन को पुलिस स्टेशन से छुड़ाकर मैंने कुछ गल़त किया है?" राजेश ने दोबारा वही प्रश्न किया।

"नहीं! आप कभी कोई गल़त काम नहीं कर सकते। यदि आपने उन्हें छुड़ाने के लिए अपना बयान बदला है तो इसमें जरूर कोई न कोई अच्छी बात होगी।" काजल का राजेश पर अमिट विश्वास था।

"ठीक है। चलो कुछ खाना-पीना तो कराओ मुझे। मेरी काजल मुझसे नाराज है यह जानकर भरी दोपहरी में अपनी बाइक से चोरल तुम्हें मनाने चला आया।" राजेश काजल के दोनों कन्धों को अपने हाथों से पकड़कर बोला।

"आपको कितनी बार कहा है राजेश! कि कार ले लेते है। आपका मोटरसाइकिल से इतनी दुर आना मुझे अच्छा नहीं लगता। मां भी कह रही थी घर में आने-जाने के लिए कोई साधन नहीं है।" काजल ने इठलाते हुये कहा।

"अरे भई! मैंने भी तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरी इन्कम अभी कार अफोर्ड करने लायक नहीं है।" राजेश ने दोहरारा।

"इसमें मेरा-तेरा कहां से आ गया। क्या जो मेरा है वो आपका नहीं है? और फिर क्या वह कार आपके अकेले के लिए होगी?" काजल बोली।

"लेकिन••" राजेश बोल ही रहा था की काजल ने उसे बीच में काटते हू कहा-

"हम कार ले रहे है। देट्स फाइनल।"

"ओके बाबा! ठीक है हम कार ले लेंगे। हमारी शादी के पहले हम कार लेंगे। मैं उसी कार में (बारात) में तुम्हें लेने आऊंगा। ठीक है।" राजेश ने दोनों हाथों से काजल के कालों पर हथेली रखकर कहा।

काजल शर्माकर पुनः राजेश के गले लग गयी।

"अब तो कुछ खिला दो यार! पेट में चुहे दौड़ रहे है।" राजेश बोला।

"अभी लाई?" कहकर काजल अन्दर किचन में चल गई। उसे यह विश्वास था कि राजेश जो कहते है वह अवश्य ही करते है। अगले कुछ दिनों में ही राजेश और काजल शहर से कार खरीदकर चोरल ले आये।

काजल और राजेश शहर जा रहे थे कार में। राजाराम असावा की शादी की सालगिरह की पार्टी में सम्मिलित होने के लिए। राजेश कार ड्राइव कर रहा था। काजल उसके पास ही बैठी थी।

"काजल, एक चीज मांगू।" राजेश की आंखों में शरारत थी।

"हां बोलिये।" काजल भी राजेश की शैतानी मुस्कान समझ चूकी थी।

"हमे मिले इतने दिन हो गये। मगर अभी तक तुमने हमारा मुंह मिठा नहीं कराया।" राजेश ने सीधे-सीधे कह दिया।

" बस इतनी सी बात! ये लिजिए। कर लिजिए मुंह मिठा! " इतना कहकर चलती कार में काजल अपनी सीट पर उठी और सीधे राजेश की ओर झुककर उसके गालों को चूम लिया।

राजेश हैरत में था।

"बड़ी बेशर्म हो यार तुम। कोई शर्म-हया है कि नहीं? सीधे अटैक कर दिया।" राजेश ने गालों को पोछते हुये बोला।

"मुझसे कोई गलती हो गई क्या?" काजल ने मासूमियत से भरा प्रश्न किया।

"अरे भई! थोड़ा तुम्हें थोड़ा ना-नुकुर तो करना चाहिए। लड़कीयां आगे होकर थोड़ी ही किस करती है। बल्कि लड़का थोड़ा जोर जबरदस्ती करे तब ही लड़की को लड़के की बाय माननी चाहिए।" राजेश ने समझाया।

"तो आप मुझे सबकुछ सिखा देना। मुझे बस ये लगा मेरे राजेश ने मुझसे अगर कुछ मांगा है तो वह मुझे देना ही है। और ऐसी छोटी सी चीज पर आपको तड़पाना मुझे अच्छा नहीं लगा। बस इसीलिए••।" काजल ने अपनी दोनों बाहें राजेश की कमर में घुसा दी।

"काजल! रियली मैं बहुत लकी हूं कि मुझे तुम जैसी इतना बेहिसाब प्यार करने वाली प्यारी लड़की मिली। ठेंक्स् गाॅड।" यह कहते हुये राजेश ने स्वयं से लिपटी काजल के गालों पर अपना भी एक चुंबन जड़ दिया।

काजल वही लड़की है जिसने शहर में काॅलेज पढ़ाई के दौरान एक मजनू के जरा सी छेड़खानी करने पर भरे बाजार उसे चप्पलों से मारा था। मनोज भट्ट और राजेश दोनों पुलिस स्टेशन पहूंचे थे काजल को घर ले आने के लिए। दरअसल पुलिस उस मजनू को डांट- फटकार कर छोड़ रही दी। क्योंकि वह लड़का काजल को बहन बोलकर माफी मांग रहा था। पुलिस ने उससे उठक-बैठक भी लगवा ली दी। काॅलेज का विद्यार्थी जानकल पुलिस ने उसे छोड़ देने का मन बना लिया था। लेकिन काजल ने पुलिस स्टेशन पर उस मजनू को हवालात के अन्दर भेजने पर पुलिस वालों को विवश कर ही दिया था। ताकी अन्य विद्यार्थीयों को सबक मिले।

काजल का गुस्से में तमतमाता हुआ चेहरा याद कर राजेश मन ही मन मुस्कुरा रहा था।

कार अपनी गति से दौड़ रही थी।

श्लोक खाना खा कर सो गया था। मनोज की आंखो में नींद नहीं थी। सीमा कपूर से रेस्टोरेंट पर न मिल सकने की उसे बहुत आत्म ग्लानी थी। बालकनी में चांद की रोशनी में सिगरेट का धुंआ उड़ता हुआ मनोज तनु और बबिता से साॅरी बोलने का विचार कर रहा था। मनोज जानता था कि दोनों बहनें उससे बहुत नाराज थी। क्योंकि दोनों ही मनोज का फोन रीसिव नहीं कर रही थी। अपने विचारों को विराम देकर वह बेड की तरफ सोने की चल दिया।

अगले दिन सुबह ग्यारह बजे तनु अपने घर पर मनोज को देखकर आश्चर्यचकित हो गयी। सीमा ऑफिस जा चुकी थी। तनु और बबीता भी काॅलेज जाने के लिए निकल ही रही थी। मनोज को घर आया हुआ देखकर कुछ विलंब से महाविद्यालय जाने का उन्होंने मन बना लिया। बबीता भी ड्राइंग रूम में आ गई थी।

"मेरी बात समझने की कोशिश करो तनु। श्लोक की जिद के आगे मुझे उसे पिकनिक पर ले जाना पड़ा।" मनोज रेस्टोरेंट पर सीमा से मुलाकात नहीं कर सकने का कारण पुनः बताने लगा।

बबीता ने तनु को धैर्य रखने के लिए कहा।

"ठीक है मनोज जी। हम आपकी पहली गल़ती म़ाफ कर देते है। लेकिन अब आपको श्लोक के साथ-साथ हमारीमाँम का भी ख्याल रखना होगा।"

"बिल्कुल। अब से तुम दोनों जो कहोगी मैं वही करूंगा।" मनोज ने कहा।

"तो ठीक है। मिलना-जुलना तो आगे भी होता रहेगा। अब आपको सीधे मेन मुद्दे पर अटेक करना होगा।" तनु बोली।

"क्या मतलब? " मनोज ने पुछा।

"मतलब ये कि अब हमे यहां-वहां समय खराब नहीं करना चाहिए। बल्कि सीधे-सीधे काम की बात करनी होगी।" बबिता ने समझाया।

"मैं अब भी नहीं समझा?" मनोज ने कहा।

"ओहहहहो! सीधा सा मतलब ये है कि अब आपकोमाँम को प्रपोज करना है। उन्हें आई लव यू बोलना है। समझे की नहीं।" तनु ने स्पष्ट कहा।

"नहीं-नहीं ये मुझसे नहीं होगा।" मनोज घबराया।

"सब होगा। लाइये इधर अपना कान लाइये।" तनु ने मनोज के कान में अपनी एक योजना कह सुनाई।

योजना सुनकर वह मुस्कुरा दिया।

दोनों बहनों ने इस बार केन्डल लाइट डीनर पर सीमा और मनोज को भेजने का फैसला किया। लाल रंग की साड़ी में बोल्ड रंग की लिपस्टिक और खुले बाल में सीमा बरबस ही आकर्षण का केंद्र लग रही थी। सीमा का मेकअप दोनों बेटियों ने अपने हाथ से किया था। मनोज आज सीमा से पहले ही नीले रंग का सुट पहनकर रेस्टोरेंट में उसका इंतजार कर रहा था। सीमा के लिए कुर्सी ऑफर कर दोनों कार्नर बेंच संभालकर बैठ गये। सीमा का शर्माना जारी था क्योंकि मनोज उसे इतने प्यार से जो देख रहा था।

मोमबत्ती की रोशनी में मनोज ने अपना हाथ बढ़ाया। अपने हाथ के उपर मनोज के हाथ का स्पर्श पाकर सीमा सीहर उठी। उसके लिए किसी गैर मर्द का बहुत दिनों के बाद स्नेह में डुबा यह पहला स्पर्श था। वेटर ने दो मेंगों ज्यूस लाकर रख दिये। और चल दिया। मनोज सीमा की आंखों में अपने लिए प्यार तलाश रहा था। मगर सीमा किसी नई-नवेली लड़की की भांति इधर-उधर देखकर शर्माये जा रही थी। यकायक रेस्टोरेंट में म्युजिक बज उठा। प्रेमी जोड़े उठकर स्टेज पर थिरकने चल पड़े। मनोज ने सीमा को अपने साथ डांस करने के लिए ऑफर किया।

"मुझे डांस नहीं आता?" सीमा ने मजबूरी जाहिर की।

मगर मनोज कहां मानने वाला था। उसे तनु ने पुर्व में ही बता दिया था की उसने अपनीमाँम सीमा को कपल डांस सीखा दिया है।

मनोज ने पुनः सीमा के आगे अपने हथेली परोस दी। सीमा इंकार न कर सकी। सीमा का हाथ पकड़कर मनोज उसे स्टेज पर ले गया। सीमा की पतली कमर में मनोज ने अपना बांया हाथ रख दिया। दाये हाथ से सीमा के बायें हाथ के पंजे में अपना पंजा गुत्थ दिया। सीमा का दाया हाथ मनोज के बायें कंधे पर जम गया। सीमा नज़र बचाकर मनोज को देख रही थी। मनोज अपने कदमों को आगे-पीछे करते हुये सीमा के साथ उन पलों को दिल से जी रहा था।

मनोज ने सीमा को आंखो में आंख डालते हुए कहा --"सीमा आय लव यू!"

सीमा ने शर्म के मारे अपना सिर मनोज के सीने में घुसा दिया था। इसे सीमा की सहमती मानकर मनोज गदगद हो गया। संगीत जब बंद हुआ तब दोनों आकर अपनी बेंच पर बैठे। भोजन लग चूका था। मनोज ने सूप का पहला सीप अपने हाथों से सीमा को पीलाया। सीमा ने नज़र झुकाकर सूप स्वीकार किया। उसने भी चपाती का पहला कोर सब्जी में डुबोकर मनोज को खिलाया। दोनों बारी-बारी से एक-दूसरे को खाना खिला रहे थे।

"मनोज जीsss मनोज जी sss।" सीमा ने मनोज का नाम लेकर उसे जगाया। मनोज की निन्द्रा भंग हुई तो वह हड़बड़कर जागा। उसे विश्वास नहीं हुआ कि वह स्वप्न देख रहा था। सीमा उसके सामने खड़ी थी। अपने विलंब से आने पर उसने साॅरी कहा।

"मनोज माफ करे। लेकिन मैं आपके साथ डिनर नहीं कर पाऊंगी। दरअसल घर जल्दी पहूंचना है। आपको जो कहना वो आप चलते-चलते कह देना।" सीमा ने कहा।

"ओके।" मनोज ने यह कहते हुये अपनी कार दौड़ा दी। सीमा निडर थी उसके साथ। जबकी मनोज क्या कहे ? कैसे कहे? में उलझा था।

"कहिये आपको क्या कहना था?" कार में मनोज के बगल में बैठी सीमा ने कहा।

रात गहराने लगी थी। दस बजे का वक्त हो चला था। कार अपनी नियमित गति से सरपट दौड़ रही थी।

"सीमा जी! मैं सीधे-सीधे अपनी बात कह देता हूं। मनोज का मुंह सूख रहा था। अपनी जीभ को चारों ओर घुमाकर उसने मुंह गीला किया।

" सीमा जी! क्या आप मुझसे शादी करेगीं?" मनोज ने कह ही दिया।

" क्यों? " सीमा का प्रतिउत्तर था।

" क्योंकिss अss अss क्योंकि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं।" मनोज का जवाब था।

" देखिये मनोज जी! मैं आपकी बहुत रिस्पेक्ट करती हूं। मैं दो जवान बेटियों की मां हूं और आपका एक दस साल का बेटा है। फिर ये मजाक क्यों कर रहे है आप?" सीमा की बातों में कड़वाहट थी।

यकायक मनोज ने कार का जोरदार ब्रेक लगाया।

कार वहीं रूक गयी।

"मैं मजाक नहीं कर रहा सीमा। आई रियली लाइक एण्ड लव यू ऑफसर्स।" मनोज ने गुस्से में कहा।

"ये मुमकिन नहीं है मनोज?" सीमा ने कहा।

"क्यों मुमकिन नहीं है सीमा। तुम्हें और तुम्हारी बेटीयों को मैं बहुत खुश रखूंगा। मेरा यकीन करो।" मनोज गिड़गिड़ाया।

"मनोज! आप और मैं उम्रदराज हो चूके है। हमारी शादी लोगों के सामने एक तमाशा बनकर रह जायेगी।" सीमा ने चिंता व्यक्त की।

"कब तक तुम दूसरों के विषय में सोचती रहोगी सीमा? कभी अपने बारे में भी सोचो। लोगों की परवाह ने आज तक तुम्हे क्या दिया?" मनोज चिढ़ते हुये बोले।

"आप मेरा मतलब नहीं समझे। अपनी बेटियों की शादी करवाने की बजाय खुद शादी करना, क्या यह सही होगा? " सीमा ने स्पष्ट किया।

***