Das Darvaje - 9 in Hindi Moral Stories by Subhash Neerav books and stories PDF | दस दरवाज़े - 9

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दस दरवाज़े - 9

दस दरवाज़े

बंद दरवाज़ों के पीछे की दस अंतरंग कथाएँ

(चैप्टर - नौ)

***

तीसरा दरवाज़ा (कड़ी -3)

ऐनिया : मैं तेरी साहिबा

हरजीत अटवाल

अनुवाद : सुभाष नीरव

***

मैं शराब की छोटी-सी दुकान खरीद लेता हूँ। यह लंदन के बिल्कुल उत्तर में है। घर से बीस मील दूर पड़ जाती है। दुकान में सचमुच बहुत काम करना पड़ता है। सवेरे खोलकर रात देर से बंद करता हूँ। पंद्रह से भी अधिक घंटे रोज़ाना बन जाते हैं और आगे एक घंटा घर पहुँचने में लग जाता है। बमुश्किल सोने का समय मिलता है। ऐनिया का घर तो दुकान से और भी अधिक दूर पड़ता है। वह कभी-कभी आकर मेरी मदद कर दिया करती है, पर उसको कई बसें, गाड़ियाँ बदलकर पहुँचना पड़ता है। फिर उसको वेअन को स्कूल से भी लेना होता है। उसे अपने घर का काम भी करना होता है और मेरे घर का भी।

दुकान की व्यस्तता और लम्बे घंटे मुझे थका देते हैं। रात में दो पैग लगाकर जल्दी-जल्दी सोने की करता हूँ। किसी रात मैं अपने घर चला जाता हूँ, किसी रात ऐनिया के घर। यदि अधिक पी लूँ तो दुकान के पिछवाड़े में बने कमरे में ही सो जाता हूँ। मेरे कपड़े ऐनिया के घर में ही पड़े हैं। कभी-कभी वह मेरे घर जाकर भी मेरे कपड़े धो आया करती है। घर की एक चाबी तो उसके पास है ही।

जैसा मेरा भाई सोचता था कि दुकान लेने के बाद मैं ऐनिया को अधिक समय नहीं दे सकूँगा और वह मुझे छोड़ जाएगी, वैसा नहीं होता। हमारे बीच विवाह या बच्चे की बात को लेकर पैदा हुए बखेड़े के बावजूद वह मेरे साथ और अधिक जुड़ने लगती है। इन्हीं दिनों मैं ऐनिया के स्वभाव में आए परिवर्तनों को देखता हूँ। वह पहले से अधिक भावुक होने लगी है। उसका प्यार करने का तरीका बदलने लगता है। मैं ज़रा से नशे में आकर अथवा भावुक होकर झट से उसको ‘आई लव यू’ कहने लगता हूँ जबकि मैं उसको प्यार नहीं करता। प्यार वह भी मुझे नहीं करती, हमारा रिश्ता ज़रूरत में से उपजा रिश्ता है। यदि वह मुझे प्यार नहीं करती तो कभी ‘आई लव यू’ भी नहीं कहती। अब मेरे देखने में आने लगता है कि कभी-कभी सहवास के समय वह ‘आई लव यू’ कहने लग पड़ती है। एक दिन वह कहती है -

“जॉय, तूने मेरी ज़िन्दगी बदल दी है। तुझसे पहले मैंने बहुत बुरे दिन देखे हैं। तेरे से पहले मैं मिट्टी थी, तूने मुझमें जान डाल दी है। आय रियली लव यू! मैं तेरी हूँ।“

वह मेरी आँखों में आँखें डालकर कहती है। मुझे लगता है जैसे उसकी नीली आँखों में मैं बसने लग पड़ा होऊँ।

एक दिन ऐनिया मेरे कपड़े धोने मेरे घर जाती है तो वहाँ ऊषा से मिलती है जो कि मेरे घर किरायेदार बनकर रह रही है। ऐनिया हँसती हुई कहती है -

“साड़ी वाली तो तेरे घर आई बैठी है।“

“ऐनिया, फिक्र न कर, यह साड़ी वाली तो किरायेदार ही है।“

“घर में तो वह मालकिन की तरह घूमती-फिरती है। हर कमरे में बेधड़क जा घुसती है।“

“किसी कमरे में से मेरी कोई चीज़ लेने गई होगी, पर वह जल्दी ही चली जाएगी।“

मैं उसको तसल्ली देने के लिए कहता हूँ।

दुकान का काम मुझ अकेले के नियंत्रण में नहीं आ रहा। मैं एक गुजराती विजे को पार्ट-टाइम काम पर रख लेता हूँ। विजे कुछ दिन काम करके चला जाता है तो मुझे एडविना मिल जाती है। एडविना सुन्दर भी है और जवान भी। काम में भी तेज़। वह चार घंटे दोपहर में काम करती है। जब तक वह दुकान में रहती है, एक विशेष प्रकार की खुशबू बिखरी रहती है। उसकी हँसी, उसकी बातें ख़ास आकर्षण रखती हैं। एक दिन ऐनिया दुकान में अचानक धमकती है और एडविना को देखकर गुस्से में आ जाती है। मुझे एक तरफ ले जाकर कहती है -

“इस चुड़ैल को काम से हटा, नहीं तो मैं इसको बालों से पकड़कर निकाल दूँगी।“

“ऐनिया, मुझे ज़रा मदद की ज़रूरत है, और कुछ नहीं।“

“मदद की ज़रूरत है तो किसी आदमी को काम पर रख।“

एडविना उसके व्यवहार से समझ जाती है और उसको सुनाकर कहती है -

“जॉय, मैं अगले हफ़्ते से काम पर नहीं आ सकूँगी।“

ऐनिया खुश हो जाती है और कहती है-

“जॉय, तू फिक्र न करना। जब तक कोई दूसरा इंतज़ाम नहीं होता, मैं आ जाया करूँगी, चाहे मुझे कितनी भी परेशानी क्यों न हो।“

एडविना के जाने के बाद वह दुकान पर लगातार आने लगती है, पर फिर मुझे नोरमन मिल जाता है जो मेरे साथ पूरा समय काम करने लगता है और मैं ऐनिया को दुकान के काम से मुक्त कर देता हूँ।

एक रात दुकान बंद करके मैं ऐनिया के घर पहुँचता हूँ। मैं अपनी वैन खड़ी कर रहा होता हूँ कि तभी मुझे एक आदमी मेरी तरफ आता दिखाई देता है। वह तेज़ कदमों से चला आ रहा है मानो मेरे ऊपर हमला करना हो। मैं वैन में रखी रोड निकाल लेता हूँ। वह आदमी दोनों हाथ ऊपर खड़े करके कहता है -

“मैं तेरे साथ लड़ने नहीं आया बल्कि मैं तो तेरे साथ एक बात करने आया हूँ।“

जब वह बोलता है तो मैं पहचान लेता हूँ कि यह तो सैम है। वह कहता है -

“जॉय, हमारे बीच जो भी हुआ, वह भूल जा। मैं बहुत देर से तेरे साथ एक बात करनी चाह रहा था, इसीलिए आ आया हूँ।“

“कौन-सी बात?“

“तूने मेरे और ऐनिया के झगड़े का कारण जानने की कोशिश ही नहीं की। बस, झगड़ा करके बैठ गया... ऐनिया इतनी अच्छी नहीं जितनी तू समझे बैठा है। हमारे लड़ाई-झगड़े का कारण टॉमी था।“

“टॉमी कौन?“

“टॉमी, इसकी सहेली आइरीन का पति है। तूने भी कई बार देखा होगा।“

“हाँ, देखा है, पर उसका तो अपनी पत्नी से काफी प्यार है।“

“होगा, पर ऐनिया अपनी सहेली के साथ धोखा कर रही है। इसी बात पर मैं उसको रोकने का यत्न करता था।“

“सैम, कुछ भी हो, मेरा तेरे साथ तो गुस्सा यही है कि तू उसको मारता क्यों था।“

“जब तेरी बीवी किसी दूसरे के साथ सो कर घर लौटे तो क्या तू उसको जूस पिलाएगा?“

“ऐनिया ऐसी नहीं। हाँ, अगर तू उसको मारता होगा तो रोने के लिए उसको कोई कंधा तो चाहिए ही होगा न!“

“जॉय, बाकी सब बहाने हैं। ऐनिया दिल से टॉमी के साथ जुड़ी हुई है, तू भी याद रख।“

कहता हुआ सैम चला जाता है। पहली नज़र में तो उसकी किसी बात का मेरे ऊपर कोई असर नहीं होता, पर फिर मैं सोच में पड़ जाता हूँ कि यह टॉमी वाली कहानी क्या हुई। मैं दो-एक बार ऐनिया के साथ आइरीन और टॉमी के घर गया हूँ। एक बार आइरीन टॉमी के साथ झगड़कर ऐनिया के घर कुछ दिन रही भी है, पर मुझे ऐसी कभी कोई बात पता नहीं चली कि टॉमी और ऐनिया के मध्य कुछ होगा। शायद सैम मेरे और ऐनिया के बीच कोई दरार पैदा करना चाहता हो। मैं ऐनिया के पास जाता हूँ, पर कोई बात नहीं करता। सारी बात मैं भविष्य के लिए छोड़ देता हूँ।

रात में तो मुझे नशे के कारण नींद आ जाती है, पर सवेरे सैम की कही बात मेरे मन में शूल की भाँति चुभने लगती है। मेरे से सब्र नहीं होता और मैं कहता हूँ -

“रात को सैम मिला था।“

“अच्छा! अब क्या चाहता है वो?“

“कुछ नहीं, कहता था कि हमारी लड़ाई का कारण तो टॉमी था।“

मेरी बात सुनकर ऐनिया घबरा जाती है और चुप हो जाती है। कुछ देर बाद कहती है -

“नहीं जॉय, झूठ बोल रहा है यह हरामी! टॉमी तो मेरी मदद के लिए आया था। उसको मैं बहुत देर से जानती हूँ।“

कहकर वह पुनः चुप्पी लगा जाती है। मुझे लग रहा है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। कुछ देर बाद ऐनिया पूछती है -

“जॉय, तू क्या सोचता है?“

“मैं इस बारे में श्योर नहीं हूँ। तेरी घबराहट देखकर सोचता हूँ कि शायद तू कुछ कहना चाह रही है, पर कह नहीं पा रही।“

“नहीं जॉय, ऐसी कोई बात नहीं।“

“ऐनिया, मैंने नोट किया है कि काफी देर तक तूने मुझे ‘आई लव यू’ भी नहीं कहा। शायद तेरे मन में कोई दुविधा तुझे रोक रही थी।“

“दुविधा तो मेरे मन में थी। मैं सोचती थी कि अपना यह रिश्ता देर तक चल भी सकेगा कि नहीं। फिर तेरे साथ इतनी देर तक रहकर लगा कि हमारा यह संबंध मजबूत रहेगा। हम दोनों के बीच साझी तार यह है कि हम दोनों ही खुदगर्ज़ नहीं हैं। जब तक मैं महसूस नहीं करती थी, ‘आई लव यू’ नहीं कह सकती थी।“

“ऐनिया, यह बात तो मैं तेरे स्वभाव में भी देख रहा हूँ। तू मेरी तरह बात बात पर ‘आई लव यू’ नहीं कहा करती।“

“जॉय, मर्द-औरत का रिश्ता यकीन का रिश्ता भी है। सैम को इस बात का नहीं पता था। और जो यह ‘आई लव यू’ कहने वाली बात है, मुझे पहले तेरे से प्यार नहीं था। तूने मेरी मदद की थी, इसलिए मैंने अपने आप को तेरे सामने पेश कर दिया था, पर ‘लव यू’ वाली बात बहुत बड़ी होती है। जब मैंने महसूस किया, कह दिया।“

वह बताती है। मुझे लगता है कि वह सच कह रही है। मुझे तो अभी तक दिल से उसके साथ प्यार नहीं हुआ। एक संबंध है जो निकटता में पैदा हुआ है और जो मन के अन्दर बेचैनी-सी भी पैदा कर रहा है, पर यह प्यार तो नहीं है।

एक दिन मेरी भाभी का फोन आता है। कहती है -

“आज रात इधर ही आ जाना। कुछ मेहमान आए हुए हैं।“

“कौन आ रहा है?“

“मेरे ताया की बेटी शिंदरी कनेडा ब्याह करवाने जा रही है, दो दिन यहाँ रुकेगी। साथ ही एक और रिश्तेदार है।“

मैं भाई के घर चला जाता हूँ। भाभी के ताया की लड़की को देखता हूँ। वह बहुत ही सुन्दर लग रही है। मैं बार बार उसकी ओर देखता जा रहा हूँ। भाभी भांप जाती है और मुझे धीमे स्वर में कहती है -

“गोरी का पीछा छोड़ दे तो शिंदरी से भी सुन्दर लड़की मिल सकती है।“

“सच!“

“सच!... अगर तू अच्छा होता तो इसे ही यहीं रोक लेती।“

शिंदरी बहुत ही नखरे से बातें कर रही है। मैं उसके मुँह की ओर देखता रहता हूँ। ऐनिया के मुकाबले वह बहुत प्यारी लग रही है। ऐनिया के आगे तो कई बार मुझे अपने घर किराये पर रखी ऊषा भी सुन्दर लगने लगती है। शिंदरी की ओर देखकर मुझे महसूस होने लगता है कि मुझे ऐसी ही किसी औरत की ज़रूरत है। मेरा दिल करता है कि अब विवाह करवा ही लूँ। इंडिया जाऊँ और सुन्दर-सी लड़की ब्याह लाऊँ। अपने दोस्त मोहन लाल के घर जाने पर भी मेरे मन में ऐसे ख़याल आने लगते हैं।

शिंदरी तो कैनेडा चली जाती है, पर मेरे मन में बीज बो जाती है कि अब मेरा विवाह करवाने का वक्त आ गया है। अब मुझे ऐनिया को अलविदा कह देना चाहिए, पर कहूँगा कैसे, इसका पता नहीं चल रहा। मैं जानता हूँ कि मुझसे कहा भी नहीं जाएगा। अब वह मुझे पहले से कहीं अधिक प्यार भी करने लगी है।

एक दिन ऐनिया मुझसे पूछती है -

“जॉय, देख रही हूँ कि तू बहुत उखड़ा उखड़ा रहता है। सच बता क्या बात है?“

“ऐनिया डार्लिंग, मुझे बच्चा चाहिए।“

“क्या यह बहाना है, मुझसे छुटकारा पाने का?“

“नहीं, मैं दिल से कह रहा हूँ।“

“फिर जब अपनी बात हो चुकी है कि मुझे बच्चा नहीं चाहिए तो यह सवाल तेरे मन में दुबारा क्यों आया?“

“लोगों के बच्चों की ओर देखकर। जब किसी को बच्चे की उंगली पकडे़ उसे स्कूल छोड़ने जाते देखता हूँ तो मेरा भी दिल करता है कि मेरा भी ऐसा परिवार हो।“

“मुझे तो किसी दूसरी ही बात की स्मैल आ रही है।“

“किस बात की?“

“मुझे लगता है कि तू अपने हरम में एक साड़ी वाली भी लाना चाहता है।“

“हरम में?“

“और क्या... देख न, कोई तूने किराये पर रखी हुई है, कोई दुकान में काम कर रही है। मैं इधर हूँ और एक अन्य की भी तू बात कर रहा था जिससे शायद तू मसाज करवाता है।“

कहती हुई वह हँसने लगती है। कुछ देर रुककर कहती है -

“तू कहीं सैम द्वारा टॉमी लेकर कही बात को दिल पर लगाए तो नहीं घूमता?“

“नहीं, ऐसी बात तो नहीं, पर तूने उस दिन बात स्पष्ट भी नहीं की थी।“

मैं कहता हूँ। ऐनिया चुप हो जाती है। फिर बोलती है -

“जॉय, सैम मेरे ऊपर बहुत जुल्म कर रहा था। मैंने पुलिस को रिपोर्ट की हुई थी। मैंने अपने भाई डेनियल से बहुत मदद मांगी, पर उसने मेरे लिए कुछ नहीं किया।... फिर मैंने टॉमी को अपनी सहायता के लिए तैयार कर लिया, पर ऐन वक्त तू आ गया था। मेरे पास टॉमी और तेरे में से एक को चुनने की च्वाइस थी, मैंने तुझे चुन लिया।“

“थैंक्यू ऐनिया! टॉमी नाराज तो हुआ होगा?“

“टॉमी भी सारी बात को तेरी तरह समझता था, पर उसने मुझे इतना ज़रूर कहा था कि ये इंडियन लोग हमारे नहीं बनते। सोयेंगे ये गोरी औरत के साथ, पर विवाह अपनी साड़ी वाली से ही करवाएँगे।“

“और तू क्या कहती थी?“

“तब तो मुझे उसकी बात का यकीन नहीं था, पर अब हो रहा है। तेरा रवैया कह रहा है कि तू अपने रंग की औरत के साथ विवाह करवाना चाहता है। यह तेरा हरम टेम्परेरी-सा ही है। बता, सच है?“

कहती हुई वह सीधा मेरी ओर देखने लगती है। मेरे में झूठ बोलने की हिम्मत नहीं है। मैं जवाब देता हूँ -

“ऐनिया, यह सच है। मैं दूसरे इंडियन्स की तरह अब अपने माँ-बाप की मर्ज़ी का विवाह करवाना चाहता हूँ।“

वह एकदम चुप हो जाती है। मैं पुनः कहता हूँ -

“पर मुझे कोई उतावली नहीं।“

“उतावली है या नहीं, पर तू मुझे छोड़ तो रहा है। आज छोड़े या कल, पर सच बोलने के लिए शुक्रिया।“

फिर वह आँखें भर लेती है और कहती है -

“जॉय, मैं तुझे प्यार करने लगी हूँ। मैंने बहुत देर बाद किसी को प्यार किया है, प्लीज़ मेरे साथ रहता चल।“

“ऐनिया, अभी मैं कुछ नहीं कर रहा। मुझे तो अपने भविष्य का खुद भी कुछ पता नहीं।“

“और जो भी कर या न कर, पर अपने हरम में से बाकी की सारी औरतें निकाल दे, नहीं तो मैं इन्हें उठाकर बाहर फेंक दूँगी।“

वह मेरे पर रौब डालते हुए कहती है।

ऐनिया के साथ जुड़ी गुफा का दरवाज़ा भी बंद हो जाता है। वह रहती तो लंदन में ही है कहीं, पर मैंने कभी उससे मिलने की कोशिश नहीं की। ज़िन्दगी तेज़ रेलगाड़ी की तरह भागती जाती है और ऐनिया वाला स्टेशन बहुत पीछे छूट चुका है। ऐनिया की कभी याद भी नहीं आती, पर हाँ, मैं उसका नाम हर रोज़ लेता हूँ, दिन में कई बार लेता हूँ। कैसे और क्यों लेता हूँ, इसका जवाब इस गुफा के भीतर के आखि़री दृश्य में पड़ा है।...

मेरा विवाह हो चुका है। मेरी पत्नी इंडिया से आ चुकी है। हमारी पहली संतान होने वाली है। ऐनिया के साथ अभी भी संबंध पहले जैसे हैं। पत्नी से छिपकर मैं उसकी तरफ चक्कर लगा आता हूँ। ऐनिया ने इस नए रिश्ते को मंजूर कर लिया है। एक दिन वह पूछती है -

“अब तू जल्द ही पिता बन जाएगा। कितना खुश होगा?“

“बहुत ज्यादा। हमारे कल्चर में पिता बनने का मतलब है, दुनिया से जुड़ना। अगर पिता नहीं बनोगे तो तुम अकेले रह जाओगे। तुम्हारे पास औलाद होगी तो मरने के बाद भी तुम किसी न किसी रूप में जीवत रहोगे, तुम्हारी दुनिया के साथ सांझ रहेगी।“

“जॉय, पिता बनने पर मुझे क्या तोहफ़ा देगा?“

“ऐनिया, बता क्या लेना है तुझे?“

“यदि लड़की हुई तो उसका नाम ऐनिया रखना।“

“बिल्कुल रखूँगा। ऐनिया के अलावा कोई दूसरा नाम मुझे सूझ ही नहीं सकता।“

उस रात पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती हैं। मैं एम्बूलेंस बुला लेता हूँ। अस्पताल से ही ऐनिया को फोन करके अपने अस्पताल होने के बारे में बताता हूँ। फिर आधी रात में मैं उसके घर पहुँचता हूँ। वह बेसब्र होकर पूछती है -

“क्या ख़बर है?“

“ऐनिया!“

“बधाई हो!“

कहते हुए वह अल्मारी में से शैम्पेन की बोतल उठा लाती है।

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क्या है ‘चौथे बंद दरवाज़े’ के पीछे… जानना चाहेंगे? अगली किस्त में खुलेगा यह राज। अवश्य पढ़िये अगली किस्त…