Aamchi Mumbai - 16 in Hindi Travel stories by Santosh Srivastav books and stories PDF | आमची मुम्बई - 16

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आमची मुम्बई - 16

आमची मुम्बई

संतोष श्रीवास्तव

(16)

दादर में निर्मित हो रहा है अंबेडकर स्मारक

भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर की सवा सौवीं जयंती वर्ष के अवसर पर दादर के इंदु मिल परिसर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ४२५ करोड़ रुपये लागत से देश के भव्यतम आंबेडकर स्मारक का भूमिपूजन भी सम्पन्न हुआ है | चैत्य भूमि जहाँ ६ दिसंबर को बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनकी भस्म और अन्य अवशेषों के दर्शन के लिए देश, विदेश के कोने-कोने से अनुयायी आते हैं | चैत्य भूमि वो जगह है जहाँ ६ दिसंबर १९५६ को उनकी पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हुई थी | इस दिन मुम्बई में तिल रखने को जगह नहीं मिलती | महाराष्ट्र सरकार बस, ट्रेन, लोकल ट्रेन में यत्रियों को बिना किसी यातायात शुल्क के चैत्य भूमि पहुँचाती है | चैत्य भूमि के निकट इंदु मिल कंपाउंड का ४.८ हेक्टेयर का प्लॉट जहाँ से बांद्रा वर्ली सी लिंक का विहंगम नज़ारा भी दिखेगा और चैत्य भूमि तक आने जाने का मार्ग भी इससे जोड़ा जायेगा | यहाँ १५० फीट ऊँची आंबेडकर की प्रतिमा होगी साथ ही बौद्ध चैत्यों की याद दिलाने वाला २४०० मीटर वर्ग फुट में फैला, ४० मीटर लम्बा और ८० मीटर व्यास का, २४ रिब्ड सीलिंग वाला स्तूप होगा | ऊपर बुद्ध केअष्ट मार्गों का आठ टियर का कांस्य मंडप और नीचे कमल के फूलों से भरी कृत्रिम झील होगी | ३६८१ वर्ग मीटर क्षेत्र में वॉटरपूलके पास बनेगा म्यूज़ियम जिसमें बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन को दर्शाने वाली झाँकियाँ, दलितों के सशक्तिकरण, संघर्ष और संविधान और भावी पीढ़ियों को संदेश देती गैलरियाँ होंगी | होलोग्राफ़ से ऐसा आभास पैदा किया जायेगा मानो बाबासाहेब सामने खड़े भाषण दे रहे हैं | पुस्तकालय में एक ध्यान केन्द्र और पाँच हॉल होंगे |

बाबासाहेब आंबेडकर एलफिंस्टन रोड स्थित उस ज़माने के सरकारी हाई स्कूल में पहले दलित छात्र थे | ८ जुलाई १९४५ को उन्होंने पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की | फोर्ट स्थित बुद्ध भवन और आनंद भवन में १९ जून १९४६ को सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंस की स्थापना के साथ उन्होंने महाराष्ट्र में उच्च शिक्षा का नया अध्याय खोला | यहाँ उनका अस्थिकलश और पुस्तकों का बहुमूल्य संग्रह संकलित है | बुद्ध भवन के पुस्तकालय में अब केवल शोध छात्र ही आते हैं | लाइब्रेरियन ने मुझे बताया कि उनकी दान की गई पुस्तकें विभिन्न कॉलेजों और शिक्षा संस्थानों में रखी हैं | चौथी मंज़िल के जिस कमरे में वे रहते थे अब वह क्लासरूम है | पुस्तकालय में उनकी आरामकुर्सी भी रखी है जिस पर बैठकर उन्होंने संविधान के कई अध्याय लिखे |

आनंद भवन से थोड़ी ही दूर एक चायनीज़ रेस्टोरेंट है | एक ज़माने में यह ईरान कैफे वेसाइड इनके रूप में बाबासाहेब की सबसे प्रिय जगह थी | खिड़की के पास वाले टेबिल पर उन्होंने कानूनी लेख अपनी कानून की किताब के लिये लिखे | वह खिड़की अब बंद कर दी गई है | मुम्बई उनका गृह नगर था | दादर की हिंदू कॉलोनी में छह दरवाज़ों वाले तीन मंज़िलाराजगृहनमक बँगले में वे रहते थे | उनके निधन के बाद यह बँगला विवादों से घिर गया | अब वहाँ तल मंज़िल में उनके कुछ फोटो और भस्मी रखी है | हॉकर बँगले के ठीक पास अपने स्टॉल लगाते हैं और सामने की जगह को स्कूल की गाड़ियों ने घेरा हुआ है | हरे भरे राजगृह के आसपास के सारे दरख़्त कट जाने से बँगले को वीरानगी ने घेर लिया है | सीढ़ी से पहली मंज़िल की ऊँची सीलिंग व नक्काशीदार दरवाज़ों वाली बॉलकनी वाली स्टडी और वहाँ से घुमावदार सीढ़ियाँ उनके ख़ास कमरे की ओर जाती हैं जहाँ एक शो केस में उनकी किताबें रखी हैं | यहाँ वे १९३७ से रहे | उनकी आरामकुर्सी, पलंग, वार्डरोब, लिखने की टेबल आदि देखकर सिर श्रृद्धा से झुक गया | इन दो छोटे कमरों में रखे विज़िटर्स रजिस्टर में मैंने यूरोप और अमेरिका से आए आंबेडकर को मानने वाले लोगों के हस्ताक्षर के साथ ही श्रृद्धांजलियाँ भी लिखी थीं | बाबासाहेब ने राजगृह बनवाया ही इसलिए था कि पचास हज़ार से अधिक अपनी अमूल्य पुस्तकें सुरक्षित रख सकें | यहीं दादर स्टेशन के पास आंबेडकर प्रेस है |

दादर टर्मिनल तक पुराना मुम्बई है | फिर उपनगर शुरू हो जाते हैं | वृहत्तर मुम्बई बोरीवली तक है | बोरीवली से आगे ठाणे जिला शुरू हो जाता है |

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