Afsar ka Abhinandan - 14 in Hindi Comedy stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | अफसर का अभिनन्दन - 14

Featured Books
Categories
Share

अफसर का अभिनन्दन - 14

धंधा चिकित्सा शिविरों का ...

यशवंत कोठारी

हर तरफ चिकित्सा शिविरों की बहार हैं. जिसे देखो वो ही शिविर लगा रहा है. कहीं भी जगह दिखी नहीं की कोई न कोई शिविर लगाने वाला आ जाता है, मंदिर ,मस्जिद ,गुरु द्वारा , गिरजा घर , मैदान ,स्कूल, कालेज , हर जगह चिकित्सा शिविर के लिए मोजूं हैं.मैं इन शीविरों में गया. ज्यादातर शिविर किसी न किसी चेरिटी ट्रस्ट के नाम पर चलाये जाते हैं, ट्रस्ट, समिति , फाउन्डेशन आदि बनाकर आय कर बचाया जाता है, इन शी विरों का प्रचार प्रसार बड़े जोर शोर से किया जाता है, बड़े बड़े नाम जोड़े जाते हैं, बड़े बड़े वादे किये जाते हैं, निशुल्क इलाज का चारा फेका जाता हैं,निशुलक टेस्ट किये जाने की सूचना दी जाती हैं, मगर होता सब कुछ ऐसा नहीं हैं.बड़े डाक्टर आते नहीं या कुछ समय के लिए आकर चले जाते हैं, पेरा मेडिकल स्टाफ की योग्यता के बारे में पूछना मना हैं, मुफ्त इलाज के इन वादों का उपयोग अपने संसथान, हॉस्पिटल , क्लिनिक के लिए रोगी एकत्रित करना ही होता हैं.एक दो टेस्ट मुफ्त करने के बाद रोगियों को घर, क्लिनिक ,होसपीटल की पर्ची पकड़ा दी जाती हैं, कोई टेस्ट बता कर बड़ी बीमारी की सूचना दी जाती हैं रोगियों को अपनी गाड़ी में भर कर हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाते हैं. वास्तव में चिकित्सा शिविर रोगी प्राप्त करने का एक कारगर नुस्खा बन गया हैं, शुरू में कुछ संस्थाओं ने अच्छा काम किया ,फिर सब भेड़ चाल में शामिल हो गए . इन शिविरों में बी पि , मधुमेह, घुटने , ह्रदय रोगियों की लम्बी लाइने होती हैं, गरीबों के मुफ्त इलाज के वादे होते हैं, लेकिन अंत में शिविर से रोगी को शिविर लगाने वाले अस्पताल जाना पड़ता है.आँखों के ओप्रशन , मुफ्त लेंस ,लेकिन ये सुविधा कम ही मिल पाति हैं, सुविधा के लिए संसथान जाना होता हैं.कई शिविरों में कई प्रकार की गलतियों के समाचार आते रहते हैं, कुछ समय पहले आँखों के ओप्रशन के दोरान रोगियों की आँखें हमेशा के लिए ख़राब हो गई थी. इस प्रकार के प्रकरणों से बचा जाना चाहिए. बहुत कम लोगो को पता हैं की शिविर लगाने में सरकार आर्थिक सहयोग देती है , इस का कोई हिसाब किताब नहीं होता .शिविर लगा कर लोग सम्मान पुरुस्कार ले लेते हैं, रोगी को कोई फायदा नहीं होता.भारत सरकार व् राज्य सरकारों के स्वस्थ्य विभागों को इन शिविरों की नियमित जाँच पड़ताल करनी चाहिए, अनुमति से पूर्व सभी प्रकार के डाक्टर नर्सों व् टेस्ट करने वाले लोगों की योग्यताओं की भी जाँच जरूरी है पेथोलोजिस्ट हे या नहीं इसे भी देखा जाना चाहिए.

एलोपथी की तरह ही चिकित्सा शिविरों का यह व्यापार आयुर्वेद ,होमियोपैथी , यूनानी, फ़िजिओथेरपि ,पशु चिकित्सा आदि क्षेत्रो में भी शुरू हो गया हैं,सरकारी , गेर सरकारी, स्वयंसेवी सभी प्रकार के लोग जनता के स्वास्थ्य को लेकर अपने स्वा स्थ को सुधरने में लग गए हैं. कभी युद्ध के मैदानों में सैनिकों के कल्याण हेतु ये शिविर शुरू किये गए थे , मगर अब ये शिवीर स्वयं एक बीमारी बन गए हैं.

लगभग सभी शिविरों से रोगियों को अपने चिकित्सा संसथान में बुलाया जाता हैं, जहाँ से उनका शोषण किया जाता हैं. टेस्टों के नाम पर भा री राशी वसूली जाती हैं, जिसपर डाक्टरों को भा री कमीशन मिलता हैं,ओपेराशन का इन्वोइस बना कर देते हैं, रोगी द्वारा पैसा जमा करते ही डाक्टर के खाते में कमिशन आ जाता हैं.

एक संसथान के मालिक ने बताया पूरा खेल आर्थिक हैं, हम डाक्टरों को वेतन कम और कमीशन ज्यादा देते हैं, यह कमीशन रोगी की जेब से ही जाता हैं.

चिकित्सा शिविरों में ही कभी पूरे देश में नसबंदी का भयंकर खेल खेला गया था, परिणाम स्वरुप सरकार अगला चुनाव हार गयी थी .इन शी विरों मेंकई गलत ऑपरेशन हो गए थे, भुक्तभोगी आज भी याद करके सिहर जाते हैं. बिहार का आँख फोड़ कांड , व् उत्तर प्रदेश का ग्लूकोज कांड भी काफी जानलेवा रहा था

आदिवासी, ग्रामीण व् सुदूर इलाकों में शिविरों किउपयोगिता हें मगर वहां तक जाये कोन .सरकार को इन शिविरों पर नियंत्रण के लिए कोई नियामक संस्था बनानी चाहिए . कोई बताये की खाली एन्जिओग्रफ़ि करने का क्या मतलब हैं?खाली जोड़ो के एक्सरे से क्या होना जाना हैं, सवाल करने पर डाक्टर मैं हूँ या तुम?

चिकित्सा शिविरों का सरकार को ऑडिट करना चाहिए.जो लोग अच्छा काम कर रहें हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाये व् जो इसे व्यापर समझ कर कर रहें हैं उनकों रोका जाना चाहिए, कई शिविरों में रोगियों को नुकसान होचुका हैं, मामूली बीमारी को बढा चढ़ा कर रोगी व् उसके घरवालों पर दबाव बनाया जाता हैं, यदि रोगी उनके यहाँ भरति हो जाता हें तो क्या कहने .वेंटिलेटर लगा कर ही छोड़ते हैं.मरने के बाद भी भारी बिल थमा दिया जाता हैं.चिकित्सा एक पवित्र काम हैं, इसे गन्दा व्यापर बनाने वालों से सावधान.००००००००००००००

यशवंत कोठारी ,८६, लक्ष्मी नगर , ब्रह्मपुरी जयपुर -३०२००२

मो-९४१४४६१२०७